Uttar Pradesh

StateCommission

CC/163/2014

Smt. Geeta Jaiswal - Complainant(s)

Versus

Parsvnath Dev. - Opp.Party(s)

Sarvesh Kumar Sharma

26 Nov 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/163/2014
( Date of Filing : 04 Dec 2014 )
 
1. Smt. Geeta Jaiswal
R/O 2/7/8 Balak Ram Colony Faizabad
...........Complainant(s)
Versus
1. Parsvnath Dev.
6th Floor Arunachal Building 19 Barakhamba Road New Delhi
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 26 Nov 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

सुरक्षित

परिवाद सं0-१६३/२०१४

 

श्रीमती गीता जायसवाल पत्‍नी श्री ओम प्रकाश जायसवाल निवासी-२/७/८, बालक राम कालोनी, फैजाबाद।                             ...................        परिवादिनी।

बनाम

१. पार्श्‍वनाथ डेवलपर्स लि0 रजिस्‍टर्ड एण्‍ड कारपोरेट आफिस स्थित छठवॉं तल, अरूणाचल बिल्डिंग, १९, बाराखम्‍बा रोड, नई दिल्‍ली द्वारा चेयरमेन।

२. पार्श्‍वनाथ डेवलपर्स लि0,(पार्श्‍वनाथ प्‍लानेट) स्थित प्‍लाट नं0-, टीसी-८, टीसी-९,  विभूति खण्‍ड, गोमती नगर, लखनऊ द्वारा मैनेजिंग डायरेक्‍टर।

                                            ....................       विपक्षीगण।

समक्ष:-

१.मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य ।

२.मा0 श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

 

परिवादिनी की ओर से उपस्थित :- श्री सर्वेश कुमार शर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित :- श्री राजेश चड्ढा विद्वान अधिवक्‍ता।

 

दिनांक : १८-१२-२०१९.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

      प्रस्‍तुत परिवाद, प्रश्‍नगत‍ सम्‍पत्ति का कब्‍जा दिलाए जाने एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया है।

      संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के कथनानुसार अपने आवासीय उपयोग हेतु परिवादिनी ने विपक्षीगण द्वारा विज्ञापित प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत वर्ष २००६ में फ्लैट आबंटन हेतु आवेदन प्रस्‍तुत किया तथा बुकिंग धनराशि का भुगतान किया। बुकिंग धनराशि प्राप्‍त करते समय विपक्षी द्वारा आश्‍वासन दिया गया कि परिवादी को फ्लैट का कब्‍जा वर्ष २००९ में प्रदान कर दिया जायेगा। परिवादिनी तथा विपक्षी के मध्‍य फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट दि० १४-०९-२००६ को फ्लैट सं0-टी ५ - १२०४ ए क्षेत्रफल २०२.०६ वर्ग मीटर के सम्‍बन्धित निष्‍पादित किया। इस फ्लैट का मूल्‍य ४०,४९,८५०/- रू० निर्धारित किया गया। विपक्षी द्वारा आश्‍वस्‍त किया गया कि फ्लैट का कब्‍जा वर्ष २००९ तक प्रदान किया जायेगा तथा परिवादिनी से फ्लैट का मूल्‍य अदा करने

 

 

 

