Uttar Pradesh

Bareilly-II

CC/25/2020

SHIV KUMAR - Complainant(s)

Versus

S S WHEELS - Opp.Party(s)

SHIV KUMAR

17 Jun 2022

ORDER

                                                    जिला  उपभोक्ता  विवाद  प्रतितोष आयोग- द्वितीय, बरेली।

                1-  दीपक कुमार त्रिपाठी          अध्यक्ष
                2-  दिनेश कुमार गुप्ता              सदस्य
              3-  कुसुम सिंह                         सदस्य

                      
             परिवाद सं0 : 25/2020  
शिव कुमार पुत्र नरेश पाल निवासी ग्राम धौरेरा, पोस्ट पुलड़िया, तहसील दातागंज, जिला बदायूॅं हाल निवासी गली नं. 3, गणेशनगर, थाना सुभाषनगर, जिला बरेली।         
                                                ..................परिवादी
                             प्रति

1.   एस.एस. व्हील्स स्थित दुकान नं.-31, 32 एस.वी. कालेज अयूब खॉ 
    चौपुला रोड़, बरेली-243001 द्वारा प्रोपराइटर सिविल लाइंस, बरेली 
    टायर कम्पनी स्थानीय कार्यालय द्वारा प्रबन्धक टायर कम्पनी मुख्यालय 
    द्वारा प्रबन्धक।
2.   फाल्कन टायर लि. ’’यूनिट 312 (श्र.ज्ञए स्ए डए छच्-फ) सेन्ट्रम प्लाजा 
    गोल्फ कोर्स रोड़ सेन्टर 53 गुडगाव हरियाणा 122002’’ द्वारा 
    महाप्रबंधक।   
                                               .................विपक्षीगण 
                          परिवाद संस्थित होने  की  तिथि 20.02.2020  
                          निर्णय उद्घोषित करने की तिथि 17.06.2022                                               
                   
                            निर्णय 

1.     परिवादी शिव कुमार ने विपक्षीगण एस.एस. व्हील्स एवं फाल्कन टायर लि. के विरूद्ध सेवा में कमी हेतु क्षतिपूर्ति रू. 58,600/- एवं वाद व्यय           रू. 10,000/- दिलाए जाने हेतु उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 35 के अंतर्गत यह परिवाद दिनांक 20.02.2020 को प्रस्तुत किया है।  

2.     प्रकरण में यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी मारूति आल्टो कार    यू.ऐ.-06जी 8873 का पंजीकृत स्वामी व अनुज्ञप्तिधारक चालक है। परिवादी ने कार के लिए विपक्षी क्रमांक 1 की दुकान से, विपक्षी क्रमांक 2 कम्पनी द्वारा निर्मित 3 टायर दिनांक 30.06.2019 को रू. 7,500/- में क्रय किए थे।

3.    परिवाद संक्षेप में इस प्रकार है कि विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा टायर विक्रय के समय परिवादी को यह विश्वास दिलाया गया था कि उसके द्वारा केवल सिर्फ उच्च क्वालिटी के टायर बेचे जाते है तथा टायरों की गारण्टी भी देते 


                           2.

है, उक्त आश्वासन पर परिवादी ने 3 टायर खरीदे। विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा प्रेरित करने पर परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 के यहॉं से व्हील एलाइनमेंट व बैलेंसिंग करवाई। विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा परिवादी को 2वर्ष तक टायर में खराबी आने पर 2साल की वारण्टी भी दी गई।  विपक्षी क्रमांक 1 ने विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा निर्मित जो 3 टायर डाले, वे बेहद खराब टायर थे। इनमें से आगे के 2 टायर मात्र 600 किलोमीटर मात्र की थोड़ी ही दूरी तय करने पर काफी खराब हालत में पहुॅंच गए।   

      परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 से इस बात की शिकायत दिनांक    16.09.2019 को करने पर, विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा कहा गया कि आप वाहन ले आओ हम टायर बदल देंगे, क्योंकि हमारे टायर तो कम्पनी से मिल ही जायेंगे, किन्तु जब परिवादी विपक्षी क्रमांक 1 के पास पहुंचे, तब विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा टायर बदलने से इन्कार कर दिया गया। विपक्षी क्रमांक 1 के इस अनैतिक एवं अव्यवसायिक तथा धोखा देकर, लाभ प्राप्त करने वाले व्यवहार से परिवादी को अत्यधिक मानसिक क्षोभ एवं पीड़ा हुई एवं धन की हानि हुई, जिसके लिए केवल विपक्षीगण उत्तरदायी है। परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 को बार-बार अहसास कराने पर विपक्षी क्रमांक 1 ने कहा कि आपकी कार में व्हील बैलेंसिंग व एलाइनमेंट की कमी है, हम टायर नहीं बदल पायेंगे, लेकिन आपके वाहन का व्हील बैलेसिंग व एलाइनमेंट ठीक कर देंगे, इसके लिए परिवादी ने रू. 300/- की धनराशि अदा की। 

      परिवादी को विपक्षी क्रमांक 1 के एलाइनमेंट पर संतुष्टि प्राप्त न होने पर परिवादी कुछ ही दूरी पर एक अन्य स्थान पर पुनः वाहन चैक कराने गया तो वाहन के व्हील एलाइनमेंट एवं बैलेंसिंग में कमी पाई गई, जिस पर परिवादी द्वारा उसी दिन दूसरी दुकान पर व्हील बैलेसिंग एवं एलाइनमेंट का कार्य पुनः कराया गया। अतः विपक्षीगण से टायर की मूल धनराशि         रू. 7,500/-, व्हील बैलेसिंग एवं एलाइनमेंट के रू. 800/- $ रू. 300/- कुल रू. 8,600/-, आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक क्षति के रू. 50,000/- तथा वाद व्यय रू. 10,000/- दिलवाए जावे।

4.     विपक्षी क्रमांक 1 ने निर्णय की कंडिका 2 में उल्लिखित स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवादपत्र में उल्लिखित शेष कथनों से इंकार करते हुए, प्रस्तुत जवाबदावा में संक्षेप में यह अभिवचन किया कि विपक्षी क्रमांक 1 बिक्रीत टायरों की गारण्टी अथवा वारण्टी के लिए केवल टायर निर्माता कम्पनी विपक्षी क्रमांक 2 पर निर्भर है, वह ग्राहकों को इस संबंध में कोई आश्वासन नहीं देता है। परिवादी ने स्वयं ही अपनी इच्छा व व्यय क्षमता के अनुसार 

 

                       3.

प्रश्नगत टायरों को क्रय किया। परिवादी की उक्त कार माह मार्च,2007 की है और एलाइनमेंट व व्हील बैलेसिंग का कार्य परिवादी के अनुरोध पर किया था तथा परिवादी को तत्काल अवगत कराया गया था कि वाहन बहुत पुराना हो चुका है उसके संस्पेंशन की हालत बहुत खस्ताहाल में हे तथा परिवादी को सलाह दी गई कि वह अपनी कार का सस्पेंशन तत्काल ठीक करा ले अन्यथा परिवादी की कार में डाले गए टायर खराब हो जाऐंगे। विपक्षी क्रमांक 1 ने परिवादी को उपरोक्त टायरों के वारण्टी के विषय में कोई आश्वासन नहीं दिया। परिवादी की कार में डाले गए टायर विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा निर्मित टायर है जोकि एक जापानी कम्पनी है तथा सम्पूर्ण विश्व में अपना कारोबार करती है। परिवादी के कार में आगे टायर परिवादी की 13वर्ष पुरानी कार के खस्ताहाल सस्पेंशन होने के कारण संभावित है जिसकी चेतावनी परिवादी को टायर के विक्रय के समय दी गई थी।    

