राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-८६/२०१९
(जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, मथुरा द्धारा परिवाद सं0-२१८/२०१२ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-१२-२०१८ के विरूद्ध)
१. मथुरा वृन्दावन डेवलपमेण्ट अथारिटी मथुरा द्वारा वायस चेयरमेन, ३२, सिविल लाइन्स, मथुरा।
२. सैक्रेटरी, मथुरा वृन्दावन डेवलपमेण्ट अथारिटी, मथुरा।
........... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
रमेश चन्द्र शर्मा पुत्र श्री बांचाराम शर्मा, निवासी बी-२६, शालीमार एन्क्लेव, कमला नगर, आगरा।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री एन0सी0 उपाध्याय विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री वी0एस0 बिसारिया एवं श्री पुनीत सहाय
बिसारिया विद्वान अधिवक्तागण।
दिनांक :- ०६-०५-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण द्वारा इस आयोग के सम्मुख जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, मथुरा द्धारा परिवाद सं0-२१८/२०१२ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-१२-२०१८ के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के द्वारा किए गये प्रकाशन के आधार पर कृष्णा विहार आवासीय योजना (रांची बांगर) में भूखण्ड हेतु परिवादी द्वारा आवेदन किया गया था। विपक्षी द्वारा लकी ड्रा के आधार पर १६२ वर्गमीटर का भूखण्ड सं0-सी-३७ उसे आबंटित किया गया तथा
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इसकी सूचना, पत्र दिनांक १६-०३-२००४ के माध्यम से दी गई थी। भूखण्ड का मूल्य ३,६४,५००/- रू० तथा ४३,४७०/- रू० फ्री होल्ड चार्ज जमा किया जाना बताया गया था। आबंटन पत्र प्राप्त होने पर परिवादी द्वारा दिनांक २७-०४-२००६ तक समस्त धनराशि ३,६४,५००/- रू० का भुगतान कर दिया गया। फ्री होल्ड चार्ज अदा करके विक्रय पत्र निष्पादित कराया जाना शेष रह गया था। कई बार अनुरोध करने के बाद भी न तो विक्रय पत्र निष्पादित किया गया तथा न ही कब्जा दिया गया। विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवादी को यह सूचित किया गया कि कृष्णा विहार (रांची बांगर) के कुछ भूखण्डों के स्वामित्व का विवाद होने की वजह से आबंटित भूखण्ड सं0-३७ सी का कब्जा नहीं दिया जा सकता है किन्तु इसी योजना के अन्तर्गत रिक्त भूखण्ड दिया जा सकता है। विपक्षी की सूचना के आधार परिवादी अन्य रिक्त भूखण्ड लेने के लिए सहमत हो गया और उसे भूखण्ड सं0—सी-१५० आबंटित कर दिया गया। विपक्षी द्वारा इस भूखण्ड सं0-सी १५० के सम्बन्ध में १,१५,४७८/- रू० की अतिरिक्त धनराशि की मांग की गई और इसी प्रकार फ्री होल्ड धनराशि ४८,१७४/- रू० की मांग की गई। चूँकि परिवादी को भूखण्ड की आवास हेतु अति आवश्यकता थी और उसके द्वारा दिए गए आवेदन पत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, अत: अण्डर प्रोटेस्ट १,६४,१९२/- रू० दिनांक २४-०२-२०११ को जमा कर दिए गए। इस प्रकार विपक्षी द्वारा १,१५,४७८/- रू० अवैध ढंग से लिया गया है। परिवादी द्वारा उक्त धनराशि की वापसी हेतु विपक्षी से कई बार कहा गया किन्तु कोई सुनवाई नहीं की गई। दिनांक २३-०४-२०१२ को विधिक नोटिस दी गई थी किन्तु न तो नोटिस का जवाब ही दिया गया और न ही धनराशि की वापसी की गई। अत: प्रश्नगत परिवाद विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए यह स्वीकार किया गया कि मूल रूप में भूखण्ड सं0-सी-३७ परिवादी को आबंटित किया गया था तथा यह भी स्वीकार किया गया कि इसकी अनुमानित कीमत ३,६४,५००/- रू० बतायी गई थी, शेष तथ्यों को अस्वीकार करते हुए यह भी कहा गया कि कृष्णा विहार आवासीय योजना की कुछ भूमि पर मा0 उच्च न्यायालय में वाद विचाराधीन होने के कारण प्राधिकरण बोर्ड द्वारा यह निर्णय लिया गया कि जो आबंटी
