(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1924/2010
Mohan Lal Arora Son of Late Sri Banshi Dhar Arora
Versus
National Insurance Company Ltd. & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री शिवांश प्रकाश शर्मा, विद्धान अधिवक्ता
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित:- सुश्री रेहाना खान, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :13.12.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- परिवाद संख्या-308/2005, मोहन लाल अरोड़ा बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड व अन्य में विद्वान जिला आयोग, कानपुर नगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 12.10.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि मेडिक्लेम देय नही है क्योंकि परिवादी द्वारा मेडिक्लेम पॉलिसी प्राप्त करते समय पूर्व से मौजूद बीमारी के तथ्य को छिपाया गया है।
- परिवाद के तथ्यो के अनुसार परिवादी द्वारा दिनांक 24.12.2002 को एक मेडिक्लेम पॉलिसी प्राप्त की थी, जो दिनांक 23.12.2008 तक प्रभावी थी। परिवादी डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित थे, जिसकी सूचना अभिकर्ता के माध्यम से दे दी गयी थी, चूंकि इस सूचना के पश्चात पॉलिसी प्राप्त की गयी थी। इस प्रकार स्वयं परिवादी ने परिवाद पत्र में स्वीकार किया है कि वह डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित थे, परंतु आगे कथन किया है सूचना मौखिक रूप से दी गयी है, परंतु मौखिक सूचना का कोई वैधानिक महत्व नहीं है क्योंकि बीमा प्रस्ताव भरते समय परिवादी से स्पष्ट रूप से प्रश्न पूछा गया था कि क्या वह किसी बीमारी से ग्रसित रहे थे या पूर्व में किसी बीमारी का इलाज कराया गया हो? इस प्रश्न का उत्तर नकारात्मक दिया गया है, इसलिए मौखिक सूचना देने का कोई महत्व नहीं रह जाता चूंकि स्वयं परिवादी ने बीमा प्रस्ताव भरते समय डायबिटीज की बीमारी से ग्रसित होने का कथन किया है, इसलिए इस तथ्य को छिपाना साबित है।
- अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की ओर से यह बहस की गयी है कि डायबिटीज का इलाज नहीं हुआ है, अपितु हार्निया का इलाज हुआ है, इसलिए हार्निया, डायबिटीज की बीमारी का आपसी संबंधी नहीं है, परंतु वैधानिक स्थिति यह है कि मेडिक्लेम पॉलिसी प्राप्त करते समय किसी भी प्रकार की बीमारी की सूचना देना बाध्यकारी है, चाहे इलाज तत्समय मौजूद बीमारी का कराया गया हो या किसी अन्य कोई बीमारी का कराया गया हो, परंतु तात्विक सूचना देना अपरिहार्य है। अत: इस तर्क में कोई वैधानिक बल नहीं है।
आदेश
प्रस्तुत अपील खारिज की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2