Uttar Pradesh

Faizabad

CC/11/2012

Sita Devi - Complainant(s)

Versus

PNB - Opp.Party(s)

19 Jun 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/11/2012
 
1. Sita Devi
Ambedkarnagar
...........Complainant(s)
Versus
1. PNB
gosaiganj faizabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0 11/2012
सीता देवी पत्नी स्व0 द्वारिका सिंह निवासिनी ग्राम-मीठेपुर, पोस्ट खेंवार परगना व तहसील-टाण्डा, जिला-अम्बेडकरनगर।                       ................. परिवादिनी   
बनाम
षाखा प्रबन्धक, पंजाब नेषनल बैंक, षाखा-गोषाईगंज, जिला-फैजाबाद। ............ विपक्षी
निर्णय दिनाॅंक 19.06.2015            
उद्घोषित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादिनी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादिनी पूर्ण रुपेण अषिक्षित है और परिवादिनी का बचत खाता संख्या 10685 विपक्षी की षाखा में है जिसका कम्प्यूटराइज्ड खाता संख्या 0194000100106583 है, जिसका सम्बन्ध नेट से भी है। परिवादिनी ने अपने खाते में जमा धनराषि में से दिनांक 17.05.1984 को रुपये 50,000/- की एक एफ0डी0 बनवायी थी जिसका एफ0डी0 लेजर खाता संख्या डी/सी. 2682 है, परिवादिनी की एफ0डी0 के लिये उक्त धनराषि का अन्तरण किया गया था, परिवादिनी ने उक्त धनराषि नगद नहीं निकाली थी। एफ0डी0 की परिपक्वता तिथि पूरी होने पर परिवादिनी उक्त धनराषि के सम्बन्ध में एफ0डी0 के नवीनीकरण के लिये विपक्षी बैंेक गयी तो तत्कालीन षाखा प्रबन्धक ने परिवादिनी की एफ0डी0 के साथ परिवादिनी के बचत खाते की पास बुक भी मंाग ली और 10 दिन बाद नवीनीकृत एफ0डी0 देने के लिये बुलाया, परिवादिनी जब नवीनीकृत एफ0डी0 व पास बुक लेने गयी तो मैनेजर ने पुनः 10 दिन बाद बुलाया। पुनः 10 दिन बाद परिवादिनी बैंक गयी तो परिवादिनी को पता लगा कि मैनेजर साहब का ट्रंास्फर हो गया है। परिवादिनी ने नये प्रबन्धक से अपनी एफ0डी0 व पास बुक के बारे में पूछा तो उन्होंने कुछ भी बताने से अनभिज्ञता जतायी। परिवादिनी तब से बैंक के चक्कर लगा रही है न तो परिवादिनी को नवीनीकृत एफ0डी0 मिली न पास बुक। मजबूर हो कर परिवादिनी ने विपक्षी बैंक को दिनांक 26.02.2011 को एफ0डी0 व पास बुक देने के लिये लिखित रुप में प्रार्थना पत्र दिया। दिनांक 26.03.2011 को जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मंागी तो विपक्षी ने कोई सूचना उपलब्ध नहीं करायी। परिवादिनी ने प्रथम अपील केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया जिसके उत्तर में उन्होंने दिनांक 18.04.2011 को अपने पत्र द्वारा बताया कि वर्श 1984 के लेजर व खाता पुराना होने के कारण रिकार्ड उपलब्ध नहीं है इसलिये सूचना देना सम्भव नहीं है तथा जमा पत्र की पुश्टि होेने पर ही सूचना उपलब्ध करायी जा सकती है। परिवादिनी को नवीनीकृत एफ0डी0 तथा उक्त एफ0डी0 की धनराषि पर चक्र वृद्धि ब्याज सहित अब तक रुपये 8,50,00/-, क्षतिपूर्ति रुपये 50,000/- भुगतान की तिथि तक दिलाया जाय।
    विपक्षी बैंक को न्यायालय से नोटिस भेजा गया किन्तु विपक्षी की ओर से न्यायालय के सम्मुख कोई उपस्थित नहीं हुआ। विपक्षी पर तामीला पर्याप्त मानते हुए दिनांक 12-09-2013 को विपक्षी के विरुद्ध परिवाद की सुनवाई एक पक्षीय रुप से सुने जाने का आदेष किया गया। दिनांक 12.09.2013 से परिवाद के निर्णय तक विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई रिकाल प्रार्थना पत्र दिया। 
    पत्रावली काफी समय से बहस में चल रही है। परिवादिनी की ओर से किसी के उपस्थित न होने के कारण पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया और परिवाद का निर्णय उपलब्ध साक्ष्यों को अवलोकित करते हुए गुण दोश के आधार पर किया। परिवादिनी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना षपथ पत्र, बचत खाते के पास बुक की छाया प्रति, परिवादिनी के पत्रों दिनांक 26.02.2011, 27.05.2011, 26.03.2011, 28.04.2011, 02.01.1997, 05-03-1998, 21.03.1999, 04.06.2000, 04.04.2001, 05.06.2003, 03.05.2005, 06.08.2007, 03.07.2009, जन सूचना पत्र दिनांक 04.07.2011, की छाया प्रतियां तथा परिवादिनी ने साक्ष्य मंे अपना षपथ पत्र दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादिनी द्वारा दाखिल साक्ष्य व प्रमाण परिवादिनी के परिवाद को प्रमाणित करते हैं। परिवादिनी ने पास बुक की जो छाया प्रति दाखिल की है उसमें रुपये 50,000/- एफ0डी0 के रुप मंे दिनांक 17-05-1984 ट्रंास्फर दिखाये गये हैं। इस प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादिनी का रुपये 50,000/- का एफ0डी0 बनाया जाना प्रमाणित है। परिवादिनी द्वारा दाखिल प्रमाण अकाट्य होने के कारण स्वीकार योग्य हैं। विपक्षी बैंक ने परिवादिनी के एफ0डी0 को नवीनीकृत नहीं किया है यह भी प्रमाणित है। इसलिये विपक्षी बैंक परिवादिनी को भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है। विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कमी की है। परिवादिनी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रही है। परिवादिनी का परिवाद विपक्षी बैंक के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।  
आदेश
    परिवादिनी का परिवाद विपक्षी बैंक के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादिनी को एफ0डी0 के रुपये 50,000/- का भुगतान आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। विपक्षी बैंक परिवादिनी को रुपये 50,000/- पर दिनांक 17.05.1984 से 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भी भुगतान तारोज वसूली की दिनांक तक करेंगे। विपक्षी बैंक परिवादिनी को क्षतिपूर्ति के मद में रुपये 20,000/- का भी भुगतान करेंगे। 
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 19.06.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।

          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                    अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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