Uttar Pradesh

StateCommission

A/1427/2022

Corteva Agriscience Seeds Ltd. - Complainant(s)

Versus

Munesh & others - Opp.Party(s)

Rishi Saxena, Neeraj Kumar, Lalla Ram Chauhan And Hari Shankar

11 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1427/2022
( Date of Filing : 27 Dec 2022 )
(Arisen out of Order Dated 27/05/2022 in Case No. CC/2018/120 of District Shambhal)
 
1. Corteva Agriscience Seeds Ltd.
Known As P.H.I. Seeds Pvt. Ltd.Through authorised representative V-Ascendas ,Atria Blockk ,12th Floor plot 17,software unit layout ,Madhapur, Haydrabad
...........Appellant(s)
Versus
1. Munesh & others
S/O Rajpal R/o Village & post Rudayan P.S. Hayatnagar Tahsil & District Sambhal
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Aug 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1427/2022

कोरटेवा एग्रीसाइंस सीड्स प्रा0लि0

बनाम

मुनेश पुत्र राजपाल

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री हरिशंकर

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री एस0पी0 पाण्‍डेय

दिनांक :- 11.8.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी कोरटेवा एग्रीसाइन्‍स सीड्स प्रा0लि0 द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, सम्‍भल द्वारा परिवाद सं0-120/2018 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 27.5.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने जीविकोपार्जन एवं भरण पोषण के उद्देश्‍य से ग्राम रूदायन में कुछ कृषि भूमि किराये पर लेकर एवं अपने स्‍वामित्‍व वाली कुछ भूमि में मक्‍के की बुबाई करने के उद्देश्‍य से प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 से दिनांक 05.4.2018 को सम्‍पर्क किया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अवगत कराया गया कि अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा तैयार मक्‍का बीज उच्‍च स्‍तरीय प्रकृति का है और अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा निर्मित बीज से उत्‍पादन होने वाली मक्‍का उच्‍च स्‍तरीय क्‍वालिटी युक्‍त होता है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 के कथनों से प्रभावित होकर दिनांक 05.4.2018 को 50 बीघा जमींन में मक्‍का पैदा करने के उद्देश्‍य से 60 किलोग्राम

-2-

मक्‍का बीज प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 से क्रय किया। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 द्वारा 60 किलोग्राम मक्‍का बीज हेतु प्रत्‍यर्थी/परिवादी से 390.00 रू0 प्रति किलो की दर से चार्ज किया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा 50 बीघा कृषि भूमि में मक्‍का बीज लगाने में रू0 1,25,000.00 का व्‍यय हुआ, जबकि रू0 1,25,000.00 भूमि किराये हेतु सम्‍बन्धित भूमि स्‍वामियों को प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अदा किये गये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपने खेतों का पालन-पोषण समय पर नियमानुसार किया गया, परन्‍तु तैयार भुन्‍टे को छीलकर देखा तो भुन्‍टा खाली था किसी भुन्‍टे में 20 दाने किसी भुन्‍टे में 50 दाने से अधिक नहीं थे। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा खेतों को ज्‍यादा गहराई से देखा तो किसी भुन्‍टे में दाने ही नहीं थे ऊपर से 2-3 इंच भुन्‍टे खाली थे जिसे देखकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी आश्‍चर्यचकित हो गया, जिसके सम्‍बन्‍ध में प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 के फील्‍ड ऑफिसर श्री गिरीश कुमार को बताया और जिला लेबिल के अधिकारी श्री सुशील यादव को बताया जिस पर उक्‍त अधिकारियों द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के खेतों का मुआयना किया गया और बताया गया कि ठीक है 31 वाई 45 मक्‍का लगाने से खेतों में नुकसान हुआ है तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को निश्चित रूप से क्षति की भरपाई करायी जावेगी। परन्‍तु अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी को क्षति की भरपाई नहीं करायी गई। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को सम्‍पूर्ण मक्‍का की फसल में हुई हानि रू0 5,00,000.00 की क्षतिपूर्ति का आश्‍वासन अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा दिया गया, परन्‍तु क्षतिपूर्ति की धनराशि अदा नहीं की गई तथा दिनांक 12.7.2018 को अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा क्षतिपूर्ति अदा करने से साफ इंकार कर दिया गया अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

 

-3-

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों का खण्‍डन किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख नोटिस तामीला के बावजूद भी कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

"परिवाद सं0-120 सन् 2018 स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0-1 पी0एच0आई0 सीड्स प्राईवेट लिमिटेड के प्रोपराईटर/प्रबन्‍धक निदेशक को आदेशित किया जाता है कि वह मुबलिग 5,00,000.00 (पॉच लाख) रू0 क्षतिपूर्ति की धनराशि उस पर परिवाद संस्‍थन की तिथि से 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित अन्‍दर दो माह अदा करें।

इसके अलावा विपक्षी परिवादी को मुबलिग 5,000.00 (पॉच हजार) रू0 वाद व्‍यय के मद में भी अदा करेगी।

नियत अवधि में धनराशि न अदा करने पर ब्‍याज दर 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से देय होगी।‘’

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के विरूद्ध है। यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता

-4-

आयोग द्वारा अपीलार्थी के अभिकनों पर विचार न करते हुए जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह अनुचित है।

 यह भी कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा किसी विशेषज्ञ साक्ष्‍य के बगैर जो निर्णय/आदेश पारित किया गया है, वह अनुचित है। यह भी कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा किसी प्रकार की सेवा में कमी नहीं की गई है।

यह भी कथन किया गया कि प्रत्‍यर्थी द्वारा अनुचित लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से गलत एवं असत्‍य कथनों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता द्वारा अपील को स्‍वीकार कर जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश को अपास्‍त किये जाने की प्रार्थना की गई।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा कथन किया गया कि जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: तथ्‍य और विधि के अनुकूल है और उसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

मेरे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता द्व्‍य के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया कि अपीलार्थी द्वारा बिक्रीत पी0एच0आई0 सीड्स द्वारा उत्‍पादित दोषपूर्ण गुणवत्‍ता का बीज बाजार में आपूर्ति किये जाने के कारण ही प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हानि हुई है, जिसकी क्षतिपूर्ति हेतु अपीलार्थी उत्‍तरदायी है अत्एव इस सम्‍बन्‍ध में

-5-

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्‍मत है एवं विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा जो अनुतोष अपने प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को प्रदान किया गया है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलीय स्‍तर पर नहीं पायी गई, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                     

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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