Uttar Pradesh

Azamgarh

CC/86/2017

NARSINGH YADAV - Complainant(s)

Versus

NATIONAL INSURANCE CO.LTD. - Opp.Party(s)

DEV DUTT SINGH

24 Dec 2021

ORDER

 

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।

परिवाद संख्या 86 सन् 2017

प्रस्तुति दिनांक 11.05.2017

                                                                                                निर्णय दिनांक  24.12.2021

मृतक नरसिंह यादव पुत्र स्वo सकलू यादव ग्राम- उकरौड़ा, पोस्ट- हाफिजपुर, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।

1/1. अशोक कुमार यादव उम्र लगभग 41 साल पुत्र नरसिंह यादव साoमौo- उकरौड़ा, पोस्ट- हाफिजपुर, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।      

     .........................................................................................परिवादी।

बनाम

  1. शाखा प्रबन्धक, नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड लिo 434, ठण्डी सड़क निकट दुर्गा टाकिज, तहसील- सदर, जिला- आजमगढ़।
  2. क्षेत्रीय/मण्डलीय प्रबन्धक, नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo, क्षेत्रीय कार्यालय जीवन भवन, फेज, नवल किशोर रोड, हजरतगंज, लखनऊ।      
  3. विपक्षीगण।

                                           उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”

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            कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”

       याची ने अपने याचना पत्र में यह कहा है कि उसने अपने परिवार के भरण-पोषण हेतु एक ट्रक लिया, जिसका रजिस्ट्रेशन नं. यू.पी. 50 ए.टी. 0087 है जिसका पूर्ण बीमा उसने विपक्षी संख्या 01 से कराया, जिसकी पॉलिसी संख्या 452103/31/13/6300028704 तथा वैधता 11.01.2014 से 10.01.2015 तक थी। याची की उक्त ट्रक से दिनांक 23.10.2014 को नेपाल में दुर्घटना हो गयी थी जिसमें राकेश पासवान नामक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी थी, जिसकी सूचना याची ने दिनांक 03.11.2014 को विपक्षी संख्या 01 को दी जिनके द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने पर मजबूर होकर याची ने किसी तरह क्षतिपूर्ति की धनराशि की व्यवस्था किया तथा उसका भुगतान करके अपने ट्रक को रिलीज कराया। याची ने विपक्षी संख्या 01 द्वारा मांगे गए प्रपत्र उन्हें उपलब्ध करा दिए थे किन्तु उनके द्वारा क्षतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान न किए जाने पर क्षुब्ध होकर माo जिला फोरम के समक्ष एक परिवाद 233 सन् 2014 नरसिंह यादव बनाम नेशनल इं.कं.लि. तथा एक अन्य दाखिल किया था। माo जिला फोरम द्वारा आदेश दिनांक 30.08.2016 द्वारा परिवाद को निस्तारण करते हुए परिवादी को 15 दिन के अन्दर समस्त प्रपत्रों के साथ बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया और बीमा कम्पनी को 02 माह के अन्दर क्लेम निस्तारित करने का आदेश दिया गया था। जिला फोरम के निर्देशानुसार परिवादी ने दिनांक 09.09.2016 को अर्थात् समय के अन्दर समस्त प्रपत्रों के साथ क्लेम प्रस्तुत किया तथा वांछित प्रपत्र उपलब्ध कराया। विपक्षी संख्या 01 ने अपने पत्र दिनांक 19.10.2016 द्वारा परिवादी का दावा निरस्त करते हुए क्लेम के भुगतान से इन्कार कर दिया जो विपक्षीगण की घोर लापरवाही तथा सेवा में कमी है। दावा क्लेम निरस्तीकरण पत्र दिनांक 19.10.2016 संलग्नक संख्या 01 के रूप में संलग्न है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी के प्रामाणिक साक्ष्यों व प्रपत्रों को झुठलाते हुए पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर क्लेम निरस्त कर दिया गया जो सरासर गलत व मनमाना है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत दुर्घटना व भुगतान से सम्बन्धित नेपाली प्रपत्र भलीभांति हस्ताक्षरित व मुद्रांकित है। जिन पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है और न ही विपक्षीगण द्वारा उसे फर्जी व झूठा साबित करने का कोई प्रमाण ही दिया गया है। परिवादी ने दिनांक 23.10.2014 को नेपाल में घटित दुर्घटना की सूचना दिनांक 03.11.2014 को विपक्षी संख्या 02 को उपलब्ध करा दिया था। कायदे से विपक्षीगण को सर्वेयर नियुक्त किया जाना चाहिए था जो उन्होंने नहीं किया जो उनकी स्वयं की गलती, लापरवाही व सेवा में कमी है और अपनी गलती व कमियों का दोष याची पर थोप रहे हैं। याची का क्लेम किसी भी तरह कालबाधित नहीं है। दावा निरस्तीकरण आधार पूर्णतया गलत है। याची द्वारा विपक्षी संख्या 01 को दिनांक 03.11.2014 को सूचना देने के बावजूद जब उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की तो मजूबर होकर उसने दिनांक 11.11.2014 को पुनः विपक्षी संख्या 01 को एक पत्र प्रेषित किया। रजिस्ट्री रसीद डॉक एजेन्ट ने दिनांक 12.11.2014 को दी क्योंकि उनके द्वारा एक दिन बाद की तिथि की रसीद दी जाती है। याची का वाहन काफी दिनों से बन्द था जिसकी वजह से उसकी आर्थिक व रोजगार की काफी क्षति हो रही थी। याची नेपाल में क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान की गयी कुल धनराशि रु. 5,32,500/- व विपक्षीगण द्वारा वाहन रिलीज कराने हेतु कोई कार्यवाही न किए जाने की वजह से 23 दिन वाहन बंद रहने से चुकाई गई धनराशि 17600/- व गाड़ी खड़ी रहने से याची के रोजगार में हुई क्षति 70,000/- रुपए तथा मानसिक व शारीरिक पीड़ा हेतु 1,00,000/- रुपए कुल 7,20,000/- रुपए विपक्षीगण से पाने का अधिकारी है। अतः विपक्षीगण को आदेशित किया जाए कि वह याची को रु. 5,32,500/- बतौर क्लेम धनराशि, व 87600/- बतौर आर्थिक क्षति व 1,00,000/- रुपए बतौर मानसिक व शारीरिक पीड़ा कुल रु. 7,20,000/- रुपए 12% वार्षिक ब्याज की दर से अदा करें।     

परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।

प्रलेखीय साक्ष्य में परिवादी ने कागज संख्या 5/1ता5/4 नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा याची को लिखे व भेजे गए पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/1ता18/3 नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिo से सम्बन्धित प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/4 ड्राइविंग लाइसेन्स की छायाप्रति, कागज संख्या 18/5 परिवादी द्वारा नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी को घटना के सम्बन्ध में दी गयी सूचना पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/6 नेपाल सरकार गृहमंत्रालय के जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा के जानकारी सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/7 नेपाल सरकार गृहमंत्रालय के जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा के प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/8 नेपाल सरकार गृहमंत्रालय जिला प्रशासन कार्यालय पर्सा द्वारा जारी नेपाली नागरिकता के प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/9 नेपाल सरकार द्वारा स्थानीय विकास मंत्रालय द्वारा जारी मृत्यु दर्ता प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/10 श्रीगाऊँ विकास समितिको कार्यालय द्वारा जारी नाता प्रमाणित प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/11 श्री जिल्ला प्रहरी कार्यालय पर्सामा चढाएको जाहेरी दरख्वास्त की छायाप्रति, कागज संख्या 18/12 मृतक को प्रदान की गयी 5,32,500/- रुपए से सम्बन्धित समझौते सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/13व14 जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा द्वारा जारी मृत्यु के कारण सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/15 नेपाल सरकार के स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मंत्रालय स्वास्थ्य सेवा विभाग नारायणी उपक्षेत्रीय अस्पताल पर्सा बीरगंज द्वारा जारी लाश के पोस्ट मॉर्टम सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/16ता18/18 जिल्ला प्रहरी कार्यालय पर्सा द्वारा घटनास्थल के जाँच सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/19 नेपाल सरकार के अर्थ मंत्रालय भंसार विभाग भैरहवा अन्सार कार्यालय द्वारा जारी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/20 परिवादी द्वारा नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड आजमगढ़ को घटना के सम्बन्ध में दिए गए जानकारी से सम्बन्धित सूचना प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/21 परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी स्वस्थता प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/22 परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी माल यान परमिट प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/23 परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/24 नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी जी.टी रोड (पुलिस चौकी के पीछे) महाबलपुर, चन्धासी, मुगलसराय (चन्दौली) के प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/25 जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा नेपाल के द्वारा जारी जानकारी के सन्दर्भ में प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/26 जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा के पुनरीक्षक द्वारा जारी अंतिम संस्कार खर्च प्रतिपूर्ति दिलाने सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति,कागज संख्या 18/27व28 श्री जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा में चढ़ाया गया जाहिरा दरख्वास्त की छायाप्रति, कागज संख्या 18/29 परिवादी एवं दुर्घटना में मृत व्यक्ति के क्षतिपूर्ति के रूप में दिए गए रकम से सम्बन्धी सहमति पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/30 नेपाल सरकार के स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मंत्रालय के नारायणी उपक्षेत्रीय अस्पताल पर्सा बीरगंज द्वारा लाश पोस्ट मॉर्टम को भेजने के सन्दर्भ में पत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 18/31 नेपाल सरकार के अर्थ मंत्रालय भन्सार विभाग भैरहवा अन्सार कार्यालय द्वारा जारी प्रपत्र की छायाप्रति, कागज संख्या 25/1 परिवार रजिस्टर की छायाप्रति तथा कागज संख्या 25/2 उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा नगर पंचायत जहानागंज द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र की छायाप्रति प्रस्तुत किया है।      