-२-

हेतु कहा गया। अत: इस प्रयोजन हेतु परिवादिनी ने आईसीआईसीआई बैंक से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त की। परिवादिनी ने बैंक से वित्‍तीय सहायता प्राप्‍त करने के उपरान्‍त फ्लैट के मूल्‍य का भुगतान किया किन्‍तु विपक्षी ने फ्लैट का कब्‍जा इकरारनामे के अन्‍तर्गत निर्धारित समय सीमा के अन्‍दर प्रदान नहीं किया। प्रश्‍नगत फ्लैट के मूल्‍य का पूर्ण भुगतान करने के उपरान्‍त परिवादिनी जब स्‍थल पर गई तो उसे यह ज्ञात हुआ कि निर्माण कार्य रूका हुआ है। स्‍थल पर उपस्थित व्‍यक्तियों द्वारा सूचित किया गया कि फ्लैट का निर्माण २०१५ तक पूर्ण होने की सम्‍भावना है। यह जानकर परिवादिनी को आघात लगा और तत्‍काल उसने एरिया मैनेजर से सम्‍पर्क किया। उनके द्वारा सूचित किया गया कि फ्लैट का निर्माण जून २०१० तक हो जायेगा। परिवादिनी लगभग ०१ वर्ष तक इस आशा में प्रतीक्षा करती रही कि कब्‍जा वर्ष २०१० तक प्राप्‍त हो जायेगा किन्‍तु आश्‍चर्यजनक रूप से परिवादिनी को पत्र दिनांकित १२-०२-२०१० प्राप्‍त हुआ जिसके द्वारा सूचित किया गया कि विपक्षी की प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत निर्माण कार्य मार्च २०११ तक किया जाना है। इस पत्र की जानकारी से परिवादिनी को अत्‍यधिक आघात पहुँचा कि विपक्षी द्वारा मार्च २०११ तक फ्लैट का कब्‍जा प्राप्‍त नहीं कराया गया बल्कि दिनांक ०५-०५-२०११ को आबंटियों के लिए पत्र प्रेषित किया गया जिसके द्वारा आबंटियों को सूचित किया गया कि फ्लैट का कब्‍जा दिसम्‍बर २०११ तक प्रदान किया जायेगा। विपक्षी द्वारा पुन: पत्र दिनांकित १४-०५-२०१२ आबंटियों को जारी किया गया जिसके द्वारा यह सूचित किया गया कि फ्लैट का कब्‍जा दिसम्‍बर २०१२ तक दिया जायेगा। साथ ही यह भी सूचित किया कि विपक्षी सं0-१ व २ दिसम्‍बर २०१२ में कम्‍प्‍लीशन सर्टिफिकेट प्राप्‍त करने के लिए आवेदन प्रस्‍तुत करने की स्थिति में हो जायेंगे। कब्‍जा उसके बाद ही प्रस्‍तावित किया जायेगा। इस पत्र की भाषा से यह स्‍पष्‍ट था कि विपक्षीगण दिसम्‍बर २०१२ तक फ्लैटका कब्‍जा प्रदान करने की स्थिति में नहीं होंगे। इस प्रकार यह स्‍पष्‍ट है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी तथा अन्‍य आबंटियों से प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत एक बड़ी धनराशि प्राप्‍त की गई तथा उस धनराशि का उपयोग प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत फ्लैटों के विकास के लिए नहीं किया गया बल्कि दुरूपयोग किया गया। इस प्रकार विपक्षी द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रथा कारित करते हुए सेवा में त्रुटि की गई।

 

 

-३-

      विपक्षीगण द्वारा आपत्ति प्रस्‍तुत की गई। विपक्षीगण के कथनानुसार विपक्षीगण ने पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा का कोई उल्‍लंघन नहीं किया। उनके द्वारा सेवा में कोई त्रुटि कारित निहीं की गई। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित संविदा के क्‍लाज-१०(सी) में प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत फ्लैट के निर्माण में विलम्‍ब होने की स्थिति में परिवादिनी के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया गया है। परिवादिनी इस प्रावधान के अन्‍तर्गत देय धनराशि से अधिक धनराशि की अधिकारिणी नहीं मानी जा सकती। परिवादिनी को प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा परिवादिनी द्वारा समस्‍त देयों का भुगतान किए जाने के उपरान्‍त प्रदान किया जायेगा। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि विपक्षी एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण के मध्‍य निष्‍पादित लीज डीड के अनुसार सक्षम अधिकारी द्वारा नक्‍शा स्‍वीकृत किए जाने की तिथि से ०५ वर्ष के अन्‍दर निर्माण कार्य किया जाना था। यह अवधि पेनल्‍टी के भुगतान के बाद बढ़ायी भी जा सकती है। प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत विज्ञापन मार्केट प्रैक्टिस के अनुसार किया गया। विज्ञापन द्वारा वर्ष २००९ तक परियोजना पूर्ण करने का कोई आश्‍वासन नहीं दिया गया। निर्माण कार्य किसी विशिष्‍ट ब्‍लॉक के निर्माण कार्य के प्रारम्‍भ होने के ३६ माह के अन्‍दर किया जाना था। साथ ही ०६ माह का ग्रेस पीरियड भी उपलब्‍ध था। विपक्षी का यह भी कथन है कि विश्‍व स्‍तर पर मन्‍दी के कारण विपक्षी द्वारा इकरारनामे की शर्तों का उल्‍लंघन नहीं किया गया। प्रश्‍नगत फ्लैट के निर्माण कार्य में विलम्‍ब उन परिस्थितियों के कारण हुआ जिन पर विपक्षीगण का कोई नियन्‍त्रण नहीं था। विपक्षी के कथनानुसार परिवादिनी का यह कथन असत्‍य है कि उसके द्वारा स्‍थल निरीक्षण किया गया और उसे यह सूचित किया गया कि निर्माण कार्य रोका गया है। विपक्षी का यह भी कथन है कि निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। विपक्षी का यह भी कथन है कि इस आयोग द्वारा प्रश्‍नगत योजना के सम्‍बन्‍ध में ही ३३ परिवाद जो विपक्षी के विरूद्ध योजित किए गये तथा जिनमें विपक्षी ने समान आधारों पर ही अपना पक्ष प्रस्‍तुत किया इस आयोग द्वारा पारित एक संयुक्‍त निर्णय दिनांकित २५-०२-२०१५ द्वारा निर्णीत किये जा चुके हैं। इस आयोग द्वारा दिए गये उपरोक्‍त निर्णय के आलोक में ही प्रस्‍तुत परिवाद के सन्‍दर्भ में भी परिवादिनी को अनुतोष प्रदान किया जा सकता है।

