Uttar Pradesh

StateCommission

R/2009/30

Bareilly Development Authority - Complainant(s)

Versus

Pramod Kumar Agarwal - Opp.Party(s)

D Mehrotra, Sri V.P. Srivastava

20 Sep 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. R/2009/30
( Date of Filing : 25 Feb 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Bareilly Development Authority
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Pramod Kumar Agarwal
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Sep 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

पुनरीक्षण संख्‍या-30/2009

सेक्रेटरी बरेली विकास प्राधिकरण बरेली।             .....पुनरीक्षणकर्ता

बनाम

प्रमोद कुमार अग्रवाल पुत्र श्री प्रेम प्रकाश अग्रवाल निवासी 3/13,

केसेरा लाइन्‍स, राम नगर(नैनीताल)                     .....प्रत्‍यर्थी

समक्ष:-

1. मा0 श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 श्रीवास्‍तव, विद्वान

                              अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     : सुश्री भावना गुप्‍ता, विद्वान

                             अधिवक्‍ता।

दिनांक 26.10.2021

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.   यह पुनरीक्षण आवेदन निष्‍पादन वाद संख्‍या 65/2008 में पारित आदेश दिनां 20.01.2009 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया है। इस आदेश द्वारा निर्णीत ऋणी को आदेशित किया गया है कि वह दीनदयाल पुरम आवासीय योजना के अंतर्गत 432 वर्ग मीटर का प्‍लाट डिक्री होल्‍डर को आवंटित करें और शेष रकम उससे प्राप्‍त करें।

2.   इस आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि पुनरीक्षणकर्ता द्वारा दिनांक 17.01.2009 को अंकन रू. 12795/- का चेक प्रस्‍तुत किया जा चुका है, जिसमें परिवादी द्वारा जमा की राशि रू. 3500/- तथा 9 प्रतिशत ब्‍याज की धनराशि शामिल है।

3.   दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस को सुना गया। प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश का अवलोकन किया गया।

4.   परिवाद संख्‍या 91/99 प्रमोद कुमार अग्रवाल बनाम सचिव, बरेली विकास प्राधिकरण, बरेली में पारित निर्णय व आदेश के अनुसार जिला

-2-

उपभोक्‍ता मंच द्वारा 2 आदेश पारित किए गए हैं, प्रथम परिवादी को वर्तमान दर पर भूखंड आवंटित किया जाए। द्वितीय यदि परिवादी इच्‍छुक न हो तब परिवादी को उसके द्वारा जमा की गई राशि जमा करने की तिथि से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित वापस लौटाई जाए।

5.   पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि जिला उपभोक्‍ता मंच बरेली द्वारा पारित आदेश अंतिम है। इस आदेश को कोई चुनौती नहीं दी गई, इसीलिए डिक्रीधारक डिक्री का निष्‍पादन कराने के लिए अधिकृत है और डिक्री के निष्‍पादन की प्रथम शर्त यह है‍ कि परिवादी के पक्ष में दीनदयाल आवासीय योजना के अंतर्गत भूखंड आवंटित किया जाए। इसी आदेश के अनुसार निष्‍पादन आवेदन में आदेश पारित किया गया है, जिसमें कोई अवैधानिकता नहीं है।

6.   प्राधिकरण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि पंजीकरण कराने मात्र से कोई व्‍यक्ति उपभोक्‍ता नहीं हो जाता, इसलिए एैसे व्‍यक्ति के पक्ष में भूखंड आवंटित करने का आदेश जारी नहीं किया जा सकता।

7.   यह सही है कि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित निर्णय/आदेश को प्राधिकरण की ओर से चुनौती नहीं दी गई है, परन्‍तु विधि की यह स्थिति स्‍पष्‍ट है कि पंजीकरण धनराशि जमा कराने मात्र से कोई भी व्‍यक्ति प्राधिकरण से भूखंड आवंटित कराने के लिए अधिकृत नहीं हो जाता। पुनरीक्षणीय न्‍यायालय को निष्‍पादन आवेदन में पारित आदेश की वैद्यता के बिन्‍दु पर विचार करने का अधिकार प्राप्‍त है। चूंकि परिवादी के पक्ष में कोई भूखंड आवंटित नहीं हो पाया है, निष्‍पादन आवेदन में भूखंड आवंटित करने का आदेश पारित नहीं किया जा सकता। यद्यपि निर्णय में यह आदेश मौजूद है, परन्‍तु यह आदेश विधि विरूद्ध है। परिवादी केवल पंजीकरण की

-3-

धनराशि ब्‍याज सहित वापस प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत है। जिला उपभोक्‍ता मंच के लिए आवश्‍यक था कि निष्‍पादन की कार्यवाही के दौरान भी केवल परिवादी द्वारा जमा की राशि ब्‍याज सहित वापस करने का आदेश दिया जाता न कि भूखंड को आवंटित करने का।

8.   एक वैधानिक प्रश्‍न यह उठ सकता है कि परिवाद पत्र के आधार पर पारित निर्णय/आदेश को अपील में चुनौती न देने के कारण वह निर्णय अंतिम हो चुका है, इसलिए इस निर्णय के अनुपालन में प्रस्‍तुत किए गए निष्‍पादन आवेदन पर पारित आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती, परन्‍तु चूंकि जिला उपभोक्‍ता मंच द्वारा पारित यह निर्णय विधि विरूद्ध है कि परिवादी के पक्ष में प्राधिकरण द्वारा भूखंड आवंटित किया जाए, इसलिए विधि विरूद्ध निर्णय का प्रभाव शून्‍य श्रेणी का है, अत: इस निर्णय के कारण प्रस्‍तुत किए गए निष्‍पादन आवेदन पर पारित आदेश को इस पीठ के समक्ष चुनौती दी जा सकती है। चूंकि परिवादी के पक्ष में भूखंड आवंटन का आदेश विधि विरूद्ध है तथा शून्‍य प्रभावकारी है, इसलिए निष्‍पादन में भूखंड आवंटित करने का आदेश भी शून्‍य एवं निष्‍प्रभावी है, अत: पुनरीक्षण आवेदन स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

9.   पुनरीक्षण स्‍वीकार किया जाता है। निष्‍पादन वाद पर पारित आदेश अपास्‍त किया जाता है। पुनरीक्षणकर्ता को निर्देशित किया जाता है कि परिवादी को निर्णय की तिथि से एक माह के अंदर उसके द्वारा जमा की गई राशि अंकन रू. 3500/- 9 प्रतिशत ब्‍याज के साथ गणना करते हुए अदा करें। जिस दिन चेक बनाया जा रहा है उस दिन तक के ब्‍याज की गणना की जाए। यदि एक माह के अंदर अद्यतन ब्‍याज की गणना करते

 

-4-

हुए परिवादी को धनराशि वापस लौटाई जाती तब प्राधिकरण द्वारा 18 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से परिवादी द्वारा जमा की गई राशि पर ब्‍याज देय होगा।

     उभय पक्ष अपना-अपना पुनरीक्षण व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की

 वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

         

       (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                 सदस्‍य                             सदस्‍य

 

निर्णय आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

        (राजेन्‍द्र सिंह)                      (सुशील कुमार)                                                                                                                                                  सदस्‍य                             सदस्‍य         

राकेश, पी0ए0-2

कोर्ट-2

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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