सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
अपील संख्या : 3045/2016
(जिला उपभोक्ता फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा परिवाद संख्या-136/2014 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-10-2016 के विरूद्ध)
1- M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd., Managing Director Head Office 8th Floor, DHL Tower, A.K. Marg, Bandra, East Mumbai.
2- M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd., Ashok Kumar Gupta, Credit Control Officer, Botanical Garden, Metro Station, Sector-38 A, NOIDA.
3- M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd.,Deep Dogra Territory Manager, Botanical Garden, Metro Station, Sector-38 A, NOIDA.
4- M/s M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd., Dharmendra Shukla, Botanical Garden, Metro Station, Sector-38 A, NOIDA.
...अपीलार्थी/विपक्षीगण
बनाम्
M/s Designer Den through Proprietor Mrs. Kavita Jamil Office C-3/120, Sector : 36, NOIDA and House No. 1600, Sector 37, NOIDA, District-Gautam Buddh Nagar.
..........प्रत्यर्थी/परिवादी
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री निशांत शुक्ला।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री पुनीत कुमार सक्सेना।
अपील संख्या : 2816/2016
M/s Designer Den through Proprietor Mrs. Kavita Jamil Office C-3/120, Sector : 36, NOIDA and House No. 1600, Sector 37, NOIDA, District-Gautam Buddh Nagar.
..........अपीलार्थी/परिवादी
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बनाम्
1-M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd., Managing Director Having its Registered Office 8th Floor, HDIL Tower, A.K. Marg, Bandra (E), Mumbai-400051.
Having its Branch Office Situated at Botanical Garden Metro Station, Sector- 38 A, Noida.
2- M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd., Ashok Kumar Gupta, Credit Control Officer, Botanical Garden, Metro Station, Sector-38 A, NOIDA.
3- M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd.,Deep Dogra Territory Manager, Botanical Garden, Metro Station, Sector-38 A, NOIDA.
4- M/s M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd., Dharmendra Shukla, Botanical Garden, Metro Station, Sector-38 A, NOIDA.
...प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित- श्री पुनीत कुमार सक्सेना ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित- श्री निशांत शुक्ला।
समक्ष :-
- मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
- मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य।
दिनांक : -09-2018
मा0 श्री महेश चन्द, सदस्य द्वारा उद्घोषित निर्णय
परिवाद संख्या-136/2014 मैसर्स डिजाइजर डेन बनाम् मै0 डी0एच0एल0 कोरियर एक्सप्रेस प्रा0लि0 व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-10-2016 के विरूद्ध अपील संख्या-3045/2016 M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd. बनाम् M/s Designer Den through Proprietor Mrs. Kavita Jamil एवं अपील संख्या 2816/2016 M/s Designer Den through Proprietor Mrs. Kavita
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Jamil बनाम् M/s D.H.L. Courier Express Pvt. Ltd व तीन अन्य द्वारा दो अलग-अलग अपीलें उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है। उक्त दोनों अपीलें एक ही निर्णय के विरूद्ध अलग-अलग प्रस्तुत की गयी है। अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक साथ किया जा रहा है।