 

 

-४-

      परिवादिनी द्वारा अपने कथन के समर्थन में परिवाद के साथ संलग्‍नक-१ लगायत १२ अभिलेख दाखिल किए गये तथा अपना शपथ पत्र दिनांकित ०४-०७-२०१४ दाखिल किया तथा इस शपथ पत्र के साथ संलग्‍नक १२ लगायत १४ दाखिल किए गये हैं।

      विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र के साथ संलग्‍नक-ए लगायत एफ दाखिल किए गये तथा श्री अजय कश्‍यप जनरल मैनेजर सी0आर0एम0 का शपथ पत्र दाखिल किया गया।

      हमने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।   

परिवादिनी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादिनी ने विपक्षी की प्रश्‍नगत योजना के सम्‍बन्‍ध में दिए गये विज्ञापन दिनांकित १७-०४-२००६ से प्रभावित होकर फ्लैट आबंटन हेतु बुकिंग धनराशि जमा करके बुकिंग कराई थी। परिवादिनी को इस योजना के अन्‍तर्गत ब्‍लॉक नम्‍बर टी ५ में फ्लैट सं0-टी ५ – १२०४ ए क्षेत्रफल २०२.०६ वर्ग मीटर जिसका मूल्‍य ४०,४९,८५०/- रू० निर्धारित किया गया, आबंटित किया गया। विपक्षी तथा परिवादिनी के मध्‍य फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट दिनांकित १४-०९-२००६ निष्‍पादित हुआ। इस एग्रीमेण्‍ट की प्रमाणित फोटोप्रति परिवादिनी ने परिवाद के साथ संलग्‍नक-३ के रूप में दाखिल की है। परिवादिनी के कथनानुसार परिवादिनी ने प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में विपक्षी द्वारा मागी गई समस्‍त धनराशि का भुगतान कर दिया। इस भुगतान हेतु परिवादिनी ने आईसीआईसीआई बैंक से ऋण भी प्राप्‍त किया। फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट के क्‍लाज-१०(ए) के अनुसार प्रश्‍नगत फ्लैट का निर्माण ३६ माह में पूर्ण होना था। इसके अतिरिक्‍त ०६ माह की अतिरिक्‍त ग्रेस अवधि भी प्रावधानित थी। इस प्रकार कुल ४२ माह के अन्‍दर फ्लैट का निर्माण होना था। परिवादिनी द्वारा विपक्षी की मांग के अनुसार प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में देय समस्‍त धनराशि का भुगतान किए जाने के बाबजूद विपक्षी द्वारा फ्लैट का निर्माण पूर्ण नहीं कराया गया एवं कब्‍जा परिवादिनी को निर्धारित अवधि में प्राप्‍त नहीं कराया गया जबकि परिवादिनी को बैंक से लिए गये ऋण पर निरन्‍तर ब्‍याज का भुगतान करना पड़ा। इकरारनामे की शर्तों के अनुसार वर्ष २००९ में निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना था। परिवादिनी ने जुलाई २०१० तक इस प्रत्‍याशा में

