राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 1766/2016
(सुरक्षित)
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 1001/2013 में पारित आदेश दि0 21.07.2016 के विरूद्ध)
M/s Chevrolet sales India private Limited Block-B, Chandrapura industrial Estate- Halol-389351 District Panchmahals, Gujrat, India.
……..Appellant
Versus
- Ms. Priyanka gupta D/o Late Sh. Pradeep kumar gupta R/o 292/117-127, Shahganj, Victoria street, Nakkhas, Lucknow.
- Manager, M/s Megha auto dealer(1) Pvt. Ltd. 10/CP/5 opp. Jagrani Hospital, Ring road, Vikas nagar, Lucknow.
………Respondents
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस0एस0 अख्तर,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अभय प्रताप सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 08.10.2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
परिवाद सं0- 1001/2013 सुश्री प्रियंका गुप्ता बनाम जनरल मैनेजर M/s Chevrolet sales India private Limited में जिला फोरम द्वितीय, लखनऊ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दि0 21.07.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद अंशत: स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
“परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0- 1 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि से चार सप्ताह के अन्दर परिवादिनी के प्रश्नगत वाहन को बदलकर उसे नया वाहन दें, यदि यह संभव न हो तो उक्त अवधि के अन्दर विपक्षी नं0- 1 परिवादिनी को वाहन की कीमत रू0 6,44000/- मय ब्याज दौरान वाद व आइंदा बशरह 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करें। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0- 1 परिवादिनी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु रू0 15000/- तथा रू0 5000/- वाद व्यय अदा करेंगे, यदि विपक्षी सं0- 1 उक्त निर्धारित अवधि के अन्दर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते हैं तो विपक्षी सं0- 1 को समस्त धनराशि पर ता अदायेगी तक 12 (बारह) प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा। परिवाद के दायित्वों से विपक्षी सं0- 2 को मुक्त किया जाता है।“
जिला फोरम के निर्णय और आदेश से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी M/s Chevrolet sales India private Limited ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0एस0 अख्तर और प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अभय प्रताप सिंह उपस्थित आये हैं।
हमने उभयपक्ष के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली और उभय पक्ष की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने उपरोक्त परिवाद जिला फोरम द्वितीय, लखनऊ के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसने एक कार Chevrolet Beat Top model, Diesel U.P.32 DZ 7799 दि0 01.12.2011 को 6,44,000/-रू0 की विपक्षी सं0- 2 से क्रय किया। परिवादिनी का कथन है कि उसने विपक्षी के विज्ञापन जिसमें उक्त कार का एवरेज 25.4 किलोमीटर प्रति लीटर बताया गया था से प्रभावित होकर उक्त कार क्रय किया, परन्तु कार बताया गया एवरेज नहीं दे रही थी। अत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने शिकायत सर्विस सेन्टर में किया। उसके बाद कार की प्रथम सर्विस सेंटर द्वारा दि0 21.04.2012 को की गई। पुन: परिवादिनी ने सर्विस सेंटर में शिकायत दि0 14.07.2012 को की और बताया कि वाहन में एवरेज, कूलिंग और स्टार्टिंग समस्या है, फिर भी उसकी समस्या जस की तस बनी रही।
परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी का कथन है कि वाहन में गम्भीर निर्मार्णीय त्रुटि थी। परिवादिनी ने विपक्षी को काफी समय दिया, परन्तु कार के एवरेज की समस्या जस की तस बनी रही।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनी का कथन है कि विपक्षी/कम्पनी से झूठे इश्तहार से वह फंसी है, अत: विवश होकर उसने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है और वाहन बदलकर नया वाहन दिलाये जाने की मांग की है। साथ ही मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति मांगा है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी सं0- 1 और विपक्षी सं0- 2 दोनों ने लिखित कथन प्रस्तुत किया है। विपक्षी सं0- 1 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि यह कहना गलत है कि वाहन का माइलेज 25.4 किलोमीटर नहीं है। यह माइलेज अधिकृत टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा बताया गया है। माइलेज रोड की स्थिति, वाहन की देखरेख, चालक के वाहन के चलाने के तरीके आदि पर आधारित होती है। लिखित कथन में विपक्षी सं0- 1 की ओर से कहा गया है कि उसकी सेवा में कोई कमी नहीं है।
