राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-५०९/२०२२
(जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-११६/२०१९ में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ के विरूद्ध)
केनरा बैंक फोर्मरली सिण्डिकेट बैंक मिड कारपोरेट ब्रान्च लाकड़ी फाजलपुर, दिल्ली रोड मुरादाबाद द्वारा चीफ मैनेजर।
........... अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
मै0 त्रिभुवन इस्पात प्रा0लि0 हैड आफिस पिलखुआ, जिला हापुड़ उत्तर प्रदेश/ब्रान्च आफिस बाजपुर जिला ऊधमसिंह नगर उत्तराखण्ड द्वारा विभार मित्तल।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :- श्री नितिन खन्ना विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :- श्री आनन्द पाल सिंह विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक :- १७-१०-२०२२.
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/विपक्षी केनरा बैंक इस आयोग के सम्मुख उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम १९८६ की धारा-४१ के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-११६/२०१९ में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ के विरूद्ध योजित की गई है। विद्वान जिला फोरम द्वारा परिवाद को निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ द्वारा एक पक्षीय रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी बैंक पर १४,७८,१४९.०७ रू० दायरे की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक ०९ प्रतिशत साधारण ब्याज सहित देयता निर्धारित की गई। इसके अतिरिक्त विपक्षी पर २०,०००/- रू० आर्थिक, मानसिक क्षतिपूर्ति एवं ५,०००/- रू० वाद व्यय की भी परिवादी को देयता निर्धारित की गई।
मेरे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण द्वय को सुना गया तथा पत्रावली
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पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश का सम्यक रूप से परिशीलन व परीक्षण किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया कि एक पक्षीय रूप से पारित निर्णय एवं आदेश को अपास्त करते हुए परिवाद को पुनर्स्थापित करने हेतु विद्वान जिला फोरम के सम्मुख प्रकीर्ण वाद सं0-०७/२०२२ सिण्डिकेट बैंक बनाम मै0 श्री त्रिभुवर इस्पात प्रा0लि0 योजित किया गया जिसे विद्वान जिला फोरम द्वारा आदेश दिनांक ०६-०४-२०२२ द्वारा निर्णीत किया गया तथा यह उल्लिखित किया गया कि जिला फोरम द्वारा जो निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ पारित किया गया है वह गुणदोष के आधार पर पारित किया गया है अत्एव उपरोक्त निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ का पुनर्विलोकन किया जाना सम्भव नहीं है।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री आनन्द पाल सिंह ने जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ को विधिक बताया।
अपीलार्थी बैंक की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्वारा मेरा ध्यान जिला फोरम द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ की ओर आकृष्ट किया गया जिसमें विद्वान जिला फोरम द्वारा परिवादी द्वारा प्रस्तुत समस्त तथ्यों का उल्लेख विस्तृत रूप से विचारित करते हुए किया गया है परन्तु जहॉं तक विपक्षी बैंक की उपस्थिति के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है वहॉं मात्र निम्न उल्लेख किया गया है :-
‘’ विपक्षी की ओर से बावजूद तामील कोई उपस्थित नहीं हुआ व उनके विरूद्ध कार्यवाही एक पक्षीय चली। ‘’
मेरे विचार से अपीलार्थी/विपक्षी बैंक एक राष्ट्रीयकृत बैंक है जो युक्ति-युक्त रूप से न्यायिक कार्यों में अपना दायित्व निभाता है अत्एव जिला फोरम से अपेक्षित था कि यदि अपीलार्थी/विपक्षी बैंक का प्रश्नगत परिवाद में अपना पक्ष रखने में किसी प्रकार का कर्तव्य/दायित्व नहीं पाया गया तब चूँकि विपक्षी बैंक की शाख दिल्ली रोड, मुरादाबाद में स्थित है, उसको नोटिस दस्ती के माध्यम से जारी कर उपस्थिति हेतु विद्वान जिला
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फोरम द्वारा तिथि निर्धारित की जानी चाहिए थी जो सम्भवत: प्रश्नगत प्रकरण में नहीं की जा सकी। तद्नुसार बिना किसी गुणदोष पर विचार किए हुए प्रस्तुत अपील अन्तिम रूप से निर्णीत करते हुए प्रकरण सम्बन्धित जिला आयोग को प्रतिप्रेषित किए जाने योग्य है।
तद्नुसार अपील स्वीकार की जाती है और जिला उपभोक्ता आयोग (द्वितीय), मुरादाबाद द्धारा परिवाद सं0-११६/२०१९ में पारित प्रश्नगत आदेश दिनांक ३०-१०-२०२१ एवं प्रकीर्ण वाद सं0-०७/२०२२ में पारित आदेश दिनांक ०६-०४-२०२२ अपास्त किए जाते हैं तथा विद्वान जिला आयोग को निर्देशित किया जाता है कि परिवाद सं0-११६/२०१९ को अपने मूल नम्बर पर पुनर्स्थापित करते हुए परिवाद के दोनों पक्षकारों को अवसर प्रदान करते हुए यथा सम्भव ०३ माह की अवधि में परिवाद सं0-११६/२०१९ को गुणदोष के आधार पर निस्तारित किया जावे। किसी भी पक्षकार को बिना किसी उपयुक्त कारण के स्थगन की अनुमति न प्रदान की जावे।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना वहन करेंगे ।
वर्तमान अपील प्रस्तुत करते समय इस राज्य आयोग में अपीलार्थी द्वारा जमा की गई धनराशि २५,०००/- रू० अर्जित ब्याज सहित इस राज्य आयोग के निबन्धक द्वारा अपीलार्थी को विधि अनुसार एक माह में भुगतान किया जावे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रमोद कुमार,
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,
कोर्ट नं0-१.