(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 460/2021
राम औतार गुप्ता पुत्र श्री शान सहाय गुप्ता निवासी मकान नम्बर-114 मोहल्ला जमीदारन कस्बा फतेहगंज पूर्वी, जिला बरेली ।
1-शाखा प्रबन्धक, एस0बी0आई0 जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, प्रथम तल, 35, ए/8, रामपुर गार्डर आन्ध्रा बैंक बिल्डिंग प्रभा टाकीज के सामने जिला बरेली पिन-243001 उ0प्र0।
2-अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता एस0बी0आई0 जनरल इश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस नटराज 101 201 व 301 पश्चिम एक्सप्रेस वे हाइवे अन्धेरी कुर्ला जं0 रोड अन्धेरी पूर्व मुम्बई 400069 महाराष्ट्रा।
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
अपील संख्या-307/2021
1-शाखा प्रबन्धक, एस0बी0आई0 जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, प्रथम तल, 35, ए/8, राम पुर गार्डर आन्ध्राबैंक बिल्डिंग प्रभा टाकीज के सामने जिला बरेली पिन-243001 उ0प्र0।
2-अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता एस0बी0आई0 जनरल इश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रजिस्टर्ड आफिस नटराज 101201 व 301 पश्चिम एक्सप्रेस वे हाइवे अन्धेरी कुर्ला जं0 रोड अन्धेरी पूर्व मुम्बई 400069 महाराष्ट्रा।
अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम
राम औतार गुप्ता पुत्र श्री शान सहाय गुप्ता निवासी मकान नम्बर-114 मोहल्ला जमीदारन कस्बा फतेहगंज पूर्वी, जिला बरेली ।
दिनांक : 17-05-2023
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मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत अपील संख्या-460/2021 परिवाद के परिवादी राम औतार गुप्ता की ओर से एवं अपील संख्या-307/2021 शाखा प्रबन्धक, एस0बी0आई जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व एक अन्य की ओर से परिवाद संख्या-137/2019 (राम औतार गुप्ता बनाम शाखा प्रबन्धक, एस0बी0आई0 जनरल इं0कं0लि0 व एक अन्य) में जिला उपभोक्ता आयोग, प्रथम, बरेली द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 13-04-2021 के विरूद्ध उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है।
विद्धान जिला आयोग ने आक्षेपित निर्णय एवं आदेश के द्वारा परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है :-
‘’ परिवादी का परिवाद रू0 4,37,400/- बीमा क्लेम के लिए स्वीकार किया जाता है, जिसे 30 दिन में विपक्षीगण अदा करेगा, अन्यथा दावा की तिथि से वसूली की तिथि तक 07 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज भी विपक्षीगण से वादी को देय होगा। इसके अलावा रू0 4,000/- खर्चा मुकदमा वादी विपक्षीगण से प्राप्त करेगा। इन सभी धनराशि को विपक्षीगण वादी को 30 दिन के अंदर अदा करेगा।‘’
अपील की सुनवाई के समय परिवादी राम औतार गुप्ता की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन उपस्थित। ब्रांच मैनेजर, एस0बी0आई0 जनरल इं0कं0लि0/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता एस0बी0आई0 जनरल इं0कं0लि0 की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री महेन्द्र कुमार मिश्रा उपस्थित।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 व 2 के एजेन्ट जो कि भारतीय स्टेट बैंक शाखा फतेहगंज पूर्वी
