Uttar Pradesh

StateCommission

C/2010/06

Anoop Srivastava - Complainant(s)

Versus

N. I. A. Co. Ltd. - Opp.Party(s)

Anuj Kudesia

15 Jul 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2010/06
( Date of Filing : 20 Jan 2010 )
 
1. Anoop Srivastava
a
...........Complainant(s)
Versus
1. N. I. A. Co. Ltd.
a
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 15 Jul 2019
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

परिवाद संख्‍या-06/2010

 

अनूप श्रीवास्‍तव पुत्र श्री शिवाजी श्रीवास्‍तव, निवासी सी-139, सेक्‍टर एच, अलीगंज, लखनऊ।

                             परिवादी

बनाम्     

1. दि न्‍यू इण्डिया एश्‍योरेन्‍स कम्‍पनी लि0, डीओ 712500, न्‍यू नं0-260, अन्‍ना सलाय, चेन्‍नई-600006 ।

2. मेसर्स टी0टी0के0 हेल्‍थ केयर सर्विसेज प्राइवेट लि0, 7, जीवन बीमा नगर, मेन रोड, हाल III स्‍टेज, बैंगलोर-560075 ।

                                  विपक्षीगण

समक्ष:-

1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से      : श्री विकास कुमार अग्रवाल, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0-1 की ओर से  : श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़, विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0-2 की ओर से  : कोई नहीं।