 

-५-

प्रतीक्षा की कि परिवादिनी को फ्लैट का कब्‍जा प्रदान किया जायेगा किन्‍तु आश्‍चर्यजनक रूप से परिवादिनी को विपक्षी का पत्र दिनांकित १२-०२-२०१० प्राप्‍त हुआ जिसके द्वारा परिवादिनी को विपक्षी द्वारा सूचित किया गया कि प्रश्‍नगत परियोजना को मार्च २०११ तक पूर्ण करने की योजना है। पत्र दिनांकित १२-०२-२०१० परिवाद के साथ संलग्‍नक-७ के रूप में दाखिल किया गया है। इस पत्र से परिवादिनी को उसके साथ धोखे का आभाष हुआ और उसने जून २०१० एवं जून २०११ में स्‍थल निरीक्षण किया जिससे उसे यह ज्ञात हुआ कि निर्माण कार्य में कोई प्रगति नहीं हो रही है तथा निर्माण कार्य आगे कुछ वर्षों में पूर्ण होने की सम्‍भावना नहीं है। मार्च २०११ तक परिवादिनी को प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया बल्कि विपक्षी द्वारा पत्र दिनांकित ०५-०५-२०११ परिवादिनी को प्रेषित किया गया जिसके द्वारा परिवादिनी को सूचित किया गया कि फ्लैट का कब्‍जा दिसम्‍बर, २०११ तक प्रदान किया जायेगा। पत्र दिनांक ०५-०५-२०११ की फोटोप्रति परिवाद के साथ संलग्‍नक-९ के रूप में दाखिल की गई। विपक्षी द्वारा पुन: पत्र दिनांकित १४-०५-२०१२ परिवादिनी को प्रेषित किया जिसके द्वारा यह सूचित किया गया कि फ्लैट का कब्‍जा दिसम्‍बर, २०१२ के बाद प्रदान किया जायेगा। इस सन्‍दर्भ में विपक्षी द्वारा परिवादिनी को प्रेषित पत्र दिनांकित १५-०५-२०१२ की प्रमाणित फोटोप्रति परिवाद के साथ संलग्‍नक-१० के रूप में दाखिल की गई। इस प्रकार विपक्षी द्वारा परिवादिनी से प्रश्‍नगत फ्लैट का पूर्ण मूल्‍य प्राप्‍त करने के बाबजूद प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्रदान न किए जाने पर प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा दिए जाने तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद योजित किया गया। परिवादिनी के कथनानुसार उपरोक्‍त तथ्‍यों के आलोक में यह प्रमाणित है कि विपक्षी द्वारा अनुचित व्‍यापार प्रथा कारित करते हुए सेवा में त्रुटि की गई।

परिवादिनी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादिनी के समान ही प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत कुछ अन्‍य आबंटियों द्वारा भी फ्लैट का सम्‍पूर्ण मूल्‍य का भुगतान करने के बाबजूद उन्‍हें भी फ्लैट का कब्‍जा इकरारनामे के अन्‍तर्गत निर्धारित समय सीमा के अन्‍तर्गत विपक्षी द्वारा प्रदान न किए जाने पर परिवाद इस आयोग में योजित किए गये। इस आयोग द्वारा ऐसे ३३ परिवादों को संयुक्‍त रूप से निर्णीत करते हुए विपक्षी द्वारा सेवा में त्रुटि कारित किया जाना मानते हुए निर्णय दिनांकित २५-०२-

 

-६-

२०१५ द्वारा परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किए गये। इस निर्णय के विरूद्ध सम्‍बन्धित आबंटियों द्वारा मा0 राष्‍ट्रीय आयोग के समक्ष प्रथम अपील योजित की गई। यह प्रथम अपील मा0 राष्‍ट्रीय आयोग ने निर्णय दिनांकित २०-०१-२०१६ द्वारा निर्णीत करते हुए इस आयोग द्वारा पारित निर्णय को संशोधित किया एवं तद्नुसार परिवादीगण को क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को आदेशित किया।

