(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-845/2006
अनूप इण्टरप्राइजेज 114/193 ई0 पंचवटी (विनायकपुर) कानपुर नगर द्वारा प्रोपराइटर बाबूराम कुशवाहा।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
1. पंजाब नेशनल बैंक, शाखा एल्गिन मिल कानपुर नगर द्वारा शाखा प्रबन्धक।
2. दिनेश किशोर श्रीवास्तव पुत्र स्व0 इकबाल बहादुर, निवासी पी-34 अर्जुन नगर (विनायक पुर) लिपिक पंजाब नेशनल बैंक, शाखा एल्गिन मिल कानपुर नगर।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री ओ.पी. दुबेल।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री एस.एम. बाजपेयी।
दिनांक: 25.11.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-1067/2002, अनूप इण्टरप्राइजेज बनाम पंजाब नेशनल बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 10.03.2006 के विरूद्ध यह अपील परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद संधारणीय न मानते हुए खारिज कर दिया है।
2. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। परिवादी द्वारा धन जमा किया गया है, जिसकी रसीद भी लीपिक द्वारा जारी की गई है।
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3. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री ओ.पी. दुबेल तथा प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री एस.एम. बाजपेयी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि उनके द्वारा संलग्नक-एच के माध्यम से अंकन 1,11,270/- रूपये जमा किया गया है। इस रसीद के अवलोकन से जाहिर होता है कि इस पर बैंक की मोहर चस्पा नहीं है। परिवादी का यह कथन कि खजांची के हस्ताक्षर मौजूद हैं, जबकि खजांची द्वारा लिखित कथन में अपने हस्ताक्षर होने से इंकार किया गया है, इसलिए यह दायित्व परिवादी पर था कि खजांची के हस्ताक्षर के संबंध में हस्ताक्षर विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्राप्त कर विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत करते। फिर यह भी कि प्रश्नगत विवाद यथार्थ में धनराशि के भुगतान प्राप्ति एवं स्वीकृति के विवाद से संबंधित है, जिस पर उपभोक्ता मंच द्वारा निर्णय नहीं दिया जा सकता, अपितु सक्षम सिविल न्यायालय द्वारा ही साक्ष्य ग्रहण करने के पश्चात विस्तृत सुनवाई कर निर्णय पारित किया जा सकता है। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई पर्याप्त आधार नहीं है। अपील तदनुसार निरस्त होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष इस अपील का व्यय स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3