राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-२३०७/२००४
(जिला मंच, चन्दौली द्वारा परिवाद सं0-२७/२००१ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित २२-०९-२००२ के विरूद्ध)
प्रेम चन्द पुत्र स्व0 महादेव राम, निवासी ग्राम तेजोपुर (टडिया), थाना सैयदराजा, तहसील व जिला चन्दौली।
................ अपीलार्थी/परिवादी।
बनाम्
१. मै0 यथार्थ ट्रैक्टर्स इण्डस्ट्रियल स्टेट लहरतारा (चांदपुर) हैड आफिस, १६ ए, चन्द्रिका नगर, सिगरा, वाराणसी। ................ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-१.
२. ओम प्रकाश निवासी मै0 यथार्थ ट्रैक्टर्स इण्डस्ट्रियल स्टेट लहरतारा, वाराणसी।
................ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-४.
३. संजीव मिश्रा पुत्र जगदीश मिश्रा, मै0 यथार्थ ट्रैक्टर्स इण्डस्ट्रियल स्टेट लहरतारा, वाराणसी। ................ प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-५.
समक्ष:-
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री ओ0पी0 दुवेल विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- कोई नहीं।
दिनांक : ०६-११-२०१५.
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, चन्दौली द्वारा परिवाद सं0-२७/२००१ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित २२-०९-२००२ के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी के कथनानुसार उसने एक महिन्द्रा ट्रैक्टर प्रत्यर्थी सं0-१ से क्रय किया था। ट्रैक्टर क्रय करने हेतु उसने काशी ग्रामीण बैंक पपौरा, चन्दौली से ऋण प्राप्त करके ०२.०० लाख रू० जरिए बैंक ड्राफ्ट प्रत्यर्थी सं0-१ को अदा किया था। इसके बाद अपीलार्थी/परिवादी ने मार्जिन मनी के रूप में ६१,८४४/- रू० प्रत्यर्थी सं0-१ को अदा किया। ट्रैक्टर की पूरी कीमत प्राप्त करने के उपरान्त प्रत्यर्थी सं0-१ द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को ट्रैक्टर की डिलीवरी की गयी। अपीलार्थी/परिवादी का यह भी कथन है कि प्रत्यर्थी सं0-१ ने यह आश्वासन दिया था कि अपनी एजेन्सी के माध्यम से वह ट्रैक्टर
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का पंजीयन कराके मय सेल लैटर परिवादी को देगा, किन्तु सेल लैटर परिवादी को नहीं दिया गया। अपीलार्थी/परिवादी का यह भी कथन है कि दिनांक ०६-१०-२००१ को प्रश्नगत ट्रैक्टर परिवादी का चालक सुदर्शन राम १४,०००/- रू० किराये पर एक परिवहन बस को टोचन करके डोभी बिहार से दिल्ली ले जा रहा था। वाराणसी-इलाहाबाद मार्ग पर स्थित कृष्ण पेट्रोल पम्प पर रूक कर ड्राइवर गाड़ी में डीजल भरा रहा था। उसी समय प्रत्यर्थी सं0-१ कम्पनी के कर्मचारीगण (प्रत्यर्थी सं0-४ व ५) कुछ बदमाशों के साथ कृष्णा पेट्रोल पम्प पर पहुँचे तथा अपीलार्थी के ड्राइवर को देशी तमंचा की नोक पर जबरदस्ती दबंगई के बिना पर कृष्णा पेट्रोल पम्प खजुरी से ट्रैक्टर खींच कर ले गये। अपीलार्थी/परिवादी ने इस घटना की सूचना थाना-मिर्जामुराद, वाराणसी में दी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी।
जिला मंच के समक्ष प्रत्यर्थी सं0-१, ४ व ५ ने अपने संयुक्त प्रतिवाद पत्र द्वारा प्रश्नगत ट्रैक्टर की प्रत्यर्थी सं0-१ से परिवादी द्वारा की गयी खरीद को स्वीकार करते हुए यह अभिकथित किया कि ०२.०० लाख रू० अपीलार्थी/परिवादी ने बैंक ड्राफ्ट द्वारा अदा किए थे, किन्तु मार्जिन मनी ५२,३४४/- रू० अपीलार्थी/परिवादी ने दिनांक २८-१०-२००० तक अदा करने के लिए इकरारनामा प्रत्यर्थी सं0-१ से किया था, जिसके आधार पर अपीलार्थी/परिवादी को प्रश्नगत ट्रैक्टर की डिलीवरी दी गयी, किन्तु अपीलार्थी/परिवादी ने मार्जिन मनी जमा नहीं की। मार्जिन मनी न अदा करने की नीयत से मनगढ़न्त तथ्यों के आधार पर परिवाद योजित किया गया। इन विपक्षीगण का यह भी कथन है कि सेल लैटर अपीलार्थी/परिवादी को प्राप्त करा दिया गया है। जिला मंच ने प्रश्नगत आदेश द्वारा अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निरस्त कर दिया। इस निर्णय से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
