Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/2568

Rajesh Sony - Complainant(s)

Versus

Om Automobiles - Opp.Party(s)

A. K. Mishra

13 Jan 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/2568
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Rajesh Sony
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Om Automobiles
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-2568/2001

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्‍या- 299/1996 में पारित आदेश दिनांक 24-09-2001 के विरूद्ध)        

राजेश सोनी पुत्र श्री राधेश्‍याम सोनी निवासी- सब्‍जीमण्‍डी शहर व जिला रायबरेली।

                                     अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

1-ओम आटोमोबाइल्‍स, 87 फिरोजगांधीनगर, सिविल लाइन्‍स शहर रायबरेली, वर्तमान पता- लखनऊ रोड रायबरेली।

2-ओम फाइनेंन्सियल सर्विसेज इन्‍वेस्‍टमेंट लि0 घसियारी मण्‍डी लखनऊ रोड़ रायबरेली द्वारा प्रबन्‍धक।

3-यूकाल पावर सिस्‍टम लिमिटेड टेम्‍पल टावर ग्राउण्‍ड फलोर 476 अन्‍नासलाई, नन्‍दानम, मद्रास( चेन्‍नई) 600035

                                           प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-

1-माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य।

2-माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: अनिल कुमार मिश्रा, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित  : कोई नहीं।

दिनांक-  03-07-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम, रायबरेली द्वारा परिवाद संख्‍या- 299/1996 में पारित आदेश दिनांक 24-09-2001 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है। जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-  “ परिवाद खारिज किया जाता है तथा परिवादी को यह निर्देश दिया जाता है कि वह क्षतिपूर्ति के रूप में विपक्षी सं0-1 व 02 को मु0 5,000-00 रूपये तीस दिन में अदा करें। समय सामाप्ति के बाद विपक्षी सं0- 01 व 02 उपरोक्‍त धनराशि प्राप्‍त करने के लिये फोरम में नियमानुसार कार्यवाही करा सकते हैं।”

 

(2)

     संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादी ने दिनांक13-12-1995 को विपक्षी संख्‍या-01 से विपक्षी सं0-2 की मदद से मु0 24,975-00 रूपये का एक पोर्टेबल जनसेट क्रय किया था, जिसका इंजन न0-जेड पी-50367 तथा फ्रेम नम्‍बर-ओ0 एक्‍स-2514 है। उक्‍त पोर्टेबल जनसेट विपक्षी सं0-3 द्वारा उत्‍पादित किया हुआ है। विपक्षी सं0-1 से यूकान जनसेट  इंजन नम्‍बर जेडपी-50367 क्रय करते समय यह वारण्‍टी प्रदान की गई थी कि एक वर्ष के अन्‍दर यदि किसी प्रकार की कोई त्रुटि या खराबी उत्‍पन्‍न होती है तो उसको विपक्षीगण द्वारा दूर किया जायेगा तथा यह बात यूकाल पावर सिस्‍टम के वारण्‍टी कार्ड के प्रारम्‍भ में ही दी गई है। वारण्‍टी पीरियड में ही परिवादी का यूकाल जनसेट जिसे परिवादी ने विपक्षी सं0-2 की मदद से विपक्षी सं01 से क्रय किया था वह त्रुटियुक्‍त हो गया और उसका इंजन डैमेज हो गया, जिस पर परिवादी ने दिनांक 05-08-1996 को उक्‍त यूकाल जनसेट को विपक्षी सं0-1 की दुकान लखनऊ रोड़ रायबरेली, में जमा कर दिया। विपक्षीगण ने आज तक परिवादी के उक्‍त जनसेट को ठीक नहीं किया, जिसके कारण परिवादी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अत: परिवादी ने उपरोक्‍त अनुतोष की याचना किया है।

     विपक्षीगण पर नोटिस तामील करायी गई। विपक्षीगण ने अपना जवाबदावा तथा शपथ पत्र दाखिल किया।

     जिला उपभोक्‍ता फोरम ने यह पाया कि परिवादी द्वारा प्रपत्र संख्‍या-35/41 दाखिल किया है। उक्‍त प्रपत्र में इंजन नम्‍बर को ओवरराइटिंग  किया गया है और इस सम्‍बन्‍ध में बहस के दौरान विपक्षी सं0-1 व 2 के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा प्रपत्र सं0 35/41 की कार्बन कापी प्रपत्र सं0 36/11 दाखिल किया गया, जिस पर कटिंग तथा ओवरराइटिंग नहीं है। उपरोक्‍त प्रपत्र का अवलोकन करने से यह स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी द्वारा

(3)

न्‍यायालय से अनुचित लाभ लेने के लिये उपरोक्‍त प्रपत्र तैयार एवं प्रस्‍तुत किया गया है। अत: परिवादी द्वारा न्‍यायालय में फर्जी प्रपत्र प्रस्‍तुत करने पर उसके ऊपर फौजदारी का मामला बनता है, परन्‍तु फौजदारी में वाद दर्ज न कराकर परिवादी के ऊपर विपक्षीगण को हैरान व परेशान करने के लिए मु0 5,000-00 रूपये की क्षतिपूर्ति किया जाना तथा परिवाद को खारिज किया जाना न्‍यायसंगत प्रतीत होता है। जिला उपभोक्‍ता फोरम ने परिवाद खारिज किया है और साथ ही विपक्षी सं0-1 व 2 को परिवादी से 5,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति भी देने का आदेश किया है।

     अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने के उपरान्‍त एवं केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में हम यह पाते है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम द्वारा जो 5,000-00 रूपये की क्षतिपूर्ति परिवादी के ऊपर लगाया गया है, वह समाप्‍त किये जाने योग्‍य है और शेष आदेश की पुष्टि किये जाने योग्‍य है।

     आदेश

     अपीलकर्ता की अपील ऑशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। परिवादी/अपीलकर्ता के ऊपर जो 5,000-00 रूपये की क्षतिपूर्ति लगाया गया है, उसे समाप्‍त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।

     उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करें।

 

 (राम चरन चौधरी)                      ( राज कमल गुप्‍ता )

  पीठासीन सदस्‍य                            सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, आशु.

कोर्ट नं0-5

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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