राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-179/1997
(जिला उपभोक्ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-636/1995 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 31.10.1996 के विरूद्ध)
मै0 काइनेटिक हाण्डा मोटर लि0, नीता टावर्स, मुम्बई पूना रोड, दपोदी, पूने 411012 ।
अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1
बनाम्~
1. आर0पी0 गुप्ता (अधिवक्ता) मकान नं0-19/433, प्रेमियर नगर, अलीगढ़ (यू0पी0)।
2. मै0 अलीगढ़ आटोमोबाइल्स प्रेमियर नगर, अलीगढ़ (यू0पी0)।
प्रत्यर्थीगण/परिवादी/विपक्षी संख्या-2
समक्ष:-
1. माननीय श्री जितेन्द्र नाथ सिन्हा, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक 20.09.2016
माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रकरण पुकारा गया। वर्तमान अपील, विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की ओर से परिवाद संख्या-636/1995, आर0पी0 गुप्ता बनाम मै0 काइनेटिक हाण्डा मोटर लि0 व अन्य में जिला फोरम, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 31.10.1996 के विरूद्ध योजित की गयी है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विकास अग्रवाल उपस्थित हैं। पत्रावली के परिशीलन से प्रकट होता है कि वर्तमान प्रकरण में दिनांक 21.04.1997 को नोटिस पंजीकृत डाक के माध्यम से प्रत्यर्थीगण को भेजी गयी थी और पीठ द्वारा इस आशय का स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि दिनांक 28.04.1997 के लिए प्रत्यर्थीगण को नोटिस भेजी गयी है। ऐसी स्थिति में पुन: नोटिस भेजे जाने का कोई औचित्य नहीं है। दिनांक 28.04.1997 को भी प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया और आज भी कोई उपस्थित नहीं है। ऐसी स्थिति में प्रत्यर्थीगण पर सूचना पर्याप्त स्वीकार किया जाता है। वर्तमान अपील वर्ष 1997 से निस्तारण हेतु विचाराधीन है, अत: अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को विस्तार से सुना गया एवं उपलब्ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया।
-2-
प्रकरण के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 द्वारा प्रश्नगत स्कूटर क्रय की गयी थी और प्रश्नगत स्कूटर में खराबी आ गयी और स्पेयर पार्ट्स अथराइज्ड कम्पनी द्वारा ही उपलब्ध कराये जाने की बात कही गयी, परन्तु स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध नहीं कराये गये, जिसके फलस्वरूप परिवादी का स्कूटर क्रियाशील रहा। इस कारण क्षतिपूर्ति हेतु परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 द्वारा प्रश्नगत परिवाद जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी द्वारा जिला फोरम के समक्ष परिवाद का विरोध किया गया और यह अभिवचित किया गया कि परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 के स्कूटर में त्रुटि के निवारण हेतु अपीलार्थी द्वारा इंजीनियर को भेजा गया था, किन्तु परिवादी/प्रत्यर्थी संख्या-1 स्पेयर पार्ट्स को बदलवाने हेतु तैयार नहीं हुए। ऐसी स्थिति में विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की कोई सेवा में कमी नहीं है।
जिला फोरम द्वारा उभय पक्ष के अभिवचनों और उपलब्ध अभिलेखों पर विचार करते हुए यह निष्कर्ष दिया गया कि विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे यह प्रकट हो सके कि उन्होंने स्कूटर के पार्ट्स को बदलने के लिए कार्यवाही की थी। तदनुसार जिला फोरम ने विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी के विरूद्ध रू0 5000/- क्षतिपूर्ति हेतु आदेश पारित किया है।
उक्त वर्णित निर्णय/आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की ओर से वर्तमान अपील योजित की गयी है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने मुख्य रूप से सर्वप्रथम यह तर्क प्रस्तुत किया कि वर्तमान अपील में कम्पनी तीन भागों में बंट चुकी है और यह मामला किसके जिम्मे है, यह तथ्य स्पष्ट नहीं है। अत: इस आधार पर वर्तमान अपील स्वीकार की जाये एवं विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी की सेवा में कमी होना भी स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्क के परिप्रेक्ष्य में पत्रावली का परिशीलन किया गया और यह पाया गया कि विपक्षी संख्या-1/अपीलार्थी द्वारा स्पेयर पार्ट्स को बदले जाने हेतु क्या कार्यवाही की, इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस सन्दर्भ में जिला फोरम द्वारा दिये गये निष्कर्ष में किसी प्रकार की त्रुटि होना नहीं पाया जाता है। जहां तक कम्पनी के तीन भागों में बंट जाने की बात है। इस संदर्भ में इस स्तर पर कोई विचार किये जाने का कोई औचित्य नहीं है। अत: सम्पूर्ण परिशीलन के उपरान्त वर्तमान अपील में कोई बल नहीं है, अत: अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है।
(जितेन्द्र नाथ सिन्हा) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2