Uttar Pradesh

StateCommission

A/256/2017

Babu Ram - Complainant(s)

Versus

M/S Shakti Tractor - Opp.Party(s)

Brijyendra Bhashker

29 Nov 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/256/2017
( Date of Filing : 06 Feb 2017 )
(Arisen out of Order Dated 28/07/2009 in Case No. C/90/2004 of District Jalaun)
 
1. Babu Ram
Jalaun
...........Appellant(s)
Versus
1. M/S Shakti Tractor
Jalaun
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 29 Nov 2018
Final Order / Judgement

मौखिक

अपील संख्‍या-256/2017

बाबू राम बनाम मे0 शक्ति ट्रैक्‍टर्स व अन्‍य

29.11.2018

     अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री मनोज कुमार जायसवाल और  प्रत्‍यर्थी  संख्‍या-3  की  ओर  से  विद्वान  अधिवक्‍ता                          श्री एस0एम0 बाजपेयी उपस्थित आये। प्रत्‍यर्थीगण संख्‍या-1 और 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। नोटिस का तामीला पर्याप्‍त माना जा चुका है।

     उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र पर सुना गया। आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 28.07.2009 को जिला फोरम, जालौन स्‍थान उरई द्वारा पारित किया गया है। आक्षेपित निर्णय की प्रति पक्षकारों को उपलब्‍ध कराये जाने की प्रविष्टि आक्षेपित निर्णय पर अंकित है, जिसके अनुसार आक्षेपित निर्णय की प्रति पक्षकारों को दिनांक 12.08.2009 को उपलब्‍ध करा दी गयी है। यह अपील दिनांक 06.02.2017 को करीब 07 साल 06 माह बाद प्रस्‍तुत की गयी है।

विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र में अपीलार्थी की ओर से विलम्‍ब का कारण यह बताया गया है कि अपीलार्थी एक अनपढ़ ग्रामीण व्‍यक्ति है। जिला फोरम में उसके अधिवक्‍ता ने निर्णय के बारे में उसे कभी नहीं सूचित किया और जब भी वह अपने अधिवक्‍ता से मिलने जाता था तो वह उसे बता देते थे कि उन्‍होंने परिवादी के मामले को किसी दूसरे बड़े अधिवक्‍ता को सौंप रखा है। वह उनसे बात कर परिवाद के बारे में जानकारी दे देंगें।

विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र में अपीलार्थी की ओर से कहा गया है कि दिनांक 05.01.2017 को वह अपने वकील से मुकदमें की जानकारी लेने हेतु जब उनके घर गया तो उन्‍होंने उसे फोरम द्वारा पारित निर्णय दिनांक 28.07.2009 की सत्‍यापित प्रति देते हुए बताया कि उसके द्वारा दाखिल परिवाद का निर्णय दिनांक 28.07.2009 को हो गया था।

विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र में अपीलार्थी की ओर से कहा गया है कि अपील दाखिल करने में हुई देरी जानबूझकर नहीं बल्कि वकील द्वारा परिवाद के निर्णय से समय से सूचित न करने के कारण हुई है।

अपीलार्थी की ओर से विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है।

..............................2

 

-2-

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि अपील प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब अपीलार्थी ने जानबूझकर नहीं किया है। वकील द्वारा निर्णय की सूचना न दिये जाने के कारण विलम्‍ब हुआ है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि अपीलार्थी एक अनपढ़ ग्रामीण व्‍यक्ति है। अत: अपील ग्रहण कर अपील का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर किया जाये।

प्रत्‍यर्थी संख्‍या-3 के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि आक्षेपित निर्णय की प्रति जो अपील में संलग्‍न है से स्‍पष्‍ट है कि यह प्रति अपीलार्थी को दिनांक 12.08.2009 को ही उपलब्‍ध करा दी गयी है और उसके बाद 07 साल 06 माह बाद यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है। अपील प्रस्‍तुत करने में विलम्‍ब का अपीलार्थी द्वारा कथित कारण बनावटी है और स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

उपरोक्‍त विवरण से यह स्‍पष्‍ट है कि अपील मेमो के साथ प्रस्‍तुत आक्षेपित निर्णय की नि:शुल्‍क प्रमाणित प्रति‍लिपि दिनांक 12.08.2009 को जारी की गयी है। अपील करीब 07 साल 06 माह बाद प्रस्‍तुत की गयी है। इस बीच अपीलार्थी कितनी बार अपने विद्वान अधिवक्‍ता के यहॉं किस तिथि में अपील की जानकारी करने गया इसका स्‍पष्‍ट विवरण नहीं दिया गया है। आक्षेपित निर्णय और आदेश की प्रति दिये जाने के करीब 07 साल 06 माह बाद अपील प्रस्‍तुत किया जाना यह स्‍पष्‍ट दर्शाता है कि अपील बहुत विलम्‍ब से प्रस्‍तुत की गयी है और इतने अधिक लम्‍बे विलम्‍ब को अस्‍पष्‍ट और भ्रामक कथन के आधार पर क्षमा नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही अधिवक्‍ता द्वारा अपीलार्थी को गलत सूचना दिये जाने का कोई कारण नहीं दिखायी देता है, जबकि अपीलार्थी को आक्षेपित निर्णय की नि:शुल्‍क प्रमाणित प्रतिलिपि की मूल प्रति ही प्रदान की गयी है, जो अपील के साथ प्रस्‍तुत की गयी है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए 07 साल 06 माह के लम्‍बे विलम्‍ब को देखते हुए मैं इस मत का हूँ कि विलम्‍ब क्षमा करने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार नहीं है। अत: विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र निरस्‍त किया जाता है और अपील कालबाधा के आधार पर अस्‍वीकार की जाती है।

 

                      (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)           

                       अध्‍यक्ष                                  

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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