राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील संख्या-1289/2016
(जिला मंच अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-९३/२०१२ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २०/०५/२०१६ के विरूद्ध)
१ यूनिकोर्न सीड्स प्रा0लि0 पंजीकृत कार्यालय यूनीकार्न हाउस प्लाट नं0 ०३ बाला एन्क्लेव ट्रांसपोर्ट रोड निकट गनरोक सिकन्द्राबाद-५००००९ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
२. जय प्रकाश गुप्ता प्रो0 मै0 अंकित बीज भंडार मथुरा रोड हस्तपुर अलीगढ़।
.............. अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम्
राजपाल सिंह पुत्र विजय सिंह निवासी ग्राम सहारा खुर्द तहसील इगलास जिला अलीगढ़।
............... प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
१. मा0 श्री विजय वर्मा, पीठासीन सदस्य।
२. मा0 महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित :- श्री नवीन तिवारी विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- राजपाल सिंह स्वयं।
दिनांक : 21/02/2017
मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला मंच अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-९३/२०१२ राजपाल सिंह बनाम श्री जय प्रकाश गुप्ता व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २०/०५/२०१६ के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
संक्षेप में विवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी राजपाल सिंह ने तरबूज की खेती करने के लिए अपीलार्थी जय प्रकाश गुप्ता से २५००/-रू0 का बीज दिनांक २५/०२/२०१२ को क्रय किया था । परिवादी ने सोनपाल व हरी पुत्रगण रतन लाल निवासी सहारा कला अलीगढ़ से १० बीघा जमीन तरबूज की फसल के लिए किराए पर लिया था। परिवादी के अनुसार उसके द्वारा उक्त बीज की बुआई किराये पर ली गयी खेती की जमीन में की गयी । खेत में दवाई आदि भी डाली गयी किन्तु उक्त बीजों का अंकुरण नहीं हुआ और तरबूज की फसल उत्पन्न नहीं हुई। इस प्रकार उसे तरबूज की पैदावार न होने से लगभग ८००००/-रू0 का नुकसान हुआ। उक्त क्षति की प्रतिपूर्ति हेतु परिवादी ने अपीलार्थीगण को नोटिस दिए, किन्तु कोई सुनवाई न होने के कारण परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।
उक्त परिवाद का अपीलार्थीगण द्वारा प्रतिवाद किया गया और परिवाद में किए गए कथनों को अस्वीकार किया गया।
उभय पक्षों को सुनने तथा अभिलेखों का परिशीलन करने के बाद विद्वान जिला मंच ने निम्न आदेश पारित किया है:- ‘’ परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे परिवादी को २५००/-रू0 बीज की कीमत व २५०००/-रू0 क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान करें। मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में ३०००/-रू0 तथा वाद व्यय के रूप में २५००/-रू0 का भुगतान करे। उपरोक्त आदेश का पालन एक माह में किया जावे। उपरोक्त आदेश के पालन के लिये विपक्षीगण संयुक्त रूप से तथा पृथक-पृथक रूप से जिम्मेदार होंगे। ‘’
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
