Uttar Pradesh

StateCommission

C/2013/199

U P Jal Nigam - Complainant(s)

Versus

Post Office - Opp.Party(s)

Suresh Kumar Tiwari

31 Aug 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2013/199
( Date of Filing : 24 Dec 2013 )
 
1. U P Jal Nigam
a
...........Complainant(s)
Versus
1. Post Office
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 31 Aug 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-199/2013

(मौखिक)

उत्‍तर प्रदेश जल निगम कानपुर द्वारा मुख्‍य अभियंता कानपुर क्षेत्र बेना झाबर रोड कानपुर।

                                              ........................परिवादी

बनाम

1. डाइरेक्‍टर जनरल डाइरेक्‍ट्रेट, डाक भवन संसद मार्ग नई दिल्‍ली-110001

2. डेस्‍क आफिसर, डाकभवन संसद मार्ग नई दिल्‍ली 110001

3. पोस्‍ट मास्‍टर जनरल कानपुर डाक विभाग।

4. प्रवर अधीक्षक, डाकघर कानपुर।

5. डाकपाल नवाबगंज कानपुर।

                                          ...................विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : डॉ0 उदय वीर सिंह के सहयोगी                                               

                            श्री श्रीकृष्‍ण पाठक,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 31.08.2021

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत परिवाद उत्‍तर प्रदेश जल निगम कानपुर द्वारा मुख्‍य अभियंता कानपुर क्षेत्र बेना झाबर रोड कानपुर द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख अन्‍तर्गत धारा 12 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्‍तुत किया गया। उक्‍त परिवाद में परिवादी उत्‍तर प्रदेश जल निगम द्वारा निम्‍न अनुतोष प्रदान किये जाने की प्रार्थना की:-

क- यह कि परिवादी को विपक्षीगण से जारी किये गये किसान विकास पत्रों का परिपक्‍वता मूल्‍य 53,78,378/- दिनांक 1/06/2006 तक दिलाये जाये एवं दिनांक 01.06.2006 से भुगतान तिथि तक 12 प्रतिशत ब्‍याज उक्‍त धनराशि 53,78,378/- पर दिनांक 10/04/2010 तक दिलाया जाये जिसमें मूल निवेश धनराशि का भुगतान 28,70,000/- विपक्षीगणों द्वारा अदा किये

 

 

-2-

जाने की तिथि 10/04/2010 को घटाकर दिलाया जाये।

ख- यह कि परिवादी को विपक्षीगण द्वारा वाद व्‍यय एवं अधिवक्‍ता फीस के रूप में 25000/-रूपये का भुगतान दिलाया जाये एवं परिवादी के विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को हुये आर्थिक क्षति एवं परिवादी को हुये मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के लिये 1,00,000/-रू0 दिलाया जाये।

ग- यह कि अन्‍य अनुतोष जो माननीय न्‍यायालय उचित समझे परिवादी के हक में विपक्षीगण के विरूद्ध आदेश पारित करने की कृपा करें।