कागज संख्या 14क विपक्षीगण द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें याचिका के पैरा 01 स्वीकार किया है। पैरा 02 के विषय में यह कहा है कि तथाकथित दुर्घटना 23.10.2014 से सम्बन्धित प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट आदि के अभाव में इन्कार है तथा दिनांक 03.11.2014 को प्रार्थना पत्र के साथ सुसंगत प्रपत्र बीमा पॉलिसी, परमिट, फिटनेस, प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट न दिए जाने का उल्लेख तत्कालीन शाखा प्रबन्धक द्वारा किए गए इन्डोर्समेन्ट को छिपाकर किए गए कथन झूठा होने के कारण इन्कार किया है, याचिका के पैरा 03 को स्वीकार किया गया है, पैरा 04 में यह कहा गया है कि याची द्वारा दिनांक 09.09.2016 को विपक्षी संख्या 01 के समक्ष क्लेम संस्थित किया जाना स्वीकार है, शेष से इन्कार है तथा याचना पत्र के पैरा 05ता15 इन्कार किया गया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि तथाकथित दुर्घटना दिनांक 23.10.2014 से सम्बन्धित प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट, जमानत से सम्बन्धित रिकार्ड न्यायालय के पटल पर न होने के कारण याची का सम्पूर्ण कथन झूठा व आधारहीन होने का कारण पोषणीय नहीं है। सम्बन्धित दुर्घटना की जानकारी याची का मूल निवासी उकरौड़ा जो विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय से लगभग 03 किoमीo की दूरी पर स्थित है की सूचना दिनांक 03.11.2014 दस दिन पश्चात् प्रथम सूचना रिपोर्ट, बीमा, गाड़ी फिटनेस, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आदि सुसंगत सबूतों से रहित प्रार्थना पत्र देने व बावजूद डिमान्ड तत्कालीन शाखा प्रबन्धक, इन्डोर्समेन्ट सम्बन्धी करने के बावजूद दिनांक 13.11.2014 को अपूर्ण कागजात के साथ रजिस्टर्ड पत्र भेजने के कारण सम्पूर्ण कथन याचिका झूठा है। याची द्वारा अपने झूठे कथनों को बल प्रदान करने हेतु एन्टीडेटेड पत्र दिनांक 11.11.2014 जिसकी रजिस्ट्री 12.11.2014 को विपक्षी संख्या 01 को किया जो दिनांक 13.11.2014 को मिली। उक्त एन्टीडेटेड पत्र में की गयी डिमान्ड बाबत मृत व्यक्ति की हुई क्षति की याचना जिसमें कोई धनराशि किसी मद की उल्लिखित नहीं थी, विरुद्ध इसके पूर्ववर्ती परिवाद 233 सन् 2014 में दिनांक 12.11.2014 को ही मृतक के वारिसों की अदायगी नेपाल में आजमगढ़ से लगभग 200 किoमीo दूर करने का कथन काल्पनिक, झूठ व फर्जी ढंग से विपक्षीगण की कम्पनी से अवैध वसूली हेतु उपरोक्त याचिका संस्थित है। याची द्वारा संस्थित पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से सम्बन्धित कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट, जमानत से सम्बन्धित कागजात विरुद्ध गाड़ी चालक व गाड़ी नं. यू.पी. 50 ए.टी. 0087 के संलिप्तता पुष्ट न होने के कारण याचिका के कथन काल्पनिक व असंगत हैं। तथाकथित दुर्घटना व उसमें मृतक व्यक्ति के आश्रितों को क्षतिपूर्ति अदा करने का कोई आदेश किसी सक्षम न्यायालय या एथार्टी द्वारा पारित नहीं किया गया है न ही किसी न्यायालय में कोई समझौता हुआ है। पूर्ववर्ती वाद 233/2014 में उभय पक्षों की सुनवाई के पश्चात् याची को निर्देशित किया गया है कि वह विपक्षी संख्या 01 के समक्ष क्लेम संस्थित करे। उक्त निर्देश के अनुरूप याची द्वारा संस्थित क्लेम दिनांक 09.09.2016 याची को सुनकर सुसंगत प्रपत्रों, एन्टीडेन्टेड पत्र 11.11.2014 तथा बीमा कम्पनी को इनवेस्टीगेटर नियुक्त करने व सच्चाई जानने व समझने का अवसर न देने, सक्षम न्यायालय या एथार्टी द्वारा किसी क्षतिपूर्ति का आदेश पारित न करने, किसी चेक अथवा बैंक ड्राफ्ट से अदायगी न होने आदि को दृष्टिगत रखते हुए सही तौर पर याची का क्लेम दिनांक 19.10.2016 को निरस्त कर दिया गया। माo तत्कालीन उपभोक्ता फोरम के पीठासीन अधिकारी द्वारा पारित आदेश दिनांक 30.08.2016 को याची ने अपनी डिक्री मानकर माo न्यायालय में आधारहीन तथ्यों पर निष्पादन वाद 50सन्2016 संस्थित किया था जो दिनांक 24.07.217 को निरस्त किया जा चुका है। याचिका कालबाधित है। याची का याचना पत्र निरस्त होने योग्य है। अतः निरस्त किया जाए।

विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है।    

बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। परिवाद पत्र में परिवादी ने यह कहा है कि दिनांक 23.10.2014 को उसका ट्रक नेपाल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें राकेश पासवान नामक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी थी, जिसकी सूचना उसने दिनांक 03.11.2014 को विपक्षी संख्या 01 को दी, जिनके द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने पर मजबूर होकर किसी तरह क्षतिपूर्ति की धनराशि की व्यवस्था किया तथा उसका भुगतान करके अपने ट्रक को रिलीज कराया। परिवादी ने विपक्षी संख्या 01 द्वारा मांगे गए प्रपत्र को उपलब्ध कराए थे किन्तु उनके द्वारा क्षतिपूर्ति की धनराशि का भुगतान न किए जाने पर क्षुब्ध होकर माo जिला फोरम के समक्ष एक परिवाद 233 सन् 2014 नरसिंह यादव बनाम नेशनल इं.कं.लि. तथा एक अन्य प्रस्तुत किया था। जिसमें माo जिला फोरम द्वारा दिनांक 30.08.2016 को परिवाद को निस्तारित करते हुए परिवादी को 15 दिन के अन्दर समस्त प्रपत्रों के साथ बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया और बीमा कम्पनी को 02 माह के अन्दर क्लेम निस्तारित करने के लिए आदेशित किया गया। दिनांक 19.10.2016 को विपक्षी संख्या 01 ने परिवादी के क्लेम को निस्तारित करते हुए परिवादी के क्लेम के भुगतान से इन्कार कर दिया। विपक्षी संख्या 01 ने क्लेम को मनमाने व गैरजिम्मेदाराना तरीके से निरस्त किया है, जो कि बीमा के मूल उद्देश्यों के विरुद्ध है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत सारे कागजात को विपक्षी संख्या 01 ने इन्कार कर दिया। परिवादी ने दिनांक 23.10.2014 को नेपाल में घटित दुर्घटना की सूचना समय से दिनांक 03.11.2014  को विपक्षी संख्या 02 को उपलब्ध करा दिया था और इसके पश्चात् विपक्षीगण को सर्वेयर नियुक्त करना चाहिए था जो कि उन्होंने नहीं किया। यह उनके द्वारा प्रदत्त सेवा में कमी है। इसके विपरीत विपक्षीगण ने अपने जवाबदावा में यह कहा है कि सम्बन्धित दुर्घटना की जानकारी याची को हो गयी थी क्योंकि वह ग्राम उकरौड़ा जो कि विपक्षी संख्या 01 के कार्यालय से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, की सूचना दिनांक 03.11.2014 (10 दिन पश्चात्) प्रथम सूचना रिपोर्ट, बीमा, गाड़ी फिटनेस, पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट आदि सुसंगत सबूतों से रहित प्रार्थना पत्र देने के बावजूद डिमान्ड तत्कालीन शाखा प्रबन्धक इन्डोर्समेन्ट तत्सम्बन्धी करने के बावजूद दिनांक 13.11.2014 को अपूर्ण कागजात के साथ रजिस्टर्ड पत्र भेजने के कारण सम्पूर्ण कथन फर्जी व झूठा है। विपक्षीगण ने अपने जवाबदावा में यह भी कहा है कि मृत व्यक्ति को हुए क्षति की याचना जिसमें कोई धनराशि किसी मद में उल्लिखित नहीं थी विरुद्ध इसके पूर्ववर्ती परिवाद 233 सन् 2014 में दिनांक 12.11.2014 को ही मृतक के वारिसों की अदायगी नेपाल में आजमगढ़ से लगभग 200 किलोमीटर दूर करने का कथन काल्पनिक, झूठ व फर्जी है। याची द्वारा संस्थित पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट से सम्बन्धित कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट, चार्जशीट, जमानत से सम्बन्धित कागजात विरुद्ध गाड़ी चालक व गाड़ी नं. यू.पी. 50 ए.टी. 0087 के संलिप्तता पुष्ट न होने के कारण याचिका के कथन काल्पनिक व असंगत हैं। तथाकथित दुर्घटना व उसमें मृतक व्यक्ति के आश्रितों को क्षतिपूर्ति अदा करने का कोई आदेश किसी सक्षम न्यायालय या एथार्टी द्वारा पारित नहीं किया गया है न ही किसी न्यायालय में कोई समझौता हुआ है। पूर्ववर्ती याचना संख्या 233सन्2014 में उभय पक्षों की सुनवाई के पश्चात् तत्कालीन फोरम के पीठासीन अधिकारीगण द्वारा दिनांक 30.08.2016 को याची को निर्देशित किया गया था कि याची विपक्षी संख्या 01 के समक्ष क्लेल संस्थित करें। जिसे याची द्वारा संस्थित क्लेम दिनांक 09.09.2016 याची को सुनकर सुसंगत प्रपत्रों, एन्टीडेन्टेड पत्र 11.11.2014 तथा बीमा कम्पनी को इनवेस्टीगेटर नियुक्त करने व सच्चाई जानने व समझने का अवसर न देने, सक्षम न्यायालय या एथार्टी द्वारा किसी क्षतिपूर्ति का आदेश पारित न करने, किसी चेक अथवा बैंक ड्राफ्ट से अदायगी न होने आदि को दृष्टिगत रखते हुए सही तौर पर याची का क्लेम दिनांक 19.10.2016 को निरस्त कर दिया गया। याची ने उक्त आदेश के विरुद्ध एक इजरा भी दाखिल किया था। परिवादी द्वारा कागज संख्या 19ग आवेदन पत्र इस आशय का दिया गया था कि परिवाद संख्या 86 सन् 2017 को प्रकीर्ण दर्ज कर परिवाद संख्या 233 सन् 2014 का अंश मानते हुए निर्णय किया जाए ताकि न्याय हो। यह प्रार्थना पत्र दिनांक 05.01.2021 को दिया गया था, जिसे दिनांक 11.01.2021 को Not Press कर दिया गया। इस सन्दर्भ में विपक्षीगण द्वारा न्याय निर्णय “रामनारायण एवं एन्य बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. एवं अन्य 2005 ए.सी.जे. 151” प्रस्तुत किया गया है। इस न्याय निर्णय में माo इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि यिद रिट पिटीशन आवेदक द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है तो वह न्यायालय की संपत्ति हो जाती है और किसी भी व्यक्ति को न्यायालय की शक्तियों का दुरूपयोग करने के लिए छूट नहीं दे सकती है। रिट पिटीशन को Not Press करने को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यहाँ इस बात पर ध्यान देना होगा कि उपरोक्त न्याय निर्णय में जो आदेश पारित किया गया है वह रिट पिटीशन के सन्दर्भ में पारित किया गया है। जबकि इस परिवाद में इस प्रार्थना पत्र को Not Pres किया गया है। अतः हमारे विचार से उपरोक्त न्याय निर्णय में कही गयी बातें इस प्रार्थना पत्र के सन्दर्भ में ग्राह्य नहीं हैं।

