(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-896/2009
(जिला उपभोक्ता फोरम, हाथरस (महामायानगर) द्वारा परिवाद संख्या-14/2008 में पारित निणय/आदेश दिनांक 30.04.2009 के विरूद्ध)
अनूप सिंह पुत्र श्री गजेन्द्र सिंह, निवासी ग्राम रूहेरी, तहसील सासनी, जिला महामाया नगर।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
मैसर्स राजवती पौरूष शीत गृह प्रा0लि0, जोगिया हाथरस जिला महामाया नगर द्वारा प्रबन्धक/मालिक तोताराम पुत्र श्री कुंदन सिंह।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से : श्री ओ0पी0 दुवेल, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक: 21.06.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-14/2008, अनूप सिंह बनाम प्रबन्धक, मै0 राजवती पौरूष शीतगृह प्रा0लि0 में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, हाथरस (महामायानगर) द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 30.04.2009 के विरूद्ध यह अपील स्वंय परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आलू की कीमत अंकन 6,769/- रूपये प्राप्त करने का आदेश दिया है।
2. इस निर्णय/आदेश को परिवादी द्वारा इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्यों एवं विधि के विपरीत मनमाना निरंकुश निर्णय पारित किया है, अर्थात् परिवाद को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया है। जिला उद्यान अधिकारी ने कोल्ड स्टोरेज मालिक से सांठ-गांठ करके 1000 बोरे आलू निकालने का प्रमाण पत्र दे दिया है, परन्तु आलू की कीमत की व्याख्या नहीं की है। 1000 बोरे आलू निकालने का कोई सबूत मौजूद नहीं है, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने योग्य है।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अत: केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी के यहां कुल 1968 आलू के बोरे रखे थे, जिनकी कीमत विपक्षी द्वारा अदा नहीं की गई। विपक्षी का कथन है कि केवल 1967 आलू के बोरे रखे गए थे। परिवादी द्वारा 2000 खाली बोरे आलू भण्डारण करने के लिए तथा भिन्न-भिन्न तिथियों पर अंकन 1,64,365/- रूपये नगद व बोरे की कीमत के रूप में प्राप्त किए और 1000 आलू के बोरे निकाल लिए गए और स्वंय विक्रय किए गए हैं। अवशेष आलू किर्री-गुल्ला किस्म का है, जिसका बाजार भाव में कोई भाव नहीं है और शीतगृह का अधिक रूपया बकाया है, इसलिए परिवाद खारिज होने योग्य है।
5. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग का यह निष्कर्ष है कि परिवादी को यह सुविधा प्रदान की गई थी कि वह अपने श्रेष्ठ आलू शीतगृह से निकाल सकता है, परन्तु परिवादी कभी भी शीतगृह नहीं पहुँचा और आलू को सड़ा हुआ बता दिया गया, जबकि जिला उद्यान अधिकारी द्वारा यह रिपोर्ट दी गई थी कि आलू सड़ा हुआ नहीं है तब इस आलू की निलामी की गई और निलामी में जो धनराशि प्राप्त हुई, वह धनराशि परिवादी को लौटाने का आदेश दिया गया। जिला उपभोक्ता आयोग ने जिला उद्यान अधिकारी की निरीक्षण रिपोर्ट को स्वीकार किया और स्वीकार करने के विस्तृत आधार जाहिर किए, इसलिए विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई विधिसम्मत आधार नहीं है। अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है।
पक्षकार अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(राजेन्द्र सिंह) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2