सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-305/2013
(जिला उपभोक्ता फोरम, बहराइच द्वारा परिवाद संख्या-93/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.01.2013 के विरूद्ध)
इलाहाबाद बैंक, बांच आफिस बेरनापुर, तहसील-महसी, जिला बहराइच (यू0पी0) द्वारा ब्रांच मैनेजर।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम्
1. रमेश प्रताप सिंह पुत्र श्री अवध राज सिंह, निवासी ग्राम गोदवा, पोस्ट गोपचंद्रपुर, तहसील महसी, जिला बहराइच।
2. प्रींसिपल जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, प्रयागपुर, जिला बहराइच।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी सं0-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री राज कमल गुप्ता, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री महेश चंद, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विनय शंकर, विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 28.11.2018
मा0 श्री महेश चंद, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता फोरम, बहराइच द्वारा परिवाद संख्या-93/2005, रमेश प्रताप सिंह बनाम शाखा प्रबन्धक, इलाहाबाद बैंक व अन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.01.2013 के विरूद्ध विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की ओर से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अन्तर्गत दायर की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी कला स्नातक बेराजगार युवक है। परिवादी द्वारा सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकरण उ0प्र0, इलाहाबाद द्वारा विज्ञापित एवं संचालित बीटीसी प्रवेश परीक्षा 2004 का आवेदन पत्र समस्त औपचारिकताओं को पूर्ण करते हुए विपक्षी संख्या-2 के कार्यालय में जमा किया गया था तथा बीटीसी प्रवेश परीक्षा 2004 के आवेदन शुल्क के रूप में रू0 100/- का डिमाण्ड ड्राफ्ट रजिस्ट्रार विभागीय परीक्षाएं उ0प्र0, इलाहाबाद के पक्ष में विपक्षी संख्या-1 से बनवाकर दिनांक 18.09.2004 को आवेदन पत्र के साथ संलग्न किया गया था। विपक्षी संख्या-2 का पत्र दिनांक 15.06.2005 को परिवादी को प्राप्त होने पर ज्ञात हुआ कि परिवादी का आवेदन पत्र बीटीसी प्रवेश परीक्षा 2004 संलग्न ड्राफ्ट के त्रुटिपूर्ण होने के कारण आवेदन शुल्क का भुगतान न होने की वजह से निरस्त कर दिया गया है। उक्त पत्र प्राप्त होने के बाद परिवादी विपक्षी संख्या-2 के कार्यालय में पहुंचा और आवेदन पत्र निरस्तीकरण का कारण पूंछा तो बताया गया कि आवेदन पत्र के साथ विपक्षी संख्या-1 द्वारा दिनांक 18.09.2004 को बनाये गये ड्राफ्ट संख्या-680734 को संलग्न किया गया था, जिस पर विपक्षी संख्या-1 ने दिनांक के कॉलम में 18.07.2004 लिख दिया था, जबकि दिनांक 18.07.2004 की तिथि में उपरोक्त प्रवेश परीक्षा विज्ञापित ही नहीं हुई थी। इसी आधार पर परिवादी का आवेदन पत्र निरस्त कर दिया गया। विपक्षी संख्या-1, बैंक की लापरवाही, सेवा में कमी व अनुचित व्यापार पद्धति के कारण परिवादी का आवेदन पत्र निरस्त हुआ है, जिससे परिवादी को शारीरिक, आर्थिक व मानसिक कष्ट हुआ है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने एक परिवाद जिला उपभोक्ता फोरम, बहराइच के समक्ष प्रस्तुत किया।
विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की ओर से परिवाद का प्रतिवाद करते हुए कहा गया कि परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 ने एक ड्राफ्ट दिनांक 18.09.2004 को 100/-रू0 का विपक्षी संख्या-1 के यहां से बनवाया था। उक्त ड्राफ्ट पर तिथि 18.09.2004 की ही लिखी गयी थी, परन्तु विपक्षी संख्या-2 के कार्यालय में इसे गलती एवं भूल के कारण उसे दिनांक 18.07.2004 पढ़ा गया, जबकि वास्तव में ड्राफ्ट पर तिथि 18.09.2004 ही लिखी गयी है।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है और न ही कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, अत: उनके विरूद्ध परिवादी की सुनवाई एकपक्षीय की गयी।
विद्वान जिला फोरम ने दोनों पक्षों के द्वारा प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों तथा तर्कों को सुनने के उपरान्त निम्नलिखित आदेश पारित किया :-
