Uttar Pradesh

StateCommission

RP/120/2015

Anjil Kumar - Complainant(s)

Versus

Motorola Mobility India OPvt Ltd - Opp.Party(s)

Prabhat Singh

27 Aug 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Revision Petition No. RP/120/2015
(Arisen out of Order Dated 21/05/2015 in Case No. C/582/2014 of District Lucknow-II)
 
1. Anjil Kumar
Lucknow
...........Appellant(s)
Versus
1. Motorola Mobility India OPvt Ltd
Gurgaon Haryana
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE Virendra Singh PRESIDENT
 
For the Petitioner:
For the Respondent:
ORDER

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

पुनरीक्षण संख्‍या-120/2015

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 582/2014 में पारित आदेश दिनांक 21.05.2015 के विरूद्ध)

Anil Kumar Son of Late Agnoo Ram

Resident of Sainik Vihar Colony, Village-Rudahi, Bakshi Ka Talab, Lucknow.                      ....................पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी।

बनाम

1. Motorola Mobility India Private Limited.

  through its Director

  Head Office-415/2, Mehrauli-Gurgaon Road.

  Sector-14, Gurgaon-122001, Haryana

2. Flipkart Internet Private Limited

  Through its Director

  Registered Office-Ozone Manay Tech Park,

  56/18 & 55/09, 7th Floor

  Garvebhavipalya Hosur Road,

  Bangalore-560068, Karnataka

3. Motorola Service Centre

  Z.A. Mobiles Through its Proprietor

  GF/4, Leela Mension, Nawal Kishore Road,

  Lucknow-226001                ................प्रत्‍यर्थीगण/विपक्षीगण।

 

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री उदय शंकर अवस्‍थी, सदस्‍य।

 

पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री प्रभात सिंह, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

 

दिनांक: 27.08.2015       

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री वीरेन्‍द्र सिंह, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

यह पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र पुनरीक्षणकर्ता/परिवादी द्वारा जिला उपभोक्‍ता फोरम-द्वितीय, लखनऊ द्वारा परिवाद संख्‍या 582/2014 में  पारित आदेश दिनांक 21.05.2015 के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया गया  है,  जिसके

 

 

 

-2-

अन्‍तर्गत जिला मंच द्वारा परिवादी का अन्‍तरिम राहत् प्रार्थना पत्र निरस्‍त  किया गया।

इस पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र को अंगीकार किए जाने के प्रश्‍न पर ही सुनवाई करते हुए अन्तिम रूप से विनिश्चित किए जाने योग्‍य पाए जाने के कारण श्री प्रभात सिंह विद्वान अधिवक्‍ता पुनरीक्षणकर्ता को सुनने के उपरान्‍त हमने यह पाया है कि प्रश्‍नगत पुनरीक्षण निराधार है और अस्‍वीकार किया जाने योग्‍य है क्‍योंकि परिवादी का अन्‍तरिम राहत प्रार्थना पत्र निरस्‍त करके जिला मंच ने कोई त्रुटि नहीं की है। यह विधिसम्‍मत है कि परिवाद में जो अनुतोष मांगा जाता है उस अनुतोष को अन्‍तरिम राहत के रूप में प्रदत्‍त नहीं किया जा सकता है क्‍योंकि यदि अन्‍तरिम राहत में उक्‍त अनुतोष को प्रदत्‍त कर दिया जाता है तो परिवाद के लम्बित रहने और सुनवाई के‍ लिए दोनों पक्षों को अवसर दिए जाने का कोई औचित्‍य नहीं रह जाता है। इस सम्‍बन्‍ध में जिला फोरम का यह अभिमत कि यदि विपक्षी को यह आदेशित किया गया कि वह परिवादी के सेल फोन को ठीक कर दे तो इससे परिवादी को मुख्‍य अनुतोष प्राप्‍त हो जायेगा, जो कि न्‍यायहित में उचित नहीं होगा, विधिसम्‍मत आदेश है। हमारी राय में प्रश्‍नगत आदेश ऐसा आदेश भी नहीं है जो जिला फोरम के क्षेत्राधिकार के बाहर पारित किया गया हो अथवा जिला फोरम ने उस क्षेत्राधिकार का उपयोग न किया हो, जिस क्षेत्राधिकार का उपयोग करने के लिए जिला फोरम सक्षम है और उससे अपेक्षा की जाती है। इन तमाम परिस्थितियों के आलोक में हमारी अवधारणा है कि प्रश्‍नगत आदेश विधिसम्‍मत आदेश है, जिसके विरूद्ध यह पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र अस्‍वीकार किया जाने योग्‍य है।

 

 

-3-

                            आदेश

     पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र उपरोक्‍त अस्‍वीकार किया जाता है।

 

 

           (न्‍यायमूर्ति वीरेन्‍द्र सिंह)                 (उदय शंकर अवस्‍थी)       

      अध्‍यक्ष                               सदस्‍य          

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE Virendra Singh]
PRESIDENT

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