Uttar Pradesh

StateCommission

RP/114/2018

M/S Bee Gee Projects India Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

M/S Viraj Distributers Pvt Ltd - Opp.Party(s)

Sanjay Dikshit

17 Sep 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/114/2018
( Date of Filing : 02 Jul 2018 )
(Arisen out of Order Dated 27/07/2016 in Case No. C/1064/2012 of District Lucknow-I)
 
1. M/S Bee Gee Projects India Pvt Ltd
Kanpur Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Viraj Distributers Pvt Ltd
Lucknow
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Petitioner:
For the Respondent:
Dated : 17 Sep 2019
Final Order / Judgement

                                                     

                                                                                                                                                                      (मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 

पुनरीक्षण सं0-  114/2018 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा परिवाद सं0- 1064/2012 में पारित आदेश दि0 27.07.2016 के विरूद्ध)

M/s Bee.Gee Projects India private limited a company incorporated under the provisions of companies act 1956 having its registered office at 49/65 first floor naughara Kanpur nagar through its Director Alok Krishna gupta.

                                                                 ……..Revisionist

Versus

1. M/s Viraj distributors private limited a company incorporated under companies act 1956, 55 Purana Qila Lucknow through its Director Sri R.K. Agarwal.

2. Volkswagon group sales India private limited 3rd north avenue Bandra kurla complex Bandra East Mumbai.

                                                             ……..Opposite Parties

समक्ष:-   

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष। 

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित     : श्री मो0 अबरार,

                                   विद्वान अधिवक्‍ता।                                     

विपक्षी सं0- 1 की ओर से उपस्थित    : श्री सचिन गर्ग,

                                   विद्वान अधिवक्‍ता।

विपक्षी सं0- 2 की ओर से उपस्थित   :  कोई नहीं।  

                        

दिनांक:- 17.09.2019

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष  द्वारा उद्घोषित

                                    

निर्णय

          परिवाद सं0- 1064/2012 बी0जी0 प्रोजेक्‍ट्स इंडिया बनाम विराज डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स प्रा0लि0 में जिला फोरम प्रथम, लखनऊ द्वारा पारित आदेश दि0 27.07.2016 के विरुद्ध यह पुनरीक्षण याचिका परिवाद के परिवादी की ओर से धारा 17(1)(b) उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

          आक्षेपित आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवादी का साक्ष्‍य समाप्‍त कर दिया है।

          पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मोहम्‍मद अबरार और विपक्षी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सचिन गर्ग उपस्थित आये हैं।  

          पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम ने उपरोक्‍त परिवाद में पारित आदेश दि0 17.10.2017 के द्वारा आदेश दि0 27.07.2016 को रिकाल करते हुए पुनरीक्षणकर्ता को साक्ष्‍य का अवसर प्रदान किया और पुनरीक्षणकर्ता ने अपना साक्ष्‍य भी परिवाद में प्रस्‍तुत किया, परन्‍तु परिवाद के विपक्षी ने राज्‍य आयोग के समक्ष पुनरीक्षण याचिका सं0- 06/2018 मे0 विराज डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स प्रा0लि0 बनाम मे0 बी0जी0 प्रोजेक्‍ट्स इंडिया प्रा0लि0 व एक अन्‍य प्रस्‍तुत किया, जिसे राज्‍य आयोग ने निर्णय दि0 15.06.2018 के द्वारा स्‍वीकार करते हुए जिला फोरम द्वारा द्वारा पारित आदेश दि0 17.10.2017 को इस आधार पर अपास्‍त कर दिया है कि मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा राजीव हितेन्‍द्र पाठक व अन्‍य बनाम अच्‍युत काशीनाथ कारेकर व अन्‍य IV (2011) C.P.J. 35 (S.C.) के वाद में दिये गये निर्णय में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर जिला फोरम को अपने पूर्व पारित निर्णय व आदेश को रिकाल या रिब्‍यू करने का अधिकार नहीं है। अत: ऐसी स्थिति में परिवादी की ओर से यह पुनरीक्षण याचिका राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है। परिवादी द्वारा अपना साक्ष्‍य पहले ही प्रस्‍तुत किया जा चुका है और परिवाद के पूर्ण एवं प्रभावी निर्णय हेतु आवश्‍यक है कि परिवादी को अपना साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने का अवसर दिया जाए। अत: पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार कर आक्षेपित आदेश अपास्‍त करते हुए परिवादी को साक्ष्‍य का अवसर दिया जाए।

