Uttar Pradesh

Chanduali

MA/37/2016

Babooram - Complainant(s)

Versus

Purvanchal Vidoot Vitaran Nigam Limited - Opp.Party(s)

Prdeep kumar

31 Dec 2016

ORDER

District Consumer Disputes Redressal Forum, Chanduali
Final Order
 
Miscellaneous Application No. MA/37/2016
In
00
 
1. Babooram
Goraiya Chandauli
Chandauli
UP
...........Appellant(s)
Versus
1. Purvanchal Vidoot Vitaran Nigam Limited
Chandauli
Chandauli
UP
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav PRESIDENT
 HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 31 Dec 2016
Final Order / Judgement

31-12-2016
    पत्रावली आदेशार्थ प्रस्तुत हुई।
    परिवादी  का परिवाद पत्र अर्न्तगत धारा 24क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पर उभय पक्ष के अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी है। पत्रावली का सम्यक रूपेण परिशीलन किया गया।
    परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षी विद्युत विभाग से साढे पांच हार्सपावर का कनेक्शन सिंचाई हेतु लिया था जिसका कनेक्शन संख्या 003430 है। दिनांक 30-12-2011 को विपक्षी के कर्मचारीगण पोल से केबिल,तार काटकर ले गये और परिवादी के कनेक्शन को विच्छेदित कर दिये तथा उसके साथ अभद्र व्यवहार किये जिसके सम्बन्ध में दिनांक 2-1-2012 को वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। परिवादी ने दिनांक 30-12-2011 से 12-3-2016 तक कई बार प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया एवं विच्छेदित विद्युत कनेक्शन को चालू करने तथा उपयोग की अवधि का बकाया बिल जमा करने का निवेदन किया लेकिन विपक्षीगण ने कोई कार्यवाही नही किये तब विवश होकर यह परिवाद दाखिल किया गया। परिवाद दाखिल करने में जानबूझकर कोई विलम्ब नहीं किया गया है और यदि कोई विलम्ब पाया जाय तो धारा 24 क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत बिलम्ब क्षमा करते हुए परिवाद को ग्रहण कर गुण-दोष पर सुनवाई की जाय। इस प्रार्थना पत्र के समर्थन में परिवादी बाबूराम का शपथ पत्र दाखिल किया गया है।
    इस प्रार्थना पत्र के विरूद्ध विपक्षी की ओर से आपत्ति दाखिल की गयी है जिसमे मुख्य रूप से यह कहा गया है कि परिवादी दिनांक 14-3-2011 को ओ0टी0एस0 योजना के तहत रू0 1000/- जमा किया था। नियमानुसार ओ0टी0एस0 स्कीम के तहत पैसा जमा करने के बाद शेष धनराशि यथाशीघ्र जमा करनी होती है जिसे परिवादी ने जमा नहीं किया है। परिवादी के परिवाद से ही स्पष्ट है कि उसका विद्युत कनेक्शन वर्ष 2011 में काटा गया है और परिवाद सन् 2016 में दाखिल किया गया है जो अत्यधिक बिलम्ब से है और बिलम्ब का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है। अतः यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 24 क(।।) के अनुसार पोषणीय नहीं है और कालबाधित है एवं निरस्त किये जाने योग्य है।
    उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्को को सुनने तथा पत्रावली के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि प्रस्तुत मामले में विपक्षी विद्युत विभाग द्वारा परिवादी का विद्युत कनेक्शन दिनांक 30-12-2011 को काटा गया है जबकि यह परिवाद दिनांक 3-6-2016 को दाखिल किया गया है अर्थात यह परिवाद विद्युत कनेक्शन काटे जाने से लगभग साढे चार वर्ष बाद दाखिल किया गया है जबकि विधि के अनुसार कोई भी परिवाद वाद कारण उत्पन्न होने के 2 वर्ष के भीतर ही दाखिल किया जा सकता है। धारा 24क(।।) के तहत फोरम को यह अधिकार दिये गये है कि यदि वह संतुष्ट हो और सम्यक कारण पाया जाय तो उपरोक्त अवधि के उपरान्त भी परिवाद की सुनवाई की जा सकती है जिसके लिए फोरम को कारण सहित आदेश करना होगा। उपरोक्त धारा के प्राविधानों के प्रकाश में यदि प्रस्तुत मुकदमें का मूल्यांकन किया जाय तो यह स्वीकृत तथ्य