Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/1086

Magma Leasing Ltd - Complainant(s)

Versus

Rajeev Kant Guatam - Opp.Party(s)

R Chaddha

11 Dec 2017

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/1086
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Magma Leasing Ltd
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Rajeev Kant Guatam
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 11 Dec 2017
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील संख्‍या-1086/2011

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा परिवाद संख्‍या-29/2009 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.03.2011 के विरूद्ध)

 

Magma Leasing Limited, Having its regd office at; 24, Park Street, Kolkata-16, Interalia its Regional Office at A-193. Okhla Industrial estate, Phase-I, New Delhi 20.

                                      अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम्     

Rajeev Kant Gautam r/o village Barhan, Tehsil Etmadpur, District Agra.

                               प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से  : श्री राजेश चडढा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से    : श्री अमित शुक्‍ला, विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक 23.02.2018

 

मा0 श्री संजय कुमार, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह अपील, परिवाद संख्‍या-29/2009, राजीव कान्‍ता गौतम बनाम मैगमा फाइनेन्‍स लि0 व अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय आगरा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.03.2011 से क्षुब्‍ध होकर विपक्षीगण/अपीलार्थी की ओर से योजित की गयी है, जिसके अन्‍तर्गत जिला फोरम द्वारा निम्‍नवत् आदेश पारित किया गया है :-

'' परिवाद पत्र स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी से जो ब्‍याज की मांग की जा रही है उसे एतद्द्वारा निरस्‍त किया जाता है। इसके अतिरिक्‍त विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय के 30 दिवस के भीतर परिवादी को एन0ओ0सी0 निर्गत करें इसके अतिरिक्‍त बतौर परिवाद व्‍यय 1000/-रूपया भी उक्‍त अवधि में परिवादी को अदा करे। अवहेलना करने पर परिवादी परिवाद व्‍यय की धनराशि पर निर्णय की तिथि से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत की दर से ब्‍याज पाने का अधिकारी होगा। ''

प्रस्‍तुत प्रकरण के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने से टाटा ट्रक क्रय करने के लिए विपक्षीगण से दिनांक 15.06.2006 को रू0 1,80,000/- का ऋण लिया। उक्‍त ऋण दिनांक 15.06.2006 से 15.10.2008 तक रू0 9007/- मासिक की दर से 29 किस्‍तों में अदा करना था। परिवादी द्वारा उपरोक्‍त ऋण की समस्‍त धनराशि विपक्षीगण को अदा कर दी गयी, किन्‍तु विपक्षीगण ने एनओसी नहीं दी, जिसके कारण परिवादी अपने प्रश्‍नगत वाहन के बन्‍धक की डिक्री से मुक्ति का प्रमाण पत्र आरटीओ कार्यालय से प्राप्‍त करने से वंचित रहा। समस्‍त ऋण की राशि का भुगतान किये जाने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा रू0 33,528/- का ड्यूज परिवादी के विरूद्ध गैर कानूनी तरीके से दिखाया जा रहा है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी से रू0 5095/- गलत तरीके से वसूल कर लिये गये हैं, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रश्‍नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।

विपक्षीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष संयुक्‍त प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया, जिसमें उनके द्वारा कहा गया कि परिवादी ने समय से किस्‍तों का भुगतान नहीं किया है। विपक्षीगण के अभिलेखों के अनुसार परिवादी के विरूद्ध रू0 33,528/- की देयता बकाया है। परिवादी डिफाल्‍टर है। परिवादी द्वारा जो रू0 5095/- की धनराशि वापस चाही गयी है, उसका कोई आधार नहीं है। परिवादी किसी अनुतोष को पाने का अधिकारी नहीं है।

जिला फोरम द्वारा उभय पक्षों को सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखीय साक्ष्‍यों के आधार पर उपरोक्‍त आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.03.2011 पारित किया गया।

उक्‍त आक्षेपित आदेश के विरूद्ध यह अपील दायर की गई है।

अपील सुनवाई हेतु पीठ के समक्ष प्रस्‍तुत हुई। अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अमित शुक्‍ला उपस्थित हुए। उभय पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्‍ध अभिलेखों का गम्‍भीरता से परिशीलन किया गया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने मुख्‍य रूप से यह तर्क प्रस्‍तुत किया कि प्रत्‍यर्थी ने यह गलत आरोप लगाया है कि सम्‍पूर्ण ऋण का भुगतान कर दिया गया है तथा अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा नो ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है। नो ड्यूज सर्टिफिकेट निर्गत करने अथवा निर्गत न करने का विवाद उपभोक्‍ता विवाद नहीं है। परिवादी तथा पक्षकार के बीच कलकत्‍ता में समझौता निस्‍पादित हुआ है। इस प्रकार जिला फोरम द्वितीय आगरा को प्रश्‍नगत परिवाद की सुनवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। यह मामला अकाउटिंग से सम्‍बन्धित है। बकाया किस्‍तों, का ब्‍याज तथा विलम्‍ब से भुगतान पर ब्‍याज अधिरोपित है। सम्‍पूर्ण भुगतान हो जाने के उपरांत ही नो ड्यूज सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क किया कि कोई किश्‍त की रकम बकाया नहीं है। ब्‍याज पर ब्‍याज लगाया गया है, जो उचित नहीं है। यह मामला अकाउण्‍टिंग से सम्‍बन्धित नहीं है, बल्कि ब्‍याज से सम्‍बन्धित है। जिला फोरम ने जो निर्णय एवं आदेश पारित किया है, वह सही एवं उचित है।

आधार अपील एवं सम्‍पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्‍य विदित होता है कि परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षीगण से रू0 1,80,000/- का ऋण टाटा ट्रक क्रय करने के लिए लिया था। उक्‍त ऋण 29 मासिक किस्‍तों में रू0 9007/- के हिसाब से अदा होना था। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने 29वीं किश्‍त की धनराशि दिनांक 17.10.2008 को जमा की चुकी है, परन्‍तु ब्‍याज के रूप में 4,606/- रू0 दिखाया गया है। सम्‍पूर्ण भुगतान हो जाने के बाद भी ब्‍याज किस आधार पर लगाया गया है, इसका कोई स्‍पष्‍टीकरण नहीं दिया गया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने तर्क दिया कि किश्‍त का भुगतान न होने के कारण ब्‍याज लगाया गया है। ब्‍याज की धनराशि अदा होने पर एनओसी प्रमाण पत्र दिया जा सकता है। यह तर्क स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि  ऋण का सम्‍पूर्ण भुगतान हो जाने के बाद ब्‍याज लगाने का कोई औचित्‍य नहीं है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि यह मामला एकाउण्‍टिंग से सम्‍बन्धित है। यह तर्क भी स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है, क्‍योंकि इसमें विकास शुल्‍क से सम्‍बन्धित तथ्‍य कॉस्‍ट मूल्‍यांकन से सम्‍बन्धित मामला नहीं है। ब्‍याज की गणना से सम्‍बन्धित है, ब्‍याज की गणना किसी नियम अथवा सिद्धान्‍त पर आधारित नहीं है। अपीलार्थी की अपील में कोई बल नहीं है। अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

अपील निरस्‍त की जाती है।

पक्षकारान अपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

पक्षकारान को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

    

  (संजय कुमार)                        (महेश चन्‍द)

       पीठासीन सदस्‍य                             सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-4   

 
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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