राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-1359/2003
मे0 ग्रीन गुड्स कैरियर्स गुलजारीमल धर्मशाला रोड, हीरोहोण्डा वर्कशाप
मुरादाबाद। .........अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम्
1.मेसर्स पी0एन0ब्रादर्श भट्टी स्ट्रीट मुरादाबाद द्वारा प्रोपेराइटर श्री वी0के0
अग्रवाल थाना कोतवाली, मुरादाबाद।
2.मेसर्स ग्रीन कैरियर्स एण्ड कान्ट्रेक्टर्स। ........प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित :श्री अरूण टंडन, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित :कोई नहीं।
दिनांक 01.05.2015
मा0 श्री राज कमल गुप्ता, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम प्रथम मुरादाबाद द्वारा परिवाद संख्या 120/2002 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दि. 17.04.2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई है।
अपीलार्थी की तरफ से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टंडन उपस्थित। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। आदेश पत्र दि. 04.03.11 से स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी को सूचना राज्य आयोग द्वारा जारी की गई है।
संक्षेप में केस के तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी ने दि. 07.01.2001 को मेसर्स अल्पना स्पोर्टस रायपुर मध्यप्रदेश को अपनी इनवायस संख्या 69 के द्वारा रू. 19823.40 पैसे का माल तीन नगों में विपक्षी को सौंपा और विपक्षी ने मेसर्स ग्रीन कैरियर्स एन्ड कोन्ट्रेक्टर्स दिल्ली प्रा0 लि0 को छपी बिल्टी संख्या डी 03159294 परिवादी को उपलब्ध करायी थी और 15 दिन में रायपुर माल पहुंचाने का वचन दिया था। परिवादी ने उपरोक्त बिल्टी अपने सेन्ट्रल बैंक आफ चौराहा गली मुरादाबाद को दि. 09.01.01 को सौंप दी जिसे बैंक ने भारतीय स्टेट बैंक रायपुर को भेज दी, जिसने सेन्ट्रल बैंक आफ इंडिया परिवादी के बैंक को सूचित किया कि उक्त बिल का भुगतान नहीं हुआ है। विपक्षी ने परिवादी के माल में हेराफेरी की है और सेवा में कमी की है।
विपक्षी ने अपने लिखित कथन में कहा है कि उसकी फर्म मैसर्स ग्रीन गुडस
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कैरियर गुलजारी मल धर्मशाला रोड, सम्मुख हीरो होण्डा वर्कशाप मुरादाबाद है जो वर्तमान परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया है। उसके विरूद्ध परिवाद पोषणीय नहीं है।
इस संबंध में जिला मंच द्वारा निर्णय/आदेश दि. 17.04.2003 का अवलोकन किया गया। जिला मंच द्वारा निम्न आदेश पारित किया गया:-
'' विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि आदेश की सूचना के एक माह में परिवादी को 19823.40 पैसे माल का मूल्य व उस पर दि. 07.01.2001 से भुगतान के दिनांक तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज व मानसिक क्षतिपूर्ति के रूप में व 500/-रू; परिवाद व्यय के रूप में भुगतान करें।''
केस के तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुए हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा 18 प्रतिशत का ब्याज लगाया गया है वह 6 प्रतिशत की दर से परिवर्तित करना न्यायोचित होगा। इसके अलावा हम यह भी पाते हैं कि रू. 500/- वाद व्यय लगाया गया है वह समाप्त किए जाने योग्य है। शेष आदेश पुष्टि किए जाने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला फोरम के निर्णय/आदेश दि. 17.04.2003 में जो 18 प्रतिशत का ब्याज लगाया गया है वह 6 प्रतिशत की दर से परिवर्तित किया जाता है एवं जो रू. 500/- वाद व्यय लगाया गया है वह भी समाप्त किया जाता है। शेष आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रतिलिपि पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाए।
(राम चरन चौधरी) (राज कमल गुप्ता)
पीठासीन सदस्य सदस्य
राकेश, आशुलिपिक
कोर्ट-5