Uttar Pradesh

StateCommission

A/2011/2143

Udal Singh - Complainant(s)

Versus

M/s Kiran Tractor - Opp.Party(s)

Naveen Kumar Tiwari

17 Feb 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2011/2143
( Date of Filing : 04 Nov 2011 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Udal Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. M/s Kiran Tractor
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 17 Feb 2022
Final Order / Judgement

मौखिक

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-2143/2011

उदल सिंह पुत्र रघुराज सिंह, साधन कालन, थाना अछनेरा, जिला आगरा।

                             अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्  

प्रोप. किरन ट्रैक्‍टर्स, बाईपास रोड, किरावली, आगरा तथा एक अन्‍य।

प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री नवीन कुमार तिवारी, अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्‍डन, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक:  17.02.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                 परिवाद संख्‍या-248/2000, उदल सिंह बनाम प्रो0 किरन ट्रैक्‍टर्स तथा एक अन्‍य में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, द्वितीय आगरा द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 22.02.2011 के विरूद्ध यह अपील दिनांक 04.11.2011 को प्रस्‍तुत की गई है।

2.         दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ताओ को देरी के बिन्‍दु पर सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एंव पत्रावली का अवलोकन किया गया।

3.         अपील प्रस्‍तुत करने में हुई देरी का आधार शपथपत्र के पैरा संख्‍या-3 में वर्णित है, जिसमें उल्‍लेख है कि दिनांक 22.02.2011 को पारित निर्णय की जानकारी एक मित्र के माध्‍यम से दिनांक 18.08.2011 को प्राप्‍त हुई। प्रत्‍यर्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि जानकारी का स्रोत पूर्णत: भ्रामक है, क्‍योंकि मित्र का नाम वर्णित नहीं है। मित्र  अदालत  में  क्‍यों  उपस्थित  हुए,  यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है। स्‍वंय

-2-

शपथकर्ता ने सुनवाई में भाग लिया था, उसकी उपस्थिति में निर्णय पारित हुआ था, इसलिए मित्र के माध्‍यम से निर्णय की जानकारी होने का कोई अवसर ही नहीं है। देरी पर्याप्‍त कारण के आधार पर माफ की जा सकती है। प्रस्‍तुत केस में देरी का जो आधार दर्शाया गया है, वह ग्राह्य नहीं है, क्‍योंकि परिवाद की सुनवाई के दौरान परिवादी स्‍वंय उपस्थित रहा है और परिवादी को या उसके अधिवक्‍ता को निर्णय की तिथि की स्‍पष्‍ट जानकारी थी, परन्‍तु शपथपत्र में एक मित्र के माध्‍यम से जानकारी होने का कथन किया गया है, जबकि मित्र को निर्णय की जानकारी कैसे हुई, इसका कोई उल्‍लेख नहीं किया गया। अत: देरी माफ करने का यथार्थ में कोई आधार जाहिर नहीं किया गया पर्याप्‍त होने का प्रश्‍न ही नहीं उठता। तदनुसार देरी माफ करने योग्‍य नहीं है। मर्यादा अवधि से बाहर अपील प्रस्‍तुत करने के कारण खारिज होने योग्‍य है।

आदेश

4.             प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

             उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

    (राजेन्‍द्र सिंह)                                         (सुशील कुमार)

     सदस्‍य                                                   सदस्‍य

 

 

 

 

           निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                                         (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                                   सदस्‍य

 

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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