राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 803/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 542/2012 में पारित आदेश दि0 17.03.2016 के विरूद्ध)
Cholamandalam MS General Insurance company Ltd. Regional office, 2nd floor, 4 Marry Gold, Shah najaf road, Sapru marg, Lucknow through its Assistant Manager.
………..Appellant
Versus
- Ram sewak shukla Resident of New Para vihar, Rajajipuram, Lucknow.
- A. Automovers Pvt. Ltd. Chinhat, opposite Akashvani, Faizabad road, Lucknow through its Proprietor/Manager.
………… Respondents
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री तरुण कुमार मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री इस्तेखार हसन,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक:- 29.10.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 542/2012 राम सेवक शुक्ला बनाम चोला मण्डलम व दो अन्य में जिला फोरम द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 17.03.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण सं0- 1 व 2 को संयुक्त एवं एकल रूप से आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्ताह के अन्दर परिवादी को रू0 2,30,571/- में से 10 प्रतिशत साल्वेज काटकर भुगतान करें। इसके अतिरिक्त विपक्षीगण सं0- 1 व 2 संयुक्त एवं एकल रूप में परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु रू015000/- तथा रू05000/- वाद व्यय अदा करेंगे। यदि विपक्षीगण 1 और 2 संयुक्त एवं एकल रूप में उक्त निर्धारित अवधि के अन्दर परिवादी को धनराशि अदा नहीं करते हैं तो वे एकल एवं संयुक्त रूप में रू0 2,30,571/- में से 10 प्रतिशत साल्वेज काटकर शेष धनराशि पर दौरान वाद व आइंदा बशरह 9 (नौ) प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से अदा करना पड़ेगा।“
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी चोला मण्डलम एम एस जनरल इंश्योरेंस कं0लि0 ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री तरुण कुमार मिश्रा और प्रत्यर्थी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इस्तेखार हसन उपस्थित आये हैं। प्रत्यर्थी सं0- 2 की ओर से नोटिस तामीला पर्याप्त माने जाने के बाद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ है। मैंने अपीलार्थी और प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने उपरोक्त परिवाद जिला फोरम द्वितीय, लखनऊ के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने स्कार्पियो वाहन माडल एक हाक दि0 15.11.2011 को क्रय किया जिसका पंजीयन सं0- यू0पी0 32 डी0जेड0 5123 है। उसका यह वाहन अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से बीमाकृत था और बीमा पालिसी दि0 14.11.2012 तक प्रभावी थी। बीमा अवधि में ही उसका यह वाहन दि0 10.02.2012 को हरदोई से संडीला रोड पर जाते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना की सूचना उसने विपक्षी/बीमा कम्पनी को दूरभाष से दिया तथा नोटिस के द्वारा भी सूचित किया। अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने क्षतिग्रस्त वाहन को ए0 आटो मूवर्स प्रा0लि0, चिनहट फैजाबाद रोड, लखनऊ के वर्कशाप में बनवाने हेतु कहा, जिस पर उसने वाहन ए0 आटो मूवर्स प्रा0लि0 में पहुंचा दिया और विपक्षी/बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने वाहन का सर्वे किया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि सर्वेयर ने उससे 20,000/-रू0 सुविधा शुल्क की मांग की और न देने पर क्षति की धनराशि में कटौती करने की बात कही। उसने इस बात की शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से किया, परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई और सर्वेयर द्वारा मांगी गई धनराशि उसे देने हेतु कहा गया।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि उसने जब विपक्षी के कार्यालय में क्लेम पास कराने के लिए कहा तो वहां भी 10,000/-रू0 की मांग की गई, परन्तु उसने यह मांग पूरी करने से मना कर दिया। इस कारण समस्त औपचारिकतायें उसके द्वारा पूर्ण कर दिये जाने के बाद भी विपक्षी/बीमा कम्पनी ने उसके क्लेम का भुगतान नहीं किया है। काफी दौड़ भाग के बाद उसे पता चला कि उसका क्लेम मात्र 1,09,000/-रू0 का स्वीकृत किया गया है। इस पर उसने आपत्ति जतायी और कहा कि वाहन में कुल 2,30,571.18/-रू0 व्यय हुआ है पूरी धनराशि दिलायी जाए, परन्तु उसकी आपत्ति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस प्रकार से बीमा कम्पनी ने अपनी सेवा में कमी की है और अनुचित व्यापार पद्धति अपनायी है, जिससे क्षुब्ध होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है और वाहन की मरम्मत में व्यय हुई धनराशि 2,30,571.18/-रू0 ब्याज सहित दिलाये जाने की मांग की है तथा साथ ही मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति 2,00,000/-रू0 और वाद व्यय 20,000/-रू0 भी मांगा है।
अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से परिवाद के विपक्षीगण सं0- 1 और 2 ने लिखित कथन जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है जिसमें सर्वेयर द्वारा अनुचित धनराशि की मांग किये जाने से इनकार किया गया है।