परिवादी द्वारा एक परिवाद 233 सन् 2014 नरसिंह यादव बनाम शाखा प्रबन्धक प्रस्तुत किया गया था जो दिनांक 30.08.2016 को निस्तारित हुआ था और इसमें यह अभिधारित किया गया था कि परिवादी को निर्देशित किया जाता है कि वह सर्वप्रथम 15 दिन के अन्दर समस्त प्रपत्रों के साथ बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत करे और बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह जैसे ही परिवादी के द्वारा क्लेम (मय समस्त प्रपत्रों को दाखिल किया जाता है) किया जाता है तो उसे 02 माह में निस्तारित करे। याचना संख्या 233 सन् 2014 में पारित आदेश के अनुक्रम में याची ने विपक्षी को आवेदन पत्र दिया था, लेकिन विपक्षी द्वारा उसे दिनांक 19.10.2016 को निरस्त कर दिया गया। इस निरस्तीकरण आदेश में विपक्षी ने यह लिखा है कि याचना में 23.10.2014 को दुर्घटना होना व्यक्त किया गया है, जिसकी सूचना वाहन स्वामी द्वारा दिनांक 03.11.2014 को कार्यालय में पूर्वाधिकारी को दी गयी लेकिन उक्त प्रार्थना पत्र के साथ कोई सुसंगत प्रमाण पत्र (बीमा पॉलिसी, परमिट, फिटनेस, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट, एफ.आई.आर. व चार्जशीट) आदि नहीं दी गयी, वाहन स्वामी द्वारा प्रार्थना पत्र दिनांक 11.02.2014 की रजिस्ट्री दिनांक 12.11.2014 को किया जाना रजिस्ट्री की रसीद से सुस्पष्ट है। दावाकर्ता द्वारा उक्त रजिस्ट्री दिनांक 12.11.2014 को ही नेपाल में मुआवजा मुo 5,32,500/- रुपए अदा किए जाने का प्रपत्र प्रदर्शित है। दिनांक 12.11.2014 को ही दावाकर्ता द्वारा भुगतान करने की प्रार्थना की गयी है और उसी दिन नेपाल में अदायगी दिखाया जाना स्पष्ट रूप से दावाकर्ता का कथन झूठा है। दावाकर्ता द्वारा बीमा कम्पनी को इनवेस्टीगेटर नियुक्त करने व सच्चाई जानने, समझने का कोई अवसर नहीं दिया गया। अदायगी से सम्बन्धित कोई आदेश किसी सक्षम  न्यायालय/एथॉर्टी द्वारा पारित नहीं किया गया है न ही अदायगी से सम्बन्धित कोई प्रमाण पत्र जैसे- चेक, बैंक ड्रॉफ्ट, ट्रेजरी चालान, खाता से खाता में ट्रान्सफर के माध्यम से भुगतान का, दिया गया है। अदायगी से सम्बन्धित कागज सफेद अन स्टैम्प्ड, अनअथराईज्ड एव अन रजिस्टर्ड पेपर पर होने के कारण अदायगी साजिशी एवं फर्जी प्रतीत हो रहा है। न्यायाल के निर्देश दिनांक 30.08.2016 के अनुपालन में उपरोक्त द्वारा टाईमवार्ड है जो विधि के अनुकूल एडमिसिबुल व पोषणीय नहीं है। अदायगी से सम्बन्धित प्रपत्र के आधार पर दावा किसी प्रकार से स्वीकार होने योग्य नहीं है। अतः दावा निरस्त किया जाता है। इसकी सूचना बीमा कम्पनी ने नरसिंह यादव को दे दिया था। इस परिवाद के साथ परिवाद संख्या 233 सन् 2014 की पत्रावली भी संलग्न है, जिसमें नरसिंह यादव ने शाखा प्रबन्धक नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनीर लिमिटेड आजमगढ़ को दिनांक 11.11.2014 को पत्र लिखा था जिसकी रजिस्ट्री दूसरे दिन दिनांक 12 नवम्बर, 2014 को की गयी। परिवाद संख्या 233 सन् 2014 में पारित आदेश के पश्चात् बीमा कम्पनी ने परिवादी का जो क्लेम दावा निस्तारित किया है उसके पैरा 01 में यह लिखा है कि दावा दिनांक 23.10.2014 से दुर्घटना से सम्बन्धित होना व्यक्त है। जिसकी सूचना वाहन स्वामी द्वारा दिनांक 03.11.2014 को कार्यालय में पूर्वाधिकारी को दी गयी, लेकिन उक्त प्रार्थना पत्र के साथ कोई सुसंगत प्रमाण पत्र नहीं दिया गया जिस पर बीमा कम्पनी के पूर्वाधिकारी द्वारा किए गए इन्डोर्समेन्ट से सुस्पष्ट है। वाहन स्वामी द्वारा प्रार्थना पत्र पर अंकित तिथि 11.02.2014 की रजिस्ट्री दिनांक 12.11.2014 को की गयी। जिससे यह स्पष्ट है