परिवादिनी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट दिनांकित १४-०९-२००६ के अनुसार प्रश्‍नगत फ्लैट के सम्‍पूर्ण मूल्‍य की अदायगी परिवादिनी द्वारा किए जाने के बाबजूद विपक्षी ने अवैध रूप से अपने पत्र दिनांकित २६-०६-२०१० द्वारा सर्विस टैक्‍स के भुगतान की मांग की। विपक्षी की यह मांग पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट की शर्तों के आलोक में अवैध है। परिवादिनी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षी को फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट के अन्‍तर्गत प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा अधिकतम वर्ष २००९ के अन्‍त तक करना था किन्‍तु अभी तक विपक्षी द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा परिवादिनी को प्राप्‍त नहीं कराया गया। अत: कब्‍जे में विलम्‍ब के लिए परिवादिनी द्वारा जमा की गई धनराशि पर २४ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज दिलाए जाने की प्रार्थना की गई।

विपक्षीगण की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई। प्रश्‍नगत फ्लैट के निर्माण में हुआ विलम्‍ब ऐसे कारणों से हुआ जिन पर विपक्षी का नियन्‍त्रण नहीं था। विपक्षीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट के अनुसार निर्धारित समय सीमा में फ्लैट के निर्माण में विलम्‍ब की स्थिति में आबंटियों के हितों को सुरक्षित रखने के उद्देश्‍य से क्‍लाज-१०(सी) का प्रावधान किया गया है। क्‍योंकि यह इकरारनामा पक्षकारों की सहमति से निष्‍पादित किया गया, अत: इस इकारानामे की शर्तों से पक्षकार बाध्‍य हैं। ऐसी परिस्थिति में इकरारनामे के क्‍लाज-१०(सी) में प्रावधानित व्‍यवस्‍था से अधिक धनराशि परिवादिनी प्राप्‍त करने की अधिकारिणी नहीं है। विपक्षीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षी के प्रश्‍नगत पार्श्‍वनाथ प्‍लेनेट योजना के अन्‍तर्गत कुछ अन्‍य आबंटियों द्वारा भी फ्लैट के कब्‍जा में विलम्‍ब के आधार पर क्षतिपूर्ति की मांग

 

-७-

करते हुए परिवाद इस आयोग में योजित किया गया। ऐसी कुल ३३ परिवाद इस आयोग द्वारा पारित निर्णय दिनांकित २५-०२-२०१५ द्वारा संयुक्‍त रूप से निर्णीत किए गये। उक्‍त परिवादों में दिए गये संयुक्‍त निर्णय की प्रमाणित फोटोप्रति विपक्षी की ओर से दाखिल की गई। विपक्षीगण की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि उक्‍त परिवादों में भी विपक्षी के बचाव का आधार समान होने के कारण उक्‍त परिवादों में इस आयोग द्वारा दिए गये संयुक्‍त निर्णय के अनुसार ही प्रस्‍तुत परिवाद भी निर्णीत किया जाय। विपक्षी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादिनी ने अपने पत्र दिनांकित ३०-०६-२०१५ द्वारा विपक्षी से प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा फ्लैट में फिट आउट वर्क करवाने हेतु प्रदान किए जाने की प्रार्थना की तथा फ्लैट में अपूर्ण कार्य स्‍वयं करवाने की प्रार्थना की तथा विपक्षी ने परिवादिनी के खाते में प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा विलम्‍ब से प्राप्‍त कराने के कारण जुलाई २०१० से मार्च २०१५ तक ६,१९,८७५/- रू० भुगतान किए जाने के कारण विपक्षीगण द्वारा सेवा में त्रुटि कारित किया जाना नहीं माना जा सकता।