      दिनांक 16.09.2019 को परिवादी विपक्षी क्रमांक 1 की दुकान पर केवल एलाइनमेंट कराने की उद्देश्य से लाया था तथा टायरों के जल्दी घिस जाने की बात बतलाई तब विपक्षी क्रमांक 1 ने उपरोक्त टायरों की जांच करने पर पाया कि उपरोक्त आगे के पहियों में लगे टायर ’’असमतल’’ रूप से घिसे हुए हैं जोकि परिवादी द्वारा अपनी कार का सस्पेंशन ठीक न करवाने के कारण हुआ। यह बात विपक्षी क्रमांक 1 ने परिवादी को लिखित रूप में दिया।
       त्मउंता 1रू न्दमअमद ज्तमंक ूमंत पद तिवउ - त्मंत थ्तवदज ज्लतमे पददमत 
                               ूमंतमकण्
              त्मउंता 2रू ज्लतम ूमंतमक ठंकसल क्नम जव ैनेचमदेपवद ॅमंतमकण्
तथा परिवादी का पुनः सलाह दी गई कि टायर आपकी कार के सस्पेंशन के खराब होने के कारण असमतल रूप से घिस गए है तथा इस कारण से टायरों में आयी कमी आपकी स्वयं की गलती के कारण हुई है। विपक्षी क्रमांक 1 के किसी भी कृत्य के कारण परिवादी को कोई हानि नहीं हुई है और न ही विपक्षी क्रमांक 1 ने परिवादी के प्रति कोई अनैतिक कार्य किया है। व्हील एलाइनमेंट की किसी भी प्रकार की गारन्टी अथवा वारंटी का आश्वासन ग्राहकों को कभी भी नहीं दिया जाता है। परिवादी की कार जो मार्च,2007 में पंजीकृत वाहन है, वह अपनी आयु लगभग पूरी कर चुकी है। परिवादी ने कार के अगले 2 टायरों के संबंध में शिकायत की है जबकि विपक्षी क्रमांक 1 ने परिवादी को 3 टायर बिक्री किए थे।  टायर परिवादी की स्वयं की लापरवाही के कारण खराब हुए है। परिवादी विपक्षी क्रमांक 1 से किसी प्रकार की क्षति प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवाद खारिज होने योग्य है।

 


                           4.


5.     विपक्षी क्रमांक 2 ने निर्णय की कंडिका 2 में उल्लिखित स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवादपत्र में उल्लिखित शेष अभिवचनों से इंकार करते हुए, प्रस्तुत जवाबदावे में यह अभिवचन किया है कि विपक्षी क्रमांक 2 एक जापानी कम्पनी है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना कारोबार करती हे। परिवादी ने उपरोक्त शिकायत के संबंध में कभी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई और न ही विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा उपरोक्त कार का कोई निरीक्षण किया गया। उपरोक्त आधार पर विपक्षी क्रमांक 2 के किसी भी कृत्य से परिवादी को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुॅंची है। परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 2 को परिवाद प्रस्तुत करने से पूर्व कभी कोई कानूनी नोटिस भी प्रदान नहीं किया हे। विपक्षी क्रमांक 2 परिवादी को किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति देने का उत्तरदायी नहीं है। परिवाद निरस्त किया जावे। 

6.  परिवाद के निस्तारण हेतु निम्नलिखित विचारणीय प्रश्न उत्पन्न होते हैः- 

    प्रथम क्या विपक्षीगण ने परिवादी के साथ अनुचित व्यापार व्यवहार किया 
    है?
    द्वितीय यदि हॉं तो क्या परिवादी विपक्षीगण से टायरों की मूल धनराशि 
    रू. 7,500/-, व्हील बैलेंसिंग एवं एलाइनमेंट के रू. 800/- $        
    रू. 300/-, आर्थिक, मानसिक व शारीरिक क्षति रू. 50,000/- एवं  
    वाद व्यय रू. 10,000/- प्राप्त करने का अधिकारी है?

7.   प्रथम विचारणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष 

     परिवादी शिव कुमार ने शपथपत्र पर प्रस्तुत साक्ष्य से परिवादपत्र का समर्थन करते हुए विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा टायर बेचते हुए, परिवादी को सिर्फ उच्च क्वालिटी वाले टायर बेचे जाने, टायरों की गारण्टी दिए जाने तथा उक्त आश्वासन पर परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 की दुकान से 3 टायर        रू. 7,500/- नकद अदा करने पर दिनांक 30.06.2019 को खरीदे जाने की साक्ष्य दी है तथा आगे यह भी साक्ष्य दी है कि विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा प्रेरित किए जाने पर परिवादी ने रू. 800/- अदा करने पर विपक्षी क्रमांक 1 से व्हील एलाइनमेंट व बैलेंसिंग करवाया था जिसका विपक्षी क्रमांक 1 ने बिल दिया, एलाइनमेंट की कोई रिपोर्ट नहीं दी। जबकि उक्त तीनों टायरों खरीदने पर विपक्षी क्रमांक 1 ने परिवादी को 2वर्ष तक टायर में खराबी आने पर नए टायर दिए जाने की गारंटी दी गई थी।    

 


                          5.