इस प्रकरण में विवाद के संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी कम्पनी ने माह नवम्बर, 2012 में इटली में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में भारतीय कला शैली से संबंधित अपने सामान को प्रदर्शित करने के लिए विपक्षीगण से उक्त सामान के परिवहन के लिए सम्पर्क किया। परिवादी की ओर से India Trade Promotion Organization, नई दिल्ली को दिनांक 06-09-2012 को रसीद संख्या-12001932 द्वारा रू0 50,000/- एवं दिनांक 11-09-2012 को रसीद संख्या-12002011 द्वारा रू0 1,18,000/- अदा किये। परिवादी द्वारा इटली में होने वाली प्रर्दशनी में प्रदर्शित की जाने वाली सामग्री की सूचना उपलब्ध करायी गयी। विपक्षीगण द्वारा यह अन्डर टेकिंग दी गयी थी कि नान-कामर्शियल गुड्स को बिना किसी क्षति के डिलीवर किया जायेगा। परिवादी ने कम्पनी के प्रतिनिधि को माल परिवहन किये जाने के संबंध में दस्तावेज प्रदान किये। उक्त समस्त औपचारिकताएं दिनांक 19-11-2012 तक पूर्ण की गयी। प्रदर्शित किये जाने वाले सामान की कीमत 628 Euro अंकित की गयी। परिवादी ने विपक्षीगण के शाखा कार्यालय को ई-मेल के माध्यम से परिवहन की दरें तथा शुल्क भेजने का निवेदन किया। प्रारम्भ में विपक्षीगण द्वारा आश्वासन दिया गया कि भेजे जाने वाले माल की पैकेजिंग उनके द्वारा की जायेगी किन्तु बाद में पैकेजिंग करने से विपक्षी द्वारा मना कर दिया गया। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के अनुसार उक्त सामान की पैकिंग की गयी । विपक्षीगण द्वारा दिनांक 29 नवम्बर, 2012 को डिलीवर किया गया। विपक्षीगण द्वारा जो माल डिलीवर किया गया वह क्षतिग्रस्त डिलीवर किया गया जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 से की किन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। विपक्षीगण ने क्षतिग्रस्त सामान की क्षतिपूर्ति की बजाय रू0 84114.66 का बिल भेजा, जो कि विपक्षीगण के
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स्तर पर सेवा में कमी है। अत: सेवा में कमी से क्षुब्ध होकर परिवाद संख्या 136/2014 जिला फोरम, गौतमबद्ध नगर के समक्ष योजित किया गया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र दाखिल करते हुए कथन किया गया कि परिवाद गलत तथ्यों के आधार पर दायर किया गया है परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-26 के अन्तर्गत बाधित है तथा मामले की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल न्यायालय को है। परिवाद वाणिज्यिक संव्यवहार से संबंधित है अत: जिला फोरम को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है।
जिला फोरम ने पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों का परिशीलन करने तथा उनके तर्कों को सुनने के बाद परिवादी का परिवाद स्वीकार करते हुए आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनांक 20-10-2016 निम्नानुसार पारित किया :-
‘’ परिवादी का परिवाद, स्वीकार किया जाता है, तथा विपक्षीगण की ओर से जारी रू0 1,61,834/-रू0 का मांग पत्र अपास्त करते हुए, विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वह आज से 45 दिन के अंदर परिवादी को मानसिक एवं अन्य क्षति के मद में रू0 1,00,000/- का भुगतान करना सुनिश्चित करें।इसके अलावा परिवादी विपक्षीगण से वाद व्यय के मद में रू0 5000/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा। निर्णय की प्रति उभयपक्ष को नियमानुसार निर्गत की जाए।‘’
उपरोक्त आक्षेपित आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/विपक्षी मे0 डी0 एच0 एल0 कोरियर एक्सप्रेस प्रा0 लि0 द्वारा अपील संख्या-3045/2016 उपरोक्त आक्षेपित आदेश को अपास्त करने हेतु दायर की गयी है। उक्त अपील में प्रश्नगत आदेश को अपास्त करने के लिए जिन आधारों पर चुनौती दी गयी है उसका संक्षिप्त अभिकथन इस प्रकार है कि परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-2 (डी) के अन्तर्गत उपभोक्ता नहीं है क्योंकि उसने अपीलार्थी/विपक्षी की सेवायें व्यापारिक उद्देश्य के लिए ली थी। विद्धान जिला फोरम ने मांग पत्र निरस्त करने का प्रश्नगत आदेश पारित कर अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण किया है। अपीलार्थी/विपक्षी के स्तर पर सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। विद्धान जिला फोरम ने इन सभी तथ्यों की अनदेखी कर प्रश्नगत आदेश विधि विरूद्ध पारित किया है जो निरस्त होने योग्य है।
अपील संख्या-2816/2016 के अपीलार्थी/परिवादी द्वारा अपनी अपील में प्रश्नगत आदेश को जिन आधारों पर चुनौती दी गयी है उनका संक्षिप्त विवरण