अपीलार्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया उपस्थित आये। प्रत्यर्थीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, किन्तु उनकी ओर से न तो कोई उपस्थित हुआ और न ही रजिस्ट्री लिफाफे वापस प्राप्त हुए, अत: उन पर तामीला पर्याप्त मानी गयी। प्रत्यर्थी सं0-४ व ५ औपचारिक पक्षकार हैं।
मैंने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री वी0एस0 बिसारिया के तर्क विस्तार से सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।
अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली
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पर उपलब्ध साक्ष्य का विधिवत अवलोकन न करके प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। विद्वान जिला मंच का यह मत कि परिवादी का उपभोक्ता होना साबित नहीं है, त्रुटिपूर्ण है, क्योंकि प्रश्नगत वाहन अपीलार्थी/परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-१ से क्रय किया जाना निर्विवाद है। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि सेल लैटर उसे प्रत्यर्थी सं0-१ द्वारा जारी न करके सेवा में त्रुटि की गयी है तथा अनधिकृत रूप से प्रश्नगत वाहन परिवादी से विपक्षी सं0-१, ४ व ५ द्वारा छीन लिया गया है।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि विद्वान जिला मंच ने अपीलार्थी/परिवादी का परिवाद निम्नलिखित कारणों से निरस्त किया है :-
१. मार्जिन मनी वस्तुत: किस पक्षकार द्वारा अदा की गयी, के सम्बन्ध में निष्कर्ष निकालना कठिन है।
२. क्योंकि परिवादी ट्रैक्टर का पंजीकृत स्वामी नहीं है, अत: वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।
३. उभय पक्ष के मध्य विवाद अपराधिक प्रवृत्ति का है, जिसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार केवल फौजदारी न्यायालय को है।
४. परिवादी द्वारा वांछित अनुतोष का आर्थिक क्षेत्राधिकार जिला मंच के क्षेत्राधिकार से अधिक है।
प्रश्नगत निर्णय के अवलोकन से यह विदित होता है कि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के इस तर्क में बल है कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का विधिवत अवलोकन न करके प्रश्नगत निर्णय पारित किया है। यह तथ्य निर्विवाद है कि पक्षकारों के मध्य मार्जिन मनी की अदायगी का विवाद है। इस सन्दर्भ में विद्वान जिला मंच द्वारा यह मत व्यक्त किया गया है कि परिवादी एवं विपक्षी सं0-१, ४ व ५ द्वारा आरोप एवं प्रत्यारोप लगाये गये हैं, परन्तु कोई ऐसी स्पष्ट साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं करायी गयी है, जिसके आधार पर किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुँचा जा सके। कहने का तात्पर्य यह है कि यह निष्कर्ष निकालना अत्यन्त कठिन है कि मार्जिन मनी परिवादी की ओर से अदा की गयी है अथवा विपक्षी सं0-१, ४ व ५ की ओर से। उल्लेखनीय है कि विद्वान जिला मंच ने इस सन्दर्भ में पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य की कोई चर्चा अपने