पत्रावली के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादिनी ने प्रश्‍नगत फ्लैट का निर्माण कार्य इकरारनामे के शर्तों के अनुसार पूर्ण न होना अभिकथित करते हुए स्‍थल के निरीक्षण हेतु अधिवक्‍ता आयुक्‍त की नियुक्ति के लिए एक प्रार्थना पत्र दिनांकित ०७-०८-२०१८ प्रस्‍तुत किया किन्‍तु विपक्षी की ओर से इस प्रार्थना पत्र पर आपत्ति प्रस्‍तुत करते हुए प्रार्थना पत्र निरस्‍त किए जाने का अनुरोध किया गया। परिवाद के अभिकथनों में धारा-९ में परिवादिनी द्वारा यह अभिकथित किया गया है कि परिवादिनी द्वारा आबंटित प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में देय सम्‍पूर्ण धनराशि का भुगतान इकरारनामा की शर्तों के अनुसार किया जा चुका है। परिवादिनी के इस अभिकथन को विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत किए गये प्रतिवाद पत्र में अस्‍वीकार नहीं किया गया है। परिवादिनी द्वारा स्‍थल निरीक्षण हेतु अधिवक्‍ता आयुक्‍त की नियुक्ति हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र तथा उस प्रार्थना पत्र पर विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत की गई आपत्ति के अवलोकन से यह भी स्‍पष्‍ट है कि अभी तक प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा परिवादिनी को प्रदान नहीं किया गया है। विपक्षी द्वारा परिवादिनी को पत्र दिनांकित ०४-०६-२०१५ प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में आफर फॉर फिट आउट्स के रूप में प्रेषित किया गया। इस पत्र के परिप्रेक्ष्‍य में परिवादिनी द्वारा विपक्षी को पत्र दिनांकित

 

-८-

३०-०६-२०१५ प्रेषित किया गया किन्‍तु परिवादिनी की ओर से प्रेषित मात्र इस पत्र के आधार पर यह स्‍वत: प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि इकरारनामा की शर्तों के अनुसार विपक्षी द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का पूर्ण निर्माण करा दिया गया। पक्षकारों के मध्‍य निष्‍पादित फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट के क्‍लाज-१०(बी) में यह प्रावधानित किया गया है कि फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाने के उपरान्‍त विपक्षी क्रेता को एक अन्तिम नोटिस इस आशय का देगा कि क्रेता ३० दिन के अन्‍दर समस्‍त देयों का भुगतान करे एवं फ्लैट का कब्‍जा प्राप्‍त करे किन्‍तु ऐसी कोई नोटिस विपक्षी द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरान्‍त परिवादिनी को प्रेषित नहीं की गई बल्कि इसके स्‍थान पर दिनांक ०४-०६-२०१५ को अर्थात् इकरारनामा के प्रावधानों के अन्‍तर्गत निर्धारित समय सीमा से लगभग ०६ वर्ष के उपरान्‍त परिवादिनी को इस आशय का प्रस्‍ताव प्रेषित किया गया कि परिवादिनी स्‍वयं प्रश्‍नगत फ्लैट में इण्‍टीरियर एवं फर्निशिंग का कार्य समस्‍त देयों का भुगतान करने के उपरान्‍त करा सकती है। विपक्षी का यह कृत्‍य इकरारनामे की शर्तों के अनुसार एवं इकरारनामे की मूल भावना के अनुसार नहीं माना जा सकता। साथ ही इस पत्र के आलोक में परिवादिनी द्वारा प्रेषित पत्र के आधार पर यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि वस्‍तुत: विपक्षी द्वारा प्रश्‍नगत फ्लैट का निर्माण कार्य पूर्ण करा दिया गया। यदि वास्‍तव में विपक्षी द्वारा निर्माण कार्य पूर्ण करा दिया गया होता तब स्‍वाभाविक रूप से विपक्षी परिवादिनी द्वारा स्‍थल निरीक्षण हेतु अधिवक्‍ता आयुक्‍त की नियुक्ति हेतु प्रस्‍तुत प्रार्थना पत्र का विरोध नहीं करते।

जहॉं तक सर्विस टैक्‍स के रूप में धनराशि के भुगतान हेतु विपक्षी द्वारा परिवादिनी को प्रेषित पत्र का सम्‍बन्‍ध है यह तथ्‍य निर्विवाद है कि फ्लैट बायर एग्रीमेण्‍ट दिनांक १४-०९-२००६ को निष्‍पादित किया गया। इस एग्रीमेण्‍ट की शर्तों के अनुसार अधिकतम ४२ माह के अन्‍दर परिवादिनी को फ्लैट का कब्‍जा विपक्षी द्वारा प्रदान किया जाना था। निर्विवाद रूप से अभी तक परिवादिनी को प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्रदान नहीं किया गया है। सर्विस टैक्‍स के भुगतान हेतु परिवादिनी को प्रेषित पत्र दिनांकित २६-०६-२०१० द्वारा यह सूचित किया गया कि फाइनेंस एक्‍ट २०१० में संशोधन ०१-०७-२०१० से प्रभावी हुआ। ऐसी परिस्थिति में प्रस्‍तुत प्रकरण के सन्‍दर्भ में सर्विस टैक्‍स की अदायगी