दिनांक 09.08.2019

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत परिवाद, बीमा दावे की मय ब्‍याज अदायगी एवं क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु योजित किया गया है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार परिवादी सिटी बैंक क्रेडिट कार्ड संख्‍या-5546379232031003 का धारक है, जिस पर विपक्षी संख्‍या-1, बीमा कम्‍पनी ने सिटी बैंक के माध्‍यम से परिवादी तथा उसके परिवार के सदस्‍यों के पक्ष में मेडिक्‍लेम पालिसी जारी की, तदनुसार परिवादी तथा उसकी पत्‍नी प्रत्‍येक की एक-एक लाख रूपये बीमित धनराशि की मेडिक्‍लेम पालिसी जारी की गई, जिसके प्रीमियम की अदायगी सिटी बैंक क्रेडिट कार्ड से की गयी। इस पालिसी का नवीनीकरण समय-समय पर सिटी बैंक क्रेडिट कार्ड के माध्‍यम से किया गया। अंतिम बार नवीनीकरण दिनांक 01.08.2007 से दिनांक 31.07.2008 की अवधि के लिए गुड हेल्‍थ पालिसी के रूप में किया गया। इस पालिसी के अन्‍तर्गत विपक्षी संख्‍या-2 मेसर्स टीटीके हेल्‍थ केयर सर्विसेज प्राइवेट लि0 थर्ड पार्टी एडमिनिस्‍ट्रेटर के रूप में बीमा दावे के निस्‍तारण के सन्‍दर्भ में विचार करने एवं संस्‍तुत करने हेतु अधिकृत था। परिवादी की पत्‍नी को, जब मेडिक्‍लेम पालिसी दिनांक 01.08.2006 से दिनांक 31.07.2007 तक प्रभावी थी, इस अवधि के मध्‍य पेट का कैन्‍सर हो गया। इस पालिसी का बाद में दिनांक 31.07.2008 तक के लिए नवीनीकरण किया गया। परिवादी की पत्‍नी के पेट के कैन्‍सर के उचित इलाज हेतु टाटा मे‍मोरियल अस्‍पताल मुम्‍बई में राय ली गयी। उक्‍त अस्‍पताल के विशेषज्ञों द्वारा 03 हफ्ते के अन्‍तराल पर कीमोथेरेपी कराने हेतु राय दी गयी। टाटा मेमोरियल अस्‍पताल मुम्‍बई द्वारा दी गयी राय के अनुसार परिवादी की पत्‍नी की कीमोथेरेपी दिनांक 05.08.2007 से प्रारम्‍भ हुई तथा बाद में भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों पर करायी गयी। कीमोथेरेपी विभिन्‍न तिथियों पर कराने के उपरान्‍त परिवादी की पत्‍नी ने पत्र दिनांक 01.02.2008 द्वारा समस्‍त वांछित अभिलेखों को सलंग्‍न करते हुए बीमा दावा प्रेषित किया एवं बीमा दावे के साथ मूल बिल तथा रिपोर्टों की फोटोप्रतियां संलग्‍न की गयीं, क्‍योंकि मूल रिपोर्ट इलाज के मध्‍य टाटा मेमोरियल अस्‍पताल मुम्‍बई में रखी गयी थीं। परिवादी की पत्‍नी ने कीमोथेरेपी करवाए जाने के लिए धनराशि प्रदान किये जाने की मांग की। दिनांक 06.02.2008 को परिवादी ने पुन: विपक्षी संख्‍या-2 को परिवादी की पत्‍नी के इलाज में व्‍यय के भुगतान हेतु पत्र भेजा तथा पत्र के साथ सभी आवश्‍यक अभिलेख संलग्‍न किये, किन्‍तु बीमा कम्‍पनी द्वारा किसी न किसी बहाने से भुगतान नहीं किया गया। विपक्षी द्वारा भुगतान न किये जाने के कारण परिवादी की पत्‍नी की कीमोथेरेपी मुम्‍बई में नहीं करायी जा सकी। माह फरवरी 2008 में कीमोथेरेपी कराने हेतु परिवादी ने दिनांक 16.02.2008 का लखनऊ से मुम्‍बई जाने हेतु ट्रेन में आरक्षण भी कराया, किन्‍तु विपक्षी द्वारा धनराशि का भुगतान न किये जाने के कारण परिवादी को अपना रेलवे आरक्षण निरस्‍त कराना पड़ा। विपक्षी संख्‍या-2 ने निरंतर एक न एक अभिलेख की मांग की, जबकि परिवादी ने अपनी पत्‍नी के इलाज से संबंधित सभी अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियां उपलब्‍ध करा दी थीं। विपक्षी द्वारा धनराशि उपलब्‍ध न कराये जाने के कारण अन्‍य कोई विकल्‍प शेष न रहने पर परिवादी ने अपनी पत्‍नी का इलाज कैन्‍सर अस्‍पताल लखनऊ में कराया, किन्‍तु दुर्भाग्‍य से डा0 की राय के अनुसार कीमोथेरेपी न हो पाने के कारण परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु दिनांक 03.03.2008 को हो गयी, जिससे परिवादी तथा उसके अवयस्‍क पुत्र को अत्‍यधिक मानसिक कष्‍ट हुआ। परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु के उपरान्‍त परिवादी ने पुन: आवश्‍यक अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों के साथ पत्र पुन: भेजा, किन्‍तु विपक्षी ने पुन: अतिरिक्‍त अभिलेख प्रस्‍तुत करने की मांग की, जबकि परिवादी सभी अभिलेख प्रस्‍तुत करा चुका था। अंतत: विपक्षी द्वारा भुगतान न किये जाने पर परिवादी ने अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से विधिक नोटिस विपक्षी को भिजवाई। इसके बावजूद भुगतान हेतु कार्यवाही न किये जाने पर परिवाद योजित किया गया।

विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षीगण के कथनानुसार परिवादी द्वारा कथित रूप से दिनांक 01.02.2008 को विपक्षीगण को भेजे गए बीमा दावे के सन्‍दर्भ में परिवाद के साथ संलग्‍न संल्‍गनक 2 विपक्षीगण अथवा किसी अन्‍य को सम्‍बोधित नहीं है और न ही परिवादी द्वारा ऐसी कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत की गयी है कि यह अभिलेख विपक्षीगण को भेजा गया। ऐसी परिस्थिति में इस अभिलेख के आधार पर योजित परिवाद पोषणीय नहीं है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि यह अभिलेख किसी अन्‍य पालिसी  से संबंधित है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि परिवादी द्वारा बीमा दावा प्रस्‍तुत किये जाने के उपरान्‍त विपक्षीगण ने अनेक अभिलेख जैसे विस्‍तृत डिस्‍चार्ज समरी, मांगी गयी धनराशि का ब्रेकअप, बीमा दावा विलम्‍ब से प्रस्‍तुत किये जाने का स्‍पष्‍टीकरण, विभिन्‍न तिथियों पर करायी गयी कीमोथेरेपी के संबंध में डा0 की राय संबंधित अभिलेख मांगे गये, किन्‍तु परिवादी द्वारा यह अभिलेख प्रस्‍तुत नहीं किये गये। अत: परिवादी द्वारा सहयोग न किये जाने के कारण बीमा दावे का निस्‍तारण नहीं हो सका। अंतत: बीमा दावे की पत्रावली दिनांक 25.09.2008 को बंद कर दी गयी। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि स्‍वंय परिवादी के कथनानुसार बीमा दावा दिनांक 06.02.2008 को पहली बार प्रेषित किया गया तथा परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त दिनांक 03.03.2008 को अर्थात् दावा प्रस्‍तुत करने से लगभग 04 सप्‍ताह बाद हो गया। अत: बीमा दावे के न निस्‍तारण के कारण परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त होने का कोई प्रश्‍न नहीं है। विपक्षीगण का यह भी कथन है कि प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का आर्थिक क्षेत्राधिकार इस आयोग को प्राप्‍त नहीं है।

