(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या :2867/1998
(जिला उपभोक्ता आयोग बस्ती द्वारा परिवाद संख्या-347/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-09-1998 के विरूद्ध)
- नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, 3 मिडलटन स्ट्रीट, कलकत्ता-70071 द्वारा चेयरमैन।
- रीजनल मैनेजर नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, बैंक रोड़, गोरखपुर।
- ब्रांच मैनेजर, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, नियर रोडवेस, गांधी नगर, बस्ती।
.....अपीलार्थीगण
बनाम
मेसर्स रत्नाकर गैस एजेन्सी भारत गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स ब्लाक रोड, गांधी नगर बस्ती, द्वारा श्री रत्नाकर धुसिया, प्रोपराइटर।
समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति :
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित- श्री नीरज पालीवाल
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प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री राजेश चडढ़ा
दिनांक : 29-11-2021
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्ता को सुना गया। दौरान बहस अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री नीरज पालीवाल द्वारा कथन किया गया कि विद्धान जिला आयोग, बस्ती द्वारा परिवाद संख्या-347/1994 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 11-09-1998 के द्वारा अपीलार्थी बीमा कम्पनी के विरूद्ध जो 14 प्रतिशत ब्याज की देयता निर्धारित की गयी है वह अत्यधिक है जिसे कम किये जाने की याचना अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा की गयी।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री राजेश चडढ़ा उपस्थित हैं।
उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्ता को सुनने के उपरान्त तथा सभी तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा यह कि प्रस्तुत अपील जो इस न्यायालय के सम्मुख विगत 23 वर्षों से लम्बित है को अंतिम रूप से इस आदेश के साथ निस्तारित किया जाता है और जिला फोरम, बस्ती द्वारा परिवाद संख्या-347/1994 में पारित निर्णय दिनांक 11-09-1998 को संशोधित करते हुए अपीलार्थी सं0 1/विपक्षी सं0 1 बीमा कम्पनी पर जो धनराशि की देयता पर 14 प्रतिशत ब्याज निर्धारित किया गया है उसे न्याय की दृष्टि में तथा वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए 08 प्रतिशत किया जाता है। जिला आयोग के निर्णय का शेष भाग/आदेश यथावत रहेगा। अपीलार्थी सं0 1/विपक्षी सं0 1 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्त आदेश का अनुपालन 30 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। तदनुसार अपील अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है।
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अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)(विकास सक्सेना)
संदीप आशु0 कोर्ट 1