      यह भी शपथपर्वूक कथन किया है कि विपक्षी क्रमांक 1 ने विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा निर्मित 3 टायर कार में डाले थे जो बेहद खराब स्तर की सामग्री के टायर थे और इनमें से आगे के 2 टायर मात्र 600 किलोमीटर मात्र की थोड़ी सी ही दूरी तय करने पर काफी खराब हालत में पहुॅंच गए। आगे यह भी इस आशय का शपथपूर्वक कथन किया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 को दिनांक 16.09.2019 को इस आशय की शिकायत की तथा विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा कहा गया कि आप वाहन ले आओ हम टायर बदल देंगे, क्योंकि हमारे टायर तो कम्पनी से मिल ही जाऐंगे, किन्तु जब परिवादी विपक्षी क्रमांक 1 के पास पहुॅंचा तब विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा टायर बदलने से इन्कार कर दिया गया। परिवादी ने आगे यह भी शपथपूर्वक कथन किया है कि बार-बार शिकायत करने पर विपक्षी क्रमांक 1 ने कहा कि आपकी कार में व्हील बैलेंसिंग व एलाइनमेंट की कमी है, हम टायर नहीं बदल पायेंगे, आपके वाहन का व्हील बैलेसिंग व एलाइनमेंट ठीक कर देंगे किन्तु इसके लिए आपको रू. 300/- अदा करने होंगे जिस पर परिवादी द्वारा रू. 300/- की धनराशि एलाइनमेंट में व्यय की गई। परिवादी ने आगे इस आशय का शपथपूर्वक कथन किया है कि परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 के एलाइनमेंट पर संतुष्ट न होने पर परिवादी ने कुछ ही दूरी पर एक अन्य स्थान पर पुनः वाहन चैक कराने पर वाहन के व्हील एलाइनमेंट एवं बैलेंसिंग में कमी पाई जिस पर परिवादी द्वारा उसी दिन दूसरी स्थान पर व्हील बैलेंसिंग एवं एलाइनमेंट का कार्य पुनः कराया गया। 

       विपक्षी क्र्रमांक 1 की ओर से प्रोपराइटर गौतम वर्मा ने साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत शपथपत्र पर कथनों में विपक्षी क्रमांक 1 की ओर से प्रस्तुत जवाबदावे में उल्लिखित अभिवचनों का समर्थन करते हुए परिवादी की साक्ष्य का खण्डन किया है। इसी प्रकार विपक्षी क्रमांक 2 की ओर से डिप्टी मैनेजर उत्कर्ष पाण्डे ने प्रस्तुत शपथपत्र पर कथन विपक्षी सं. 2 की ओर से प्रस्तुत जवाबदावे का समर्थन करते हुए साक्ष्य दी है तथा परिवादी शिव कुमार द्वारा दी गई साक्ष्य का खण्डन किया है।    

       परिवादी की ओर से पृष्ठ क्रमांक 6 में प्रस्तुत बिल दिनांक 30.06.2019 को परिवादी द्वारा विपक्षी क्रमांक 1 एस.एस. व्हील्स दुकान से 3 टायर रू. 7,500/- में क्रय किया जाना प्रकट होता है।  उक्त तथ्य से विपक्षी को भी स्वीकृत है। 

       पृष्ठ क्रमांक 4 में संलग्न बिल दिनांक 30.06.2019 भी विपक्षी क्रमांक 1 एस.एस. व्हील्स का ही है जिसके अवलोकन से यह स्पष्ट है कि दिनांक 

 

                         6.

30.06.2019 को ही परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1 की दुकान से व्हील एलाइन्मेंट व बैलेंसिंग करवाई थी जिसका रू. 800/- का भुगतान परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1 को किया था।  उक्त एलाइनमेंट थ्तवदज पर किया गया प्रकट होता है तथा उक्त बिल में यह भी अंकित है कि उस समय कार केवल 83000 किलोमीटर  चली हुई थी।