     प्रस्‍तुत परिवाद दिसम्‍बर, 2013 से लम्बित है, जिसमें प्रारम्‍भ में               श्री एस0के0 तिवारी परिवादी की ओर विद्वान अधिवक्‍ता के रूप में उपस्थित हुए। तदोपरान्‍त अनेकों तिथियों पर परिवादी के अधिवक्‍ता की ओर से परिवाद स्‍थगित कराया गया। यद्यपि विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्‍तुत परिवाद योजित किया गया, परन्‍तु दिनांक 14.07.2014 को सुनवाई के समय उपरोक्‍त विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र की सुनवाई हेतु परिवादी के अधिवक्‍ता अनुपस्थित रहे। दिनांक 13.08.2014 को इस न्‍यायालय द्वारा उपरोक्‍त परिवाद को अस्‍वीकार किया गया। निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.08.2014 के विरूद्ध परिवादी द्वारा माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के सम्‍मुख प्रथम अपील संख्‍या-1229/2014 योजित की गयी, जो कि माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिनांक 20.01.2020 को अन्तिम रूप से निर्णीत की गयी तथा वाद को इस न्‍यायालय के सम्‍मुख प्रतिप्र‍ेषित किया गया। उक्‍त प्रतिप्रेषण आदेश के अनुपालन में प्रस्‍तुत परिवाद पुनर्जीवित हुआ तथा उभय पक्ष के अधिवक्‍तागण को नोटिस जारी किया गया। तदोपरान्‍त अगली   ति‍थि दिनांक 03.03.2020 को विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदय वीर‍ सिंह द्वारा अपना वकालतनामा प्रस्‍तुत किया गया, परन्‍तु अगली निश्चित तिथि दिनांक 01.07.2020 को परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ तथा विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदय वीर सिंह के सहयोगी अधिवक्‍ता उपस्थित हुए। अनेकों तिथियों पर परिवाद स्‍थगित होता रहा। परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अन्‍ततोगत्‍वा परिवाद को दिनांक 31.08.2021 को सूचीबद्ध करने हेतु आदेशित किया गया। परिवाद पुकारा गया। परिवादी के विद्वान  अधिवक्‍ता

 

 

-3-

अनुपस्थित रहे। विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता डॉ0 उदय वीर सिंह के कनिष्‍ठ सहयोगी श्री श्रीकृष्‍ण पाठक उपस्थित हुए।

     संक्षेप में परिवाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी उत्‍तर प्रदेश जल निगम कानपुर द्वारा मुख्‍य अभियंता कानपुर ने विपक्षीगण से अपने कार्यालय/विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के जी0पी0एफ0 के मद में जमा धनराशि को पुन: डाकपाल नवाबगंज कानपुर में किसान विकास पत्र के माध्‍यम से जमा करते हुए उपरोक्‍त किसान विकास पत्र की खरीद की, जिनका विवरण परिवाद पत्र में वर्णित है। विपक्षी द्वारा उपरोक्‍त निवेशित धनराशि के विरूद्ध किसान विकास पत्र परिवादी के नाम से जारी किये गये तथा उनके उक्‍त खरीदे गये किसान विकास पत्र कुल मु0 21,11,600/-रू0 के विरूद्ध परिपक्‍वता धनराशि कुल 39,57,138/-रू0 की देयता मांगी।

     उपरोक्‍त जमा धनराशि की परिपक्‍वता होने के उपरान्‍त परिवादी द्वारा विपक्षी से उक्‍त देय धनराशि हेतु भुगतान देने का आग्रह किया। साथ ही देय ब्‍याज की मांग की, परन्‍तु प्रवर अधीक्षक डाकघर नगर कानपुर द्वारा पत्र जारी किया गया, जिसके द्वारा यह अवगत कराया गया कि परिवादी को जमा की गयी धनराशि का भुगतान ही प्रदान किया जायेगा न कि परिपक्‍वता मूल्‍य का भुगतान प्राप्‍त कराया जायेगा। उक्‍त सम्‍बन्‍ध में परिवादी द्वारा पत्रांक सं0 7239/ए सी/298 दिनांकित 14.06.2006 के द्वारा प्रवर अधीक्षक कानपुर को ब्‍याज सहित भुगतान हेतु प्रस्‍तुत किया गया, जिसमें यह उल्लिखित किया गया कि परिवादी के पूर्व अधिकारी द्वारा दिनांक 19.04.2000 को खरीदे गये किसान विकास पत्रों एवं दिनांक 31.05.2000 को खरीदे गये किसान विकास पत्रों में निवेशित कुल धनराशि 28,70,000/-रू0 की परिपक्‍वता तिथि के उपरान्‍त प्राप्‍त की जाने वाली धनराशि कुल 53,78,378/-रू0 विपक्षीगण द्वारा देय है। परिवादी को प्रवर अधीक्षक डाकघर नगर कानपुर मण्‍डल कानपुर के पत्र दिनांक 31.01.2008 के द्वारा सूचित किया गया कि आपके द्वारा निवेशित उपरोक्‍त धनराशि के विरूद्ध जारी किसान विकास पत्रों के सम्‍बन्‍ध में जो पत्राचार किया गया है उसके सन्‍दर्भ में अग्रिम आदेश सम्‍पूर्ण विवरण सहित डाक निदेशालय नई दिल्‍ली से अपेक्षित था, जिसके अनुसार निदेशालय  द्वारा  अवगत  कराया

