Uttar Pradesh

StateCommission

CC/9/2018

Dr.Pushp Kumar Rajput - Complainant(s)

Versus

Moradabad Development Authority - Opp.Party(s)

Sushil Kumar Sharma

08 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. CC/9/2018
( Date of Filing : 03 Jan 2018 )
 
1. Dr.Pushp Kumar Rajput
S/O Late Babu Singh Niwasi 1 Buland Bangla Civil Line Rampur U.P.
...........Complainant(s)
Versus
1. Moradabad Development Authority
Moradabad
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 08 Jul 2022
Final Order / Judgement

                                                                      सुरक्षि‍त

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

 परिवाद संख्‍या 09/2018

डा० पुष्‍प कुमार राजपूत उम्र 60 वर्ष पुत्र स्‍व० बाबू सिंह निवासी 1- बुलन्‍द बंगला सिविल लाइन्‍स रामपुर उ०प्र०।

  परिवादी

बनाम

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्‍यक्ष/सचिव।

                                                                                                                                                                                     विपक्षी

समक्ष:-

 माननीय राजेन्‍द्र सिंह सदस्‍य

माननीय विकास सक्‍सेना सदस्‍य

परिवादी की ओर से उपस्थित:     विद्वान अधिवक्‍ता, श्री सुशील कुमार शर्मा

विपक्षी की ओर से उपस्थित :     विद्वान अधिवक्‍ता श्री अभिषेक मिश्रा 

दिनांक- 05-08-2022

माननीय सदस्‍य श्री राजेन्‍द्र सिंह द्वारा उदघोषित

                                                                                                 निर्णय

  प्रस्‍तुत परिवाद परिवादी, डा० पुष्‍प कुमार राजपूत द्वारा विपक्षी मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा उपाध्‍यक्ष/सचिव के विरूद्ध धारा-17 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत करते हुए निम्‍न अनुतोष चाहा गया है :-

अ-यह कि विपक्षी विभाग को आदेशित किया जाये कि विपक्षी विभाग के द्वारा परिवादी को आवंटित भूखण्‍ड संख्‍या-A-2/116 आशियाना सेक्‍टर-2 रकवई 200 वर्ग से संबंधित अतिरिक्‍त भूमि रकबई 130.07 वर्ग मीटर को पुराने रेट 1600/- रूपये से तथा ब्‍याज आदि से मुक्‍त फरमाकर दी जायें तथा विपक्षी को आदेशित किया जाये कि वह 330.07 वर्ग मीटर भूमि का विक्रय पत्र परिवादी के पक्ष में कर दें।

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ब- विपक्षी विभाग के लापरवाही पूर्ण कृत्‍य से परिवादी को पहुँची मानसिक व शारीरिक एवं आर्थिक क्षति एवं पीड़ा हेतु क्षतिपूर्ति के रूप में अंकन 18,00,000/-रू0 दिलाया जावे।

स-यह कि परिवादी का व्‍यय अंकन 20,000/-रू0 विपक्षी से परिवादी को दिलाया जावे।

द- अन्‍य कोई अनुतोष जो कि माननीय फोरम की राय में वाहक परिवादी वर खिलाफ विपक्षी दिलाया जावे।

परिवादी संख्‍या-1 बुलन्‍द बंगला सिविल लाईन रामपुर का निवासी है परिवादी पर अपना कोई मकान नहीं है इस कारण परिवादी ने मुरादाबाद विकास प्राधिकरण मुरादाबाद में आवास बनाने के लिए भूखण्‍ड आवंटन हेतु प्रार्थना पत्र दिया और दिनांक 18-02-1999 को 70,000/-रूपयों की धनराशि विपक्षी के कार्यालय/बैंक में जमा की जिस पर विपक्षी द्वारा दिनांक 26-02-1999 को अपने पत्र दिनांकित 15-03-1999 द्वारा 200 वर्ग मीटर का प्‍लाट भूखण्‍ड संख्‍या-A-2/116 आशियाना सेक्‍टर संख्‍या-2 मुरादाबाद में आवंटित करने का पत्र परिवादी को जारी किया।

उक्‍त आवंटन में 200 वर्ग मीटर भूमि का मूल्‍य 3,20,000/- बताया गया जिसमें परिवादी ने निम्‍न प्रकार विपक्षी को अदा कर दिया।

दिनांक 18-02-1999   70,000/-रू0

दिनांक 03-07-1999   55,000/-रू0

दिनांक 17-07-1999   1,95,000/- कुल 3,20,000/-रू0+7000

विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि उक्‍त धनराशि के अलावा आपको 7000/-रूपया और जमा करना है जिसको भी दिनांक 01-10-1999 को