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में है जिसका नं0-ए.सी.डी. 00510720611 है, से अपने मकान स्थित 114 मोहल्ला जमीदारन फतेहगंज पूर्वी का बीमा कराया गया था जो दिनांक 06-12-2017 से 05-12-2022 तक की अवधि के लिए वैध एवं प्रभावी थी तथा पालिसी का बीमित मूल्य रू0 25,00,000/- था। उक्त पालिसी लेते समय भारतीय स्टेट बैंक की शाखा फतेहगंज पूर्वी द्वारा बताया गया था कि पूरे मकान का बीमा हो गया है और किसी भी तरह से मकान या उसके अंदर रखे सामान की कोई क्षति होती है तो उसका भुगतान पालिसी से कवर होगा। परिवादी अपने मकान की आवश्यक टूट फूट व मरम्मत समय-समय पर कराता रहा। दिनांक 19-01-2019 को परिवादी मकान में नहीं था और बाहर गया हुआ था कि अचानक मकान का अगला हिस्सा आधे से ज्यादा गिर गया, इसकी सूचना परिवादी ने भारतीय स्टेट बैंक की शाखा फतेहगंज पूर्वी एजेन्ट को दी तथा उनके कहने के अनुसार टोल फ्री नम्बर पर भी फोन किया।
सर्वे के काफी दिन बाद विपक्षीगण के कार्यालय से दिनांक 05-02-2019 को नो-क्लेम का रजिस्टर्ड पत्र आया जो कि दिनांक 25-02-2019 को मिला तब भारतीय स्टेट बैंक की शाखा फतेहगंज पूर्वी एजेन्ट से मिलने पर उसके बताये अनुसार विपक्षी संख्या-1 के कार्यालय जाकर कई बार सम्पर्क किया जिस पर मामले को देखने का आश्वासन दिया गया, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक की शाखा फतेहगंज पूर्वी एजेन्ट ने मात्र 5,00,000/-रू0 का समझौता प्रस्ताव भिजवाया, जिसे परिवादी ने अस्वीकार कर दिया। अत: विवश होकर परिवादिनी ने परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।
विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र कागज संख्या-13 प्रस्तुत करते हुए यह स्वीकार किया है कि विपक्षी ने परिवादी का कथित बीमा किया था, जिसका पालिसी
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नम्बर-0000000007739498 है तथा जो दिनांक 06-12-2017 से 05-12-2022 तक की अवधि के लिए वैध एवं प्रभावी है और यह पालिसी परिवादी के कथित मकान संख्या-114 स्थित मोहल्ला जमीदारन फतेहगंज पूर्वी लिंक बरेली से संबंधित है साथ ही यह भी कहा गया कि कथित मकान सही ढंग से नहीं बनाया गया है और एक नाली विवादित मकान के सामने वाली दीवार से होकर जाती है और इसी पानी की सीलन से दीवार खराब होकर गिर गयी। मकान 28 वर्ष पुराना है, इसी वजह से क्षतिपूर्ति की धनराशि नहीं दी जा सकती है तथा पालिसी की शर्तों के विपरीत होने के कारण बीमा क्लेम दिलाये जाने योग्य नहीं है। विपक्षीगण ने कभी भी 05 लाख रूपये का समझौता प्रस्ताव नहीं दिया था।
विद्धान जिला आयोग ने उभयपक्ष को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन करने के पश्चात अपने निष्कर्ष में यह मत अंकित किया है कि परिवादी ने अपने प्रश्नगत मकान संख्या-114 स्थित मोहल्ला जमीदारन फतेहगंज पूर्वी बरेली का बीमा विपक्षी संख्या-1 से कराया था जो दिनांक 06-12-2017 से 05-12-2022 तक की अवधि के लिए वैध था और जिसका बीमा मूल्य रू0 25,00,000/- था। दिनांक 19-01-2019 को मकान का आधे से ज्यादा भाग गिर गया जिसकी सूचना विपक्षी को दी गयी, लेकिन विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा बीमा क्लेम की धनराशि अदा नहीं की गयी और यह कहा गया कि मकान काफी पुराना था साथ ही परिवादी ने कोई एक्सपर्ट की राय प्रस्तुत नहीं की है। विपक्षी द्वारा सर्वेयर को भेजा गया और सर्वेयर श्री अतुल गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट कागज संख्या-20 दाखिल किया है, इसमें कुल क्षति रू0 5,83,200/- का आंकलन किया गया है इसमें 70 प्रतिशत डिप्रीसियेशन काटकर रू0 1,74,960/-रू0 का क्षति आंकलित किया गया है। पुन: इसमें से रू0 1,50,000/- साल्वेज