परिवादी ने परिवाद के साथ प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम पालिसी की फोटोप्रति संलग्‍नक-1 के रूप में, परिवादी द्वारा कथित रूप से विपक्षी को प्रेषित पत्र दिनांक 01.02.2008 की फोटोप्रति तथा दिनांक 06.02.2008 की फोटोप्रति संलग्‍नक-2 व 3 के रूप में, रेलवे टिकट की फोटोप्रति संलग्‍नक-4 के रूप में, विपक्षी संख्‍या-3 द्वारा परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 25.07.2008 की फोटोप्रति संलग्‍नक-5 के रूप में, द्वितीय अनुस्‍मारक पत्र दिनांकित 20.08.2008 की फोटोप्रति संलग्‍नक-6 के रूप में, तृतीय अनुस्‍मारक पत्र दिनांकित 04.09.2008 की फोटोप्रति संलग्‍नक-7 के रूप में तथा परिवादी द्वारा विपक्षीगण को भेजे गये विधिक नोटिस की फोटोप्रति संलग्‍नक-8 के रूप में दाखिल की है एवं साक्ष्‍य के रूप में परिवादी का शपथपत्र दिनांकित 10.03.2016 एवं शपथपत्र के साथ उन अभिलेखों की प्रतियां पुन: दाखिल की हैं, जो परिवाद के साथ संलग्‍नक के रूप में दाखलि किये गये हैं। इसके अतिरिक्‍त टाटा मेमोरियल अस्‍पताल, मुम्‍बई में परिवादी की पत्‍नी के इलाज में व्‍यय से संबंधित रसीदों की फोटोप्रतियां संलग्‍नक 2 के रूप में दाखिल की गयी हैं।

विपक्षीगण की ओर से मो0 खालिद का शपथपत्र दिनांकित 04.02.2016 दाखिल किया गया है।

हमने परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विकास कुमार अग्रवाल तथा विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री टी0जे0एस0 मक्‍कड़ को सुना। विपक्षी संख्‍या-2 के औपचारिक पक्षकार होने के कारण परिवादी की प्रार्थना पर विपक्षी संख्‍या-2 पर नोटिस की तामील से परिवादी को मुक्‍त किया गया।

परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि परिवादी की पत्‍नी को पेट में कैन्‍सर हो गया और इस कारण से दिनांक 27.07.2007 को उसे टाटा मेमोरियल अस्‍पताल, मुम्‍बई में भर्ती कराना पड़ा, उस समय परिवादी एवं परिवादी की पत्‍नी की विपक्षी संख्‍या-1 से मेडिक्‍लेम पालिसी संख्‍या-712500/06957/GHAUG2006 दिनांक 01.08.2006 से दिनांक 31.07.2007 तक प्रभावी थी। यह मेडिक्‍लेम पालिसी पुन: दिनांक 01.08.07 से नवीनीकृत दिनांक 31.07.2008 तक की गयी। इस प्रकार परिवादी की पत्‍नी को पेट के कैन्‍सर की बीमारी विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा जारी की गयी मेडिक्‍लेम पालिसी के प्रभावी होने के मध्‍य ज्ञात हुई। पेट के कैन्‍सर के इस रोग के इलाज हेतु परिवादी ने टाटा मेमोरियल अस्‍पताल, मुम्‍बई में सम्‍पर्क किया तथा वहां के विशेषज्ञों की राय के अनुसार चिकित्‍सा की गयी तथा इस रोग की चिकित्‍सा के सन्‍दर्भ में परिवादी की पत्‍नी को कीमोथेरेपी दिनांक 05.08.2007 तथा उसके बाद कई अन्‍य तिथियों पर करानी पड़ी। टाटा मेमोरियल अस्‍पताल में हुए खर्च की क्षतिपूर्ति हेतु परिवादी की पत्‍नी ने प्रार्थना पत्र दिनांकित 01.02.2008 विपक्षी संख्‍या-1 को प्रेषित किया। स्‍वंय परिवादी ने दिनांक 06.02.2008 को विपक्षी संख्‍या-2 को पत्र भेजा, किन्‍तु विपक्षीगण ने किसी न किसी कारण से परिवादी की पत्‍नी की चिकित्‍सा में हुए व्‍यय की क्षतिपूर्ति नहीं करायी गयी। परिवादी का यह भी कथन है कि विपक्षी संख्‍या-1 ने परिवादी से टाटा मेमोरियल अस्‍पताल द्वारा करायी गयी जांच की मूल प्रतियां मांगी गयी, किन्‍तु यह मूल प्रतियां परिवादी की पत्‍नी के इलाज के मध्‍य टाटा मेमोरियल अस्‍पताल में रोके जाने के कारण विपक्षी संख्‍या-1 को उपलब्‍ध कराना संभव नहीं था। परिवादी की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि धनाभाव के कारण परिवादी की पत्‍नी की कीमोथेरेपी नहीं कराई जा सकी और अंतत: परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त हो गया।

विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा सेवामें कोई त्रुटि नहीं की गयी। दिनांक 06.02.2008 को परिवादी ने बीमा दावे के भुगतान हेतु मांग प्रस्‍तुत की, किन्‍तु विपक्षीगण द्वारा मांगे गये अभिलेख परिवादी द्वारा प्राप्‍त नहीं कराये गये, जबकि इस सन्‍दर्भ में विपक्षीगण द्वारा अनेक पत्र एवं अनुस्‍मारक भेजे गये, किन्‍तु परिवादी द्वारा वांछित समस्‍त अभिलेख प्रस्‍तुत न किये जाने के कारण अंतत: परिवादी का बीमा दावा पत्र दिनांकित 25.09.2008 द्वारा बंद कर दिया गया। विपक्षी संख्‍या-1 की ओर से यह तर्क भी प्रस्‍तुत किया गया कि बीमा दावे के निस्‍तारित न किये जाने के कारण परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त नहीं हुआ क्‍योंकि स्‍वंय परिवादी यह स्‍वीकार करता है कि बीमा दावा उसने दिनांक 06.02.2008 को प्रस्‍तुत किया था तथा परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त दिनांक 03.03.2008 को अर्थात् बीमा दावा प्रस्‍तुत किये जाने के 04 सप्‍ताह के अन्‍दर हो गया। विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा यह भी तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का आर्थिक क्षेत्राधिकार इस आयोग को प्राप्‍त नहीं है, क्‍योंकि परिवादी ने बिना किसी तर्कसंगत आधार के अनुतोष की धनराशि इस आयोग के क्षेत्राधिकार में परिवाद योजित किये जाने के उद्देश्‍य से अत्‍यधिक बड़ाई गई है।

जहां तक परिवाद की सुनवाई के आर्थिक क्षेत्राधिकार का प्रश्‍न है, क्षेत्राधिकार का निर्धारण परिवाद के अभिकथनों के अनुसार किया जाएगा। परिवादी ने परिवाद में एक लाख रूपया प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम पालिसी के अन्‍तर्गत 18 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज सहित दिलाए जाने एवं 10 लाख रूपया कथित रूप से कीमोथेरेपी न कराए जाने के कारण परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु के कारण क्षतिपूर्ति के रूप में एवं 15 लाख रूपया परिवादी तथा उसके पुत्र की मानसिक प्रताड़ना के सन्‍दर्भ में दिलाए जाने हेतु तथा 5 लाख रूपया जीवन के आनन्‍द से वंचित रहने के कारण, दिलाए जाने का अनुतोष चाहा है। पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य की विवेचना के उपरान्‍त यह निर्णीत किया जा सकता है कि क्‍या विपक्षीगण द्वारा सेवा में कोई कमी की गयी है तथा क्‍या विपक्षीगण द्वारा कथित रूप से की गयी सेवा में कमी के कारण परिवादी की पत्‍नी का पर्याप्‍त चिकित्‍सा के अभाव में देहान्‍त हो गया। यदि साक्ष्‍य से यह प्रमाणित होता है कि विपक्षीगण द्वारा की गयी किसी सेवा में कमी के कारण परिवादी की पत्‍नी की मृत्‍यु हुई तब इस सन्‍दर्भ में परिवादी द्वारा चाहे गये अनुतोषपर विचार किया जा सकता है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी द्वारा याचित अनुतोष की धनराशि पर विचार किया जा सकता है, अत: विपक्षी संख्‍या-1 के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है कि प्रस्‍तुत परिवाद में आर्थिक क्षेत्राधिकार की कमी का दोष है।

