(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2984/2002
दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी
बनाम
मै0 प्रताप पुर सुगर इण्डस्ट्रीज लिमिटेड
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आशुतोष कुमार सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री एस.बी. श्रीवास्तव,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 03.07.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-149/2000, प्रताप पुर सुगर इण्डस्ट्रीज लि0 बनाम दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी तथा अन्य में विद्वान जिला आयोग, देवरिया द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.11.2002 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने बीमा पालिसी के आधार पर परिवादी का धन गायब होने पर अंकन 3,39,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति अदा करने का आदेश पारित किया है, इस धनराशि पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी अधिरोपित किया है।
2. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आशुतोष कुमार सिंह तथा प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.बी. श्रीवास्तव को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जिस कर्मचारी के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट धन के गबन के संबंध में लिखाई
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गई है, उस रिपोर्ट के आधार पर अभी तक यह निष्कर्ष किसी सक्षम न्यायालय द्वारा नहीं दिया गया है कि वह यथार्थ में उत्तरदायी है या नहीं, परन्तु चूंकि प्रथम सूचना रिपोर्ट के संबंध में दण्ड न्यायालय द्वारा निष्कर्ष केवल अपराधिक दायित्व के संबंध में दिया जा सकता है। सिविल दायित्व के संबंध में निष्कर्ष दण्ड न्यायालय द्वारा नहीं दिया जा सकता।
4. विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में साक्ष्य की व्याख्या के आधार पर यह निष्कर्ष दिया है कि अभियुक्त प्रमोद कुमार मिश्रा, जिसके विरूद्ध धन की चोरी का आरोप है, के घर से अंकन 1,61,000/-रू0 बरामद हुए हैं, जबकि कुल बीमा राशि अंकन 05 लाख रूपये थी, इसलिए इस बरामद राशि को घटाते हुए अवशेष राशि अंकन 3,39,000/-रू0 अदा करन का आदेश दिया गया है। इस निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार प्रतीत नहीं होता है, परन्तु इस राशि पर ब्याज अत्यधिक उच्च दर (12 प्रतिशत) से दिलायी गयी है। अत: ब्याज दर 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर से सुनिश्चित किया जाना विधिसम्मत है। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.11.2002 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी को देय राशि पर ब्याज 12 (बारह) प्रतिशत के स्थान पर 07 (सात) प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज की दर से देय होगा। शेष निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
पक्षकार अपना-अपना व्यय स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
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आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3