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काटकर रू0 24,960/-रू0 की क्षति आंकलित की गयी है। परिवादी ने वार्षिक प्रीमियम रू0 5730/- अदा किया है। ऐसे में 24,960/-रू0 क्षतिपूर्ति का आंकलन किसी भी प्रकार व्यावहारिक, विधिक व न्यायसंगत नहीं है, चूंकि परिवादी ने अपने किसी सर्वेयर से क्षति का आंकलन नहीं कराया, ऐसे में विपक्षी के सर्वेयर की रिपोर्ट कागज संख्या-12 के अनुसार रू0 5,83,200/-रू0 का आंकलन ही विश्वास में लिये जाने योग्य है जिसे विपक्षी भी मना नहीं कर सकते। जहॉं तक डिप्रीसियेशन व साल्वेज की कटौती का प्रश्न है हमारी राय में 70 प्रतिशत कटौती किया जाना उचित नहीं है। मामले के तथ्यों सम्पूर्ण परिस्थितियों में तथा न्यायहित में यह भी कटौती एक मुश्त 25 प्रतिशत किया जाना उचित होगा। इस कटौती के बाद रू0 5,83,200/- का 75 प्रतिशत परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति दिलाया जाना न्यायाचित होगा। क्षतिपूर्ति न देकर विपक्षीगण ने उपभोक्ता सेवा प्रदान करने में त्रुटि की है।
परिवादी विपक्षीगण से रू0 5,83,200/-रू0 में से 25 प्रतिशत कटौती के पश्चात शेष 75 प्रतिशत धनराशि पाने का अधिकारी है जो रू0 4,37,400/- आता है जिसे परिवादी को विपक्षीगण से दिलाया जाना न्यायोचित होगा। इसके अलावा रू0 4,000/- खर्चा मुकदमा भी परिवादी को विपक्षीगण से दिलाया जाना न्यायोचित होगा।
परिवादी राम औतार के विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा जो रू0 5,83,200/-रू0 में से 25 प्रतिशत कटौती करते हुए शेष धनराशि अदा करने का आदेश पारित किया है वह न्यायोचित नहीं है और यह 25 प्रतिशत कटौती अत्यधिक है अत: जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में 25 प्रतिशत कटौती को कम किया जावे।
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शाखा प्रबन्धक, एस0बी0आई0 जनरल इं0कं0लि0 की ओर से उपस्थित विद्धान अधिवक्ता का तर्क है कि विद्धान जिला आयोग द्वारा विधि विरूद्ध निर्णय पारित किया गया है।
पीठ द्वारा उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का भली-भॉंति परीक्षण किया गया।
उभयपक्ष के विद्धान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का परिशीलन एवं परीक्षण करने के उपरान्त यह पीठ इस मत की है कि परिवादी ने अपने मकान का बीमा विपक्षी संख्या-1 से कराया था, जिसकी बीमित धनराशि रू0 25,00,000/- थी और बीमा पालिसी दिनांक 06-12-2017 से 05-12-2022 तक की अवधि के लिए वैध एवं प्रभावी थी और बीमा अवधि में ही परिवादी का मकान क्षतिग्रस्त हुआ और सर्वेयर द्वारा क्षति का आंकलन 5,83,200/-रू0 किया गया साथ ही जिला आयोग द्वारा 5,83,200/-रू0 में से 25 प्रतिशत की कटौती एक मुश्त करते हुए शेष धनराशि 4,37,400/-रू0 अदा करने का आदेश पारित किया है। अत: पीठ के मतानुसार विद्धान जिला आयोग द्वारा प्रत्येक बिन्दु पर विस्तृत विवेचना करने के पश्चात विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है। तदनुसार उपरोक्त दोनों अपीलें निरस्त किये जाने योग्य है।
आदेश
उपरोक्त दोनों अपीलें निरस्त की जाती है। विद्धान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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अपील योजित करते समय अपीलार्थी द्वारा अपील में जमा धनराशि (यदि कोई हो) तो नियमानुसार अर्जित ब्याज सहित जिला आयोग को विधि अनुसार निस्तारण हेतु यथाशीघ्र प्रेषित की जावे।
इस निर्णय एवं आदेश की एक प्रति संबंधित अपील संख्या-307/2021 में सुरक्षित रखी जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुधा उपाध्याय)
अध्यक्ष सदस्य
प्रदीप मिश्रा, आशु0,
कोर्ट नं0-1