| Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :-1824/2005 (जिला उपभोक्ता आयोग, (द्वितीय) आगरा द्वारा परिवाद सं0-99/1998 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26/08/2005 के विरूद्ध) Ashok Auto Sales (P) Ltd Agra Kanpur Road, Nunhai, Agra through its Managing Director, Sri Ram Kishore Bansal, S/O Late Sri Kishan Lalji, 202-General Kariyappa Road, Agra. - Appellant
Versus - Om Swaroop Garg, S/O Late Dr. B.S. Garg, R/O 18/14 C, Malko Gali, Tajganj, District Agra, Uttar Pradesh.
- Mistelco Ltd, Now known as Tata Motors Cuffe Parade, Mumbai-5
तथा अपील सं0 –1646/2005 Tata Motors Limited (Formerly Tata Engineering & Locomotives Company Limited) Jeevan Tara Building, 5 Sansad Marg New Delhi-1 - Appellant
Versus - Om Swaroop Garg Son of Late Dr. B.S. Garg 18/14C, Malco Gali Tajganj, Agra
- Ashok Auto Sales Privated Limited Agra Kanpur Road Nunhai’ Agra through its Proprieter/Manager
- Respondents
समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी अशोक आटो सेल्स की ओर से विद्वान अधिवक्ता:-श्री संजय कुमार श्रीवास्तव प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- कोई नहीं प्रत्यर्थी सं0 2 टाटा मोटर्स की ओर से विद्धान अधिवक्ता:- श्री राजेश चड्ढा दिनांक:-07.11.2022 माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - जिला उपभोक्ता आयोग, (द्वितीय) आगरा द्वारा परिवाद सं0 99/1998 ओम स्वरूप गर्ग बनाम मेसर्स अशोक आटो सेल्स लिमिटेड व अन्य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 26.08.2005 के विरूद्ध अपीलें योजित की गयी है।
- प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा परिवाद इन अभिकथनों के साथ प्रस्तुत किया गया कि उसने एक वाहन एल0पी0 टाटा 407 विपक्षी सं0 1 अशोक आटो सेल्स के माध्यम से ली थी, जो विपक्षी सं0 2 टाटा इंजीनियरिंग एण्ड लोकोमोटिव वर्क्स मुम्बई द्वारा निर्मित थी। विपक्षी अशोक आटो सेल्स ने वाहन विक्रय करते समय प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को बताया कि वाहन 1997 मॉडल का था, किन्तु आर0टी0ओ0 आगरा ने जब वाहन का पंजीकरण प्रमाण पत्र परिवादी को निर्गत किया, तो उक्त वाहन को 1995 का निर्मित दिखाया है। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के अनुसार विपक्षी सं0 1 ने उसके साथ धोखा किया है और पुराना वाहन 1995 का देकर 1997 के मूल्य की धनराशि ली है। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी के अनुसार दोनों मॉडल मे रूपये 50,000/- की धनराशि का अंतर था। उक्त धनराशि मय बयाज हेतु परिवाद योजित किया गया।
- विपक्षी सं0 1 द्वारा प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें कहा गया कि वह विपक्षी सं0 2 टाटा इंजीनियरिंग का अभिकर्ता था। चेसिस को निर्माण के आधार पर ही दिया गया था। जिसमें 1995 का निर्माण वर्ष गलती से 1997 के स्थान पर नहीं लिखा था। विपक्षी सं0 1 द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है।
- विपक्षी सं0 2 एवं अपील सं0 1646 सन 2005 के अपीलकर्ता टाटा मोटर्स द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र में यह कथन किया गया कि उसे गलत रूप में पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी सं0 2 द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। स्वयं प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी ने वाहन व्यवसायिक उद्देश्य से लिया है। अत: प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी का परिवादी सम्पूर्ण रूप में और विपक्षी के विरूद्ध निरस्त किये जाने योग्य है।
- विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा इस आधार पर परिवाद स्वीकार किया गया कि प्रश्नगत वाहन को 1997 का मॉडल बताकर बेचा गया था, जिसे आर0टी0ओ0 ने पंजीकरण प्रमाण पत्र देते समय वर्ष 1995 का होना पाया। अत: मूल्य के अंतर रूपये 50,000/- की आज्ञप्ति की गयी, जिससे व्यथित होकर दोनों विपक्षीगण ने उपरोक्त अपीलें प्रस्तुत की हैं।