 

-९-

हेतु परिवादिनी को उत्‍तरदायी नहीं माना जा सकता।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रस्‍तुत परिवाद के समान अन्‍य ३३ परिवाद संयुक्‍त रूप से इस आयोग द्वारा दिए गये निर्णय दिनांकित २५-०२-२०१५ द्वारा निर्णीत किए गये। निर्णय की प्रमाणित प्रति की फोटोप्रति परिवादिनी द्वारा दाखिल की गई है। स्‍वयं विपक्षी ने इस संयुक्‍त निर्णय दिनांकित २५-०२-२०१५ के अनुसार ही प्रस्‍तुत परिवाद निर्णीत किए जाने की प्रार्थना की है किन्‍तु उल्‍लेखनीय है कि इस आयोग द्वारा पारित निर्णय दिनांकित २५-०२-२०१५ के विरूद्ध मा0 राष्‍ट्रीय आयोग में प्रथम अपीलें योजित की गईं। मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा ये अपीलें निर्णय दिनांकित २०-०१-२०१६ द्वारा संयुक्‍त रूप से निर्णीत की गईं। इस निर्णय में मा0 राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा यह मत व्‍यक्‍त किया गया – ‘’ Admittedly, agreements were executed in 2006 and as per agreements, possession of flats was to be delivered within 42 months, meaning thereby, possession was to be given in the year 2009-2010 and possession has not been handed over so far though year 2016 has started. No doubt, complainants are entitled to get penalty amount for delayed delivery of possession as per clause 10(c) of the agreement but opposite party cannot be permitted to avail benefit of aforesaid clause for indefinite period. This penalty clause should be allowed for the benefit of parties for a limited period and in the cases in hand, I deem it appropriate to extend applicability of aforesaid clause for a period of one year beyond 42 months and after that, complainants are certainly entitled to compensation. Opposite party cannot be allowed to avail huge funds of complainants by paying merely Rs.5/- per sq. ft. for example, complainants who have purchased flat measuring 164.901 sq. mtr., they have made payment of about Rs.31.00 to 32 lakhs and in the garb of clause 10(c), opposite party is paying penalty @ approximately Rs.9,000/- per month against enjoying funds more than Rs.30.00 lakhs. As complainants have been deprived to shift to their flats for a long period which would not only have given them satisfaction of living in their own house but also have raised their social status and opposite party has enjoyed funds of complainants for a long period, I deem it appropriate to allow compensation @ Rs.15,000/- p.m. to the complainants who have applied for flats upto 175 sq. mtr. and Rs.20,000.00 per month to complainants who have applied for flats above 175  sq. after 54 months  of execution of agreement till delivery of possession.   ‘’

प्रश्‍नगत योजना के अन्‍तर्गत समान अनुतोष हेतु योजित अन्‍य परिवादों में मा0

 

-१०-

राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा दिए गये उपरान्‍त निर्णय के आलोक में हमारे विचार से परिवादिनी भी यह अनुतोष प्राप्‍त करने की अधिकारिणी है। तद्नुसार परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।      

            आदेश

      परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय की प्रति प्राप्‍त किए जाने की तिथि से ०३ माह के अन्‍दर परिवादिनी को प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा प्रदान करें। विपक्षीगण को यह भी निर्देशित किया जाता है कि प्रश्‍नगत फ्लैट के सन्‍दर्भ में निष्‍पादित इकरारनामा दिनांकित १४-०९-२००६ की निष्‍पादन तिथि से ५४ माह के बाद से प्रश्‍नगत फ्लैट का कब्‍जा दिए जाने की तिथि तक परिवादिनी को २०,०००/- रू० प्रति माह की दर से क्षतिपूर्ति का भी भुगतान करें। इसके अतिरिक्‍त निर्धारित अवधि में विपक्षीगण परिवादिनी को १०,०००/- रू० परिवाद व्‍यय के रूप में अदा करें।

उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

 

                                                                                                                 

                                                                                                    

 

                                             (उदय शंकर अवस्‍थी)                      

                                               पीठासीन सदस्‍य

 

                                                                                            

                                                (गोवर्द्धन यादव)                                                                                            

                                                   सदस्‍य

                                                                    

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-१, 

कोर्ट-२.

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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