Uttar Pradesh

StateCommission

A/2014/377

IndusInd Bank - Complainant(s)

Versus

Ram Prakash - Opp.Party(s)

Brijendra Chaudhary

06 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2014/377
( Date of Filing : 21 Feb 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. IndusInd Bank
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Prakash
a
...........Respondent(s)
First Appeal No. A/2014/1493
( Date of Filing : 22 Jul 2014 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Ram Prakash
-
...........Appellant(s)
Versus
1. Indus Ind Bank
-
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 06 Aug 2021
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्‍या 24 सन 2012 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.01.2014  के विरूद्ध)

 

अपील संख्‍या  377 सन 2014

इण्‍डसइंड बैंक लि0, सरन चैम्‍बर्स द्वितीय, पार्क रोड, हजरतगंज लखनऊ द्वारा मैनेजर लीगल, इण्‍टिरालिया ब्रांच, आफिस 113/120 रतन काम्‍प्‍लेक्‍स, स्‍वरूप नगर, कानपुर नगर ।

   .......अपीलार्थी/प्रत्‍यर्थी

-बनाम-

राम प्रकाश पुत्र श्री श्‍यामलाल निवासी मकान 65, कटरा अमरौध तहसील भोगनीपुर जिला कानपुर देहात ।

. .........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

एवं

अपील संख्‍या  1493 सन 2014

राम प्रकाश पुत्र श्री श्‍यामलाल निवासी मकान 65, कटरा अमरौध तहसील भोगनीपुर जिला कानपुर देहात ।

 

   .......अपीलार्थी/परिवादी

-बनाम-

इण्‍डसइंड बैंक लि0, सरन चैम्‍बर्स द्वितीय, पार्क रोड, हजरतगंज लखनऊ द्वारा मैनेजर लीगल, इण्‍टिरालिया ब्रांच, आफिस 113/120 रतन काम्‍प्‍लेक्‍स, स्‍वरूप नगर, कानपुर नगर ।

 

. .........प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

 

 

 

समक्ष:-

मा0   श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य ।

मा0    श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  - श्री ब्रिजेन्‍द्र चौधरी  ।

प्रत्‍यर्थी   की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  - श्री संजय कुमार वर्मा ।

 

दिनांक:-25-08-21

 

श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित

निर्णय

      प्रस्‍तुत अपीलें जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्‍या 24 सन 2012 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 23.01.2014  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है ।

      संक्षेप में, अपील संख्‍या  377 सन 2014 के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी ने 5 लाख रू0 एक सेकेण्‍ड हैंड पुराना ट्रक संख्‍या यू0पी0 78 ए0एन0 8007 क्रय करने हेतु विपक्षी बैंक से 3,50,000.00 रू0 का ऋण लिया। ऋण की अदायगी 15 हजार रू0 की 36 किश्‍तों में करनी थी । परिवादी द्वारा नियमित रूप से किश्‍तों की अदायगी की गयी और उस पर कोई भी किश्‍त शेष नहीं थी फिर भी विपक्षी बैंक द्वारा दिनांक 04.09.2012 को एक नोटिस भेज कर उसमें लिए गए ऋण, ब्‍याज एवं इंश्‍योरेंस की धनराशि का उल्‍लेख करते हुए अदायगी करने के लिए कहा गया लेकिन जमा धनराशि का कोई विवरण नहीं दिया तथा उसका ट्रक भी दिनांक 09.10.2012 को जबरन खींच लिया जो उसकी सेवा में घोर कमी है। जिससे क्षुब्‍ध होकर यह परिवाद योजित किया गया।

      विपक्षी की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना वादोत्‍तर प्रस्‍तुत कर उल्लिखित किया गया कि परिवादी द्वारा जानबूझकर समयानुसार किश्‍ते अदा न करके अनुबंध की शर्तो का उल्‍लंघन किया है। किश्‍त की अदायगी न करने के कारण प्रश्‍नगत ट्रक कब्‍जे में लिया गया ।  परिवाद किश्‍तों की अदायगी एवं लेखा से संबंधित है अत: फोरम की परिधि से बाहर है।

      जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्‍य एवं अभिवचनों के आधार पर यह अवधारित करते हुए विपक्षीगण के अधिवक्‍ता ने दिनांक 04.09.2012 को परिवादी के यहां एक नोटिस रजि0 डाक से भेजकर उस पर 40,249.00 रू0 बकाया बताया था जिसे परिवादी ने नोटिस प्राप्‍त करने के उपरांत दिनांक 23.09.2012 को मु0 20 हजार रू0 जमा करके शेष धनराशि मु0 20,249.00 के लिए समय देने का अनुरोध किया फिर भी उसका ट्रक विपक्षीगण के कर्मचारियों द्वारा खींच कर सेवा में कमी की गयी है,  निम्‍न आदेश पारित किया :-

