Uttar Pradesh

StateCommission

A/3102/2017

Sanjeet Sony - Complainant(s)

Versus

Prem Nath Pandey - Opp.Party(s)

Vaibhav Raj

27 Aug 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/3102/2017
( Date of Filing : 14 Nov 2017 )
(Arisen out of Order Dated 22/07/2017 in Case No. C/98/2016 of District Sonbhadra)
 
1. Sanjeet Sony
S/O Sri Ayodhya Prasad Soni R/O Vill. and pot Beejpur P.S. Beejpur Distt. Sonbhadra
...........Appellant(s)
Versus
1. Prem Nath Pandey
S/O Sri Hari Shankar Pandey R/O Barwatola Post Baxhra P.S. Banni Tehsil Dudhi Distt. Sonbhadra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 27 Aug 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-3102/2017

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्‍या 98/2016 में पारित आदेश दिनांक 22.07.2017 के विरूद्ध)

संजीत सोनी पुत्र अयोध्‍या प्रसाद सोनी निवासी ग्राम व पोस्‍ट बीजपुर, थाना बीजपुर, जिला सोनभद्र प्रोपराइटर डी0जे0 साउण्‍ड रोड लाइट एवं फलोर डी0जे0 पुनर्वास प्रथम, डोडहर मोड, बीजपुर, पोस्‍ट आफिस बीजपुर, जिला सोनभद्र उ0प्र0         ...................अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

प्रेमनाथ पाण्‍डेय पुत्र हरिशंकर पाण्‍डेय निवासी मौजा बरवाटोला, पोस्‍ट आफिस बचरा, थाना बभनी, तहसील दुद्धी, जिला सोनभद्र उ0प्र0

                                  ..................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री वैभव राज,                                     

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : श्री हरेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव,

                          विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 27-08-2018

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

परिवाद संख्‍या-98/2016 प्रेमनाथ पाण्‍डेय बनाम संजीत सोनी में जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, सोनभद्र द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 22.07.2017 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के  समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया                है:-

 

 

 

-2-

''परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध ऑंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को आर्थिक व सामाजिक प्रतिष्‍ठा में हुयी क्षति के लिये                    मु0.15,000/-रू0 का भुगतान करे। मानसिक क्षति के रूप में                मु0.3,000/-रू0 व वाद व्‍यय के रूप में मु0.2,000/-रू0 का भुगतान विपक्षी, परिवादी को करें। उपरोक्‍त आदेश का पालन एक माह में किया जावे। ''

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी संजीत सोनी ने यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री वैभव राज और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री हरेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव उपस्थित आए हैं।

हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार हैं कि  प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि दिनांक 26.04.2016 को उसने अपनी दो बेटियों की शादी के लिए अपीलार्थी/विपक्षी के यहॉं टेन्‍ट, डी0जे0 साउण्‍ड, रोड लाइट एवं डेकोरेशन सामग्री दिनांक 05.04.2016 को बुक किया और 26,000/-रू0 अग्रिम धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी को दिया। अपीलार्थी/विपक्षी ने इस सेवा के लिए कुल धनराशि 50,500/-रू0 तय किया, जिसमें उसने उपरोक्‍त धनराशि 26,000/-रू0 दो तिथि में अर्थात् 11,000/-रू0 दिनांक 05.04.2016 को और 15,000/-रू0 दिनांक 11.04.2016 को अपीलार्थी/विपक्षी को अदा किया। उसके बाद शादी की निश्चित तिथि पर अपीलार्थी/विपक्षी निर्धारित समय पर डी0जे0 एवं रोड लाइट लेकर नहीं पहुँचा। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने काफी दौड़-धूप की और जब प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने अपीलार्थी/विपक्षी से मोबाइल पर सम्‍पर्क किया तो उन्‍होंने तुरन्‍त अविलम्‍ब डी0जे0 एवं रोड लाइट भेजने  का  आश्‍वासन  दिया,  परन्‍तु  डी0जे0   एवं   रोड   लाइट

 

 

-3-

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के द्वार पर निश्चित समय पर नहीं पहुँचाया गया। अपीलार्थी/विपक्षी ने डी0जे0 एवं रोड लाइट प्रत्‍यर्थी/परिवादी के घर 10 बजे रा‍त्रि के बाद भेजा जब डी0जे0 एवं रोड लाइट के बिना ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वार पूजा का कार्यक्रम सम्‍पन्‍न करा चुका था।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि डी0जे0 एवं रोड लाइट अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उपलब्‍ध न कराए जाने के कारण उसके सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा को ठेस पहुँची है। इतना ही नहीं वर पक्ष वालों की भी बेईज्‍जती हुई है, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी की बेटियों की शादी टूटने के कगार पर आ गयी।

परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने करार के अनुसार डी0जे0 एवं रोड लाइट की सेवा समय से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को उपलब्‍ध न कराकर सेवा में कमी की है। अत: उसने परिवाद अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