 

 

-4-

गया है कि जो धन जमा किया गया है वह उत्‍तर प्रदेश जल निगम, जो कि एक सरकारी संस्‍था है, द्वारा जमा किया गया है तथा जो किसान विकास पत्र जारी किये गये हैं वे चीफ इंजीनियर यू0पी0 जल निगम कानपुर                    श्री धर्मपाल अग्रवाल (एच0यू0एफ0), श्री हरबंस सिंह (एच0यू0एफ0) एवं      श्री रवि कुमार एण्‍ड सन्‍स (एच0यू0एफ0) के नाम से जारी किये गये हैं, जिसमें चीफ इंजीनियर यू0पी0 जल निगम कानपुर के नाम से जारी किसान विकास पत्र में जो धनराशि वापस की जावेगी वह मूल जमा धनराशि ही वापस की जावेगी न कि उस पर अर्जित ब्‍याज।

उक्‍त सन्‍दर्भ में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा हमारा ध्‍यान संलग्‍नक-9 की ओर आकर्षित किया गया, जो कि मिनिस्‍ट्री आफ कम्‍युनिकेशंस एण्‍ड आई0टी0 डिपार्टमेन्‍ट नई दिल्‍ली द्वारा जारी किया गया पत्र दिनांकित 16.05.2007 है, जो कि पोस्‍टमास्‍टर जनरल, कानपुर रीजन कानपुर को सम्‍बोधित है, जिसमें उक्‍त सन्‍दर्भ में पूर्व में जारी परिपत्र/नोटिफिकेशन का विवरण दिया गया है, को सन्‍दर्भ में लेने का आग्रह किया गया। विपक्षी संख्‍या-5 द्वारा जमा किये गये कुल 28,70,000/-रू0 का भुगतान क्रमश: चेक संख्‍या-226521 दिनांकित 10.04.2010 कुल 21,11,600/-रू0 मुख्‍य अभियंता उत्‍तर प्रदेश जल निगम कानपुर के नाम से एवं चेक संख्‍या-226522 दिनांकित 10.04.2010 कुल 07,58,400/-रू0 पूर्व अधिकारी के नाम से जारी किया गया।

चूँकि परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता पूर्व में तथा पुन: आज अनुपस्थित हैं, अतएव विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता के कथन को सुना गया। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा अपने कथन के समर्थन में माननीय राष्‍ट्रीय आयोग के द्वारा प्रथम अपील संख्‍या-144/2014 यू0पी0 जल निगम बनाम डायरेक्‍टर, डाइरेक्‍ट्रेट, डिपार्टमेन्‍ट आफ पोस्‍ट व तीन अन्‍य एवं प्रथम अपील संख्‍या-145/2014 कान्‍सट्रक्‍शन डिवीजन आफ यू0पी0 जल निगम बनाम डेस्‍क आफिसर (कॉर्ड) डायरेक्‍टर पोस्‍ट डिपार्टमेन्‍ट व तीन अन्‍य एवं प्रथम अपील संख्‍या-173/2014 यू0पी0 जल निगम बनाम पोस्‍ट मास्‍टर जनरल कानपुर व तीन अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 21.09.2015 की प्रतिलिपि प्रस्‍तुत की तथा उक्‍त निर्णय एवं आदेश

 

 

-5-

में वर्णित तथ्‍यों को इंगित किया, जो कि माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा निम्‍नवत् अन्तिम रूप से निर्णीत किये गये हैं:-