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इस प्रकार है कि विद्धान जिला फोरम साक्ष्यों, तथ्यों एवं परिस्थितियों को समझने में असफल रहा है। विद्धान जिला फोरम द्वारा पर्याप्त मुआवजा न देकर त्रुटि की गई है। विद्धान जिला फोरम ने इस तथ्य की भी अनदेखी की है कि विपक्षी/कोरियर सर्विस ने परिवादी से 1200 Euro की अधिक धनराशि वसूल की है। विद्धान जिला फोरम ने 1200 Euro डालर की धनराशि वापस करने का अनुतोष न देकर मनमाने ढंग से आदेश पारित किया है। विद्धान जिला फोरम ने इस तथ्य की भी अनदेखी की है कि अपीलार्थी/परिवादिनी का विदेश में कितना उत्पीड़न हुआ और कोरियर डिलीवरी ब्वाय ने साक्ष्यों को नष्ट किया और परिवादी/अपीलार्थी के साथ दुव्यर्वहार किया तथा जो सामान कोरियर से भेजा गया था वह क्षतिग्रस्त हो गया था जिससे परिवादी उक्त सामान को प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने से वंचित रहा। जिला फोरम ने प्रदर्शनी में जाने के लिए होटल तथा यात्रा पर हुए खर्च की भी भरपाई हेतु भी कोई अनुतोष नहीं दिया जबकि उक्त व्यय प्रत्यर्थी/विपक्षी के कारण हुआ।
इस पीठ द्वारा उभयपक्ष के अधिवक्ताओं के तर्क को ध्यानपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखीय सक्ष्यों का परिशीलन किया गया।
यह तथ्य निर्विवादित रूप से स्वीकार्य हे कि परिवादी ने विपक्षी कोरियर कम्पनी के माध्यम से कुछ सामान इटली भेजा। उक्त सामान नवम्बर, 2012 में इटली में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाना था। चूंकि उक्त सामान नान-कामर्शियल गुड्स की श्रेणी में प्रदर्शनी में प्रदर्शित किये जाने के लिए भेजा गया था और उसका कोई कामर्शियल ट्रान्जेक्शन नहीं किया जाना था अत: कोरियर कम्पनी का यह तर्क स्वीकार करने योग्य नहीं है कि प्रश्नगत सामान बिजनेस ट्रान्जेशन के लिए भेजा गया था और परिवादी उसका उपभोक्ता नहीं था अथवा जिला फोरम को इस परिवाद का संज्ञान लेने के लिए क्षेत्राधिकार नहीं था। चूंकि परिवादी ने विपक्षी कोरियर कम्पनी को कोरियर की सेवा के लिए प्रतिफल के रूप में भुगतान किया था, इसके अतिरिक्त चूंकि प्रश्नगत सामान व्यापार करने के लिए नहीं बल्कि प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने के लिए भेजा गया था अत: यह व्यापारिक ट्रांजेक्शन नहीं था। जिला फोरम को इस परिवाद को सुनने का पूर्ण क्षेत्राधिकार है, अत: वह विपक्षी का उपभोक्ता है। पत्रावली पर उपलब्ध रसीदों के
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अवलोकन से यह भी स्पष्ट है कि भेजे गये सामान का कुल वजन 401 किलोग्राम था और अधिकतम 447 किलो ग्राम वजन का कोरियर शुल्क चार्ज किया जा सकता था किन्तु विपक्षी कोरियर कम्पनी ने उससे 527 किलोग्राम का कोरियर शुल्क वसूल किया है। इस प्रकार अपीलार्थी/विपक्षी से 1097 Euros अधिक की धनराशि वसूल की है जो वापस होने योग्य है। जिला फोरम ने इस तथ्य की अनदेखी की है। जिला फोरम ने यह तथ्य अपने प्रश्नगत आदेश में अंकित किया है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को बताये गये पते पर समान की डिलीवरी की गयी तथा डिलीवरी किया गया समान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त था। विपक्षी कोरियर कम्पनी द्वारा सामान को सही हालत में सही समय पर न पहुँचाकर सेवा में कमी की गयी है। विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी के लिए क्षतिपूर्ति के स्थान पर रू0 84,114.86 का बिल भेजा गया है। सेवा में कमी के बावजूद सेवा के बदले प्रतिफल की मांग करना एक प्रकार अनुचित व्यापार प्रथा है। जिला फोरम को इस परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। विपक्षीगण का यह दायित्व था कि वह भेजे गये सामान को सही हालत में निर्धारित पते पर पहुँचाता जो कि विपक्षीगण द्वारा शुल्क लेकर भी सही हालत में सही समय पर नहीं पहुँचाया गया जो कि उनके स्तर पर सेवा में घोर कमी है। विदेश में डिलीवरी ब्वाय द्वारा अवैध रूप से 1200 Euro की राशि परिवादी से कस्टम तथा अन्य शुल्क के रूप में अवैध वसूल करना घोर अनुचित व्यापार प्रथा है। वसूली गई धनराशि की रसीद देना तथा फिर छीनकर नष्ट करना एक अनुचित व्यवहार है। विद्धान जिला फोरम ने समस्त तथ्यों पर सम्यक विचारोपरान्त विधि अनुसार निर्णय पारित किया है जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तद्नुसार उक्त दोनों अपीलों में कोई बल नहीं है और उक्त दोनों अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
उक्त दोनों अपीलें निरस्त की जाती है।
उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वयं वहन करेंगे।
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इस निर्णय की एक प्रति संबंधित अपील संख्या-2816/2016 में सुरक्षित रखी जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0