अपीलार्थी/विपक्षी ने जिला फोरम के समक्ष लिखित कथन प्रस्‍तुत कर कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने दिनांक 05.04.2016 को बुकिंग कराते समय 10,000/-रू0 दिया था, जबकि प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बुकिंग के समय कुल सामान के चार्ज 35,501/-रू0 का 75 प्रतिशत बुकिंग के समय अर्थात् 26,625/-रू0 देना था।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 16,625/-रू0 दिनांक 11.04.2016 तक देने को कहा, परन्‍तु उसने नहीं दिया।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि उसने तय समय के अनुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी के यहॉं उपस्थित होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी की लड़कियों की शादी में अपनी सेवा उपलब्‍ध करायी है। द्वार पूजा के दौरान जनरेटर में डीजल भराने के सम्‍बन्‍ध में दोनों में विवाद हुआ है, परन्‍तु बाद में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा डीजल भराया गया है और शादी कुशलपूर्वक सम्‍पन्‍न हुई है।

लिखित कथन में अपीलार्थी/विपक्षी ने कहा है कि शादी सम्‍पन्‍न

 

 

-4-

होने के बाद अवशेष धनराशि 25,500/-रू0 की मांग उसने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से किया तो उसने तत्‍काल पैसा देने में असमर्थता व्‍यक्‍त की और कहा कि वह स्‍वयं आकर हिसाब कर देगा, परन्‍तु उसने उसकी अवशेष धनराशि 25,500/-रू0 अदा नहीं की। तब अपीलार्थी/विपक्षी ने शिकायती प्रार्थना पत्र थाना में प्रस्‍तुत किया तो थाना की पुलिस ने बुलाकर उभय पक्षों के बीच सुलह समझौता करा दिया और प्रत्‍यर्थी/परिवादी को निर्देशित किया कि वह शेष रूपया अपीलार्थी/विपक्षी को एक सप्‍ताह के अन्‍दर अदा कर थाना को सूचित करे। उसके बाद प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने यह धनराशि अदा करने से बचने हेतु झूठे कथन के साथ परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त यह निष्‍कर्ष अंकित किया है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने बुकिंग की शर्तों के अनुसार सामान न भेजकर सेवा में कमी की है। अत: जिला फोरम ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए उपरोक्‍त प्रकार से आदेश पारित किया है।

अपीलार्थी/‍विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने पुलिस के समक्ष सुलहनामा हस्‍ताक्षरित किया है और 8000/-रू0 अपीलार्थी/विपक्षी को देना स्‍वीकार किया है, परन्‍तु बाद में यह धनराशि अपीलार्थी/विपक्षी को देने से बचने के उद्देश्‍य से परिवाद झूठे कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है। इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

अपीलार्थी/‍विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने बहस के समय अपील की पत्रावली का संलग्‍नक-4, जो कथित रूप से पुलिस द्वारा उभय पक्ष के बीच कराये गये समझौतानामा की प्रति  है,  पर  हमारा

 

 

-5-

ध्‍यान आकर्षित किया है। हमने इस सुलहनामे को पढ़ा है। इस सुलहनामे में स्‍पष्‍ट उल्‍लेख है कि तयशुदा के मुताबिक सामग्री न पहुँचने पर दोनों पक्ष में आपस में कहासुनी हो गयी। अत: जिला फोरम का यह निष्‍कर्ष उचित और आधार युक्‍त है कि अपीलार्थी/विपक्षी ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी की बेटियों की शादी में तयशुदा सामान उपलब्‍ध कराने में चूक की है और सेवा में कमी की है। अत: हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो अपीलार्थी/विपक्षी से प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आर्थिक व सामाजिक प्रतिष्‍ठा की क्षति हेतु क्षतिपूर्ति दिलायी है वह उचित है। जिला फोरम ने आर्थिक व सामाजिक प्रतिष्‍ठा की क्षति हेतु क्षतिपूर्ति 15,000/-रू0 दिलाया है, जो हमारी राय में अधिक है। उसे कम कर 10,000/-रू0 किया जाना उचित है।

जिला फोरम ने जो 3000/-रू0 मानसिक कष्‍ट हेतु क्षतिपूर्ति हेतु और 2000/-रू0 वाद व्‍यय प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया है वह उचित है। उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को आर्थिक व सामाजिक प्रतिष्‍ठा की क्षति हेतु प्रदान की गयी क्षतिपूर्ति की धनराशि  15,000/-रू0 को संशोधित कर 10,000/-रू0 किया जाता है। जिला फोरम के निर्णय का शेष अंश यथावत् कायम रहेगा।  

उभय पक्ष अपील में अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्‍तर्गत जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

 

       (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)          (महेश चन्‍द)      

           अध्‍यक्ष                   सदस्‍य                      

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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