सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
परिवाद संख्या 60/2017
1- श्रीमती पितुनी आयरोन नागर, पत्नी श्री गौरव नागर, निवासी जी-25 सेकेण्ड फ्लोर, साउथ सिटी, 2 गुड़गांव हरियाणां
2- श्री गौरव नागर, पुत्र श्री सोमनाथ नागर, निवासी जी-25 सेकेण्ड फ्लोर, साउथ सिटी, 2 गुड़गांव हरियाणां
परिवादिनीगण
बनाम
मैसर्स यूनीटेक लिमिटेड, 6 कम्युनिटी सेन्टर, साकेत न्यू दिल्ली, 110017
ग्राण्ड पवेलियन, सेक्टर 96, एक्सप्रेसवे, (निकट एमिटी मैनेजमेंट स्कूल) नोएडा 201305
विपक्षीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
परिवादिनीगण की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री तुषार हिरवानी
विपक्षी की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक: 25-04-2018
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद, परिवादिनीगण श्रीमती पितुनी आयरोन नागर ने विपक्षी यूनीटेक लिमिटेड, 6 कम्युनिटी सेन्टर, साकेत न्यू दिल्ली के विरूद्ध धारा 17 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और निम्न अनुतोष चाहा है:-
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- Direct the Opposite Party to deliver the Possesion of the Unit/Flat bearing No. 1003 situated at Plot No. 6 in Tower 20 on 10th Foor having Super area 1695 Sq. Ft, at Sector Pi-2 (Alistonia Estate) Greater Noida, District Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh, and.
- Direct the Opposite Party to deliver possession of the Unit/Flat bearing No. 1003 situated at Plot No. 6 in Tower 20 on 10th Floor having super area 1695 Sq. ft. at Sector Pi-2 (Alistonia Estate) Greater Noida, District Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh in terms of the Agreement and as promised in the Brochures/Pamphlets with all facilities and amenities essential for the shifting of the Complainants.
OR.
- In the alternative direct the Opposite Party to refund the entire consideration of Rs. 48,67,140/- alongwith interest of 18% from 15-06-2006 till payment and
- Direct The Opposite party to pay an amount of Rs. 10,00,000/- towards the compensation on account of mental agony, inconvenience and harassment caused to the complainants, and.
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- Direct the Opposite party to pay the litigation cost of INR 3,00.000 for the present Complaint, and
- Pass such other orders as this Hon’ble Commission may deem fit and proper in the interest of justice, equity and good conscience.
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनीगण का कथन है कि विपक्षी ने यूनीटेक होरिजोन नाम से योजना वर्ष 2006 में घोषित की और ब्रोसर जारी किया जिसके आधार पर परिवादिनीगण ने विपक्षी से कई बार फ्लैट की बुकिंग के लिए वार्ता की और विपक्षी की उक्त योजना में फ्लैट खरीदने हेतु प्रार्थना पत्र दिनांक 29-04-2006 प्रस्तुत किया। प्रार्थना पत्र के साथ संलग्नक पेमेण्ट प्लान के अनुसार भुगतान Time Linked Installment Plan के अनुसार होना था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनीगण का कथन है विपक्षी ने उनके आवेदन पत्र पर फ्लैट नम्बर 1003 स्थित प्लाट नम्बर 6, टावर 20 में दसवें फ्लोर पर आवंटित किया जिसका क्षेत्रफल 1695 स्वायर फिट था। परिवादिनी को प्रोविजनल एलाटमेंट लेटर दिनांक 01-05-2006 को जारी किया गया था जिसके अनुसार बेसिक प्राइस 47,45,145/- था जिसमें 4,36,462/- रू० परिवादिनीगण ने अरनेस्ट/रजिस्ट्रेशन एमाउण्ट के रूप में जमा किया था। 1,69,500/- रू० परिवादिनीगण से Preferential Location Charge भी जोड़ा गया था।
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परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनीगण का कथन है कि उन्होंने 43,00,000/- रूपये का होम लोन BHW बिरला होम फाइनेंस लि0 से 8.75 प्रतिशत वार्षिक की दर पर लिया जो बाद में लोन एक्सिस बैंक को अन्तरित कर दिया गया। परिवाद पत्र के अनुसार लोन प्राप्त होना विपक्षी ने पत्र दिनांक 08-06-2006 के द्वारा स्वीकार किया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादीगण का कथन है कि एलाटमेंट करार के क्लाज 4.a (i) के अनुसार परिवादिनी को कब्जा दिनांक 15-10-2008 तक दिया जाना था परन्तु विपक्षी ने सम्पूर्ण धनराशि परिवादिनीगण से प्राप्त करने के बाद भी अपना वादा पूरा नहीं किया और आठ साल बीतने के बाद भी आवंटित फ्लैट पर कब्जा परिवादिनीगण को नहीं दिया। परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनीगण का कथन है कि सन् 2013 तक उन्होंने फुल एण्ड फाइनल पेमेण्ट के रूप में 48,67,140/- रू० का भुगतान विपक्षी को किया है फिर भी उन्होंने आवंटित फ्लैट का कब्जा नहीं दिया है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनीगण का कथन है कि विपक्षी ने पत्र दिनांक 03-12-2007 के द्वारा उन्हें सूचित किया कि फ्लैट का कब्जा वर्ष 2009 की प्रथम तिमाही में दिया जाएगा। परिवादिनीगण कब्जा लेने को तैयार थे क्योंकि वे अपने माता-पिता के मकान में रहते थे परन्तु विपक्षी ने उन्हें कब्जा नहीं दिया। परिवाद पत्र के अनुसार वर्ष 2013 में विपक्षी का अनडेटेड पत्र प्राप्त हुआ जिसमें कहा गया कि फ्लैट का एरिया 1695 स्वायर फिट से बढ़ाकर 1740 स्वायर फिट हो गया है अत: उसके लिए परिवादिनीगण 1,15,875/- रू० का और भुगतान करें। इसके साथ ही विपक्षी ने उक्त पत्र के साथ दिनांक 15-03-2013 तक का परिवादिनीगण का स्टेटमेंट आफ एकाउंट संलग्न किया और 25,676/- रू० की मांग की जिसका
