राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(सुरक्षित)
अपील संख्या-2741/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या 55/2014 में पारित आदेश दिनांक 04.10.2016 के विरूद्ध)
National Insurance Company Limited, having its registered office at 3 Middleton Street, Kolkata, through its regional office at Lucknow, Jeevan Bhawan Phase IInd, Nawal Kishore Road, Lucknow.
....................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
M/S New India Road Carrier through Suryanath Tiwari s/o Late Rajmuni Tiwari R/o Transport Nagar, Shivpark Renukoot, Tehsil Dudhi, Police Station Pipri, District Sonbhadra. ................प्रत्यर्थी/परिवादी
एवं
अपील संख्या-3041/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, सोनभद्र द्वारा परिवाद संख्या 55/2014 में पारित आदेश दिनांक 04.10.2016 के विरूद्ध)
M/S New India Road Carrier through Suryanath Tewari, Resident Transport Nagar (T.P. Nagar) Shivpark Renukoot, The-Duddhi, Thana-Pipari, District- Sonbhadra. ....................अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
National Insurance Company Ltd. Through Manager Divisional office 25 Pickup Compound Mahatma Gandhi Marg, Civil Line Allahabad.
................प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर उपस्थित : श्री एस0पी0 सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 13-11-2018
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मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
जिला फोरम, सोनभद्र ने परिवाद संख्या-55/2014 मे0 न्यू इण्डिया रोड कैरियर बनाम नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0 आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 04.10.2016 के द्वारा आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
''परिवादी का परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को मु0 7,75,000/-रू0 का भुगतान करें। मानसिक व शारीरिक क्षति के रूप में 5,000/-रू0 व वाद व्यय के रूप में 3,000/-रू0 का भुगतान करें। उपरोक्त आदेश का पालन एक माह में किया जावे।''
जिला फोरम के निर्णय से उभय पक्ष सन्तुष्ट नहीं हैं। अत: विपक्षी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 की ओर से अपील संख्या-2741/2016 नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम मै0 न्यू इण्डिया रोड कैरियर और परिवादी मै0 न्यू इण्डिया रोड कैरियर की ओर से अपील संख्या-3041/2016 मै0 न्यू इण्डिया रोड कैरियर बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी हैं। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
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दोनों अपील में परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 शर्मा और विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 सिंह उपस्थित आए हैं।
मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को दोनों अपीलों में सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
वर्तमान दोनों अपीलों के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी मै0 न्यू इण्डिया रोड कैरियर ने उपरोक्त परिवाद विपक्षी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 के विरूद्ध जिला फोरम, सोनभद्र के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि वह ट्रक सं0 एम0पी0-17सी0/5669 का पंजीकृत स्वामी है और उसने ट्रक का बीमा विपक्षी नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 से दिनांक 31.10.2006 से दिनांक 30.10.2007 तक की अवधि के लिए कराया है। बीमा कवर नोट फर्म न्यू इण्डिया रोड कैरियर टी0पी0 नगर रेनूकूट जनपद सोनभद्र के नाम से है। बीमा अवधि में ही दिनांक 08.12.2006 को 2:30 बजे शाम के समय ट्रक चालक राजेश कुमार मिश्रा व खलासी/कण्डक्टर राजकुमार मिर्जापुर से नवबत्ता के लिए ट्रक लेकर चले और जब करीब पौने दो बजे रात पन्नी के पास पहुँचे थे तभी एक स्कार्पियो ट्रक के सामने खड़ी कर दी गयी, जिससे चालक ने ट्रक खड़ा कर दिया। तब चार लोग स्कार्पियो से उतरे और गाली देते हुए बोले कि गाड़ी को धक्का मार दिए हो चलो थाने चलो। उसके बाद वे सभी