       पृष्ठ क्रमांक 5 एवं पृष्ठ क्रमांक 36 में संलग्न  बिल की पृथक-पृथक छायाप्रति है। विपक्षीगण द्वारा उक्त दस्तावेजों का भी कोई खण्डन नहीं किया गया। उक्त दस्तावेज के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि दिनांक 16.09.2019 को परिवादी ने विपक्षी क्रमांक 1 से पुनः वहीं एलाइनमेंट थ्तवदज रू. 300/- में करवाया था। उक्त बिल में कार कुल 83626 किलोमीटर चली होने की रीडिंग है तथा पृष्ठ क्रमांक 41 में संलग्न दस्तावेज दिनांक 16.09.2019 की एलाइनमेंट रिपोर्ट है जोकि आपरेटर धर्मेन्द्र से उसी दिन दिनांक 16.09.2019 को ही जांच कराई गई थी।     

       विपक्षी क्रमांक 2 की ओर से डिप्टी मैनेजर उत्कर्ष पाण्डे द्वारा दी गई  ब्स्।प्ड प्छैच्म्ब्ज्प्व्छ त्म्च्व्त्ज् पृष्ठ क्रमांक 49 में संलग्न है जिसमें सामने के 2 टायर एक तरफ से घिस जाना बताया गया है जिसका कारण व्हील एलाइनमेंट व बैलेंसिंग खराब होना बतलाया गया है तथा उक्त टायर में किसी प्रकार की निर्माणी त्रुटि न होना दर्षित है किन्तु जांच  विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा अपने ही कर्मचारी उत्कर्ष पाण्डे से कराई गई है, किसी स्वतंत्र सर्वेयर द्वारा उक्त जांच नहीं कराई गई। पृष्ठ क्रमांक 32/1 व 32/2 में इंटरनेट से ैभ्व्च् ज्।स्ज्ञ  नामक जानकारी प्रस्तुत की गई है जिसमें एलाइनमेंट आउट होने का कारण यह दर्शित किया गया है कि खराब रोड़ कंडीशन, ड्राइवर की लापरवाही आदि के कारण एलाइनमेंट खराब हो जाता है। इसी प्रकार इंटरनेट से निकाली गई पृष्ठ क्रमांक 38/1 लगायत 38/6 में संलग्न दस्तावेजों में रास्तों के गड्डों में तेजी से बाहर निकाल दिए जाने के कारण एलाइनमेंट खराब होने तथा कार का सस्पेंशन खराब होने के कारण भी एलाइनमेंट खराब होना बतलाया गया है। उक्त इंटरनेट से प्राप्त दस्तावेजों से तकनीशियन एक्सपर्ट की राय दी गई है जिससे स्पष्ट है कि व्हील के एलाइनमेंट की कोई गारण्टी नहीं होती है। रोड़ के खराब होने या सस्पेंशन में खराबी होने के कारण एलाइनमेंट खराब हो सकता है।  एलाइनमेंट के दोनो बिल दिनांक 30.06.2019 एवं दिनांक 16.09.2019 में कहीं भी एलाइनमेंट की गारण्टी व वारण्टी का उल्लेख होना नहीं पाया जाता है। किन्तु टायर क्रय के बिल दिनांक 30.06.2019 ’’पृष्ठ क्रमांक 6 में संलग्न’’ एवं उसी दिन दिनांक 30.06.2019 में ही विपक्षी क्रमांक 1 की ही दुकान से कराए 
गए एलाइनमेंट ’’पृष्ठ क्रमांक 4 में संलग्न’’ के बिल के अवलोकन से स्पष्ट है कि टायर लगाते समय विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा एलाइनमेंट किया गया तब कार 83000 किलोमीटर चल चुकी थी अथवा बिल ’’पृष्ठ क्रमांक 36 में
                         7.

