(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
पुनरीक्षण वाद संख्या :44/2021
(जिला उपभोक्ता आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-71/2018 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 03-09-2021 के विरूद्ध)
यूनियन आफ इण्डिया द्वारा प्रवर डाक अधीक्षक मुख्य डाकघर, गोरखपुर। .....पुनरीक्षणकर्ता /विपक्षी
बनाम्
- राम प्रताप गुप्ता पुत्र स्व0 उमाशंकर गुप्ता।
- श्रीमती पार्वती देवी गुप्ता पत्नी राम प्रताप गुप्ता निवासीगण सी-127/178, दिहेजकपुर, जनपद-गोरखपुर।
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समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य ।
उपस्थिति :
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित- डा0 उदयवीर सिंह।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- कोई नहीं।
दिनांक : 25-11-2021
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
यह निगरानी जिला आयोग, गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या-71/2018 राम प्रताप गुप्ता व अन्य बनाम यूनियन आफ इण्डिया में पारित आदेश दिनांकित 03-09-2021 (जारी दिनांक 20-09-2021) से व्यथित होकर प्रस्तुत की गयी है, जिसके माध्यम से जिला आयोग ने
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निगरानीकर्ता यूनियन आफ इण्डिया का प्रतिवाद पत्र अभिलेख पर लेने का आवेदन खारिज कर दिया है।
प्रश्नगत आदेश के अनुसार परिवाद दिनांक 17-02-2018 को योजित किया गया तथा परिवाद योजन के उपरान्त दिनांक 20-02-2018 को विपक्षी को नोटिस भेजी गयी। आदेश के अनुसार अभिलेख से स्पष्ट है कि विपक्षी ने दिनांक 24-04-2019 को उपस्थित होकर जिला आयोग से एक अवसर प्रतिवाद पत्र दाखिल करने के लिए लिया। इसके उपरान्त सामान्य तिथियों के बाद दिनांक 18-03-2020 तिथि नियत हुई लेकिन विपक्षी उपस्थित नहीं हुआ।
निगरानीकर्ता के विद्धान अधिवक्ता द्वारा दिनांक 03-09-2021 को प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने का आवेदन पत्र इन आधारों पर प्रस्तुत किया गया कि कोविड-19 महामारी के कारण न्यायिक व्यवस्था एवं सरकारी कामकाज बाधित हो जाने के कारण व अपना लिखित कथन न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत नहीं कर सका और इस आधार पर प्रतिवाद पत्र अभिलेख पर लिये जाने की प्रार्थना की गयी। परिवादी के विद्धान अधिवक्ता द्वारा इस पर आपत्ति की गयी कि प्रतिवाद पत्र 45 दिन के उपरान्त दिया गया है अत: स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
विद्धान जिला आयोग ने उक्त आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-13(1) के संदर्भ में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा न्यू इण्डिया इं0 कं0 लि0 बनाम दिल्ली मल्टी परपज एवं कोल्ड स्टोरेज में पारित आदेश
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दिनांकित 04-03-2020 में वर्णित है कि प्रतिवाद पत्र 45 दिन के उपरान्त स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अत: उक्त प्रतिवाद पत्र कोविड-19 के आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि कोविड की अवधि से कार्य वर्ष 2020 से बाधित हुई है जब कि विपक्षी दिनांक 24-04-2019 को उपस्थित हो चुके थे। इन आधारों पर प्रार्थना पत्र निरस्त करने का आधार प्रस्तुत किया गया है कि निगरानी में मुख्य रूप से कथन इस प्रकार किये गये हैं कि निगरानीकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया प्रतिवाद पत्र उसके शपथ पत्र एवं उचित कारणों पर आधारित प्रार्थना पत्र से समर्थित था जिसको विद्धान जिला आयोग द्वारा अपने प्रसंज्ञान में नहीं लिया गया। प्रतिवाद प्रस्तुत करने में हुई देरी को क्षमा किये जाने का उचित एवं युक्तियुक्त कारण दिया गया है किन्तु जिला आयोग ने इस पर कोई गौर नहीं किया जब कि निगरानीकर्ता द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने में हुई देरी उचित एवं क्षम्य थी किन्तु जिला आयोग द्वारा अत्यन्त कड़ा रूख अपनाते हुए प्रतिवाद पत्र अभिलेख पर नहीं लिया गया है जिससे निगरानीकर्ता को अपूर्णनीय क्षति होगी। इस आधार पर प्रतिवाद पत्र स्वीकार किये जाने और प्रश्नगत आदेश को निरस्त करते हुए प्रतिवाद पत्र अभिलेख पर लिये जाने की प्रार्थना की गयी है।