कि दिनांक 12.11.2014 को हुई रजिस्ट्री दिनांक 12.11.2014 को ही नेपाल में मुआवजा अदा किए जाने का प्रपत्र प्रदर्शित है। दिनांक 12.11.2014 को ही  दावाकर्ता द्वारा भुगतान करने की प्रार्थना की गयी है और उसी दिन नेपाल में अदायगी दिखाया जाना स्पष्ट रूप से दावाकर्ता का कथन झूठा है। याचना संख्या 233 सन् 2014 में याची का जो क्लेम दो माह के अन्दर निस्तारित करने हेतु बीमा कम्पनी को कहा गया था, के निस्तारण के आदेश के पैरा 02 में यह लिखा है कि वाहन स्वामी द्वारा प्रार्थना पत्र पर अंकित तिथि 11.02.2014 है और रजिस्ट्री दिनांक 12.11.2014 को की गयी है, जो कि बिल्कुल गलत है क्योंकि प्रार्थना पत्र दिनांक 11.11.2014 को लिखा गया है और रजिस्ट्री दिनांक 12.11.2014 को की गयी है। इस प्रकार याची का जो क्लेम खारिज किया गया है वह बीमा कम्पनी द्वारा गलत आधार दिखाकर खारिज किया गया है। इस परिवाद में परिवादी ने समझौते के तहत मृतक के वारिसान को जो 5,32,500/- रुपए अदा किया है, उसके सन्दर्भ में कागज संख्या 18/12 संलग्न है, जिसमें प्राप्त करने वाले का अंगूठा निशान तथा गवाहान के हस्ताक्षर मौजूद हैं। इस सन्दर्भ में याचना संख्या 233 सन् 2014 द्वारा पारित आदेश के अनुसार बीमा कम्पनी द्वारा जो क्लेम परिवादी का निस्तारित हुआ है इस सन्दर्भ में याची का बीमा कम्पनी द्वारा जो क्लेम निस्तारित हुआ है उसके पैरा 03 में यह लिखा हुआ है कि अदायगी से सम्बन्धित कोई आदेश किसी सक्षम न्यायालय/अथॉरिटी द्वारा पारित नहीं किया गया है न ही अदायगी से सम्बन्धित कोई प्रमाण पत्र जैसे- चेक, बैंक ड्रॉफ्ट, ट्रेजरी चालान, खाता से खाता में ट्रान्सफर के माध्यम से भुगतान किया गया है। इस सन्दर्भ में विपक्षी द्वारा न्याय निर्णय “मेसर्स के.वी. शाह एवं सन्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम मेसर्स डेवलपमेन्ट कान्स्ट्रक्शन लिमिटेड 2009 ए.सी.जे. सुप्रीम कोर्ट 730” प्रस्तुत किया गया है। इस न्याय निर्णय में माo उच्चतम न्यायालय ने यह अभिधारित किया है कि रजिस्ट्रेशन ऐक्ट की धारा 49 के तहत अपंजीकृत प्रलेख साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है। यहाँ इस बात का उल्लेख कर देना आवश्यक है कि रजिस्ट्रेशन ऐक्ट में उन संलेखों का विवरण दिया गया है जिनकी रजिस्ट्री आवश्यक है तथा उन संलेखों का भी उल्लेख किया गया है जिनकी रजिस्ट्री आवश्यक नहीं है। यहाँ इस बात का भी उल्लेख कर देना आवश्यक है कि जो क्लेम बीमा कम्पनी ने निस्तारित किया है उसमें यह लिखा है कि याची ने जो क्षतिपूर्ति मृतक के वारिसों को दिया है उसका कोई प्रमाण पत्र जैसे चेक, बैंक ड्रॉफ्ट, ट्रेजरी चालान, खाता से खाता में ट्रान्सफर के माध्यम से भुगतान का नहीं दिया है। बीमा कम्पनी द्वारा धनराशि के अन्तरण के सम्बन्ध में उपरोक्त बातें लिखी गयी हैं उसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को नकद धनराशि देता है और उसका प्रपत्र लिखवाता है तो वह कानूनन किसी रूप में भी अवैध नहीं है। इस प्रकार हमारे विचार से याची ने मृतक के वारिसान को जो 5,32,500/- रुपए नकद अदा किया है और उस अदायगी पर प्राप्त करने वाले का अंगूठा व हस्ताक्षर व गवाहान का हस्ताक्षर बनवाया है वह सही संलेख है और उसके पंजीयन की कोई आवश्यकता नहीं है न तो इस सन्दर्भ में रजिस्ट्रेशन ऐक्ट में कोई प्रावधान है। अतः हम लोगों के विचार से याची ने मृतक के वारिसान को जो नकद धनराशि अदा किया है वह किसी भी दृष्टिकोण से अवैध नहीं है और जिन माध्यमों से पैसा हस्तांतरित करने का उल्लेख क्लेम के आदेश में किया गया है उन माध्यमों को भी एडाप्ट करना आवश्यक नहीं है।

