राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-१०८८/२००४
(जिला मंच (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-८८/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७/०३/२००४ के विरूद्ध)
मै0 आगरा टूर्स एण्ड ट्रैवल्स प्रा0लि0, निकट होटल ताज व्यू, फतेहाबाद रोड, आगरा।
.............. अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम्
१. दी चेयरमेन कम मैनेजिंग डायरेक्टर, दी न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0, न्यू इण्डिया एश्योरेंस बिल्डिंग, ८७, महात्मा गांधी रोड, फोर्ट, मुम्बई – ४०० ००१.
२. दी डिवीजनल मैनेजर, दी न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0, ४० स्काई टावर, संजय प्लेस, आगरा – २८२ ००२.
३. दी ब्रान्च मैनेजर, दी न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0,२/१४, सिविल लाइन्स, आगरा,२८२ ००२.
.............. प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
पुनरीक्षण सं0-४८/२००४
(जिला मंच (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-८८/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७/०३/२००४ को अपास्त करने सम्बन्धी प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र को निरस्त करने सम्बन्धी आदेश दिनांक १९-०४-२००४ विरूद्ध)
मै0 आगरा टूर्स एण्ड ट्रैवल्स प्रा0लि0, निकट होटल ताज व्यू, फतेहाबाद रोड, आगरा।
.............. पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी।
बनाम्
१. दी चेयरमेन कम मैनेजिंग डायरेक्टर, दी न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0, न्यू इण्डिया एश्योरेंस बिल्डिंग, ८७, महात्मा गांधी रोड, फोर्ट, मुम्बई – ४०० ००१.
२. दी डिवीजनल मैनेजर, दी न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0, ४० स्काई टावर, संजय प्लेस, आगरा – २८२ ००२.
३. दी ब्रान्च मैनेजर, दी न्यू इण्डिया एश्योरेंस कं0लि0,२/१४, सिविल लाइन्स, आगरा,२८२ ००२.
.............. प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
१. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य ।
२. मा0 श्री जुगुल किशोर, सदस्य।
अपीलार्थी/पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित :- श्री वी0पी0 शर्मा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण की ओर से उपस्थित :- श्री वेद प्रकाश विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- १५.१०.२०१४
मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
उपरांकित अपील, जिला मंच (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-८८/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७/०३/२००४ के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है और उपरांकित
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पुनरीक्षण जिला मंच (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-८८/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७/०३/२००४ को अपास्त करने हेतु प्रस्तुत प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र को निरस्त करने सम्बन्धी आदेश दिनांक १९-०४-२००४ विरूद्ध योजित किया गया है। चूँकि यह अपील एवं पुनरीक्षण दोनों ही एक ही प्रकरण से सम्बन्धित हैं और इनके तथ्य एवं परिस्थितियॉं भी एक ही प्रकृति के हैं। अत: उपरांकित अपील एवं पुनरीक्षण दोनों को एक साथ निर्णीत किया जाना पीठ द्वारा समीचीन पाया गया और इस हेतु अपील सं0-१०८८/२००४ अग्रणी होगी।
इस प्रकरण में अपीलार्थी/परिवादी का प्रश्नगत वाहन कोन्टेसा क्लासिक ए.सी.डीलक्स टैक्सी नं0 यूपी ८० एम ९८०५ दिनांक ०५-०७-१९९९ से दिनांक ०४-०७-२००० तक के लिए बीमित था और वह वाहन बीमा अवधि में ही दिनांक २५-०२-२००० को ग्राम बुदानपुर, थाना-भवंकपोल, जिला गाजीपुर में सामने से आने वाले ट्रक के कारण अनियन्त्रित हो जाने की दशा में दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वाहन में काफी क्षति हुई। परिवादी द्वारा अपने क्षतिग्रस्त वाहन की मरम्मत में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु विपक्षी बीमा कम्पनी के यहॉं दावा प्रस्तुत किया गया, परन्तु बीमा कम्पनी द्वारा उसका बीमा दावा निरस्त कर दिया गया, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा प्रश्नगत परिवाद जिला मंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिला मंच के समक्ष विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपना प्रतिवाद पत्र भी प्रस्तुत किया गया, परन्तु परिवादी द्वारा अपने परिवाद के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत न किया जाने की दशा में परिवादी का प्रश्नगत परिवाद साक्ष्य के अभाव में जिला मंच द्वारा अपने प्रश्नगत आदेश दिनांक १७-०३-२००४ से निरस्त कर दिया गया, जिससे विक्षुब्ध होकर परिवादी/अपीलार्थी द्वारा यह अपील दिनांक २८-०५-२००४ को योजित की गयी है।