विपक्षी सं0- 2 ने अपने लिखित कथन में कहा है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी का प्रश्नगत वाहन चौदह बार मरम्मत हेतु उसके यहां आया है जिसमें चार बार दुर्घटनाग्रस्त होकर वाहन वर्कशाप में मरम्मत हेतु आया है। विपक्षी सं0- 2 ने प्रत्यर्थी/परिवादिनी के वाहन को ठीक करने की पूरी कोशिश किया और आवश्यक पार्ट बदले। दि0 29.11.2014 को रोड टेस्ट भी हुआ। परिवादिनी रोड टेस्ट की रिपोर्ट से संतुष्ट थी। लिखित कथन में विपक्षी सं0- 2 ने कहा है कि वारण्टी अवधि के अनुसार जो भी आवश्यक पार्टस बदलने लायक थे वह बदल दिये गये हैं।
जिला फोरम ने उभयपक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार करने के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के प्रश्नगत वाहन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि है जिसके लिए निर्माता कम्पनी विपक्षी सं0- 1 उत्तरदायी है। अत: जिला फोरम ने परिवाद विपक्षी सं0- 1 के विरुद्ध आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आदेश उपरोक्त प्रकार से पारित किया है और विपक्षी सं0- 2 को दायित्व से मुक्त कर दिया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरुद्ध है। जिला फोरम ने बिना किसी उचित आधार के वाहन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि माना है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि वाहन में कोई निर्माण सम्बन्धी त्रुटि नहीं है। जिला फोरम का निर्णय त्रुटिपूर्ण है, अत: निरस्त किये जाने योग्य है।
प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत वाहन का एवरेज घोषित 25.4 किलोमीटर एवरेज से बहुत कम है। अत: यह मानने हेतु उचित और युक्ति संगत आधार है कि वाहन निर्माण में त्रुटि है। प्रत्यर्थी/परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य एवं विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
प्रश्नगत वाहन का एवरेज अपीलार्थी निर्माता कम्पनी द्वारा घोषित एवरेज से कम है और वाहन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि है। इसके निर्णय हेतु वाहन का परीक्षण सम्बन्धित क्षेत्र के विशेषज्ञ व्यक्ति या संस्था से कराकर विशेषज्ञ आख्या आवश्यक है, परन्तु जिला फोरम ने मात्र अनुमान एवं आंकलन और प्रत्यर्थी/परिवादिनी के शपथ-पत्र के आधार पर माना है कि वाहन का एवरेज कम है और वाहन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि है। अत: जिला फोरम का निर्णय आधार युक्त नहीं है और दोषपूर्ण है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर हम इस मत के हैं कि जिला फोरम का निर्णय अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाए कि जिला फोरम वाहन के एवरेज व निर्माण सम्बन्धी त्रुटि के लिए इस क्षेत्र के विशेषज्ञ व्यक्ति या संस्था से धारा 13(4) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वाहन का परीक्षण कराकर रिपोर्ट प्राप्त करे और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्य व सुनवाई का अवसर देकर पुन: निर्णय विधि के अनुसार पारित करे।
:- आदेश :-
अपील स्वीकार की जाती है। जिला फोरम का निर्णय व आदेश अपास्त करते हुए पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश से प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिला फोरम धारा 13(4) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत वाहन का परीक्षण सम्बन्धित क्षेत्र के विशेषज्ञ व्यक्ति या संस्था से कराकर वाहन के एवरेज व निर्माण सम्बन्धित त्रुटि के सम्बन्ध में आख्या प्राप्त करे और उसके बाद उभय पक्ष को साक्ष्य व सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय व आदेश पारित करे।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपील में जमा धनराशि ब्याज सहित अपीलार्थी को वापस की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1