क्लेम निरस्तीकरण आदेश दिनांक 19.10.2016 के पैरा 03 में यह बात भी लिखी गयी है कि दावाकर्ता द्वारा बीमा कम्पनी को इनवेस्टीगेटर नियुक्त करने व सच्चाई जानने व समझने का कोई अवसर नहीं दिया गया। यहाँ इस बात का उल्लेख कर देना आवश्यक है कि इनवेस्टीगेटर नियुक्त करने व सच्चाई जानने व समझने का पूरी तरह से अधिकार बीमा कम्पनी का होता है और उसमें याची किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। यदि बीमा कम्पनी ने कोई इनवेस्टीगेटर सच्चाई जानने व समझने हेतु नियुक्त नहीं किया है ति यह पूरी तरह से बीमा कम्पनी की असफलता है। बीमा कम्पनी का यह कर्तव्य था कि वह सच्चाई जानने व समझने हेतु इनवेस्टीगेटर नियुक्त करता और उससे प्राप्त रिपोर्ट पर अपना मत व्यक्त करता, जो बीमा कम्पनी ने नहीं किया।

विपक्षी ने अपने लिखित बहस के पैरा 4/1 में यह कहा है कि परिवादी द्वारा निष्पादन वाद संख्या 50 सन् 2016 ऑनमेरिट दिनांक 17.04.2017 को निरस्त कर दिया गया, जिसके पश्चात् द्वितीय परिवाद 86 सन् 2017 सेम सब्जेक्ट, मैटर व पक्षकारगण के विरुद्ध अनुतोष हेतु दिनांक 11.05.2017 को संस्थित किया गया। अब विचारणीय प्रश्न यह है कि परिवाद संख्या 233 सन् 2014 तथा परिवाद संख्या 86 सन् 2017 क्या समान विषय वस्तु व समान पक्षकारों के मध्य प्रस्तुत किया गया है? परिवाद संख्या 233 सन् 2014 इस अनुतोष के साथ प्रस्तुत किया गया है कि शिकायतकर्ता द्वारा अदा की गयी व क्षतिपूर्ति 6,20,100/- रुपए मय 12% वार्षिक ब्याज की दर से परिवादी को दिलवाया जाए साथ ही शारीरिक व मानसिक कष्ट हेतु 50,000/- रुपए भी दिलवाया जाए, लेकिन तत्कालीन पीठासीन अधिकारियों द्वारा जो निर्णय पारित किया गया वह निर्णय याचना पत्र में मांगे गए अनुतोष के सन्दर्भ में पारित नहीं किया गया, बल्कि यह आदेश पारित किया गया कि याची बीमा कम्पनी के समक्ष अपना क्लेम प्रस्तुत करे और समस्त प्रपत्र वहाँ पर जमा करे, लेकिन उसका क्लेम दिनांक 19.10.2016 को निरस्त कर दिया गया। इस प्रकार इस परिवाद का वादकारण दिनांक 19.10.2016 को उत्पन्न हुआ। यद्यपि यह परिवाद परिवाद संख्या 233 सन् 2014 के पक्षकारों के मध्य ही प्रस्तुत किया गया है, लेकिन दोनों का वाद कारण अलग-अलग है क्योंकि इस परिवाद का वाद कारण उस दिन उत्पन्न हुआ, जिस दिन बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लेम निरस्त कर दिया। अतः हमारे विचार से इस सन्दर्भ में जो बहस विपक्षीगण द्वारा दी गयी है वह संधार्य नहीं है।

विपक्षी ने कहा कि याची द्वारा मृतक के वारिसान को जो नकद भुगतान किया गया है वह दिनांक 11.11.2014 को किया गया है और उसी दिन बीमा कम्पनी को याची ने अपना प्रार्थना पत्र भी टाइप करवाया था लेकिन उसकी रजिस्ट्री दूसरे दिन दिनांक 12.11.2014 को की गयी। केवल इस आधार पर ही इस याचना पत्र को निरस्त किया जा सकता है।