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अपनी जमा धनराशि वापस लेना चाहते हैं, उन्हें ०९ प्रतिशत साधारण ब्याज सहित धनराशि वापस की जावे तथा यह भी विकल्प दिया गया कि जो आबंटी न्यायालय के निर्णय तक भूखण्ड बनाये रखना चाहते हैं, वह मा0 न्यायालय के आदेशानुसार भूखण्ड प्राप्त कर सकते हैं। प्राधिकरण द्वारा दिनांक २८-०४-२०१० को भूखण्ड परिवर्तन के सम्बन्ध में विकल्प देने हेतु सम्बन्धित आबंटियों को पत्र भेजे गए। परिवादी के पत्र दिनांक ०६-०५-२०१० के क्रम में उसे सी-३७ के स्थान पर सी-१५० परिवर्तन कर दिया गया। वर्ष २००४ में सूचित दर २२५०/- रू० प्रति वर्गमीटर अनुमानित थी तथा योजना के विकास के उपरान्त वास्तविक कीमत २४७५/- रू० प्रति वर्गमीटर निर्धारित हुई। परिवादी द्वारा यह धनराशि सोच समझ कर स्वेच्छा से जमा की गई और तद्नुसार उसे प्रश्नगत भूखण्ड का कब्जा दिया गया। परिवादी द्वारा परिवाद गलत तथ्यों पर प्रस्तुत किया गया है, पोषणीय नहीं है, अत: निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया तथा अभिलेखीय साक्ष्य में सूची से असल डिमाण्ड सर्वे दिनांक १०-०९-२००३ से १०-०९-२००४ कृष्णा विहार राची बांगर आवासीय योजना, १० रसीद (मूल) धनराशि जमा करने की, दिनांक २३-०४-२०१२ को विपक्षी को भेजी गई नोटिस, आबंटन पत्र मूल १६-०३-२००४, विपक्षी का पत्र सं0-७९८ दिनांक ३०-०६-२०१०, विपक्षी का पत्र सं0-४१८१ दिनांक १४-०७-२०११, प्रार्थना पत्र दिनांक २४-०२-२०११ की प्रति व प्रार्थना पत्र दिनांक ०६-०५-२०१० की प्रति व जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत भूखण्ड की दर की प्राप्त सूचना की प्रति प्रस्तुत किए गए।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रतिवाद पत्र के समर्थन में विजय कुमार शर्मा वरिष्ठ लिपिक का शपथ पत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्य में भूखण्ड के सम्बन्ध में जमा की गई धनराशि के खाते का विवरण, पत्र दिनांक १४-०२-२०११ की प्रति, परिवादी के शपथ पत्र की प्रति तथा फ्री होल्ड की प्रति प्रस्तुत की गईं।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत समस्त विवरण एवं तथ्यों के परिशीलन एवं परीक्षण के उपरान्त तथा इस तथ्य को अंकित करते हुए कि प्रत्यर्थी/परिवादी
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उपभोक्ता की श्रेणी में आता है, जिला फोरम द्वारा विभिन्न न्याय निर्णयों का हवाला देते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-१२-२०१८ पारित किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री एन0एसी0 उपाध्याय एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्तागण श्री वी0एस0 बिसारिया तथा श्री पुनीत सहाय बिसारिया को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए जिला फोरम द्वारा यह पाया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी को लकी ड्रॉ के आधार पर वर्ष २००४ में भूखण्ड सं0-सी-३७ जिसका कुल क्षेत्रफल १६२ वर्गमीटर का प्रस्तावित था, को अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा आबंटित किया गया। विद्वान जिला फोरम द्वारा इस तथ्य को भी दृष्टिगत रखते हुए सुसंगत पाया गया कि निर्विवाद रूप से वर्ष २००६ तक अर्थात् वर्ष २००४ से वर्ष २००६ के मध्य अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा उल्लिखित कुल देय धनराशि अर्थात् रू० ३,६४,५००/- प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्राधिकरण के सम्मुख जमा की गई परन्तु वर्ष २०१० तक उपरोक्त आबंटित/प्रस्तावित भूखण्ड सं0-सी-३७ का भौतिक हस्तान्तरण/कब्जा प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रदान नहीं किया गया। तदोपरान्त परिवादी द्वारा प्राधिकरण के सम्मुख प्रार्थना पर अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा परिवादी को दो विकल्प इस आशय के दिए गए कि वह या तो अपनी जमा धनराशि ३,६४,५००/- रू० मय ब्याज वापस प्राप्त कर ले या दूसरा अन्य भूखण्ड का परिवर्तन करा कर प्राप्त कर ले।
अपीलार्थी/प्राधिकरण के उपरोक्त विकल्प पत्र के आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भूखण्ड परिवर्तन की सहमति दी गई। तद्नुसार अपीलार्थी द्वारा उसे भूखण्ड सं0-सी-१५० आबंटित किया गया। जिला आयोग द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के परिशीलन से यह तथ्य भी पाया गया कि वास्तव में परिवादी को उपरोक्त भूखण्ड कम्पेलिंग दशा में परिवर्तित कराना पड़ा जिसे प्राप्त करने हेतु अविधिक रूप से अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा कुल धनराशि १,१५,४७८/- रू० मांगी गई जो प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अन्य विकल्प न
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देखते हुए अण्डर प्रोटेस्ट के रूप में जमा की गई, जिसे प्राधिकरण द्वारा परिवर्तित भूखण्ड की बढ़ी हुई दर की धनराशि में समायोजित करते हुए प्राप्त किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि विद्वान जिला फोरम द्वारा जो निर्णय परिवाद पत्र अंशत: स्वीकार करते हुए दिया गया है वह पूर्णत: विधिक है क्योंकि वास्तव में मूल आबंटित भूखण्ड के सम्बन्ध में सम्पूर्ण धनराशि परिवादी द्वारा प्राप्त कराई जा चुकी थी फिर भी लगभग ०६ वर्ष की अवधि व्यतीत होने के उपरान्त परिवर्तित भूखण्ड दिया गया, जो बढ़ी हुई दर पर दिया गया, जो पूर्णत: गैर कानूनी एवं अनौचित्यपूर्ण है
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने कथन के समर्थन में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय राधा नन्द सिंह (डा0) बनाम बिहार स्टेट हाउसिंग बोर्ड, III (CPJ) 206 (NC) का उद्धरण किया गया, जिसका परिशीलन मेरे द्वारा किया गया, जिसके तथ्य प्रस्तुत वाद के तथ्यों से पूर्णत: भिन्न पाए गए। अत्एव उपरोक्त न्याय निर्णय प्रस्तुत मामले में विवादित तथ्यों में सुसंगत नहीं प्रतीत होता है। समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा मुख्यत: यह कि वास्तव में अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा की गई देरी एवं यह कि परिवादी द्वारा मूल आबंटित भूखण्ड के सम्बन्ध में जमा समस्त धनराशि के बाबजूद भी छ: - सात वर्षों तक आबंटित भूखण्ड नहीं प्राप्त कराना तथा वैकल्पिक/परिवर्तित भूखण्ड प्राप्त कराने पर भूखण्ड की धनराशि अधिक गर्णित करना अनौचित्यपूर्ण है।
अत्एव जिला फोरम द्वारा जो निर्णय परिवाद अंशत: स्वीकृत करते हुए पारित किया गया, उसमें किसी प्रकार की कोई कमी अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इंगित नहीं की जा सकी, जिसका पूर्णत: समर्थन किया जाता है और तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। सम्पूर्ण धनराशि जैसा कि विद्वान जिला फोरम द्वारा आदेशित की गई है, को अपीलार्थी प्राधिकरण, प्रत्यर्थी/परिवादी को इस निर्णय की तिथि से दो माह की अवधि में प्राप्त कराया जावे।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना बहन करेगें।
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आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-८५/२०१९
(जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, मथुरा द्धारा परिवाद सं0-२१७/२०१२ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-१२-२०१८ के विरूद्ध)