परिवादी का यह कथन है कि विपक्षी संख्‍या-1, बीमा कम्‍पनी द्वारा जारी की गयी मेडिक्‍लेम पालिसी के प्रभावी रहने के मध्‍य उसकी पत्‍नी को पेट का कैन्‍सर हुआ, जिसका इलाज उसने टाटा मेमोरियल अस्‍पताल, मुम्‍बई में कराया। इलाज में हुए खर्च संबंधी रसीदें परिवादी द्वारा दाखिल की गयी हैं। यह सभी रसीदें टाटा मेमोरियल सेण्‍टर, मुम्‍बई से संबंधित हैं। विपक्षी संख्‍या-1 का यह स्‍पष्‍ट कथन नहीं है कि परिवादी की पत्‍नी का प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम पालिसी के प्रभावी रहने के मध्‍य इलाज नहीं हुआ न ही विपक्षी संख्‍या-1 का यह कथन है कि परिवादी की पत्‍नी का इलाज टाटा मेमोरियल सेण्‍टर मुम्‍बई में नहीं हुआ। निर्विवाद रूप से कैन्‍सर का रोग एक अत्‍यंत गंभीर प्रकृति का रोग था तथा इसके तत्‍काल चिकित्‍सा की आवश्‍यकता थी। कैन्‍सर रोग के निवारण हेतु कीमोथेरेपी की आवश्‍यकता अस्‍वाभाविक नहीं मानी जा सकती। परिवादी द्वारा दाखिल किये गये अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादी की पत्‍नी का इलाज टाटा मेमोरियल सेण्‍टर मुम्‍बई में किया गया। विपक्षी संख्‍या-1 को परिवादी की पत्‍नी के टाटा मेमोरियल अस्‍पताल में भर्ती होने तथा उसके इलाज में यदि कोई संदेह था तो इस सन्‍दर्भ में मामलें की गंभीरता को देखते हुए विपक्षी संख्‍या-1 परिवादी द्वारा उन्‍हें प्राप्‍त कराये गये अभिलेखों का सत्‍यापन अपने स्‍तर से टाटा मेमोरियल सेण्‍टर से करा सकते थे। मेडिक्‍लेम पालिसी प्रत्‍येक व्‍यक्ति इस आशा में ही कराता है कि पालिसी अवधि के मध्‍य बीमारी की स्थिति में क्षतिपूर्ति की अदायगी बीमा कम्‍पनी द्वारा की जाएगी। कैन्‍सर जैसे गंभीर रोग से पीडि़त व्‍यक्ति को तत्‍काल चिकित्‍सा की आवश्‍यकता होती है और स्‍वाभाविक रूप से इस प्रयोजन हेतु उसे शीघ्र धनराशि की भी आवश्‍यकता होती है, किन्‍तु प्रस्‍तुत मामलें में परिवादी की पत्‍नी की कैन्‍सर रोग से चिकित्‍सा संबंधी अभिलेख विपक्षी संख्‍या-1 को उपलब्‍ध कराये जाने के बावजूजद विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा रोग की गंभीरता के सापेक्ष अपेक्षित तत्‍परता नहीं दिखाई गई। अत: परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत बीमा दावा का शीघ्र निस्‍तारण न करके हमारे विचार से विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा सेवा में त्रुटि की गयी है। प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम पालिसी के अन्‍तर्गत एक लाख रूपये की अधिकतम क्षतिपूर्ति परिवादी की पत्‍नी के इलाज के सन्‍दर्भ में विपक्षी संख्‍या-1, बीमा कम्‍पनी द्वारा की जानी है। परिवादी द्वारा चिकित्‍सा व्‍यय से संबंधित रसीदों के अवलोकन से यह विदित होता है कि इस धनराशि से कई गुना धनराशि परिवादी द्वारा अपनी पत्‍नी की चिकित्‍सा में व्‍यय की गयी। ऐसी परिस्थिति में एक लाख रूपया मय ब्‍याज परिवादी को दिलाया जाना उपर्युक्‍त होगा साथ ही परिवादी की पत्‍नी के कैन्‍सर जैसे गंभीर रोग से पीडि़त होने के बावजूद उसके बीमा दावे का शीघ्र निस्‍तारण न किये जाने के कारण परिवादी तथा परिवादी की पत्‍नी एवं उसके पुत्र को स्‍वाभाविक रूप से अत्‍यंत मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा होगा। ऐसी परिस्थिति में 30,000/- रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाया जाना न्‍यायोचित होगा।