लिखित कथन में विपक्षीगण ने कहा है कि सर्वेयर ने 1,09,000/-रू0 क्षतिपूर्ति का आंकलन किया है। विपक्षीगण ने सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवाद गलत कथन के आधार पर प्रस्तुत किया गया।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षति को न मानते हुए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन में हुई क्षति की मरम्मत हेतु कथित धनराशि 2,30,571/-रू0 को मान्यता प्रदान की है और उससे 10 प्रतिशत धनराशि की कटौती कर अवशेष धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादी को अदा करने हेतु अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया है। इसके साथ ही 15,000/-रू0 मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु व 5,000/-रू0 वाद व्यय प्रत्यर्थी/परिवादी को प्रदान किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरुद्ध है।
जिला फोरम ने सर्वेयर द्वारा आंकलित क्षति की धनराशि 1,09,000/-रू0 को मान्यता न प्रदान करने हेतु कोई उचित और युक्ति संगत कारण दर्शित नहीं किया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत में कथित 2,30,571.18/-रू0 के व्यय का कोई विवरण अंकित नहीं किया है और न ही प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत का बिल प्रस्तुत किये जाने का उल्लेख किया है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के विरुद्ध है और सर्वेयर आख्या के अनुसार संशोधित किये जाने योग्य है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो 15,000/-रू0 मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षति दिलायी है वह उचित नहीं है और निरस्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुकूल है। प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा वाहन की मरम्मत में 2,30,571.18/-रू0 व्यय किया गया है, अत: जिला फोरम ने वाहन की क्षति हेतु जो धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी से दिलायी है वह उचित है। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने जो 15,000/-रू0 शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति दिलायी है वह भी उचित है।
मैंने अपीलार्थी और प्रत्यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क पर विचार किया है।
सर्वेयर ने प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन का सर्वे कर क्षतिपूर्ति की कुल धनराशि 1,26,827/-रू0 आंकलित की है और उसमें से 16,300/-रू0 साल्वेज का मूल्य एवं पालिसी के लेस क्लाज के अंतर्गत 1,000/-रू0 घटाने के बाद कुल क्षति 1,09,527/-रू0 निर्धारित की है। जिला फोरम ने अपने आक्षेपित निर्णय और आदेश में सर्वेयर आख्या को त्रुटिपूर्ण मानने हेतु कारण इस प्रकार अंकित किया है कि सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में लेबर चार्ज 32,502/-रू0 उल्लिखित है जब कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत मूल बिल में लेबर चार्ज 53,988/-रू0 दिखाया गया है। सर्वेयर ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह अन्तर कैसे है? जिला फोरम ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया है कि सर्वेयर के समक्ष परिवादी के बिल मेमो आदि मौजूद थे और विपक्षी के साक्ष्य/शपथ पत्र से यह साबित नहीं हो रहा है कि किस पार्ट का पूरा और किस पार्ट का आधा भुगतान होना था? इसके विपरीत परिवादी द्वारा बिल और कैश मेमो में पार्ट्स के भुगतान की धनराशि स्पष्ट रूप से अंकित की गई है। जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि जिला फोरम के समक्ष प्रत्यर्थी/परिवादी ने वाहन की मरम्मत का वास्तविक बिल प्रस्तुत कर यह दर्शित नहीं किया है कि वास्तव में मरम्मत में कितना रूपये का भुगतान किया है?
सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों एवं सर्वेयर आख्या पर विचार करते हुए मैं इस मत का हूँ कि सर्वेयर ने जो क्षतिपूर्ति आंकलित की है वह निम्न स्तर की है और कम है, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी ने जो धनराशि मरम्मत में व्यय होना बताया है वह भी बहुत अधिक है। सम्पूर्ण तथ्यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए मेरी राय में प्रत्यर्थी/परिवादी के वाहन में हुई क्षति 1,50,000/-रू0 निर्धारित किया जाना उचित है और क्षतिपूर्ति की यह धनराशि अपीलार्थी/बीमा कम्पनी से प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया जाना उचित है।
जिला फोरम ने क्षतिपूर्ति की धनराशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया है, ब्याज दर उचित प्रतीत होती है इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
जिला फोरम ने जो 15,000/-रू0 मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु प्रत्यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह उचित नहीं है, क्योंकि क्षतिपूर्ति की धनराशि पर प्रत्यर्थी/परिवादी को ब्याज दिया जा रहा है। अत: शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु यह धनराशि 15,000/-रू0 अपास्त किये जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह प्रत्यर्थी/परिवादी को 1,50,000/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित अदा करे। साथ ही वह प्रत्यर्थी/परिवादी को जिला फोरम द्वारा आदेशित 5,000/-रू0 वाद व्यय भी अदा करे।
जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/विपक्षी को 15,000/-रू0 प्रत्यर्थी/परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में देने हेतु आदेशित किया है उसे अपास्त किया जाता है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि 25,000/-रू0 अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जायेगी। जिला फोरम के समक्ष अंतरिम आदेश दि0 02.05.2017 के अनुपालन में जो धनराशि जमा की गई है उक्त धनराशि व उस पर अर्जित ब्याज का निस्तारण भी इस निर्णय के अनुसार किया जायेगा।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1