(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :-2707/2012
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0-232/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19/04/2011 के विरूद्ध एवं इजराय सं0 80/2011 के विरूद्ध)
Maruti Suzuki India Limited Registered Office at: Plot No. 1, Nelson Mandela Road, Vasant Kunj, New Delhi 110070 (Original OP-3)
- Appellant
Versus
- Sh. Parvinder Kumar S/O Sh. Parmal Singh R/O 38, Anand Vihar, Nehru Nagar Ghaziabad (U.P.)
- The Manager Regent Auto Links Pvt. Ltd. A-18/9, Site 3 Meerut Road, Industrial Area, Ghaziabad (U.P)
- The Managar Rohan Motors, 432, Mukand Nagar G.T. Road, Ghaziabad ………Respondents
एवं
अपील सं0 –2708/2012
Maruti Suzuki India Limited Registered Office at: Plot No. 1, Nelson Mandela Road, Vasant Kunj, New Delhi 110070 (Original OP-3)
- Appellant
Versus
- Sh. Parvinder Kumar S/O Sh. Parmal Singh R/O 38, Anand Vihar, Nehru Nagar Ghaziabad (U.P.)
- The Manager Regent Auto Links Pvt. Ltd. A-18/9, Site 3 Meerut Road, Industrial Area, Ghaziabad (U.P)
- The Managar Rohan Motors, 432, Mukand Nagar G.T. Road, Ghaziabad
………Respondents
समक्ष
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी मारूति की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री अंकित श्रीवास्तव
प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री आनन्द भार्गव
प्रत्यर्थी सं0 2 व 3 की ओर से विद्धान अधिवक्ता:- कोई नहीं
दिनांक:-18.04.2023
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- जिला उपभोक्ता आयोग, गाजियाबाद द्वारा परिवाद सं0 232/2009 परविन्दर कुमार बनाम मेसर्स रीजेन्ट आटो लिंक्स व अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 19.04.2011 एवं निष्पादन वाद सं0 80/2011 के विरूद्ध अपीलार्थी यह अपीलें योजित की गयी है।
- संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने मारूति वैगन आर सं0 यू0पी0 14 ए.वी. 5578 विपक्षी सं0 1 से क्रय किया था, यह गाड़ी खरीदने से पहले जब प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने इसे देखा तो पाया गाड़ी पर जगह जगह काले रंग के धब्बे हैं। पूछने पर विपक्षी सं0 1 रीजेन्ट आटो लिंक्स प्रा0लि0 ने कहा कि गाड़ी लाते समय लोडिंग आदि के वक्त धुएं आदि से धब्बे हो जाते हैं। चिन्ता करने की कोई बात नहीं है। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने दिनांक 08.04.2009 को वाहन क्रय किया। क्रय करने के पश्चात प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी गाड़ी लेकर विपक्षी सं0 2 रोहन मोटर्स के यहां आया और धब्बों को दिखाया तो उसने भी आश्वासन दिया कि यह धब्बे पहली सर्विस में जायेंगे। दिनांक 17.05.2009 को प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी विपक्षी सं0 2 के यहां सर्विस हेतु गया, परंतु सर्विस होने के बाद धब्बे नहीं हटे। दिनांक 21.05.2009 को प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने विपक्षीगण को पत्र लिखा कि यह तो धब्बे हटाये अगर धब्बे न हटें तो गाड़ी बदलकर दें। विपक्षीगण ने पत्र का कोई जवाब नहीं दिया। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को बाद में पता चला कि यह गाड़ी रिजेक्जेड वाहन की श्रेणी में है। विपक्षी ने नये वाहन का मूल्य लेकर रिजेक्टेड वाहन बेच दिया। जिस कारण परिवादी ने यह परिवाद योजित किया।
- प्रत्यर्थी सं0 3/विपक्षी सं0 2 ने वादोत्तर दाखिल किया, जिसमें कथन किया गया है कि परिवाद आधारहीन है। परिवादी कन्ज्यूमर नहीं है। यह मामला फोरम के क्षेत्राधिकार से बाहर है। परिवादी ने यह गाड़ी विपक्षी सं0 2 से नहीं खरीदा है विपक्षी सं0 2 पर लगाया गया आरोप बिल्कुल गलत है।