इस परिवाद में परिवादी ने प्रलेखीय साक्ष्यों के रूप में कवर नोट नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड की छायाप्रति, ड्राइविंग लाइसेन्स, परिवादी द्वारा नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी को घटना के सम्बन्ध में दी गयी सूचना पत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार गृहमंत्रालय के जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा के जानकारी सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार गृहमंत्रालय के जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा के प्रपत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार गृहमंत्रालय जिला प्रशासन कार्यालय पर्सा द्वारा जारी नेपाली नागरिकता के प्रमाण पत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार द्वारा स्थानीय विकास मंत्रालय द्वारा जारी मृत्यु दर्ता प्रमाण पत्र की छायाप्रति, श्रीगाऊँ विकास समितिको कार्यालय द्वारा जारी नाता प्रमाणित प्रमाण पत्र की छायाप्रति, श्री जिल्ला प्रहरी कार्यालय पर्सामा चढाएको जाहेरी दरख्वास्त की छायाप्रति, मृतक को प्रदान की गयी 5,32,500/- रुपए से सम्बन्धित समझौते सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा द्वारा जारी मृत्यु के कारण सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार के स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मंत्रालय स्वास्थ्य सेवा विभाग नारायणी उपक्षेत्रीय अस्पताल पर्सा बीरगंज द्वारा जारी लाश के पोस्ट मॉर्टम सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, जिल्ला प्रहरी कार्यालय पर्सा द्वारा घटनास्थल के जाँच सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार के अर्थ मंत्रालय भंसार विभाग भैरहवा अन्सार कार्यालय द्वारा जारी प्रपत्र की छायाप्रति, परिवादी द्वारा नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड आजमगढ़ को घटना के सम्बन्ध में दिए गए जानकारी से सम्बन्धित सूचना प्रपत्र की छायाप्रति, परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी फिटनेस प्रमाण पत्र की छायाप्रति, परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी माल यान परमिट प्रपत्र की छायाप्रति, परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र की छायाप्रति, नेशनल इन्श्योरेन्स कम्पनी जी.टी रोड (पुलिस चौकी के पीछे) महाबलपुर, चन्धासी,

मुगलसराय (चन्दौली) के प्रपत्र की छायाप्रति, जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा नेपाल के द्वारा जारी जानकारी के सन्दर्भ में प्रपत्र की छायाप्रति, जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा के पुनरीक्षक द्वारा जारी अंतिम संस्कार खर्च प्रतिपूर्ति दिलाने सम्बन्धी प्रपत्र की छायाप्रति, श्री जिला प्रहरी कार्यालय पर्सा में चढ़ाया गया जाहिरा दरख्वास्त की छायाप्रति, परिवादी एवं दुर्घटना में मृत व्यक्ति के क्षतिपूर्ति के रूप में दिए गए रकम से सम्बन्धी सहमति पत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार के स्वास्थ्य तथा जनसंख्या मंत्रालय के नारायणी उपक्षेत्रीय अस्पताल पर्सा बीरगंज द्वारा लाश पोस्ट मॉर्टम को भेजने के सन्दर्भ में पत्र की छायाप्रति, नेपाल सरकार के अर्थ मंत्रालय भन्सार विभाग भैरहवा अन्सार कार्यालय द्वारा जारी प्रपत्र की छायाप्रति व कुछ नेपाली प्रपत्रों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया गया है।

इस प्रकार हमारे विचार से इस परिवाद में परिवादी ने प्रथम सूचना रिपोर्ट के अलावां सारे प्रपत्र प्रस्तुत किया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट परिवादी द्वारा नेपाल में अंकित करवाया गया अथवा नहीं केवल यह आधार ही परिवाद के निरस्तीकरण का कारण नहीं बन सकता है। कागज संख्या 18/1 न्यू इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड द्वारा जारी कवर नोट है, इस कवर नोट के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि वाहन का बीमा भारत और नेपाल दोनों देशों के लिए किया गया था। अतः यह वाहन बीमा का लाभ भारत और नेपाल दोनों देशों में ले सकता है।

उपरोक्त विवेचन से हमारे विचार से परिवाद स्वीकार होने योग्य है। 

आदेश

    परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वे अन्दर 30 दिन परिवादी को मुo 5,32,500/- रुपए (रु.पांच लाख बत्तीस हजार पांच सौ मात्र) जो कि उसने मृतक के वारिसान को भुगतान किया था, का भुगतान कर दें, जिस पर परिवाद दाखिला की तिथि से अन्तिम भुगतान की तिथि तक 09% वार्षिक ब्याज देय होगा। साथ ही विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वे परिवादी को शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षति हेतु मुo 20,000/- रुपए (रु. बीस हजार मात्र) तथा खर्चा मुकदमा के रूप में मुo 5,000/- रुपए (रु. पांच हजार मात्र) भी अदा करें।

 

 

 

 

                                                                      गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह    

                                                                            (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

          दिनांक 24.12.2021

                                             यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।

 

 

 

                                                                    गगन कुमार गुप्ता                कृष्ण कुमार सिंह

                                                              (सदस्य)                            (अध्यक्ष)

 

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