Uttar Pradesh

StateCommission

A/1998/466

Post Office - Complainant(s)

Versus

Ram Kumar Shukla - Opp.Party(s)

Dr. Uday Veer Singh

08 Jan 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1998/466
( Date of Filing : 26 Feb 1998 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District Kanpur Dehat)
 
1. Post Office
Kanpur
...........Appellant(s)
Versus
1. Ram Kumar Shukla
Kanpur Dehat
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Jan 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-466/1998

 (जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, कानपुर देहात द्वारा परिवाद संख्‍या-49/1995 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.01.1998 के विरूद्ध)

 

सुप्रीटेण्‍डेण्‍ट आफ पोस्‍ट आफिसेज, कानपुर मुफस्‍सी, कानपुर।

अपीलार्थी/विपक्षी

                                               बनाम        

श्री राम कुमार शुक्‍ला पुत्र स्‍व0 श्री राम जीवन शुक्‍ल, निवासी ग्राम चिलौली, पोस्‍ट चिलौली, तहसील देरापुर, कानपुर देहात।

                                                    प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से  : डा0 उदय वीर सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा

                                  अधिकृत अधिवक्‍ता श्री कृष्‍ण पाठक।

प्रत्‍यर्थी की ओर से    : कोई नहीं।

दिनांक:  08.01.2021  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या-49/1995, रामकुमार शुक्‍ला बनाम उपडाक डाकघर तथा अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 15.01.1998 के विरूद्ध उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अन्‍तर्गत यह अपील प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी संख्‍या-1 व 2 को निर्देशित किया है कि वह परिवादी के पक्ष में अंकन 5,000/- रूपये का एक किसान विकास पत्र दिनांक 22.04.1995         से  प्रभारी होने वाला जारी करे और किसान विकास पत्र जारी न करने की

 

-2-

स्थिति में विपक्षी संख्‍या-1 तथा 2 अंकन 5,000/- रूपये 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्‍याज सहित अदा करें।

2          परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी ने दिनांक 21.04.1995 को अंकन 5,000/- रूपये किसान विकास पत्र खरीदने हेतु प्रदीप कुमार त्रिपाठी को दिए थे, परन्‍तु परिवादी के पक्ष में किसान विकास पत्र जारी नहीं किए गए।

3.         पोस्‍ट आफिस का कथन है कि पोस्‍ट आफिस के कर्मचारियों द्वारा अंकन 5,000/- रूपये प्रदीप कुमार त्रिपाठी से कभी प्राप्‍त नहीं किए और रूपए प्राप्‍त करने का कोई सबूत भी नहीं है।

4.         दोनों पक्षकारों की साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात् विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा निष्‍कर्ष दिया गया कि दिनांक 21.04.1995 को श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने परिवादी रामकुमार शुक्‍ला से अंकन 5,000/- रूपये प्राप्‍त किए, जो एजेण्‍ट का काम करते हैं और उनके द्वारा बचत काउण्‍टर क्‍लर्क श्री राम दास भारती को किसान विकास पत्र जारी करने के लिए दिए, परन्‍तु विकास विकास पत्र जारी नहीं किए गए।

5.         इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनोती दी गई है कि यह निर्णय एवं आदेश विधि विरूद्ध है। यह तथ्‍य साबित नहीं है कि श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने उपडाकपाल के क्‍लर्क राम दास भारती को अंकन 5000/- रूपये दिए हों, केवल किसी कागज पर डाकघर की मुहर होने मात्र से यह साबित नहीं होता है कि श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी द्वारा अंकन 5,000/- रूपये श्री राम दास भारती, क्‍लर्क को दिए गए। जांच में पाया गया था कि श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने किसान विकास पत्र खरीदने के लिए रूपये जमा ही नहीं किए और डाकघर की मुहर में तारीख के साथ हेरा-फेरी की गई। दिनांक 01.04.1995 की तिथि को दिनांक 21.04.1995 में परिवर्तित कर दिया गया।

-3-

6.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता डा0 उदय वीर सिंह द्वारा अधिकृत अधिवक्‍ता श्री कृष्‍ण पाठक को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क किया गया कि श्री राम कुमार शुक्‍ला द्वारा श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी को दिए गए 5,000/- रूपये कभी भी डाकघर के क्‍लर्क को अदा नहीं किए गए और कभी भी डाकघर द्वारा कोई रसीद जारी नहीं की गई। रसीद पर किसी के भी हस्‍ताक्षर नहीं है। परिवादी से जो भी राशि प्राप्‍त की गई है वह एजेण्‍ट द्वारा प्राप्‍त की गई है और डाकघर का कोई भी उत्‍तरदायित्‍व नहीं है।

8.         विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि जो रसीद जारी की गई है, उस पर डाकघर की मुहर है, इसलिए माना जाना चाहिए कि डाकघर में अंकन 5,000/- रूपये जमा कराए गए, परन्‍तु उनके द्वारा अपने निर्णय में स्‍वंय उल्‍लेख किया गया है कि इस रसीद पर किसी के हस्‍ताक्षर नहीं हैं। यद्यपि पत्रावली में एक अन्‍य रसीद मौजूद है, जिसके अवलोकन से जाहिर होता है कि परिवादी से अंकन 5,000/- रूपये दिनांक 01.04.1995 को एजेण्‍ट द्वारा प्राप्‍त किए गए हैं।

9.         अपीलार्थी की ओर से नजीर Union Of India Through Postal Master General & Anr Vs./ Shanker Ram (Since Deseased) 2011 NCJ 242 (NC) प्रस्‍तुत की गई है, जिसमें व्‍यवस्‍था दी गई है कि यदि एजेण्‍ट द्वारा धन का दुरूपयोग कर लिया जाता है तब वह इस राशि को प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। प्रस्‍तुत केस में भी परिवादी श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी से अंकन 5,000/- रूपये वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपास्‍त होने और अपील तदनुसार स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।

-4-

आदेश

10.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश अपीलार्थी के विरूद्ध अपास्‍त किया जाता है। यद्यपि परिवादी/प्रत्‍यर्थी श्री प्रदीप कुमार त्रिपाठी से अंकन 5,000/- रूपये मय 6 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज दिनांक 21.04.1995 की तिथि से प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत हैं।

11.        अपील में उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

 

                     

     (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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