Uttar Pradesh

StateCommission

C/2002/66

Kuldeep Singh - Complainant(s)

Versus

Moradabad Development Authority - Opp.Party(s)

V. N. Tandan

26 Feb 2020

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2002/66
( Date of Filing : 18 Apr 2002 )
 
1. Kuldeep Singh
A
...........Complainant(s)
Versus
1. Moradabad Development Authority
A
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 26 Feb 2020
Final Order / Judgement

परिवाद सं0-६६/२००२

कुलदीप सिंह बनाम मुरादाबाद विकास प्राधिकरण

२६-०२-२०२० :-

आज यह पत्रावली प्रस्‍तुत हुई। परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अरूण टण्‍डन तथा प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अभिषेक मिश्रा उपस्थित हैं।

विपक्षी द्वारा परिवाद की पोषणीयता के सम्‍बन्‍ध में प्रस्‍तुत की गई आपत्ति पर हमने उभय पक्ष के अधिवक्‍तागण के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया।

विपक्षी द्वारा प्रस्‍तुत की गई आपत्ति के अनुसार परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं है, क्‍योंकि प्रश्‍नगत प्‍लाट परिवादी ने नीलाम में क्रय किया है। नीलाम की शर्तों के अनुसार ही परिवादी द्वारा भुगतान किया गया। परिवादी द्वारा कोई सेवा प्राप्‍त किया जाना प्रमाणित नहीं है।

परिवाद के अभिकथनों के अवलोकन से यह स्‍पष्‍ट है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी ने प्रश्‍नगत प्‍लाट नीलाम में क्रय किया था। परिवादी के कथनानुसार विपक्षी द्वारा नीलाम से प्राप्‍त की गई धनराशि शासनादेश द्वारा निर्धारित धनराशि से अधिक प्राप्‍त की गई है। अत: अधिक भुगतान की गई धनराशि की मय ब्‍याज वापसी का अनुतोष चाहा गया है। ऐसी परिस्थिति में प्रस्‍तुत प्रकरण में स्‍वयं परिवादी ने विपक्षी द्वारा प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति के सन्‍दर्भ में कोई सेवा प्रदान किया जाना तथा उस कथित सेवा में विपक्षी द्वारा कोई त्रुटि किया जाना अभिकथित नहीं किया है। नीलाम में प्रश्‍नगत सम्‍पत्ति की निर्धारित धनराशि से अधिक धनराशि प्राप्‍त किया जाना अभिकथित किया गया है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता। तद्नुसार प्रस्‍तुत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार इस आयोग को प्राप्‍त नहीं है। अत: क्षेत्राधिकार के अभाव में परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

परिवाद क्षेत्राधिकार के अभाव में निरस्‍त किया जाता है। परिवादी नियमानुसार सक्षम न्‍यायालय में परिवाद योजित करने के लिए स्‍वतन्‍त्र होगा।  

 

                (उदय शंकर अवस्‍थी)               (गोवर्द्धन यादव)

                  पीठासीन सदस्‍य                     सदस्‍य

 

 

प्रमोद कुमार, 

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-१,

कोर्ट नं0-२.

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER
 

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