१. मथुरा वृन्दावन डेवलपमेण्ट अथारिटी मथुरा द्वारा वायस चेयरमेन, ३२, सिविल लाइन्स, मथुरा।
२. सैक्रेटरी, मथुरा वृन्दावन डेवलपमेण्ट अथारिटी, मथुरा।
........... अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
विवेक कुमार सारस्वत पुत्र श्री गिरवर सिंह, निवासी द्वारा श्रीसंजय सारस्वत, राजा बलि टीला, परिक्रमा मार्ग, जनरल गंज, मथुरा।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री एन0सी0 उपाध्याय विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री वी0एस0 बिसारिया एवं श्री पुनीत सहाय
बिसारिया विद्वान अधिवक्तागण।
दिनांक :- ०६-०५-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण द्वारा इस आयोग के सम्मुख जिला उपभोक्ता फोरम/आयोग, मथुरा द्धारा परिवाद सं0-२१७/२०१२ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-१२-२०१८ के विरूद्ध योजित की गई है।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/विपक्षी मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के द्वारा किए गये प्रकाशन के आधार पर कृष्णा विहार आवासीय योजना (रांची बांगर) में भूखण्ड हेतु परिवादी द्वारा आवेदन किया गया था। विपक्षी द्वारा लकी ड्रा के आधार पर १६२ वर्गमीटर का भूखण्ड सं0-सी-११ उसे आबंटित किया गया तथा
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इसकी सूचना, पत्र दिनांक १६-०३-२००४ के माध्यम से दी गई थी। भूखण्ड का मूल्य ३,६४,५००/- रू० तथा ४३,४७०/- रू० फ्री होल्ड चार्ज जमा किया जाना बताया गया था। आबंटन पत्र प्राप्त होने पर परिवादी द्वारा दिनांक २७-०४-२००६ तक समस्त धनराशि ३,६४,५००/- रू० का भुगतान कर दिया गया। फ्री होल्ड चार्ज अदा करके विक्रय पत्र निष्पादित कराया जाना शेष रह गया था किन्तु विपक्षी द्वारा न तो विक्रय पत्र निष्पादित किया गया तथा न ही कब्जा दिया गया। विपक्षी प्राधिकरण द्वारा परिवादी को यह सूचित किया गया कि कृष्णा विहार (रांची बांगर) के कुछ भूखण्डों के स्वामित्व का विवाद होने की वजह से आबंटित भूखण्ड सं0-११ सी का कब्जा नहीं दिया जा सकता है किन्तु इसी योजना के अन्तर्गत अन्य रिक्त भूखण्ड दिया जा सकता है। विपक्षी की सूचना के आधार परिवादी अन्य रिक्त भूखण्ड लेने के लिए सहमत हो गया और उसे भूखण्ड सं0—सी-१५१ आबंटित कर दिया गया। विपक्षी द्वारा इस भूखण्ड सं0-सी १५१ के सम्बन्ध में १,१५,४७८/- रू० की अतिरिक्त धनराशि की मांग की गई और इसी प्रकार फ्री होल्ड धनराशि ४८,१७४/- रू० की मांग की गई। चूँकि परिवादी को भूखण्ड की आवास हेतु अति आवश्यकता थी और उसके द्वारा दिए गए आवेदन पत्र पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, अत: अण्डर प्रोटेस्ट १,५९,३७३/- रू० दिनांक २४-०२-२०११ को जमा कर दिए गए। इस प्रकार विपक्षी द्वारा १,१५,६३३/- रू० अवैध ढंग से लिया गया है। परिवादी द्वारा उक्त धनराशि की वापसी हेतु विपक्षी से कई बार कहा गया किन्तु कोई सुनवाई नहीं की गई। दिनांक २३-०४-२०१२ को विधिक नोटिस दी गई थी किन्तु न तो नोटिस का जवाब ही दिया गया और न ही धनराशि की वापसी की गई। अत: प्रश्नगत परिवाद विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए यह स्वीकार किया गया कि मूल रूप में भूखण्ड सं0-सी-११ परिवादी को आबंटित किया गया था तथा यह भी स्वीकार किया गया कि इसकी अनुमानित कीमत ३,६४,५००/- रू० बतायी गई थी, शेष तथ्यों को अस्वीकार करते हुए यह भी कहा गया कि कृष्णा विहार आवासीय योजना की कुछ भूमि पर मा0 उच्च न्यायालय में वाद विचाराधीन होने के कारण प्राधिकरण बोर्ड द्वारा यह निर्णय लिया गया कि जो आबंटी