जहां तक परिवादी के इस कथन का प्रश्‍न है कि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा बीमा दावे का निस्‍तारण न किये जाने के कारण पर्याप्‍त चिकित्‍सा सुविधा के अभाव में परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त हो गया। उल्‍लेखनीय है कि परिवादी द्वारा दाखिल किये गये अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि दिनांक 01.02.2008 को प्रेषित पत्र किसी को सम्‍बोधित नहीं है। विपक्षीगण ने ऐसी किसी पत्र की प्राप्ति से इंकार किया है। इस पत्र के कथित रूप से भेजे जाने की पोस्‍टल रसीद भी दाखिल नहीं की गयी है। इस पत्र में दर्शित पालिसी विवरण भी प्रश्‍नगत मेडिक्‍लेम पालिसी से भिन्‍न है। अत: दिनांक 01.02.2008 द्वारा बीमा दावा प्रस्‍तुत किया जाना नहीं माना जा सकता। बीमा दावा परिवादी द्वारा प्रेषित पत्र दिनांकित 06.02.2008 द्वारा प्रस्‍तुत किया जाना माना जा सकता है। स्‍वंय परिवादी के कथनानुसार परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त दिनांक 03.03.2008 को हो गया अर्थात् बीमा दावा प्रस्‍तुत किये जाने के लगभग 04 सप्‍ताह के भीतर ही परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त हो गया। ऐसी परिस्थिति में यह नहीं माना जा सकता कि विपक्षीगण द्वारा बीमा दावे का निस्‍तारण न किये जाने के कारण परिवादी की पत्‍नी का देहान्‍त हो गया। परिवादी का यह भी कथन है कि उसने बाम्‍बे जाने के लिए ट्रेन का आरक्षण दिनांकित 16.02.2008 की यात्रा के लिए कराया था, किन्‍तु परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत किये गये अभिलेखों के अवलोकन से यह विदित होता है कि परिवादी की पत्‍नी की यात्रा संबंधी कोई साक्ष्‍य परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं की है। स्‍वंय परिवादी की दिनांक 16.02.2008 की कथित बम्‍बई यात्रा के लिए विश्‍वसनीय साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गयी है। अत: इस सन्‍दर्भ में परिवादी को क्षतिपूर्ति की अदायगी का कोई औचित्‍य नहीं है। परिवाद तदनुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।

                       आदेश

 

प्रस्‍तुत परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी     संख्‍या-1, बीमा कम्‍पनी को निर्देशित किया जाता है कि वह निर्णय की प्रमाणित प्रति प्राप्‍त किये जाने की तिथि से 45 दिन के अन्‍दर परिवादी को एक लाख रूपये मय ब्‍याज भुगतान करें। इस धनराशि पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी तक परिवादी 09 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्‍याज भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।

विपक्षी संख्‍या-1, बीमा कम्‍पनी को यह भी निर्देशित किया जाता है कि परिवादी तथा परिवादी की पत्‍नी एवं उसके पुत्र को मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक प्रताड़ना हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में 30,000/- रूपये का भुगतान निर्धारित अवधि में करें। यह भी निर्देशित किया जाता विपक्षी संख्‍या-1, बीमा कम्‍पनी परिवादी को परिवाद व्‍यय के रूप में 5,000/- रूपये भी भुगतान करें।

उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्‍यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये।

 

 

 

 

(उदय शंकर अवस्‍थी)                         (गोवर्द्धन यादव)

पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

 

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0, कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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