Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/1788

O I Co - Complainant(s)

Versus

Munnu - Opp.Party(s)

A K Srivastava

20 Sep 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/1788
( Date of Filing : 26 Sep 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. O I Co
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Munnu
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Sep 2024
Final Order / Judgement

     (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

अपील सं0 :-1788/2011

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0-127/2005 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29/01/2011 के विरूद्ध)

The Oriental Insurance Company Ltd, Divisional Office III, Near matiyari chauraha, Faizabad Road, Lucknow Through its Senior Divisional Manger

  1.                                                                          Appellant  

Versus

 

  1. Munnu, Aged about 52 years
  2. Ram Akbal, Aged about 48 years (died on 17-01-2008)

both S/O Late Sri Matahher, R/O Gram & Post-Kamela, P.S. Subeha, Tehsil-Haidergarh, City & District-Barabanki

legal heir

2/1 Vinod Kumar Shukla

  1. Aryawart Bank, Branch-Kamela, Tehsil-Haidergarh, City & District Barabanki
    •                                                                  Respondents

समक्ष

  1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य
  2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य

उपस्थिति:

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री आशीष कुमार श्रीवास्‍तव

प्रत्‍यर्थी सं0 1 व 2 की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री ए0के0 पाण्‍डेय

प्रत्‍यर्थी सं0 3 की ओर विद्वान अधिवक्‍ता:- श्री अमर बहादुर सिंह

दिनांक:-20.09.2024

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           यह अपील जिला उपभोक्‍ता आयोग, बाराबंकी द्वारा परिवाद सं0-127/2005 मुन्‍नू व अन्‍य बनाम बाराबंकी ग्रामीण बैंक व अन्‍य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 29/01/2011 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर सभी पक्षकारों के विद्धान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।  
  2.           जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी सं0 2 को निर्देशित किया है कि परिवादी को बीमें की राशि अंकन 50,000/-रू0 11 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा की जाए।
  3.             परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी तथा उनके पिता द्वारा संयुक्‍त रूप से सी0सी0 लिमिट के तहत अंकन 30,000/-रू0 का ऋण दिनांक 22.10.2001 को स्‍वीकृत कराया था। विपक्षी सं0 1 द्वारा दिनांक 01.11.2001 से 140/-रू0 दुर्घटना बीमा प्रीमियम की राशि की निकासी की थी तथा एक वर्ष की अवधि के लिए बीमा कराया था। ऋण खाताधारक माता फेर की मृत्‍यु दिनांक 19.10.2002 को चोट लगने के कारण हो गयी, जिसकी सूचना विपक्षी को दी गयी। विपक्षी सं0 1 के द्वारा विपक्षी सं0 2 को क्‍लेम भुगतान के लिए दावा प्रस्‍तुत किया गया। विपक्षी सं0 2 द्वारा एक पत्र जारी किया गया, जिसमें उल्‍लेख था कि प्रीमियम की राशि चेक सं0 218507 दिनांक 19.10.2002 को अन्‍य बीमा धारक के प्रीमियम के साथ भेजी गयी थी, जो बीमा कम्‍पनी के कार्यालय में दिनांक 23.10.2002 को प्राप्‍त हुई थी तथा खाते में दिनांक 28.10.2002 क्रेडिट हुई थी, जबकि माता फेर की दुर्घटना के कारण मृत्‍यु दिनांक 11.10.2002 को हो चुकी थी। दुर्घटना के समय माता फेर शुक्‍ला के पास के0सी0सी0 पॉलिसी नहीं थी। बीमा प्रीमियम जमा न होने के कारण तथा लगभग 02 वर्ष पश्‍चात मृत्‍यु की सूचना देने के कारण बीमा क्‍लेम निरस्‍त किया गया है।
  4.           पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के पश्‍चात जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा यह निष्‍कर्ष दिया गया है कि बीमाधारक माताफेर के खाते से विपक्षी सं0 2 को विपक्षी सं0 1 द्वारा धनराशि प्रेषित की गयी, जो उनके द्वारा स्‍वीकार की गयी और उसको वापस नहीं लौटाया गया। अत: बीमा क्‍लेम देय है।
  5.           इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गयी है कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विधि-विरूद्ध निर्णय पारित किया गया है क्‍योंकि बीमाधारक की मृत्‍यु की ति‍थि को बीमा पॉलिसी अस्तित्‍व में नहीं थी क्‍योंकि प्रीमियम की राशि प्राप्‍त नहीं हुई थी, परंतु चूंकि प्रश्‍नगत पॉलिसी सामूहिक बीमा पॉलिसी है। सामूहिक बीमा पॉलिसी के अंतर्गत सभी बीमाधारको का प्रीमियम उनके खातों से एकत्रित कर बीमा कम्‍पनी को अदा किया जाता है। अत: इस स्थिति में चूंकि बीमा धारक के खाते से धनराशि की कटौती हो चुकी थी, इसलिए बीमा पॉलिसी अस्तित्‍व में मानी जायेगी। तदनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में कोई हस्‍तक्षेप अपेक्षित नहीं है।

 

आदेश

   अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है।

              उभय पक्ष अपीलीय वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

    प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित संबंधित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

                            आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

  

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

  •  

 

 

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2

  

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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