          पुनरीक्षण याचिका के विपक्षी जो परिवाद में भी विपक्षी है के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि आदेश दि0 27.07.2016 को जिला फोरम द्वारा आदेश दि0 17.10.2017 के द्वारा रिकाल किये जाने के विरुद्ध विपक्षी ने उपरोक्‍त पुनरीक्षण याचिका सं0- 06/2018 प्रस्‍तुत किया था जिसे राज्‍य आयोग के निर्णय दि0 15.06.2018 के द्वारा स्‍वीकार करते हुए जिला फोरम के आदेश दि0 17.10.2017 को अपास्‍त कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में राज्‍य आयोग को आदेश दि0 27.07.2016 पर पुन: विचार करने का अधिकार नहीं है, क्‍योंकि ऐसा करना पुनरीक्षण याचिका सं0- 06/2018 में पारित आदेश का पुनर्वालोकन होगा।

          मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

          उपरोक्‍त पुनरीक्षण याचिका सं0- 06/2018 मे0 विराज डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स प्रा0लि0 बनाम मे0 बी0जी0 प्रोजेक्‍ट्स इंडिया प्रा0लि0 व एक अन्‍य आदेश दि0 17.10.2017 के विरुद्ध प्रस्‍तुत की गई थी और मा0 सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा राजीव हितेन्‍द्र पाठक व अन्‍य बनाम अच्‍युत काशीनाथ कारेकर व अन्‍य IV (2011) C.P.J. 35 (S.C.) के वाद में प्रतिपादित सिद्धांत के आधार पर जिला फोरम द्वारा पारित आदेश दि0 17.10.2017 अधिकार रहित रहा है। अत: पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार करते हुए आदेश दि0 17.10.2017 अपास्‍त किया गया है। पुनरीक्षण याचिका सं0- 06/2018 में पारित निर्णय दि0 15.06.2018 में आक्षेपित आदेश दि0 27.7.2016 के सम्‍बन्‍ध में गुण-दोष के आधार पर कोई विचार नहीं किया गया है और न कोई आदेश पारित किया गया है। अत: आदेश दि0 27.07.2016 के विरुद्ध यह पुनरीक्षण याचिका ग्राह्य है और यह नहीं कहा जा सकता है कि इस पुनरीक्षण याचिका में आदेश दि0 15.06.2018 पर पुनर्विचार किया जाना है। वर्तमान पुनरीक्षण याचिका में पूर्व पुनरीक्षण याचिका में पारित आदेश दि0 15.06.2018 पर पुनर्विचार का प्रश्‍न ही नहीं उठता है।

          उपरोक्‍त विवरण से स्‍पष्‍ट है कि जिला फोरम ने आक्षेपित आदेश दि0 27.07.2016 को अपने आदेश दि0 17.10.2017 के द्वारा अपास्‍त करते हुए पुनरीक्षणकर्ता को साक्ष्‍य का अवसर प्रदान किया था, परन्‍तु जिला फोरम का आदेश दि0 17.10.2017 तकनीकी आधार पर निरस्‍त किया गया है। ऐसी स्थिति में सम्‍पूर्ण तथ्‍यों व परिस्थितियों पर विचार करते हुए उचित प्रतीत होता है कि पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार कर जिला फोरम द्वारा परिवाद में पारित आदेश दि0 27.07.2016 को संशोधित करते हुए पुनरीक्षणकर्ता को परिवाद में साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने का अवसर 1,000/-रु0 हर्जे पर प्रदान किया जाए।

          उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर पुनरीक्षण याचिका स्‍वीकार की जाती है और परिवाद में जिला फोरम द्वारा पारित आदेश दि0 27.07.2016 को संशोधित करते हुए पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी को जिला फोरम के समक्ष परिवाद में साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करने का अवसर 1,000/-रु0 हर्जे पर प्रदान किया जाता है। जिला फोरम पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी द्वारा हर्जे की यह धनराशि विपक्षी को अदा करने पर पुनरीक्षणकता/परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत साक्ष्‍य पत्रावली पर ग्रहण करेगा। पुनरीक्षणकर्ता जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किये जाने वाले साक्ष्‍य की प्रति विपक्षी को प्रदान करेगा।

          उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 19.10.2019 को उपस्थित होंगे।

          पुनरीक्षण याचिका में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे। 

    

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)

                                                                                                        अध्‍यक्ष                                                 

 

शेर सिंह आशु0,

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

                           

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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