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निर्णय में नहीं की है। जब यह तथ्य निर्विवाद है कि मार्जिन मनी की अदायगी का पक्षकारों के मध्य विवाद है तब विद्वान जिला मंच का यह विधिक दायित्व था कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के अवलोकन के उपरान्त इस सन्दर्भ में अपना निष्कर्ष पारित करते। वस्तुत: विद्वान जिला मंच ने निहित क्षेत्राधिकार का उपयोग न करते हुए यह निष्कर्ष पारित किया है कि - ‘’ इस सम्बन्ध में निष्कर्ष निकालना कठिन है ‘’। विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण है।
जहॉं तक अपीलार्थी/परिवादी का यह कथन है कि प्रश्नगत वाहन विपक्षी सं0-१ के सहयोगी विपक्षी सं0-४ व ५ द्वारा उसके चालक से जबरन छीना गया है, मात्र इस आधार पर विद्वान जिला मंच ने यह निष्कर्ष दिया कि - उभय पक्ष के मध्य विवाद अपराधिक प्रवृत्ति का है, जिसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार केवल फौजदारी न्यायालय को है, त्रुटिपूर्ण है। मात्र इस आधार पर कि प्रश्नगत वाहन के कथित रूप से विपक्षी सं0-१, ४ व 5 द्वारा परिवादी के ड्राइवर से छीने जाने के सम्बन्ध में परिवादी ने सम्बन्धित थाने में रिपोर्ट लिखायी है, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ के अन्तर्गत परिवाद की सुनवाई एवं उसके निस्तारण का क्षेत्राधिकार समाप्त नहीं हो जाता है।
प्रस्तुत मामले में सेल लैटर परिवादी के पक्ष में जारी किए जाने का भी विवाद है। इस सन्दर्भ में परिवादी का यह कथन है कि विपक्षी सं0-१ ने आश्वासन के बाबजूद सेल लैटर जारी नहीं किया इसलिए प्रश्नगत वाहन का पंजीकरण परिवादी के नाम नहीं कराया जा सका। विपक्षी सं0-१ ने सेल लैटर जारी न किए जाने के तथ्य से इन्कार किया है तथा यह कहा है कि परिवादी को सेल लैटर जारी किया गया था। ऐसी परिस्थिति में विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष कि – क्योंकि प्रश्नगत वाहन का अपीलार्थी/परिवादी पंजीकृत स्वामी नहीं है, अत: वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है, त्रुटिपूर्ण है। विद्वान जिला मंच से अपेक्षित था कि पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य के आधार परिवाद का निस्तारण किया जाना सुनिश्चित करते।
जहॉ तक आर्थिक क्षेत्राधिकार का प्रश्न है, इस सन्दर्भ में परिवाद में अपीलार्थी/परिवादी ने कुल ४,६१,०००/- रू० की अदायगी का अनुतोष चाहा है, अत: विद्वान जिला मंच का यह निष्कर्ष त्रुटिपूर्ण है कि परिवाद की सुनवाई का आर्थिक क्षेत्राधिकार विद्वान जिला मंच को प्राप्त नहीं था।
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उपरोक्त तथ्यों के आलोक में यह स्पष्ट है कि विद्वान जिला मंच ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का उचित परिशीलन न करते हुए प्रश्नगत निर्णय पारित किया है, जो विधि सम्मत न होने के कारण अपास्त किए जाने योग्य है, अत: उचित होगा कि परिवाद गुणदोष के आधार पर निस्तारण हेतु जिला मंच प्रकरण प्रतिप्रेषित किया जाय। तद्नुसार अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। जिला मंच, चन्दौली द्वारा परिवाद सं0-२७/२००१ में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित २२-०९-२००२ अपास्त करते हुए यह प्रकरण जिला मंच, चन्दौली को इस निर्देश के साथ प्रतिप्रेषित किया जाता है कि जिला मंच उभय पक्ष को सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करते हुए इस प्रकरण का निस्तारण गुणदोष के आधार पर विधि अनुसार किया जाना सुनिश्चित करें। अपीलार्थी/परिवादी दिनांक १९-०१-२०१६ को जिला मंच के समक्ष उपस्थित होकर प्रकरण के निस्तारण हेतु आवश्यक कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित करें।
(उदय शंकर अवस्थी)
सदस्य
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-१,
कोर्ट-२.