(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1717/2009
(जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्या-04/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 8.9.2009 के विरूद्ध)
1. श्रीमती स्नेह लता सदानी पत्नी स्व0 शिव कुमार सदानी।
2. चन्द्र मोहन सदानी पुत्र स्व0 शिव कुमार सदानी।
3. श्रीमती पूजा कठेरिया पत्नी श्री अनुराग कठेरिया, पुत्री स्व0 शिव कुमार सदानी।
समस्त निवासीगण सदानी स्टील प्रा0लि0, मदन गेट, अलीगढ़।
अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम
1. दि ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0, डिविजनल आफिस, समद रोड, अलीगढ़, द्वारा डिविजनल मैनेजर।
2. मेडसेव हेल्थ केयर, एफ-701-ए, लाडो सराय, गोल्फ कोर्स के पीछे, नई दिल्ली।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री विकास अग्रवाल।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री बी.सी. पाण्डेय।
दिनांक: 18.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-04/2008, शिव कुमार सदानी (मृतक) तथा दो अन्य बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कंपनी लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, अलीगढ़ द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 8.9.2009 के विरूद्ध स्वंय परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत की गई अपील पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/पत्रावली का अवलोकन किया गया। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि परिवादी सं0-1, शिव कुमार सदानी (मृतक) का मेडिक्लेम भुगतान योग्य नहीं है, क्योंकि पालिसी प्राप्त करने से पूर्व मौजूद बीमारी के तथ्य को उनके द्वारा छिपाया गया है।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी सं0-1, शिव कुमार सदानी (मृतक) द्वारा अपने जीवन काल में मेडिक्लेम बीमा पालिसी वर्ष 1999 में प्राप्त की गई थी। मेडिक्लेम पालिसी का अंतिम बार दिनांक 30.3.2006 से दिनांक 29.3.2007 तक नवीनीकरण कराया गया, इस पालिसी का कुल बीमित मूल्य अंकन 3,00,000/-रू0 था, इस मध्य कोई बीमा क्लेम प्राप्त नहीं किया गया। दिनांक 27.9.2006 को सांस लेने में तकलीफ होने के कारण बीमाधारक को फोर्टिस हॉस्पिटल, नई दिल्ली में भर्ती कराकर इलाज कराया गया, जहां से दिनांक 7.12.2006 को डिसचार्ज हुए और इस मध्य कुल 4,89,213/-रू0 खर्च हुए, जिसके भुगतान की रसीद, हॉस्पिटल जाने की सूचना के साथ बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा कंपनी द्वारा मेडिक्लेम देने से इंकार कर दिया गया।
3. विपक्षीगण का कथन है कि वर्ष 1999 में मेडिक्लेम पालिसी लेते समय ही बीमाधारक बीमार थे और इस तथ्य को उनके द्वारा छिपाया गया, इसलिए दावा भुगतान योग्य नहीं है।
4. विद्वान जिला आयोग ने भी बीमा कंपनी के तर्क को स्वीकार करते हुए परिवाद खारिज करने का आदेश पारित किया है।
5. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अनुचित है तथा मनमाना है। बीमाधारक को कभी भी बीमा पालिसी की शर्तों से अवगत नहीं कराया गया। बीमा कपंनी ने यह तथ्य साबित नहीं किया कि बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व बीमारी के तथ्य को छिपाया गया। बीमाधारक द्वारा प्रस्ताव भरने से पूर्व किसी बीमारी का कोई इलाज नहीं कराया गया न ही बीमा कंपनी द्वारा इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत की गई, इसलिए बीमा क्लेम देय बनता है।
6. बीमा कंपनी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि स्वंय परिवादीगण द्वारा बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए हैं, उनसे साबित होता है कि बीमारी के तथ्य को छिपाया गया। डिसचार्ज समरी से भी यह तथ्य साबित होता है, परन्तु यथार्थ में बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व किसी बीमारी का इलाज कराने का कोई सबूत बीमा कंपनी की ओर से दाखिल नहीं किया गया है। बीमा कंपनी की ओर से बीमा पालिसी की शर्त सं0-4.1 के अंतर्गत बीमा क्लेम नकारने का आधार लिया गया है, परन्तु चूंकि बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व बीमाधारक द्वारा किस बीमारी का इलाज कराया गया, इस संबंध में कोई सबूत दाखिल नहीं किया गया है, केवल डिसचार्ज समरी पर अपना भरोसा कायम किया है। डिसचार्ज समरी के अनुसार मरीज दिनांक 3.12.2006 से दिनांक 7.12.2006 तक र्फोटिस हॉस्पिटल में भर्ती रहा तथा हॉस्पिटल में भर्ती होकर Coronary Artery का इलाज कराया गया। डिसचार्ज समरी का उल्लेख पूर्व में बीमारी का इलाज कराना, स्थापित नहीं माना जा सकता। बीमा कंपनी का यह दायित्व है कि वह बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व मौजूद किसी बीमारी की जानकारी के तथ्य को साक्ष्य से साबित करे और ऐसा केवल बीमारी का इलाज कराने के सबूत के साथ ही साबित किया जा सकता है, परन्तु बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व किसी बीमारी का इलाज कराने का कोई सबूत बीमा कंपनी द्वारा दाखिल नहीं किया गया, इसलिए बीमा क्लेम नकारने का आदेश विधिसम्मत नहीं कहा जा सकता। तदनुसार विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्त होने और प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 08.09.2009 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि बीमाधारक के इलाज पर खर्च राशि अंकन 4,89,213/-रू0 परिवादीगण को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज के साथ एक माह की अवधि में अदा किया जाए तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 5,000/-रू0 भी उपरोक्त अवधि में अदा किए जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2