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अपनी जमा धनराशि वापस लेना चाहते हैं, उन्हें ०९ प्रतिशत साधारण ब्याज सहित धनराशि वापस की जावे तथा यह भी विकल्प दिया गया कि जो आबंटी न्यायालय के निर्णय तक भूखण्ड बनाये रखना चाहते हैं, वह मा0 न्यायालय के आदेशानुसार भूखण्ड प्राप्त कर सकते हैं। प्राधिकरण द्वारा दिनांक २८-०४-२०१० को भूखण्ड परिवर्तन के सम्बन्ध में विकल्प देने हेतु सम्बन्धित आबंटियों को पत्र भेजे गए। परिवादी के पत्र दिनांक ०६-०५-२०१० के क्रम में उसे सी-११ के स्थान पर सी-१५१ परिवर्तन कर दिया गया। वर्ष २००४ में सूचित दर २२५०/- रू० प्रति वर्गमीटर अनुमानित थी तथा योजना के विकास के उपरान्त वास्तविक कीमत २४७५/- रू० प्रति वर्गमीटर निर्धारित हुई। परिवादी द्वारा यह धनराशि सोच समझ कर स्वेच्छा से जमा की गई और तद्नुसार उसे प्रश्नगत भूखण्ड का कब्जा दिया गया। परिवादी द्वारा परिवाद गलत तथ्यों पर प्रस्तुत किया गया है, पोषणीय नहीं है, अत: निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया तथा अभिलेखीय साक्ष्य में सूची से आबंटन पत्र मूल १६-०३-२००४, असल डिमाण्ड सर्वे दिनांक १०-०२-२००५ से १०-०९-२००४ कृष्णा विहार राची बांगर आवासीय योजना, १२ रसीद (मूल) धनराशि जमा करने की, प्रार्थना पत्र दिनांक ०६-०५-२०१० की प्रति, विपक्षी का पत्र सं0-७९९ दिनांक ३०-०६-२०१०, प्रार्थना पत्र दिनांक २२-११-२०१० की प्रति, विपक्षी का पत्र सं0-३७८२ दिनांक १३-१२-२०१०, विपक्षी का पत्र सं0-४१८४ दिनांक १४-०२-२०११ की प्रति, विपक्षी का पत्र सं0-१६२५ दिनांक १७-०८-२०११, विकास प्राधिकरण नोटिंग की प्रति, दिनांक १६-०४-२०१२ को विपक्षी को भेजी गई नोटिस, जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत भूखण्ड की दर की प्राप्त सूचना की प्रति प्रस्तुत किए गए।
अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रतिवाद पत्र के समर्थन में विजय कुमार शर्मा वरिष्ठ लिपिक का शपथ पत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्य में भूखण्ड के सम्बन्ध में जमा की गई धनराशि के खाते का विवरण, पत्र दिनांक १४-०२-२०११ की प्रति, परिवादी के शपथ पत्र की प्रति तथा फ्री होल्ड की प्रति प्रस्तुत की गईं।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत समस्त विवरण एवं तथ्यों के परिशीलन एवं परीक्षण के उपरान्त तथा इस तथ्य को अंकित करते हुए कि प्रत्यर्थी/परिवादी
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उपभोक्ता की श्रेणी में आता है, जिला फोरम द्वारा विभिन्न न्याय निर्णयों का हवाला देते हुए प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ०४-१२-२०१८ पारित किया गया।
मेरे द्वारा अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री एन0एसी0 उपाध्याय एवं प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्तागण श्री वी0एस0 बिसारिया तथा श्री पुनीत सहाय बिसारिया को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रस्तुत साक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए जिला फोरम द्वारा यह पाया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी को लकी ड्रॉ के आधार पर वर्ष २००४ में भूखण्ड सं0-सी-११ जिसका कुल क्षेत्रफल १६२ वर्गमीटर का प्रस्तावित था, को अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा आबंटित किया गया। विद्वान जिला फोरम द्वारा इस तथ्य को भी दृष्टिगत रखते हुए सुसंगत पाया गया कि निर्विवाद रूप से वर्ष २००६ तक अर्थात् वर्ष २००४ से वर्ष २००६ के मध्य अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा उल्लिखित कुल देय धनराशि अर्थात् रू० ३,६४,५००/- प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्राधिकरण