      '' परिवादी का परिवाद आज्ञप्ति किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर उसके ऋण खाते का स्‍टेटमेंट परिवादी को प्राप्‍त कराऐं जिसे परिवादी स्‍टेटमेंट प्राप्‍त होने के 45 दिन के अन्‍दर अपना बकाया ऋण जमा करे। विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि परिवादी का ट्रक उसे वापस करे और मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 15 हजार रू0 व वाद व्‍यय के रूप में 2500.00 रू0 अदा करें। ''

      उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील द्वारा योजित की गयी है।

      अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला आयोग का निर्णय साक्ष्‍य एवं विधि के विरूद्ध है और दोषपूर्ण है। अपील स्‍वीकार कर जिला आयोग का निर्णय व आदेश समाप्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाए ।

      प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला आयोग का निर्णय व आदेश उचित है। अपील बलरहित है और निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क विस्‍तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का सम्‍यक अवलोकन किया।

      पत्रावली का अवलोकन करने से स्‍पष्‍ट होता है परिवादी ने 5 लाख रू0 एक सेकेण्‍डहैंड पुराना ट्रक संख्‍या यू0पी0 78 ए0एन0 8007 क्रय करने हेतु विपक्षी बैंक से 3,50,000.00 रू0 का ऋण लिया। ऋण की अदायगी 15 हजार रू0 की 36 किश्‍तों में करनी थी । परिवादी द्वारा नियमित रूप से किश्‍तों की अदायगी की गयी और उस पर कोई भी किश्‍त शेष नहीं थी फिर भी विपक्षी बैंक द्वारा ट्रक दिनांक 09.10.2012 को जबरन खींच लिया गया। जबकि विपक्षी की ओर से उल्लिखित किया गया कि परिवादी द्वारा जानबूझकर समयानुसार किश्‍ते अदा न करके अनुबंध की शर्तो का उल्‍लंघन किया है। प्रश्‍नगत परिवाद किश्‍तों की अदायगी एवं लेखा से संबंधित है अत: फोरम की परिधि से बाहर है।

      विपक्षीगण ने अपने जबावदावे के पैरा 22 में उल्लिखित किया है कि प्रश्‍नगत ट्रक 1,70,000.00 रू0 में बिक्रय कर दिया गया है। प्रश्‍नगत ट्रक अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा बेंच देने के कारण प्रश्‍नगत ट्रक परिवादी को दिलाया जाना कठिन है। पत्रावली के अवलोकन से स्‍पष्‍ट है कि मात्र 20,249.00 रू0 बकाया होने के कारण अपीलार्थी द्वारा परिवादी के 05 लाख रू0 मूल्‍य के ट्रक को 1,70,000.00 रू0 में बिक्रय कर दिया गया है जो उसकी सेवा में कमी है। अत: प्रत्‍यर्थी परिवादी को ट्रक का मूल्‍य मय ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति के दिलाया जाना उचित होगा ।

     अपील संख्‍या  1493 सन 2014 राम प्रकाश पुत्र श्री श्‍यामलाल द्वारा इस आशय से योजित की गयी है कि परिवादी द्वारा समस्‍त किश्‍तों की अदायगी की जा चुकी है फिर भी जिला मंच द्वारा स्‍टेटमेंट प्राप्‍त होने के 45 दिन के अन्‍दर अपना बकाया ऋण जमा करने का आदेश पारित कर भूल की गयी है।

      चूकि  परिवादी को ट्रक का मूल्‍य मय ब्‍याज एवं क्षतिपूर्ति के दिलाया जा रहा है अत: अपील संख्‍या  1493 सन 2014 का कोई औचित्‍य नहीं है और निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

            प्रस्‍तुत अपील संख्‍या 1493 सन 2014 निरस्‍त की जाती है तथा अपील संख्‍या  377 सन 2014 के अन्‍तर्गत अपीलार्थी को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी/प्रत्‍यर्थी को उसके प्रश्‍नगत ट्रक का क्रय मूल्‍य मु0 पॉच लाख रू0 परिवाद दायरा के दिनांक से अदायगी तक 06 (छह) प्रतिशत साधारण ब्‍याज सहित अदा करे तथा इस अपील के व्‍यय के मद में 15000.00 रू0 अलग से अदा करे ।

      इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्‍या 1493/14 की पत्रावली में रखी जाए।

धारा 15, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाएगी ।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

(गोवर्धन यादव)                                     (विकास सक्‍सेना)

    सदस्‍य                                               सदस्‍य

   सुबोल श्रीवास्‍तव

 पी0ए0(कोर्ट नं0-2)

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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