- अपील सं0 1824 सन 2005 में अपीलार्थी/विपक्षी सं0 1 का यह कथन है कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा आर0टी0ओ0 आगरा से प्रश्नगत वाहन का निर्माण का वर्ष सत्यापित करने का कोई प्रयास नहीं किया, जबकि अपीलकर्ता ने इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया था कि विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने गलत प्रकार से वाद आज्ञप्त किया है। यह संभव है कि आर0टी0ओ0 कार्यालय की गलती से वाहन का वर्ष 1995 लिखा गया हो और यह भी संभव है कि निर्माणकर्ता द्वारा पुराना चेसिस दिया हो। इसमें विपक्षी सं0 1 की कोई त्रुटि नहीं है। अत: परिवाद विपक्षी सं0 1 के विरूद्ध निरस्त किये जाने योग्य है।
- अपील सं0 1646 सन 2005 के अपीलकर्ता द्वारा अपील मुख्य रूप से इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि आर0टी0ओ0 आगरा द्वारा दिये गये वाहन के अस्थायी पंजीयन में वाहन का मॉडल 1997 दर्शाया गया था। स्थायी पंजीकरण देते समय संभवत: आर0टी0ओ0 आगरा द्वारा त्रुटिवश वाहन के निर्माण की तिथि 1995 दर्ज कर दी गयी। अत: वाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं था। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम ने बिना उचित साक्ष्य के वाद आज्ञप्त किया है। अत: परिवाद अस्वीकार किये जाने योग्य एवं अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
- अपीलार्थी अशोक आटो सेल्स की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री संजय कुमार श्रीवास्तव एवं प्रत्यर्थी सं0 2 टाटा मोटर्स की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित हैं। पत्रावली पर उपलब्ध समस्त अभिलेख का अवलोकन किया। तत्पश्चात पीठ के निष्कर्ष निम्नलिखित प्रकार से हैं:-
- परिवाद में मुख्य आधार यह लिया गया है कि विपक्षी सं0 1 ने प्रश्नगत वाहन टाटा 407 जिसका चेसिस नम्बर 357042MUQ050013 तथा इंजन नम्बर 497SP22GUQ761187 है, को वर्ष 1997 का दर्शाया गया, किन्तु पंजीकरण करते समय पंजीकरण प्रमाण पत्र में आर0टी0ओ0 आगरा द्वारा वाहन के पंजीयन में मॉडल वर्ष 1995 का लिखा गया, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी को पुराना वाहन वर्ष 1995 का दिया गया था। प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी की ओर से अपने साक्ष्य को सिद्ध करने के लिए अशोक आटो सेल्स अर्थात विक्रेता द्वारा विक्रय प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि प्रस्तुत की है, जिसमें प्रश्नगत वाहन का मॉडल वर्ष 1997 अंकित किया गया है दूसरी ओर वाहन के पंजीयन प्रमाण पत्र में वाहन का महीना तथा साल वर्ष 1995 अंकित किया गया है। अपीलकर्ता की ओर से प्रश्नगत वाहन का अस्थायी पंजीकरण प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें वाहन का मॉडल वर्ष 1997 अंकित है जो यह दर्शाता है कि त्रुटिवश संभागीय परिवहन अधिकारी, पंजीकरण अधिकारी आगरा द्वारा त्रुटिवश प्रश्नगत वाहन का मॉडल 1995 अंकित किया गया है।
- अभिलेखों पर ऐसा कोई साक्ष्य प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया है कि अस्थायी पंजीकरण में वर्ष 1997 नहीं लिखे जाने के उपरान्त यदि अधिकारी द्वारा बाद में इसे वर्ष 1995 बताया गया तो उनके द्वारा विपक्षी से इस संबंध में क्या पूछताछ की गयी एवं यह तथ्य संभागीय परिवहन अधिकारी एवं पंजीकरण अधिकारी से स्पष्ट किया गया अथवा नहीं कि यह लिपिकीय त्रुटि के कारण लिखा गया है या वास्तव में प्रश्नगत वाहन वर्ष 1995 का ही है।
- इंजन तथा चेसिस नम्बर के लॉट को विपक्षी सं0 2 से मांगे जाने पर भी यह स्पष्ट हो जाता है कि वास्तव में वाहन का निर्माण किस वर्ष में हुआ है। इस प्रकार एक ओर अस्थायी पंजीयन प्रमाण पत्र जो पहले जारी होता है, में उसमें पंजीयन अधिकारी द्वारा वाहन का मॉडल वर्ष 1997 का लिखे जाने के उपरान्त वर्ष 1995 लिखा जाना लिपिकीय त्रुटि प्रतीत होती है। अत: प्रत्यर्थी सं0 1/परिवादी बिना पुष्टिकारक साक्ष्य के क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है। विद्धान जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा गलत प्रकार से निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है।
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- सं0-1824/2005 एवं अपील सं0-1646/2005 स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा परिवाद सं0- 99/1998 मे पारित निर्णय/आदेश दिनांक 26.08.2005 अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपीलों में वाद-व्यय स्वयं वहन करेंगे। इस निर्णय की प्रमाणित प्रति अपील सं0 1646/2005 में रखी जाये। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (विकास सक्सेना)(सुशील कुमार) सदस्य सदस्य संदीप आशु0 कोर्ट 3 | |