के सम्मुख जमा की गई परन्तु वर्ष २०१० तक उपरोक्त आबंटित/प्रस्तावित भूखण्ड सं0-सी-११ का भौतिक हस्तान्तरण/कब्जा प्रत्यर्थी/परिवादी को अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रदान नहीं किया गया। तदोपरान्त परिवादी द्वारा प्राधिकरण के सम्मुख प्रार्थना पर अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा परिवादी को दो विकल्प इस आशय के दिए गए कि वह या तो अपनी जमा धनराशि ३,६४,५००/- रू० मय ब्याज वापस प्राप्त कर ले या दूसरा अन्य भूखण्ड का परिवर्तन करा कर प्राप्त कर ले।
अपीलार्थी/प्राधिकरण के उपरोक्त विकल्प पत्र के आधार पर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा भूखण्ड परिवर्तन की सहमति दी गई। तद्नुसार अपीलार्थी द्वारा उसे भूखण्ड सं0-सी-१५१ आबंटित किया गया। जिला आयोग द्वारा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के परिशीलन से यह तथ्य भी पाया गया कि वास्तव में परिवादी को उपरोक्त भूखण्ड कम्पेलिंग दशा में परिवर्तित कराना पड़ा जिसे प्राप्त करने हेतु अविधिक रूप से अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा मांगे जाने पर प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अन्य विकल्प न देखते हुए अण्डर प्रोटेस्ट के रूप
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में धनराशि १,१५,६३३/- रू० जमा की गई, जिसे प्राधिकरण द्वारा परिवर्तित भूखण्ड की बढ़ी हुई दर की धनराशि में समायोजित करते हुए प्राप्त किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि विद्वान जिला फोरम द्वारा जो निर्णय परिवाद पत्र अंशत: स्वीकार करते हुए दिया गया है वह पूर्णत: विधिक है क्योंकि वास्तव में मूल आबंटित भूखण्ड के सम्बन्ध में सम्पूर्ण धनराशि परिवादी द्वारा प्राप्त कराई जा चुकी थी फिर भी लगभग ०६ वर्ष की अवधि व्यतीत होने के उपरान्त परिवर्तित भूखण्ड दिया गया, जो बढ़ी हुई दर पर दिया गया, जो पूर्णत: गैर कानूनी एवं अनौचित्यपूर्ण है
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपने कथन के समर्थन में मा0 राष्ट्रीय आयोग द्वारा पारित निर्णय राधा नन्द सिंह (डा0) बनाम बिहार स्टेट हाउसिंग बोर्ड, III (CPJ) 206 (NC) का उद्धरण किया गया, जिसका परिशीलन मेरे द्वारा किया गया, जिसके तथ्य प्रस्तुत वाद के तथ्यों से पूर्णत: भिन्न पाए गए। अत्एव उपरोक्त न्याय निर्णय प्रस्तुत मामले में विवादित तथ्यों में सुसंगत नहीं प्रतीत होता है। समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा मुख्यत: यह कि वास्तव में अपीलार्थी प्राधिकरण द्वारा की गई देरी एवं यह कि परिवादी द्वारा मूल आबंटित भूखण्ड के सम्बन्ध में जमा समस्त धनराशि के बाबजूद भी छ: - सात वर्षों तक आबंटित भूखण्ड नहीं प्राप्त कराना तथा वैकल्पिक/परिवर्तित भूखण्ड प्राप्त कराने पर भूखण्ड की धनराशि अधिक गर्णित करना अनौचित्यपूर्ण है।
अत्एव जिला फोरम द्वारा जो निर्णय परिवाद अंशत: स्वीकृत करते हुए पारित किया गया, उसमें किसी प्रकार की कोई कमी अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा इंगित नहीं की जा सकी, जिसका पूर्णत: समर्थन किया जाता है और तद्नुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। सम्पूर्ण धनराशि जैसा कि विद्वान जिला फोरम द्वारा आदेशित की गई है, को अपीलार्थी प्राधिकरण, प्रत्यर्थी/परिवादी को इस निर्णय की तिथि से दो माह की अवधि में प्राप्त कराया जावे।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना बहन करेगें।
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आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.