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लोग चालक और खलासी का कपड़े से आंख मुंह हाथ बांध दिये और स्कार्पियो में बैठा कर डेढ़-दो घण्टे इधर-उधर घुमाते रहे और अन्त में एक खेत में चालक और खलासी को हाथ पैर बांध कर फेंक दिया तथा सभी लोग स्कार्पियो से भाग गए। सुबह होने पर ट्रक चालक व खलासी एक ट्रक वाले की सहायता से उस स्थान पर गए जहॉं पर ट्रक खड़ा किया था तो ट्रक गायब पाया। परिवाद पत्र के अनुसार उपरोक्त बदमाश ही उसकी ट्रक लेकर भागे हैं। घटना की सूचना दिनांक 09.12.2006 को सुबह 8 बजे थाना माऊगंज जिला रीवा में दी गयी तब प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी और पुलिस विवेचना की गयी, परन्तु बाद विवेचना अंतिम रिपोर्ट प्रेषित की गयी। वाहन बरामद नहीं हुआ, जिसे सम्बन्धित न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आदेश दिनांक 30.09.2010 को स्वीकार कर लिया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि सम्भावित स्थानों पर ट्रक की तलाश की गयी और ट्रक का पता न चलने पर परिवादी फर्म की रेनूकूट ब्रांच के ब्रांच मैनेजर ने विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय तुर्रा पिपरी जनपद-सोनभद्र को दिनांक 26.12.2006 को सूचना दिया।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि परिवादी फर्म के ब्रांच मैनेजर ने विपक्षी बीमा कम्पनी के शाखा कार्यालय तुर्रा पिपरी जनपद सोनभद्र में एक प्रार्थना पत्र दिनांक 13.12.2010 को फाइनल रिपोर्ट व मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के साथ दिया और अन्य आवश्यक अभिलेख संलग्न किए, परन्तु बीमा कम्पनी
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बराबर दौड़ाती रही और बीमा दावा स्वीकार नहीं किया। अन्त में अधिवक्ता के माध्यम से बीमा कम्पनी को नोटिस दिनांक 09.02.2011 को रजिस्टर्ड डाक से भेजी गयी। पुन: अनुस्मारक पत्र के साथ कई कागजात भेजे गये फिर भी बीमा कम्पनी ने गलत तौर पर फिटनेस प्रमाण पत्र वैध न मानकर ट्रक का बीमित मूल्य अदा नहीं किया है। अत: बीमा कम्पनी ने सेवा में कमी की है, जिससे विवश होकर परिवादी ने परिवाद प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कहा गया है कि परिवादी ने परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्राविधान के विरूद्ध प्रस्तुत किया है। अत: परिवाद पोषणीय नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि पहले परिवादी द्वारा परिवाद संख्या-11/2012 दी न्यू इण्डिया रोड कैरियर बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 दायर किया गया था, जो जिला फोरम द्वारा दिनांक 13.02.2013 को गुणदोष के आधार पर निर्णीत किया गया। उसके बाद पुन: परिवादी ने उसी बीमा दावा के सम्बन्ध में यह परिवाद प्रस्तुत किया है। अत: यह परिवाद ग्राह्य नहीं है।
लिखित कथन में विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि जिला फोरम द्वारा दिनांक 13.02.2013 को पारित निर्णय और आदेश के अनुसार विपक्षी बीमा कम्पनी ने सारे कागजातों का
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सत्यापन कराया है, जिसमें यह पाया गया है कि ट्रक का फिटनेस वैध नहीं है। फिटनेस वैध न होने की स्थिति में परिवादी का क्लेम नो क्लेम कर उसे सूचित किया गया है। लिखित कथन में कहा गया है कि वाहन का फिटनेस प्रमाण पत्र वैध न होने के आधार पर बीमा दावा अस्वीकार किया जाना उचित है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन का उल्लेख करने के पश्चात् आक्षेपित निर्णय में यह माना है कि विपक्षी द्वारा क्लेम का भुगतान न करके सेवा में कमी की गयी है। इसके साथ ही जिला फोरम ने यह भी माना है कि परिवादी उपभोक्ता है और विपक्षी उसका सेवा प्रदाता है। अत: परिवादी का परिवाद विपक्षी बीमा कम्पनी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है। अत: जिला फोरम ने परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उपरोक्त प्रकार से आदेश पारित किया है।
विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रश्नगत दुर्घटना के समय वाहन का वैध फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं था। अत: बीमा पालिसी के अनुसार बीमा दावा निरस्त किया जाना उचित है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार कर जो वाहन की बीमित धनराशि अदा करने हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया है वह उचित नहीं है उसे अपास्त कर परिवाद निरस्त किया जाना आवश्यक है।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि फिटनेस प्रमाण पत्र का ट्रक की चोरी से कोई सम्बन्ध नहीं है। अत: जिला
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फोरम ने जो बीमा कम्पनी को बीमित धनराशि अदा करने हेतु आदेशित किया है वह उचित है। परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने बीमित धनराशि पर ब्याज नहीं दिया है, जो उचित नहीं है। अत: परिवादी की अपील स्वीकार कर उसे बीमित धनराशि पर ब्याज दिया जाये।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