है कि परिवादी का विद्युत कनेक्शन दिनांक 30-12-2011 को काटा गया है और परिवाद उसके लगभग साढे चार वर्ष बाद दाखिल किया गया है। परिवादी ने अपने परिवाद पत्र अर्न्तगत धारा 24क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में यह कहा है कि दिनांक 30-12-2011 से लेकर दिनांक 12-3-2016 तक उसने कई बार प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया एवं विच्छेदित कनेक्शन को चालू करने तथा उपभोग की अवधि का बकाया जमा करने का निवेदन किया लेकिन विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी तब उसने यह परिवाद दाखिल किया लेकिन पत्रावली में परिवादी की ओर से ऐसा कोई साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो कि वह दिनांक 30-12-2011 से लेकर 16-3-2016 तक विद्युत कनेक्शन जोडवाने व बिल जमा करने हेतु लगातार प्रयास करता रहा है पत्रावली पर परिवादी की ओर से जो अभिलेख दाखिल किये गये है उनसे यह स्पष्ट होता है कि परिवादी ने केवल दिनांक 17-3-2012 को सूचना अधिकारी के समक्ष सूचना प्राप्त करने हेतु एक प्रार्थना पत्र दिया है इसके पूर्व उसने दिनांक 2-1-2012 को अधिशासी अभियन्ता को एक प्रार्थना पत्र दिया था इसके पश्चात उसके द्वारा कही कोई प्रार्थना दिये जाने का कोई साक्ष्य नहीं है। पुनः परिवादी द्वारा दिनांक 1-3-2016 को जन सूचना अधिकार के अर्न्तगत सूचना प्राप्त करने हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया है जिसका जबाब विपक्षी की ओर से दिनांक 30-4-2016 को दिया गया है जिसमे यह कहा गया है कि
2
 परिवादी ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिये गये प्रार्थना पत्र में जो कनेक्शन संख्या 003430 लिखा है वह सही नहीं है। सही कनेक्शन संख्या उपलब्ध कराने पर सूचना दी जा सकती है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि मार्च सन् 2012 में सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने का एक प्रार्थना पत्र देने के बाद 4 वर्ष तक परिवादी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी है और पुनः मार्च 2016 में सूचना प्राप्त करने हेतु जो प्रार्थना पत्र दिया गया है वह भी गलत दिया गया। इन 4 वर्षो तक परिवादी ने किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की हो इसका कोई साक्ष्य नहीं है। अतः वाद कारण के साढे चार वर्ष बाद जो परिवाद दाखिल किया गया है उसमें जो बिलम्ब हुआ है उसका कोई सम्यक कारण परिवादी की ओर से नहीं बताया गया है। 2001(।)सी.एल.टी.88,एम.टी.एन.एल. बनाम मोहिनी सेठी की विधि व्यवस्था में यह निर्धारित किया गया है कि जहॉं टेलीफोन कनेक्शन काटने के 3 वर्ष बाद परिवाद दाखिल किया गया हो तो वह परिवाद कालबाधित माना जायेगा। प्रस्तुत मामले में विद्युत कनेक्शन काटने के लगभग साढे चार वर्ष बाद परिवाद दाखिल किया गया है और बिलम्ब का कोई सम्यक कारण नहीं बताया गया है। अतः फोरम की राय में परिवादी को धारा 24क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का लाभ नहीं दिया जा सकता और उसका उपरोक्त परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है तद्नुसार उसका परिवाद भी निरस्त किये जाने योग्य है।
                                आदेश
    परिवादी का प्रार्थना पत्र अर्न्तगत धारा 24क(।।) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम निरस्त किया जाता है, एवं तद्नुसार परिवादी का परिवाद भी निरस्त किया जाता है। पत्रावली दा0द0 हो।

(लक्ष्मण स्वरूप)                                             (रामजीत सिंह यादव)
 सदस्य                                                        अध्यक्ष 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Ramjeet Singh Yadav]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Lachhaman Swaroop]
MEMBER

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.