‘’ प्रस्तुत परिवाद विपक्षी सं0 1 के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है विपक्षी सं0 1 बैंक को निर्देशित किया जाता है कि वे परिवादी को उपरोक्त सम्प्रेक्षण के प्रकाश में क्षतिपूर्ति स्वरूप 25000/- बैंक ड्राफ्ट की धनराशि 100/- एवं भागदौड़ व वाद व्यय स्वरूप 2000/- कुल 27100/- जिस पर परिवाद दाखिल करने की तिथि से उसके अन्तिम भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देय होगा परिवादी को अदा करें शेष मांगे गये अनुतोष के संबंध में एवं विपक्षी सं0 2 के विरूद्ध परिवाद निरस्त किया जाता है। निर्णय की एक प्रति परिवादी स्वंय के व्यय पर जरिये पंजीकृत डाक विपक्षी सं0 1 को उपलब्ध करावे जिसकी प्राप्ति के दो माह के अन्दर विपक्षी सं0 1 उपरोक्त आदेश का अनुपालन किया जाना सुनिश्चित करे। ‘’
उपरोक्त आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 द्वारा यह अपील दायर की गयी है।
यह अपील सुनवाई हेतु इस पीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री विनय शंकर उपस्थित आये। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
यह तथ्य निर्विवाद है कि प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी ने बी.टी.सी. प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित होने के लिये दिनांक 18.09.2004 को अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1, इलाहाबाद बैंक से रू0 100/- का एक बैंक ड्राफ्ट निर्गत कराया। प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी ने उक्त बैंक ड्राफ्ट अपने आवेदन पत्र के साथ प्रत्यर्थी संख्या-2/विपक्षी संख्या-2 के कार्यालय में जमा किया, किन्तु प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी का आवेदन इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि बैंक ड्राफ्ट प्रवेश परीक्षा के लिये दिये गये विज्ञापन की तिथि के पूर्व तिथि दिनांक 18.07.2004 का है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से उक्त कथन का विरोध करते हुए अपील में कहा गया है कि बैंक ड्राफ्ट दिनांक 18.07.2004 का नहीं है, बल्कि दिनांक 18.09.2004 का ही है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 की ओर से अपने पक्ष की पुष्टि में ड्राफ्ट निर्गत करने हेतु धनराशि जमा करने की रसीद की छायाप्रति दाखिल की है, जिनमें ड्राफ्ट की तिथि दिनांक 18.09.2004 अंकित है। अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के स्तर पर सेवा में कोई कमी नहीं है। प्रत्यर्थी संख्या-2/विपक्षी संख्या-2 के स्तर पर ड्राफ्ट की तिथि को पढ़ने में त्रुटि हुई है। यहां यह सम्भव है कि रसीद पर तिथि 18.09.2004 अंकित की गयी हो, किन्तु ड्राफ्ट पर कदाचित त्रुटिपूर्ण तिथि 18.07.2004 अंकित कर दी गई हो। चूंकि ड्राफ्ट विद्वान जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया गया और विद्वान जिला फोरम ने उस पर त्रुटिपूर्ण तिथि 18.07.2004 अंकित पाई। विद्वान जिला फोरम के मत के विपरीत अन्य कोई मत व्यक्त करना उचित नहीं है।
प्रश्नगत आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन करने पर यह पीठ इस मत की है कि विद्वान जिला फोरम के समक्ष बैंक ड्राफ्ट प्रस्तुत किया गया, जिसका अवलोकनोपरान्त विद्वान जिला फोरम ने पाया कि ड्राफ्ट पर दिनांक के कॉलम में तिथि दिनांक 18.07.2004 ही अंकित की गयी है। उक्त त्रुटि के कारण उक्त बैंक ड्राफ्ट का भुगतान प्राप्तकर्ता को प्राप्त नहीं हो सका और प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी का आवेदन पत्र प्रवेश परीक्षा प्राप्त नहीं होने के कारण निरस्त कर दिया गया। फलत: प्रत्यर्थी संख्या-1/परिवादी बी.टी.सी. की प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित हो गया। यह अपीलार्थी/विपक्षी संख्या-1 के स्तर पर निश्चित ही सेवा में कमी है, परन्तु विद्वान जिला फोरम ने परिवादी को जो रू0 25,000/- की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दिलायी है, वह अधिक है। पीठ के मत में रू0 10,000/- की धनराशि परिवादी को दिलाया जाना न्यायोचित होगा। अत: अपील आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला फोरम का प्रश्नगत आदेश दिनांक 17.01.2013 इस रूप में संशोधित किया जाता है कि क्षतिपूर्ति रू0 25,000/- के स्थान पर रू0 10,000/- देय होगी। इसके अतिरिक्त बैंक ड्राफ्ट की धनराशि रू0 100/- तथा भागदौड़ एवं वाद व्यय के लिये रू0 2000/- भी देय होंगे। उक्त धनराशि इस आदेश के दिनांक से 30 दिन की अवधि में भुगतान करनी होगी। यदि अपीलार्थी उक्त अवधि में भुगतान नहीं करता है तो उक्त समस्त धनराशि रू0 12,100/- पर इस आदेश के दिनांक से वास्तविक भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से साधारण ब्याज भी अदा करेगा।
पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्यय-भार स्वंय वहन करेंगे।
पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध कर दी जाए।
(राज कमल गुप्ता) (महेश चंद)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3