इसके अतिरिक्त परिवादी द्वारा जिला मंच के उपरोक्त आदेश दिनांक १७-०३-२००४ के विरूद्ध जिला मंच के समक्ष एक प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि आदेश दिनांक १७-०३-२००४ को अपास्त करते हुए परिवाद को मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित कर उसे साक्ष्य एवं सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाय, परन्तु जिला मंच द्वारा इस प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र को अपने आदेश दिनांक १९-०४-२००४ द्वारा यह कहते हुए निरस्त कर दिया गया कि जिला मंच को अपने ही आदेश को वापस लेने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है, जिससे विक्षुब्ध होकर पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी द्वारा उपरांकित पुनरीक्षण सं0-४८/२००४ भी दिनांक २८-०५-२००४ को ही योजित किया गया।
पीठ द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा दोनों पत्रावलियों का भली भांति अनुशीलन किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0पी0 शर्मा द्वारा अपने तर्क में यह कहा गया कि परिवादी को जिला मंच के समक्ष साक्ष्य एवं सुनवाई का सम्यक अवसर प्राप्त नहीं हो सका और उन्होंने यह प्रार्थना भी की कि न्यायहित में जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०३-२००४ को अपास्त करते हुए प्रस्तुत प्रकरण जिला मंच को गुणदोष के आधार पर निस्तारणार्थ प्रतिप्रेषित कर दिया जाय और चूँकि इस अपील का निस्तारण पीठ द्वारा अन्तिम रूप से किया जा रहा है, ऐसी दशा में प्रश्नगत पुनरीक्षण स्वत: निष्प्रभावी हो जायेगा। इस सम्बन्ध में विपक्षी बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता श्री वेद प्रकाश द्वारा कोई आपत्ति नहीं की गयी।
अत: अपीलार्थी की उपरोक्त प्रार्थना स्वीकार करते हुए जिला मंच का प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७-०३-२००४ अपास्त करते हुए यह प्रकरण जिला मंच(प्रथम), आगरा को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाने योग्य है कि दोनों पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का
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सम्यक अवसर प्रदान करते हुए इस प्रकरण का गुणदोष के आधार पर निस्तारण यथा सम्भव तीन माह के अन्दर किया जाना सुनिश्चित करें। तद्नुसार यह अपील निस्तारित की जाने योग्य है।
जहॉं तक पुनरीक्षण के निस्तारण का प्रश्न है, इस सम्बन्ध में एक तो मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल अपील सं0-4307/2007 एवं 8155/2001 राजीव हितेन्द्र पाठक व अन्य बनाम् अच्युत काशीनाथ कारेकर व अन्य में पारित निर्णय दिनांक 19/08/2011, IV (2011) CPJ 35 (SC) में दी गयी विधि व्यवस्था के अनुसार जिला मंच को अपने ही किसी आदेश को वापस लेते हुए परिवाद पुनर्स्थापित किया जाने अथवा उस आदेश को संशोधित किया जाने का अधिकार प्राप्त नहीं है, ऐसी स्थिति में जिला मंच के प्रश्नगत आदेश दिनांक १९-०४-२००४ में कोई विधिक त्रुटि नहीं है और दूसरे उपरांकित अपील का अन्तिम रूप से निस्तारण किया जा रहा है, उस स्थिति में यह पुनरीक्षण निष्प्रभावी हो गया है। परिणामत: यह पुनरीक्षण निरस्त होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील उपरोक्तानुसार निस्तारित करते हुए जिला मंच (प्रथम), आगरा द्वारा परिवाद सं0-८८/२००३ में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक १७/०३/२००४ अपास्त किया जाता है तथा प्रकरण जिला मंच(प्रथम), आगरा को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि दोनों पक्षों को साक्ष्य एवं सुनवाई का सम्यक अवसर प्रदान करते हुए इस प्रकरण का गुणदोष के आधार पर निस्तारण यथा सम्भव तीन माह के अन्दर किया जाना सुनिश्चित करें। साथ ही प्रस्तुत पुनरीक्षण निरस्त किया जाता है।
इस अपील एवं पुनरीक्षण का व्यय-भार पक्षकार स्वयं अपना-अपना वहन करेंगे।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील सं0-१०८८/२००४ में तथा एक प्रतिलिपि पुनरीक्षण सं0-४८/२००४ में रखी जाय।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
(आर0 सी0 चौधरी)
पीठासीन सदस्य
(जुगुल किशोर)
सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-४.