(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 2038/2003
सीनियर सुप्रीटेंडेंट आफ पोस्ट आफिसेज बनाम राकेश मोहन व अन्य
मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
दिनांक:-15-03-2023
पुकार की गयी। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री उदयवीर सिंह के सहयोगी अधिवक्त श्री श्रीकृष्ण पाठक एवं प्रत्यर्थी के विद्धान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल को सुना गया। परिवाद सं0 588/2001 राकेश मोहन बनाम पोस्ट मास्टर में जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 12.05.2003 के विरूद्ध यह अपील दिनांक 02.08.2003 को देरी से प्रस्तुत की गयी है। देरी माफ करने के लिए प्रस्तुत आवेदन के साथ संलग्न शपथ पत्र पर विचार करते हुए देरी माफ की जाती है।
अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जिला उपभोक्ता मंच ने उच्च दर से ब्याज अदा करने का आदेश पारित किया है, जबकि चूंकि उनके पोस्ट आफिस में गबन हो चुका था और गबन होने के कारण नोटिस दिया गया था कि वे अपनी राशि वापस प्राप्त कर लें, परंतु स्वयं परिवादीगण द्वारा कोई क्लेम फार्म भरकर नहीं दिया गया, चूंकि स्वयं अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता को यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादीगण द्वारा पोस्ट ऑफिस में राशि जमा की गयी। यह राशि सावधि जमा योजना के अंतर्गत जमा की गयी थी, इस राशि को पोस्ट आफिस कर्मियों द्वारा गबन किया गया, तब इसके लिए प्रत्यर्थी/परिवादी कदाचित रूप से उत्तरदायी नहीं है। प्रत्यर्थीगण/परिवादी सावधि जमा योजना के अंतर्गत ब्याज प्राप्त करने के लिए अधिकृत है इसलिए जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश मे हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना)(सुशील कुमार)
संदीप आशु0कोर्ट नं0 3