संलग्न’’ के अवलोकन से स्पष्ट है कि 3 माह के अंदर टायर घिस चुके है तब मात्र 83626 किलोमीटर चली थी अर्थात् 3 माह के भीतर तक 626 किलोमीटर चलाने के पूर्व टायर खराब हो गए। विपक्षी क्रमांक 2 की ओर से पृष्ठ क्रमांक 44 में ैज्।छक्।त्क् ॅ।त्त्।छज्ल् च्व्स्प्ब्ल् प्रस्तुत की गई है जिसमें विपक्षी क्रमांक 2 फाल्कन कम्पनी ने अपने टायर की वारण्टी 5वर्ष दी है तथा इसी वारण्टी पालिसी में आगे यह भी उल्लेख किया गया है कि थ्ज्प् के द्वारा अधिकृत व्यक्ति से प्छैच्म्ब्ज्प्व्छ  कराने के पश्चात् यदि टायर खराब निकालता है तो उक्त 5 वर्ष के भीतर खराब टायर बदल दिया जाएगा। यद्यपि विपक्षी क्रमांक 2 की ओर से डिप्टी मैनेजर उत्कर्ष पाण्डे  से प्छैच्म्ब्ज्प्व्छ कराया गया जिन्होंने ड।छन्थ्।ब्ज्न्त्प्छळ क्म्थ्म्ब्ज्ै नहीं बताया है किन्तु मात्र 3 महीने के भीतर तथा 626 किलोमीटर मात्र चलने पर 2 टायर खराब हुए है जो निश्चित रूप से टायर की क्वालिटी पर प्रश्न चिन्ह है। जिसमें यह भी हो सकता है कि कार पुरानी होने के कारण अथवा सस्पेंशन खराब होने के कारण उक्त टायर खराब एलाइनमेंट होने की वजह से खराब हुए थे। अतः यदि परिवादी की कार पुरानी व खराब होने के कारण व उक्त कारणों से सस्पेंशन खराब होने के कारण जहॉं कुछ मात्रा में परिवादी का दोष है वहीं विपक्षी क्रमांक 2 निर्माता कम्पनी का भी दोष है क्योंकि मात्र 626 किलोमीटर ही उक्त टायर नहीं चल सके है।       

8.    उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष आया है कि जहां एलाइनमेंट की कोई गारण्टी न होने के कारण विपक्षी क्रमांक 1 का कोई दोष नहीं है, वहीं यह पर्याप्त रूप से प्रमाणित पाया जाता है कि परिवादी का टायर खराब होने पर विपक्षी क्रमांक 2 टायर निर्माता कम्पनी का दोष है जिसमें परिवादी का भी कुछ मात्रा में सहभागी लापरवाही भी पाई जाती है। 
       इस प्रकार प्रथम विचारणीय प्रश्न पर यह निष्कर्ष पाया जाता है कि विपक्षी क्रमांक 1 द्वारा परिवादी के साथ सेवा में कमी होना प्रमाणित नहीं पाया जाता है किन्तु विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा टायर की गुणवत्ता खराब होने के कारण सेवा में कमी होना पाया जाता है।        

9.      द्वितीय विचाराणीय प्रश्न पर विवेचना एवं निष्कर्ष 

       प्रथम विचारणीय प्रश्न पर प्राप्त निष्कर्षो के परिप्रेक्ष्य में विपक्षी क्रमांक 1 पर परिवादी की क्षतिपूर्ति का कोई उत्तरदायित्व नहीं है किन्तु विपक्षी क्रमांक 2 द्वारा सेवा में कमी की गई है अतः परिवादी विपक्षी क्रमांक 2 से 
क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकारी पाया जाता है किन्तु टायर खराब होने में स्वयं परिवादी का अंशदायी असावधानी साबित होने के कारण परिवादी विपक्षी क्रमांक 2 से मारूति अल्टो कार के 3 टायर अथवा उनकी कीमत धनराशि रू. 7,500/- प्राप्त करने का अधिकारी होना पाया जाता है। 
उपरोक्त दोनो विचारणीय प्रश्नों के प्राप्त निष्कर्षो के परिणामस्वरूप परिवादी द्वारा धारा 35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अंतर्गत प्रस्तुत परिवाद विपक्षी क्रमांक 2 के विरूद्ध अंशतः स्वीकार करते हुए, विपक्षी क्रमांक 2 के विरूद्ध निम्न आशय का आदेश पारित किया जाता हैः-           

        प्रथम यहकि  विपक्षी क्रमांक 2  60 ;साठद्ध दिनों के भीतर परिवादी को मारूति अल्टो कार के 3 टायर अथवा उनकी कीमत रू. 7,500/-;सात हजार पौच सौद्ध  प्रदान करेगा।  

        द्वितीय यहकि विपक्षी क्रमांक 2 स्वयं सहित परिवादी का मुकदमा व्यय रू. 5,000/- (पॉंच हजार) वहन करेगा। विपक्षी क्रमांक 1 स्वयं का व्यय वहन करेगा। 
  
(कुसुम सिंह)        (दिनेश कुमार गुप्ता)         (दीपक कुमार त्रिपाठी)
     सदस्य                   सदस्य                      अध्यक्ष

 

 

 

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