Uttar Pradesh

Faizabad

CC/221/12

VIJAY KUMAR - Complainant(s)

Versus

NEW INDIA INSURANCE - Opp.Party(s)

13 Oct 2015

ORDER

DISTRICT CONSUMER DISPUTES REDRESSAL FORUM
Judgement of Faizabad
 
Complaint Case No. CC/221/12
 
1. VIJAY KUMAR
SANJAY VASTRALAY KUMARGANJ FZD
...........Complainant(s)
Versus
1. NEW INDIA INSURANCE
159 RIKABGANJ FZD
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL PRESIDENT
 HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA MEMBER
 HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।

 

उपस्थित -     (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
        (2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य

परिवाद सं0-221/2012 

               
विजय कुमार पुत्र राम मूर्ति प्रोपराइटर मैसर्स संजय वस्त्रालय कुमारगंज पोस्ट कुमारगंज जिला फैजाबाद।                                                .............. परिवादी 
बनाम
1.    द न्यू इण्डिया इंष्योरेन्स कम्पनी लि0 कार्यालय स्थित 159 रिकाबगंज फैजाबाद द्वारा षाखा प्रबन्धक।
2.    स्टेट बैंक आफ इण्डिया षाखा पिठला स्थित एन0डी0 यूनिवर्सिटी कुमारगंज फैजाबाद द्वारा षाखा प्रबन्धक।                                      .......... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 14.10.2015            
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
                        निर्णय
    परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 बैंक से अपनी दुकान के लिये रुपये ऋण की साख सुविधा रुपये तीन लाख की ले रखी है जिसका खाता संख्या 10790189954 है। परिवादी समय समय पर बैंक को अपने स्टाक का स्टेटमेंट देता रहा है। परिवादी ने दिनांक 31.12.2010 का अपना स्टाक स्टेटमेंट दिनांक 31.01.2011 को रुपये 4,70,680/- का दिया था। विपक्षी बैंक ने परिवादी की दुकान के स्टाक का बीमा दिनांक 24.05.2010 को कराया था जो दिनांक 23.05.2011 तक वैध था। परिवादी की दुकान में रखे कपड़ों का स्टाक रुपये 3,00,000/- तक के लिये बीमित था। दिनांक 30/31-01-2011 की रात में परिवादी की दुकान में चोरी हो गयी। जिसमें रुपये 1,11,724/- के कपड़े व रुपये 40,000/- नगद चोरी चले गये। जिसकी प्रथम सूचना परिवादी ने तहरीर के साथ थाना कुमारगंज फैजाबाद को दी, जो दिनांक 04.02.2011 को मु0अ0सं0 105/211 अन्तर्गत धारा 457/380 भा0दं0वि0 के अन्तर्गत दर्ज हुई, जिसमें जांच अधिकारी द्वारा दिनांक 24.03.2011 को आरोप पत्र संख्या 30 सन 2011, न्यायिक मजिस्टेªट, प्रथम फैजाबाद के न्यायालय में दाखिल किया, जिस पर वाद संख्या 194 सन 2011 ‘‘राज्य प्रति षेश कुमार आदि’’ विचाराधीन है। चोरी की सूचना परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 को भी दिया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी से बैंक के माध्यम से प्रथम सूचना रिपोर्ट व अन्य कागजात की मांग की जिसे परिवादी ने उपलब्ध करा दिया। मगर विपक्षी संख्या 1 ने बीमा दावा की रकम मात्र रुपये 14,647/- विपक्षी बैंक को भेज दी, जब कि परिवादी की दुकान में चोरी रुपये 1,11,724/- के कपडे़ तथा रुपये नगद 40,000/- चोरी हुए थे। विपक्षी बीमा कम्पनी ने सरसरी तौर पर परिवादी का बीमा दावा रुपये 1,51,724/- के स्थान पर मात्र रुपये 14,647/- का दिया। परिवादी का बीमा दावा रुपये 1,37,077/- का अभी षेश है। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षी बीमा कम्पनी से चोरी गये सामान के रुपये 1,37,077/- दिलाये जायें, क्षतिपूर्ति रुपये 50,000/-, बैंक द्वारा परिवादी से लिये गये ब्याज के रुपये दिलाये जायें तथा परिवाद व्यय बीमा कम्पनी से परिवादी को दिलाया जाय। 
    विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है। बीमा कम्पनी ने कहा है कि परिवादी के दुकान का होजरी स्टाक व कैष काउन्टर पर रुपये 3,000/- के लिये बीमित था। बीमा कम्पनी ने बीमा अवधि को स्वीकार किया है तथा परिवादी के परिवाद के अन्य कथनों से इन्कार किया है। परिवादी की दुकान का सर्वे विषेशज्ञ सर्वेयर द्वारा कराये जाने पर सर्वेयर ने मात्र रुपये 42,728/- की क्षति का अंाकलन किया था। पूर्ण जांच के बाद परिवादी को रुपये 14,647/- का भुगतान पूर्ण संतुश्टि के साथ किया जा चुका है। परिवादी द्वारा कैष काउन्टर से चोरी गये रुपये 40,000/- की मंाग बीमा षर्त के विरुद्ध की जा रही है जब कि कैष काउन्टर का बीमा मात्र रुपये 3,000/- का था। परिवादी का बीमा अण्डर इन्ष्योर्ड था इसलिये नियमानुसार कटौती की गयी है। परिवादी ने तथ्यों को छिपा कर रुपये 7 लाख के स्थान पर रुपये 3 लाख का बीमा कराया था। इस कारण बीमा नियमों के अनुसार क्षति के अंाकलन में कटौती की गयी है। परिवादी का परिवाद नियमतः पोशणीय नहीं है। इसलिये परिवादी का परिवाद मय हर्जा व खर्चा के निरस्त किये जाने योग्य है।   