निगरानीकर्ता की ओर से विद्धान अधिवक्ता डा0 उदयवीर सिंह की बहस सुनी गयी। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
प्रश्नगत निगरानी के तथ्यों के अनुसार दिनांक 24-04-2019 को निगरानीकर्ता की उपसंजाति विद्धान अधिवक्ता के माध्यम से हुई थी
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और उनके द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने हेतु समय लिया गया था इसके उपरान्त अनेकों तिथियॉं लगी एवं निगरानीकर्ता को एक अवसर से अधिक का समय अपने प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने हेतु दिया गया था किन्तु उनके द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया। निगरानीकर्ता की ओर से कोविड महामारी का आधार प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने में हुई देरी के लिए लिया गया, जो जिला आयोग ने उचित प्रकार से इस आधार पर निरस्त किया है कि कोविड का आधार वर्ष 2020 में उत्पन्न हुआ जब कि दिनांक 24-04-2019 के उपरान्त लगभग एक वर्ष तक पूर्ण अवसर निगरानीकर्ता को अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने का था किन्तु उनके द्वारा इस अवधि में प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया जिसको प्रस्तुत न किये जाने का कोई पर्याप्त आधार नहीं दर्शाया गया है।
मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय ‘’मेसर्स डैडी बिल्डर्स तथा अन्य प्रति मनीषा भार्गव तथा अन्य प्रकाशित (2021) 3 एस.सी.सी. पृष्ठ 669’’) दिशा निर्देशन हेतु उल्लेखनीय है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस निर्णय में यह प्रतिपादित किया गया है कि धारा-13 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की उपधारा-1ए के अनुसार प्रतिवादी को 30 दिन की अवधि में अपनी जवाबदेही प्रस्तुत करनी होती है जो जिला आयोग द्वारा अधिकतम 15 दिन के लिए अर्थात कुल 45 दिन की अवधि में दाखिल कर देनी होगी। जिला आयोग को इस अवधि के उपरान्त प्रतिवाद पत्र अभिलेख पर लिये जाने की कोई अधिकारिता नहीं है।
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मा0 सर्वोच्च न्यायालय का उपरोक्त निर्णय प्रस्तुत मामले पर पूर्णत: लागू होता है। प्रस्तुत मामले में निश्चित रूप से प्रतिवाद पत्र 45 दिन की अवधि के उपरान्त प्रस्तुत किया गया है जिसको प्रस्तुत करने में हुई देरी को कोविड महामारी के आधार पर क्षमा किये जाने का आधार लिया गया है जो उचित प्रतीत नहीं होता है क्योंकि दिनांक 24-04-2019 के लम्बे समय बाद कोविड महामारी अस्तित्व में आयी थी। अत: जिला आयोग ने उचित प्रकार से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने का अवसर विपक्षी को नहीं दिया है जो मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय ‘’मेसर्स डैडी बिल्डर्स तथा अन्य प्रति मनीषा भार्गव तथा अन्य’’ के अनुरूप है। अत: जिला आयोग द्वारा पारित आदेश में कोई अनियमितता अथवा अवैधानिकता प्रतीत नहीं होती है जिसके आधार पर जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप किये जाने की आवश्यकता हो। अत: प्रस्तुत निगरानी निरस्त होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत निगरानी निरस्त की जाती है। जिला आयोग द्वारा पारित आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभयपक्ष जिला आयोग के समक्ष अग्रिम कार्यवाही हेतु दिनांक 17-01-2022 को उपस्थित हो।
प्रस्तुत निगरानी में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (विकास सक्सेना)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट न0-1