परिवाद संख्या-11/2012 दी न्यू इण्डिया रोड कैरियर बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 में पारित आदेश के अनुपालन में परिवादी के बीमा दावा का निस्तारण विपक्षी बीमा कम्पनी ने किया है और परिवादी का दावा अस्वीकार किया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी ने वर्तमान परिवाद प्रस्तुत किया है। वर्तमान परिवाद में उपरोक्त पूर्व परिवाद कदापि बाधक नहीं है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन पर विचार करने के उपरान्त इस बिन्दु पर कोई विवेचना नहीं की है और न कोई निष्कर्ष अंकित किया है कि क्या प्रश्नगत घटना के समय वाहन का वैध फिटनेस प्रमाण पत्र था।
प्रश्नगत दुर्घटना के समय वाहन का वैध फिटनेस प्रमाण पत्र होने के सम्बन्ध में परिवादी की ओर से क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी रीवा का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसमें प्रमाणित किया गया है कि प्रश्नगत वाहन का दिनांक 14.11.2006 से दिनांक 13.11.2007 तक की अवधि का फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया गया है। इसमें यह भी अंकित है कि यह मात्र बीमा कम्पनी
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में प्रस्तुत करने हेतु वैध होगा। इसके विपरीत बीमा कम्पनी ने क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी का प्रमाण पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है, जिसमें कहा गया है कि दिनांक 14.11.2006 से दिनांक 13.11.2007 का फिटनेस प्रमाण पत्र प्रश्नगत वाहन का कार्यालय अभिलेख के अनुसार जारी होना नहीं पाया जाता है। अत: प्रश्नगत वाहन का मूल वैधता प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर यह साबित किया जाना चाहिए था कि वाहन का संगत तिथि पर वैध फिटनेस प्रमाण पत्र था। यह साबित करने का भार परिवादी पर है कि वाहन का वैध फिटनेस प्रमाण पत्र घटना की तिथि पर था, परन्तु मूल फिटनेस प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर परिवादी ने साबित नहीं किया है। मूल वैधता प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने का कोई कारण नहीं बताया गया है। अत: परिवादी यह साबित करने में असफल है कि घटना के समय वाहन का वैध फिटनेस प्रमाण पत्र रहा है, परन्तु फिटनेस प्रमाण पत्र का ट्रक की चोरी या छिनौती की घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है। फिटनेस प्रमाण पत्र के आधार पर परिवादी का दावा पूर्ण रूप से निरस्त नहीं किया जा सकता है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अपील (सिविल) 3409/2008 नेशनल इंश्योरेंस कं0लि0 बनाम नितिन खण्डेलवाल एवं अमलेन्दु साहू बनाम ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड II (2010) C.P.J. 9 S.C. के वाद में दिए गए निर्णयों में प्रतिपादित सिद्धान्त के आधार पर बिना वैध फिटनेस प्रमाण पत्र के वाहन चलाने के दौरान घटित प्रश्नगत घटना में ट्रक की चोरी या छिनौती हेतु परिवादी का बीमा
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दावा नॉन स्टैण्डर्ड बेसिस पर बीमित धनराशि से 25 प्रतिशत कटौती कर तय किया जाना उचित है। इसके साथ ही देय बीमित धनराशि पर परिवादी को परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाना उचित है। अत: दोनों अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला फोरम का निर्णय उपरोक्त प्रकार से संशोधित किए जाने योग्य है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर उपरोक्त अपील संख्या-2741/2016 नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 बनाम मै0 न्यू इण्डिया रोड कैरियर और अपील संख्या-3041/2016 मै0 न्यू इण्डिया रोड कैरियर बनाम नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 दोनों आंशिक रूप से स्वीकार की जाती हैं और जिला फोरम का निर्णय संशोधित करते हुए परिवाद की विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को ट्रक की बीमित धनराशि 7,75,000/-रू0 की 75 प्रतिशत धनराशि परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज सहित अदा करे। साथ ही जिला फोरम द्वारा आदेशित क्षतिपूर्ति व वाद व्यय की धनराशि भी अदा करे।
दोनों अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील संख्या-2741/2016 में बीमा कम्पनी द्वारा धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा की गयी
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धनराशि अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
इस निर्णय की एक प्रति अपील संख्या-3041/2016 में भी रखी जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1