- विपक्षी सं0 1 व 3 की ओर से कोई वादोत्तर दाखिल नहीं किया गया है।
- अपीलार्थी मारूति सुजुकी इंडिया लिमिटेड की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री अंकित श्रीवास्तव उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री आनन्द भार्गव उपस्थित हैं। उभय पक्ष के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया गया।
- पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी सं0 1/ परिवादी ने यह परिवाद पत्र प्रश्नगत मारूति वैगन आर वाहन के संबंध में योजित है, जिसमें कथन किया गया है कि मैसर्स रीजेन्ट आटो लिंक्स प्रा0लि0, मेरठ रोड, इण्डस्ट्रियल एरिया गाजियाबाद से क्रय करने के समय परिवादी ने गाड़ी पर जगह-जगह पर काले रंग के धब्बे पाये, जिसके संबंध में मैसर्स रीजेन्ट आटो लिंक्स प्रा0लि0 के विक्रेता द्वारा यह स्पष्टीकरण दिया गया है कि यह गाड़ी लोडिंग करते समय आ जाते हैं, यह धीरे-धीरे खत्म हो जायेगी। उक्त विश्वास करते हुए गाड़ी का क्रय कर लिया गया, किन्तु अनेकों सर्विसिंग होने के उपरान्त एवं एक लम्बे समय के उपरान्त भी उसमे धब्बे नहीं गये, जिससे परिवादी का यह कथन आया कि विपक्षी मैसर्स रीजेन्ट आटो लिंक्स प्रा0लि0 ने उसे पुरानी गाड़ी दी है।
- विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने विपक्षी सं0 1, 2 व 3 जिनमें अपीलकर्ता मारूति उद्योग लिमिटेड भी सम्मिलित है, को दर्शित किया कि परिवादी को मानसिक कष्ट की क्षतिपूर्ति हेतु 25,000/- रूपये पृथक-पृथक अदा करने तथा बेचे गये वाहन के बदले में नया वाहन उपलब्ध करायें तथा वाद व्यय के रूप में 2,000/- रूपये दिये जाने का आदेश दिया गया है।
- परिवाद पत्र से स्पष्ट है कि परिवादी/प्रत्यर्थी द्वारा जो आक्षेप लगाये गये हैं वह विक्रेता के विरूद्ध है। किसी निर्माण संबंधी दोष का कोई आक्षेप नही है, जिसके आधार पर मारूति उद्योग लिमिटेड/निर्माता के विरूद्ध किसी क्षतिपूर्ति का उत्तरदायित्व उत्पन्न होता हो। यदि वाहन पुराना दिया गया है तो यह विक्रेता के स्तर का मामला है जिसके लिए विक्रेता मैसर्स रीजेन्ट आटो लिंक्स प्रा0लि0 का ही उत्तरदायित्व किया जा सकता है। अत: सम्पूर्ण धनराशि जो विद्धान जिला उपभोक्ता द्वारा प्रदान की गयी है वह प्रत्यर्थी सं0 2/विपक्षी मैसर्स रीजेन्ट आटो लिंक्स प्रा0लि0 से वसूल किया जाये। मारूति उद्योग लिमिटेड अपीलकर्ता को उत्तरदायित्व से मुक्त किया जाता है। अपील तदनुसार स्वीकार किये जाने योग्य है, इससे संबंधित निष्पादन भी केवल विपक्षी मैसर्स रीजेन्ट आटो लिंक्स प्रा0लि0 के विरूद्ध दिलाया जाये। निष्पादन से भी अपीलकर्ता मारूति उद्योग को मुक्त किया जाता है। अपील तदनुसार स्वीकार किये जाने योग्य है एवं निर्णय एवं आदेश परिवर्तित किये जाने योग्य है।
-
अपील सं0 2707/2012 इस प्रकार स्वीकार की जाती है कि जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0 3 के विरूद्ध जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, उसे अपास्त किया जाता है। शेष निर्णय/आदेश यथावत रहेगा।
चूंकि अपील सं0 2707/2012 स्वीकार करते हुए अपीलार्थी को सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया गया है, अत: अपील सं0 2708/2012 भी स्वीकार की जाती है तथा इजराय सं0 80/2011 में पारित आदेश दिनांक 27.08.2012 अपीलार्थी के विरूद्ध अपास्त किया जाता है।
प्रस्तुत अपीलों में यदि अपीलार्थी द्वारा कोई धनराशि धारा 15 के अंतर्गत जमा की गयी हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी का यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।
इस निर्णय व आदेश की मूल प्रति अपील सं0-2707/2012 में रखी जाये एवं इसकी प्रमाणित प्रतिलिपि सम्बंधित अपील सं0-2708/2012 में रखी जाये।
उपरोक्त अपीलों में उभय पक्ष अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
संदीप, आशु0 कोर्ट नं0-3