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भुगतान परिवादिनीगण ने चेक के द्वारा किया। इसके अलावा विपक्षी ने 82,113/- रू० मेंटेनेन्स चार्ज और 52,200/- रू० सिक्योरिटी डिपाजिट के रूप में भी मांगा ।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादिनीगण का कथन है कि विपक्षी का फ्लैट का कब्जा देने इरादा नहीं है। विपक्षी ने आवंटित फ्लैट का कब्जा नहीं दिया है और कब्जा अन्तरण के सम्बन्ध में गलत बयानी की है। उसने कब्जे का झूठा आश्वासन देकर विक्रय पत्र निष्पादिन करने हेतु 25,676/- रू० का डिमाण्ड ड्राफ्ट और सिक्योरिट डिपाजिट के रूप में 52,200/- रू० की मांग गलत तौर पर की है। परिवाद पत्र के अनुसार आठ साल की अवधि पूरी होने के बाद भी विपक्षी ने निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है और बेसिक इमिनिटी कायम नहीं की है। अत: परिवादिनीगण ने परिवाद आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष विपक्षी के विरूद्ध चाहा है।
विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हुए है परन्तु धारा 13 (2) डी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत निर्धारित 45 दिन की समय सीमा बीतने के बाद भी लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया है। अत: परिवाद की सुनवाई विपक्षी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से की गयी है। परिवादिनी संख्या-1 ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया है।
परिवाद की सुनवाई के समय परिवादीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री तुसार हिरवानी उपस्थित आए आए हैं। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
मैंने परिवादीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्क को सुना है।
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परिवाद पत्र के उपरोक्त कथन के समर्थन में परिवादिनी ने शपथपत्र प्रस्तुत किया है और परिवाद पत्र के कथन एवं शपथपत्र के खण्डन हेतु विपक्षी
द्वारा लिखित कथन अथवा प्रति शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। अत: परिवाद पत्र के कथन पर विश्वास न करने हेतु कोई उचित आधार नहीं है। अत: यह मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार है कि विपक्षी ने परिवादीगण से 48,67,140/- रू० प्राप्त करने के बाद भी आवंटित फ्लैट का कब्जा परिवादिनीगण को नहीं दिया जबकि आठ साल से अधिक समय बीत चुका है। इस प्रकार विपक्षी ने सेवा में त्रुटि की है और अनुचित व्यापार पद्धति अपनाया है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं याचित अनुतोष को दृष्टिगत रखते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि परिवाद स्वीकार कर विपक्षी को आदेशित किया जाए कि वह आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा परिवादिनीगण को इस निर्णय की तिथि से 6 माह के अन्दर उपलब्ध कराएं और कब्जा अन्तरण में हुए विलम्ब से परिवादिनीगण को हुए मानसिक व शारीरिक कष्ट हेतु क्षतिपूर्ति के लिए 10,00,000/- रू० क्षतिपूर्ति प्रदान करें। यदि विपक्षी उपरोक्त अवधि में उपरोक्त क्षतिपूर्ति अदा करने और फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर परिवादिनी को कब्जा देने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में विपक्षी को आदेशित किया जाना उचित है कि वह परिवादिनीगण की उपरोक्त सम्पूर्ण जमा धनराशि 48,67,140/- रू० जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादीगण को वापस करें।
परिवादिनीगण को 10,000/- रू० वाद व्यय दिलाया जाना भी उचित प्रतीत होता है।
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उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिनीगण को आवंटित फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा 6 महीने के अन्दर प्रदान करें तथा कब्जा अन्तरण में हुए विलम्ब से परिवादीगण को हुए मानसिक और शारीरिक कष्ट हेतु 10,00,000/- रू० क्षतिपूर्ति भी उन्हें अदा करें।
यदि उपरोक्त अवधि में विपक्षी परिवादिनीगण को फ्लैट का निर्माण कार्य पूरा कर कब्जा देने और उपरोक्त क्षतिपूर्ति अदा करने में असफल रहता है तो ऐसी स्थिति में वह परिवादिनीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि 48,67,140/- रू० उन्हें धनराशि जमा करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज सहित वापस करें।
विपक्षी, परिवादिनीगण को 10,000/- रू० वाद व्यय भी अदा करेगें।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं01