(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2595/2011
Dr. Asha Sanarwar (M.B.B.S., D.G.O.) W/O Dr. Piyush Sanawar
Versus
Smt. Rashmi W/O Sri Manoj Kumar
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री विकास अग्रवाल, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित:- श्री अजय कुमार सिंह, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :20.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-194/2007, श्रीमती रश्मि बनाम डा0 आशा में विद्वान जिला आयोग, सहारनपुर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 24.09.2011 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने इलाज के दौरान लापरवाही के कारण इलाज में खर्च राशि अंकन 50,000/-रू0 तथा मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के मद में अंकन 1,00,000/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है।
3. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी की पत्नी के गर्भवती होने पर विपक्षी द्वारा दिनांक 16.06.2006 को ऑपरेशन किया गया और इस ऑपरेशन के बाद एक पुत्री उत्पन्न हुई, परंतु ऑपरेशन के पश्चात पेशाब के साथ ही खून आने लगा था तथा असहनीय दर्द होने लगा। ऐसा डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुआ। जिला उपभोक्ता आयोग ने साक्ष्य की व्याख्या करते हुए यह पाया कि यूटेरस तथा यूरेनरी ब्लेडर एक हो चुकी थी और बाद में इनका ऑपरेशन कराया गया, जिसमें परिवादिनी को मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना कारित हुई तथा असहनीय पीड़ा से गुजरना पड़ा।
4. इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश नजीर मार्टिन एफ. डीसूजा में पारित निर्णय के विपरीत है। केवल चूक के कारण डॉक्टर को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। डॉक्टर का कार्य सावधानी से इलाज करना है न कि इलाज की गारण्टी देना। उनके स्तर से कोई लापराही नहीं हुई है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है।
5. दिनांक 16.06.2006 को मरीज का ऑपरेशन किया गया और ऑपरेशन करने के पश्चात यूटेरस तथा यूरेनरी ब्लेडर की परतें आपस मे मिल गयी, जिसके कारण एक छेद बन गया और मेंसुरेशन के समय प्रवाहित होने वाले खून का प्रवाह यूरिन के साथ आने लगा, जिसके कारण मरीज को असहनीय दर्द हुआ। ऑपरेशन के पश्चात यह स्थिति उत्पन्न हुई है। ऑपरेशन से पहले यह स्थिति मौजूद नहीं हुई। यह स्थिति स्वयं दर्शित करता है कि मरीज के साथ अत्यधिक लापरवाही बरती गयी, जिसके कारण मरीज को असहनीय पीड़ा सहने के लिए बाध्य होना पड़ा तथा यूटेरस तथा यूरेनरी ब्लेडर को अलग कराने के लिए एक ओर प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। इन सभी तथ्यों को जिला उपभोक्ता आयोग ने साक्ष्य के आधार पर स्थापित माना है, जिसमें हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता, सिवाय इसके कि ब्याज दर 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत किया जाये।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में ब्याज की देयता 09 प्रतिशत के स्थान पर 06 प्रतिशत की दर से अदा की जाए। शेष निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2