राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-१७११/२०१८
(जिला आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद संख्या-१३९/२०१६ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ११-०७-२०१८ के विरूद्ध)
१. सरदार मोटर्स, निकट नौसढ़ चौक, लखनऊ रोड, गोरखपुर।
२. सरदार मोटर्स, ब्रान्च-नौतनवा, जिला महराजगंज।
............. अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
रसूल मोहम्मद पुत्र श्री रियासल अली, निवासी ग्राम रेहरा टोला महुलानी, पोस्ट-निपनियॉं, थाना-परसामलिक, जिला-महराजगंज।
............. प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१- मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
२- मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री के0एन0 शुक्ला विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अरविन्द कुमार त्रिपाठी विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- ०९-०२-२०२१.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान अपील, जिला आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद संख्या-१३९/२०१६ में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ११-०७-२०१८ के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत प्रस्तुत की गई है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ११-०७-२०१८ बिना मस्तिष्क का प्रयोग किए निर्गत किया गया है। विद्वान जिला आयोग ने पत्रावली पर उपलब्ध लिखित कथन और साक्ष्य का सम्यक रूप से परिशीलन नहीं किया तथा जानबूझकर तथ्यों को नकारा। विद्वान जिला आयोग इस पर विचार करने में असफल रहा कि परिवादी ने मूलभूत तथ्यों को छिपाया और उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद पूर्ण रूप से मिथ्या और सत्य से कोसों दूर है।
-२-
यहॉं पर यह विचारणीय है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने एक अल्फा पैसेन्जर बी एस ३/२ डब्लू डी ३ व्हीलर जिसका इंजन नम्बर पी २ डी ४८८७१५८ था, अपीलार्थी से खरीदा जिसका इन्वॉयस उसे दिनांक ०५-१०-२०१२ को दिया गया और इसके पश्चात् उसने अपना वाहन ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से बीमित कराया। प्रत्यर्थी/परिवादी ने सेल इन्वॉयस तथा बीमा के कागजात प्राप्त होने पर कहा कि वह अपने वाहन का स्वयं आर0टी0ओ0 आफिस से पंजीकरण कराएगा। प्रत्यर्थी/परिवादी अपने वाहन का पंजीकरण कराने में असफल रहा और इस कारण से उसका वाहन जहॉं कहीं रोका गया उसके लिए अपीलार्थी उत्तरदायी नहीं है क्योंकि परिवादी का कर्त्तव्य था कि वह अपने वाहन का पंजीकरण आर0टी0ओ0 कार्यालय से कराए। अपीलार्थी ने इस सम्बन्ध में सेवा में कोई कमी नहीं की है। सेल इन्वॉयस तुरन्त ही परिवादी को प्रदान कर दी गई और वाहन का ओरियण्टल इंश्योरेंस कं0लि0 से बीमा करा दिया गया। प्रत्यर्थी/परिवादी अपने वाहन का पंजीकरण आर0टी0ओ0 आफिस से कराने के लिए शो रूम से ले गया और उसने पंजीकरण शुल्क शो रूम में जमा नहीं किया। अत: ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/विपक्षी ने सेवा में कोई कमी नहीं की।
परिवाद अत्यन्त कालबाधित है। वाहन ०५-१०-२०१२ को बेचा गया और परिवाद २०१६ में प्रस्तुत किया गया तथा विलम्ब को क्षमा करने का कोई प्रार्थना पत्र भी नहीं दिया गया। विद्वान जिला आयोग इस तथ्य का संज्ञान लेने में असफल रहा कि जब परिवादी स्वयं अपने वाहन को शो रूम से ले गया और उसके द्वारा कोई पंजीकरण शुल्क जमा नहीं किया गया तब ऐसी परिस्थिति में परिवादी उत्तरदायी है न कि अपीलार्थी। अत: उपरोक्त तथ्यों के आधार पर विद्वान जिला आयोग का निर्णय/आदेश दिनांक ११-०७-२०१८ निरस्त होने योग्य है।
हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया।
अपीलार्थी ने अभिलेखों की फोटोप्रतियॉं प्रस्तुत की हैं। एक अभिलेख की फोटोप्रति महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा फाइनेंसियल सर्विसेज लि0 का दिनांक १६-१०-२०१२ की है जो प्रस्ताव व ऋण योजना स्वीकृति पत्र है। इसमें विभिन्न प्रकार के शुल्कों के अलावा एक जगह लिखा है, आर0सी0 डिपोजिट १,०००/- रू०। यह ऋण सम्बन्धी अभिलेख है और कोई फाइनेंस कम्पनी
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िद्वानक १,०००/- रू० में वाहन का पंजीकरण नहीं कराती। प्रत्यर्थी का यह कहना है कि यही धनराशि उसने आर0सी0 के लिए जमा की थी। अगर ऐसा होता तब इसमें इंश्योरेंस के लिए भी धनराशि अंकित होती जो नहीं है। चूँकि यह प्रपत्र ऋण से सम्बन्धित है और ऋण देने वाली संस्था केवल ऋण देती है किसी वाहन का बीमा या पंजीकरण नहीं कराती है।
हमने सरदार मोटर्स के प्रपत्र भी देखे। इन प्रपत्रों में कहीं भी पंजीकरण कराए जाने के लिए धनराशि जमा होना प्रदर्शित नहीं है। प्रत्यर्थी का कहना है कि उसका वाहन पंजीकरण न होने के आधार पर पुलिस ने पकड़ कर बन्द कर दिया है। इस सम्बन्ध में उसके द्वारा एक चालान की प्रति प्रस्तुत की गई है, जिसमें गाड़ी बन्द करने का आदेश प्रपत्र के क्रम सं0-१ पर टिक लगा है जो यह कहता है कि ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था। इसमें अन्य किसी बिन्दु में कोई कमी नहीं पाई गई।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनका वाहन ०३ साल से बन्द है। बड़े आश्चर्य का विषय है कि १,७६,९९६/- रू० का वाहन ०३ साल से बन्द है लेकिन प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा इसका पंजीकरण नहीं कराया गया और गाड़ी थाने में छोड़ दी गई ताकि वह पूरी तरह से निष्प्रयोज्य हो जाए। जब भी कोई वाहन बन्द होता है तब सक्षम न्यायालय से इस अण्डरटेकिंग पर अवमुक्त होता है कि वाहन स्वामी निश्चित तिथि तक के अन्दर वाहन का बीमा अथवा पंजीकरण कराकर सम्बन्धित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करेगा। इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया। मात्र कुछ हजार रूपयों के लिए १,७६,९९६/- रू० के वाहन को भाग्य भरोसे छोड़ दिया गया।
अपीलार्थी का इन्वॉयस अथवा सेल लैटर अथवा ऐसा अन्य कोई भी अभिलेख प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा पीठ के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया जहॉं पर यह इंगित हो कि उसके द्वारा पंजीकरण शुल्क प्राप्त किया गया। अत: ऐसी स्थिति में समस्त तथ्यों को देखने के उपरान्त पीठ इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि वर्तमान अपील स्वीकार किए जाने योग्य है तथा जिला आयोग का प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ११-०७-२०१८ अपास्त किए जाने योग्य है।
आदेश
अपील स्वीकार की जाती है। जिला आयोग, महराजगंज द्वारा परिवाद संख्या-१३९/२०१६
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में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक ११-०७-२०१८ अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(राजेन्द्र सिंह) (गोवर्द्धन यादव)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (गोवर्द्धन यादव)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.