     “The short controversy in the Complaints filed by the Jal Nigam before the State Commission was whether or not the Respondents were justified in refusing to pay interest on the subject KVPs, to the Jal Nigam, a Public Authority, because the KVPs were purchased by the two individuals, namely, U.S. Mittal and G.S. Dangwal, in their capacity as the Executive Engineers of the Jal Nigam and in one case, the KVPs had been purchased in the name of its Project Manager. According to the Respondents, in view of the Notification, issued by the Ministry of Finance. Govt. of India, bearing No.G.S.R. 119 (E) dated 8.3.1995, which came into force w.e.f. 1.4.1995, since the KVPs, could not be purchased by any Corporation or Organization, it was not liable to pay interest to the Jal Nigam, notwithstanding the fact that the individuals/officials in whose names KVPs were purchased, had pledged these KVPs in its favour. On the contrary, the stand of the Jal Nigam was that when the said KVPs were obtained on maturity of the old KVPs, the respondents had not informed them that these could not be issued in its favour.”

     माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा उत्‍तर प्रदेश जल निगम के वाद में ही उक्‍त निर्णय पारित किया गया है तथा उक्‍त वाद के तथ्‍य प्रस्‍तुत वाद के तथ्‍य से पूर्णत: समतुल्‍य हैं। अतएव उक्‍त निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए तथा यह कि माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा Arulmighu Dhandayudhapaniswamy Versus Director General of Post Offices, Department of Posts & Ors. 2011 (2) CPC के वाद में पारित निर्णय, जिसमें माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा भी यह निर्णीत किया गया है कि चूँकि  अपीलार्थी  इंस्‍टीट्यूशन  है,  जिसकी  कार्यप्रणाली

 

 

-6-

आध्‍यात्मिक कार्यकलापों से सम्‍बन्धित है, अतएव उक्‍त संस्‍था जमा धनराशि पर ब्‍याज प्राप्‍त करने के लिए सक्षम नहीं है। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा उक्‍त सन्‍दर्भ में केन्‍द्रीय सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन संख्‍या–G & SR 118(E) 119(E) 120(E) दिनांकित 01.04.1995 का सन्‍दर्भ लेते हुए निर्णय पारित किया गया है।

     उक्‍त तथ्‍यों के परिशीलनोपरान्‍त प्रस्‍तुत परिवाद निरस्‍त किया जाता है। चूँकि परिवादी की ओर से अनेकों तिथियों पर वाद को अन्तिम रूप से निर्णीत करने में व्‍यवधान पहुँचाया जाता रहा तथा अनेकों तिथियों पर परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता अनुपस्थित रहे तथा यह कि‍ परिवादी निगम, जो कि राज्‍य सरकार द्वारा संचालित संस्‍था है, के अधिका‍रियों द्वारा जमा धनराशि को अपने स्‍वयं के नाम से स्‍थापित (HUF) एकाउन्‍ट के अन्‍तर्गत जमा किया गया है अत: परिवादी को आदेशित किया जाता है कि निगम के जो भी अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा उक्‍त गैर कानूनी कार्य किया गया है, उनके विरूद्ध विधि के अनुसार कार्यवाही की जावे, जिसकी सूचना उत्‍तर प्रदेश जल निगम के अध्‍यक्ष/सचिव को 60 दिन की अवधि में दी जावे। परिवाद को निरस्‍त करते हुए परिवादी को आदेशित किया जाता है कि वह 30 दिन की अवधि में 50,000/-रू0 (पचास हजार रूपया मात्र) हर्जाना “Legal Aid Account” State Consumer Disputes Redressal Commission UP”  के पक्ष में चेक के माध्‍यम से निबन्‍धक, राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, लखनऊ उत्‍तर प्रदेश को प्रदान करे।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

      (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                (विकास सक्‍सेना)       

              अध्‍यक्ष                          सदस्‍य       

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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