    विपक्षीगण को फोरम से नोटिस भेजे गये। विपक्षी संख्या 2 बैंक का लिखित कथन का अवसर दिनांक 15.12.2014 को समाप्त किया गया। विपक्षी संख्या 2 बैंक ने निर्णय के पूर्व तक न तो अपना लिखित कथन दाखिल किया और न ही कोई रिकाल प्रार्थना पत्र दिया। 
    पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादी एवं विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा दाखिल  प्रपत्रों  का  अवलोकन  किया। परिवादी  एवं  बीमा कम्पनी द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादी की दुकान में चोरी हुई थी। परिवादी की दुकान का बीमा भी विपक्षी बीमा कम्पनी ने किया था। परिवादी ने कैष काउन्टर से चोरी गये रुपये 40,000/- की मांग अपने बीमा दावा में किया है जो बीमा षर्तों के अनुसार परिवादी का कैष काउन्टर रुपये 3,000/- के लिये बीमित था। इस प्रकार परिवादी कैष काउन्टर का रुपये 3,000/- पाने का अधिकारी है। परिवादी ने अपने चोरी गये सामान का ब्यौरा विपक्षी बीमा कम्पनी को दिया था और परिवादी ने अपने स्टाक का विवरण बैंक को भी समय से दिया था। इस प्रकार परिवादी का स्टाक बैंक द्वारा प्रमाणित है। जिसकी रिसीविंग परिवादी ने दाखिल की है। परिवादी ने अपने चोरी गये स्टाक की ही मंाग विपक्षी बीमा कम्पनी से की है। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी का बीमा दावा इस आधार पर कम दिया है कि परिवादी ने अन्डर इंष्योर्ड पालिसी ली है, इसलिये उसके बीमा दावे में कटौती की गयी है। विपक्षी ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में परिवादी के बीमा दावा को पेज 7 पर रुपये 1,08,840/- का अंाकलन किया है जिसमें रुपये 40,000/- कैष की मंाग का हवाला नहीं है। इस प्रकार परिवादी बीमा दावा की रकम रुपये 1,08,840/- पाने का अधिकारी है। चंूकि परिवादी रुपये 14,647/- प्राप्त कर चुका है। इस प्रकार परिवादी अपने बीमा दावा का रुपये 1,08,840 में से रुपये 14,647 घटा कर रुपये 94,193/- बीमा कम्पनी से पाने का अधिकारी है। विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से ‘‘हिन्द आटो सेन्टर बनाम नेषनल इंष्योरेन्स कं0 लि0’’ प्ट ;2014द्ध ब्च्श्र 356 ;छब्द्ध का उद्हरण प्रस्तुत किया गया है, जिसके तथ्य प्रस्तुत परिवाद के तथ्यों से भिन्न है और इस परिवाद पर लागू नहीं होते हैं। विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादी के बीमा दावे में कटौती कर के अपनी सेवा में कमी की है। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में सफल रहा है। परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है। 
आदेश
    परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरुद्ध आंषिक रुप से स्वीकार एवं आंषिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षी संख्या 2 के विरुद्ध परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। विपक्षी संख्या 1 बीमा कम्पनी को आदेषित किया जाता है कि वह परिवादी को बीमा दावा की रकम रुपये 94,193/- आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर भुगतान करे। विपक्षी संख्या 1 परिवादी को रुपये 94,193/- पर परिवाद दाखिल करने की दिनांक से तारोज वसूली की दिनांक तक 9 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भी भुगतान करे। विपक्षी संख्या 1 परिवादी को रुपये 3,000/- क्षतिपूर्ति के मद में तथा रुपये 2,000/- परिवाद व्यय के मद में भी भुगतान करे।   
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)              
              सदस्य                  सदस्या                   अध्यक्ष      
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 14.10.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
          (विष्णु उपाध्याय)         (माया देवी शाक्य)             (चन्द्र पाल)           
              सदस्य                  सदस्या                     अध्यक्ष

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE MR. CHANDRA PAAL]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MRS. MAYA DEVI SHAKYA]
MEMBER
 
[HON'BLE MR. VISHNU UPADHYAY]
MEMBER

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