Uttar Pradesh

StateCommission

CC/233/2016

Sunita Agrwal - Complainant(s)

Versus

M/S Parsvnath Dopelopers Ltd - Opp.Party(s)

Sanjay Kumar Srivastava

26 Feb 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/233/2016
( Date of Filing : 26 Aug 2016 )
 
1. Sunita Agrwal
Lucknow
...........Complainant(s)
Versus
1. M/S Parsvnath Dopelopers Ltd
Lucknow
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 26 Feb 2020
Final Order / Judgement

(मौखिक)

परिवाद सं0- 233/2016

सुनीता अग्रवाल बनाम मेसर्स पार्श्‍वनाथ डेवलपर्स लि0 व अन्‍य

26.02.2020

       परिवादिनी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री राजेश चड्ढा उपस्थित आये। परिवादिनी की ओर से आवेदन पत्र दि0 04.12.2019 को परिवाद वापस लिये जाने और परिवाद की कार्यवाही समाप्‍त किये जाने हेतु प्रस्‍तुत किया गया है। आवेदन पत्र दि0 04.12.2019 की धारा 02 में परिवादिनी की ओर से यह कथन किया गया है कि दौरान परिवाद यह ज्ञात हुआ कि बिल्‍डर्स के विरुद्ध रेरा (रियल एस्‍टेट रेगुलेटरी एक्‍ट- 2016 में शिकायत दर्ज कर निपटारा कराया जा सकता है और रेरा ही सक्षम अधिकरण है। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्‍ता को आदेश दि0 13.12.2019 के द्वारा इस बिन्‍दु पर सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया कि वर्तमान वाद के निस्‍तारण हेतु रेरा ही सक्षम अधिकरण है और आज की तिथि नियत की गई, परन्‍तु परिवादिनी की ओर से आज कोई उपस्थित नहीं है।

       वर्तमान परिवाद वर्ष 2016 में रेरा (रियल एस्‍टेट रेगुलेटरी एण्‍ड डेवलपमेंट एक्‍ट- 2016 दि0 01 मई 2017 को लागू होने के पूर्व दायर किया गया है। उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा 03 के प्राविधान को देखते हुए यह कहना उचित नहीं है कि परिवाद का संज्ञान लेने का अधिकार राज्‍य आयोग को नहीं है। अत: परिवादिनी द्वारा आवेदन पत्र में किया गया यह कथन उचित और विधि सम्‍मत नहीं है कि परिवाद के निस्‍तारण हेतु रेरा ही सक्षम अधिकरण है, फिर भी परिवादिनी की ओर से वर्तमान प्रार्थना पत्र के माध्‍यम से परिवाद

                                               .............2

/2/

वापस लिये जाने का अनुरोध किया गया है तथा परिवाद की कार्यवाही समाप्‍त किये जाने को कहा गया है और आज परिवादिनी की ओर से परिवाद पर बल देने हेतु कोई उपस्थित नहीं है। अत: परिवाद परिवादिनी के प्रार्थना पत्र के अनुसार वापस लिये जाने के आधार पर निरस्‍त किया जाता है।

       विपक्षी के विद्वान अधिवक्‍ता ने हर्जा की मांग की। अत: परिवादिनी, विपक्षी को 10,000/-रू0 हर्जा प्रदान करे।      

 

                (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                                                

                         अध्‍यक्ष                                                   

 

शेर सिंह, आशु0

कोर्ट नं0- 1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 

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