अपीलकर्ता द्वारा अपील में जो आधार लिए गए हैं वह इस प्रकार हैं कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का संज्ञान लेने में त्रुटि की है। विद्वान जिला मंच ने यह अवधारित करके त्रुटि की है कि परिवादी ने तरबूज के बीज को अपीलार्थीगण से दिनांक २५/०२/२०१२ को २५००/-रू0 में क्रय किया था। विद्वान जिला मंच ने बिना किसी साक्ष्य के यह अवधारित करके त्रुटि की है कि उक्त बीज का अंकुरण नहीं हुआ । ऐसा अवधारित करने का कोई आधार भी विद्वान जिला मंच के समक्ष उपलब्ध नहीं था। परिवादी द्वारा प्रश्नगत भूमि जिस पर तरबूज की खेती की बुआई की गयी है। उक्त भूमि किराये पर लेने का कोई अभिलेखीय साक्ष्य मय खसरा, खतौनी आदि भी उपलब्ध नहीं कराया है और जिला बागवानी अधिकारी तथा संबंधित विभाग की ऐसी कोई रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की गयी है जिससे यह सिद्ध हो कि प्रश्नगत तरबूज के बीज का खराब होने के कारण अंकुरण नहीं हुआ। जिला मंच द्वारा प्रश्नगत क्षति के संबंध में की गयी अवधारणा आधारहीन है और जिला मंच द्वारा अवधारित की गयी क्षतिपूर्ति का कोई आधार नहीं है तथा प्रश्नगत आदेश खण्डित होने योग्य है।
प्रतिउत्तरदाता की ओर से प्रश्नगत अपील का विरोध करते हुए अपना लिखित उत्तर दाखिल किया गया है जिसमें उसने अपने प्रतिवाद पत्र में लिए गए आरोपों की ही पुनरावृत्ति की है। प्रत्यर्थी द्वारा यह भी कथन किया गया है कि वह एक किसान है और बीज न उगने पर उसने निष्पक्ष साक्षी श्री तेजवीर सिंह एडवोकेट के साथ अपीलार्थी सं0-2 के पास जाकर बीज के खराब होने की शिकायत की थी और तेजबीर सिंह अधिवक्ता एवं गांव के अनेक लोगों की उपस्थिति में खेत का निरीक्षण किया था और वह स्वयं इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि बीज खराब होने की वजह से बीज अंकुरित नहीं हुआ। इसीलिए उसने बीज के खराब होने की शिकायत अपीलार्थी से की थी किन्तु अपीलार्थीगण ने आश्वासन देने के बावजूद कोई क्षपितूर्ति नहीं दी। अत: प्रश्नगत आदेश जिला मंच ने पारित करके कोई त्रुटि नहीं की है।
हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ताश्री नवीन तिवारी एवं स्वयं प्रत्यर्थी राजपाल सिंह की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन करने और उभय पक्षों को सुनने के बाद हम इस मत के हैं कि पत्रावली पर ऐसी कोई विशेषज्ञ रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है जिससे यह प्रकट होता हो कि प्रश्नगत बीज मानकों के अनुरूप नहीं था, इसलिए उसका अंकुरण नहीं हुआ। पत्रावली पर ऐसा कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जिससे यह स्पष्ट हो कि उसने गांव में किसी भूमि को किराए पर लिया था और उसका खसरा में नम्बर क्या था, उसका भूमि रिकार्ड क्या था और वह जिस व्यक्ति से कथित भूमि किराए पर लिया जाना बताया जाता है उसका कोई किरायानामा भी उपलब्ध नहीं है। बीज के खराब होने के संबंध में किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट का न होना भी परिवादी के कथन को संदेहास्पद बनाता है। पत्रावली पर जो रसीद बीज के क्रय करने के संबंध में प्रस्तुत की गयी है उस पर भी ओवरराईटिंग की गयी प्रतीत होती है, जो उसे संदेहास्पद बनाता है। जिला मंच ने प्रश्नगत मामले को बिना किसी आधार के स्वीकार करके त्रुटि की है। परिवादी द्वारा परिवाद में किए गए कथनों की कोई तथ्यात्मक पुष्टि नहीं होती है। अत: विद्वान जिला मंच द्वारा पारित आदेश निरस्त किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला मंच अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-९३/२०१२ राजपाल सिंह बनाम श्री जय प्रकाश गुप्ता व अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक २०/०५/२०१६ निरस्त किया जाता है। परिवाद पत्र भी निरस्त किया जाता है।
अपील व्यय के सम्बन्ध में कोई आदेश पारित नहीं किया जा रहा है।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(विजय वर्मा) (महेश चन्द)
पीठासीन सदस्य सदस्य
सत्येन्द्र, कोर्ट-५.