(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 942/2008
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद सं0- 126/2001 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.02.2008 के विरुद्ध)
Tata Motors Limited, (Formerly Telco), Commercial Vehicle division, Jeevan Tara Building, 5, Sansad Marg, New Delhi-110 001.
………Appellant
Versus
1. Ravi Agarwal, Proprietor Shri Bhawani Textiles, 32/41, Ghumani Mohal, Kanpur Nagar and R/o 784/31, W-1, Block Saketnagar, Kanpur.
2. Kailash Motors Private Limited, through Marketing Manager, 84/105, G.T. Road, Kanpur and Service Centre at; 111/T Industrial area, Fazalganj, Kanpur.
3. Megha Motors, 55 Kilometer Miles Stone, Rampur Road, C.B. Ganj, Barielly-243001.
……….Respondents
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 04.01.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 126/2001 श्री रवि अग्रवाल बनाम मेसर्स कैलाश मोटर्स प्राइवेट लि0 व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 15.02.2008 के विरुद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष योजित की गई है।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने कार की कमियों को दूर करने का आदेश दिया, साथ ही 50,000/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में भी अदा करने के लिए आदेशित किया।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी ने दि0 14.07.2000 को एक इंडिका कार 3,31,838/-रू0 में क्रय की थी। प्रयोग करने पर ज्ञात हुआ कि इस कार के इंजन से अनावश्यक आवाज आ रही है और तब परिवाद के विपक्षी सं0- 2 को उक्त कार मरम्मत करने के लिए दी गई, परन्तु मरम्मत के बाद पुन: खराबी प्रकट होने लगी और कोई सकारात्मक कार्य नहीं किया। प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को उक्त कार विक्रय कर दी गई, इसलिए परिवाद प्रस्तुत किया गया।
4. विपक्षीगण सं0- 1 व 2 ने अपने जवाब दावा में कथन किया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा व्यापारिक उद्देश्य के लिए कार क्रय की गई, पूर्ण संतुष्टि के साथ मरम्मत करते हुए वाहन लौटा दिया गया था। वाहन में निर्माण सम्बन्धी दोष नहीं है।
5. विपक्षी सं0- 3 ने अपने जवाब दावा में कथन है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी उपभोक्ता नहीं है तथा प्रत्यर्थी सं0- 3/विपक्षी सं0- 4 द्वारा कोई उत्तर प्रस्तुत नहीं किया गया।
6. पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के उपरांत जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी आज भी उक्त गाड़ी का उपयोग कर रहा है, इसलिए गाड़ी को परिवर्तित करने का आदेश नहीं दिया जा सकता, परन्तु गाड़ी में उत्पन्न कमियों को दुरुस्त करने एवं क्षतिपूर्ति के रूप में 50,000/-रू0 अदा करने का आदेश दिया गया।
7. अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने विधि विरुद्ध निर्णय पारित किया है। 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश देने का कोई औचित्य नहीं है जब कि यह माना गया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी कार का उपभोग कर रहा है। कार की मरम्मत समय-समय पर की गई, इसलिए अपीलार्थी/विपक्षी पर कोई उत्तरदायित्व नहीं बनता है।
8. हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा को सुना। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
9. चूँकि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा माना गया है कि प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी कार का उपभोग कर रहा है। अत: स्पष्ट है कि कार में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि नहीं है। यही कारण है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने कार बदलने का आदेश पारित नहीं किया है, परन्तु कार की मरम्मत कराने में किसी प्रकार की अवैधता नहीं है, अपितु अंकन 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए पारित आदेश अनुचित है, क्योंकि कार में मौजूद कमियों को ठीक करने के बाद प्रत्यर्थी सं0- 1/परिवादी को क्षतिपूर्ति के रूप में अदा करने हेतु ऐसी कोई धनराशि अवशेष नहीं रह जाती है जिसकी पूर्ति अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा की जाए। अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
10. अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि अंकन 50,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने के लिए पारित आदेश अपास्त किया जाता है। शेष निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय एवं आदेश के अनुसार जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0-3