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परिवादी ने अदा कर दिया और उक्‍त आवंटन में प्राप्‍त भूमि  200 वर्ग मीटर की सम्‍पूर्ण धनराशि विपक्षी को अदा कर दी। विपक्षी द्वारा केवल भूमि का विक्रय पत्र कराया जाना शेष रहा।

परिवादी द्वारा बार-बार विपक्षी के कर्मचारियों से कहा गया कि वह भूमि का विक्रय पत्र करा दें पहले तो वहॉं सुनवायी नहीं हुई और बाद में बताया कि आपका प्‍लाट कार्नर का है जिसमें कुछ अतिरिक्‍त भूमि भी आ रही है जिसकी अभी नाप जोख होना है। नाप-जोख के बाद आपको पत्र द्वारा सूचित किया जायेगा तब आप अतिरिक्‍त की कीमत जमा करें और उसके बाद विक्रय पत्र होगा। आप द्वारा बार-बार कार्यालय आने की आवश्‍यकता नहीं है।

     दिनांक 02-12-2004 को परिवादी विपक्षी के कार्यालय में ऋण हेतु एन.ओ.सी. लेने गया तब विपक्षी के कर्मचारियों ने परिवादी को एक पत्र जिसका पत्रांक संख्‍या-218 दिनांक 02-12-2004 दिया जिसमें परिवादी को सूचित किया गया कि परिवादी के भूखण्‍ड के साथ 130.07 वर्ग मीटर भूमि अतिरिक्‍त भी है तथा आपकी और अतिरिक्‍त भूमि कार्नर, फ्री होल्‍ड आदि की कुल धनराशि 4,66,800/- और बकाया है जिसको जमा करने के उपरान्‍त ही एन.ओ.सी. जारी हो सकती है पत्र की फोटो प्रति एनेक्‍जर संख्‍या-4 है इस पत्र के प्राप्‍त करने पर परिवादी द्वारा अतिरिक्‍त भूमि की कीमत पूछने पर जुबानी बताया गया कि भूमि 2600 रूपया प्रतिवर्ग मीटर की दर से दी जा रही है।

दिनांक 02-12-2004 को ही परिवादी ने उक्‍त पत्र पर आपत्ति की और एक आपत्ति नामा/ प्रार्थना पत्र विपक्षी को दिया जिसमें कहा गया कि आज से पूर्व विपक्षी द्वारा कोई भी पत्र मुझको नहीं भेजा गया मुझसे 2600/- रूपये प्रति वर्गमीटर भूमि की कीमत गलत मांगी जा रही है यदि समय से कोई पत्र प्राप्‍त हो

 

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जाता तो भूमि का मूल्‍य 1600 रूपये प्रतिवर्ग मीटर देय होता जब कि अब 2600 रू0 प्रति वर्ग मीटर की दर से मांगा जा रहा है जिससे आर्थिक हानि हो रही है।

विपक्षी के कर्मचारियों द्वारा परिवादी को दिनांक 02-12-2004 से पूर्व किसी भी प्रकार से कोई सूचना नहीं दी गयी। परिवादी संख्‍या-1 बुलन्‍द बंगला सिविल लाईन रामपुर का निवासी है और परिवादी का यही पता पत्रावली पत्र तथा आवंटन  प्रार्थना पत्र पर अंकित है किन्‍तु विपक्षी द्वारा जो पत्र परिवादी को भेजे गये उन सभी पत्रों में परिवादी का पता रामपुर के स्‍थान पर मुरादाबाद लिख गया जो बिना किसी व्‍यक्ति को प्राप्‍त वापस विपक्षी कार्यालय आ गये।

 परिवादी ने दिनांक 17-02-2005 को विपक्षी को एक प्रार्थना पत्र इस संबंध में दिया और अतिरिक्‍त भूमि की कीमत पुराने रेट 1600 रूपयों से ही करने का अनुरोध किया किन्‍तु विपक्षी द्वारा उक्‍त पत्र का कोई भी उत्‍तर परिवादी को नहीं दिया गया।

विपक्षी द्वारा परिवादी को कुछ भी जानकारी नहीं दी जा रही थी तब मजबूरी वश परिवादी ने दिनांक 28-09-2006 को सूचना अधिनियम के अन्‍तर्गत विपक्षी से सूचना मांगी जिसका उत्‍तर विपक्षी द्वारा दिनांक 30-11-2006 को दिया गया जिसमें पूर्व सूचना नहीं दी किन्‍तु यह स्‍वीकार किया कि पत्र लिपिकीय त्रुटि के कारण रामपुर के स्‍थान पर मुरादाबाद लिख कर जारी किये गये थे।

विपक्षी द्वारा सूचना का पूर्ण जवाब नहीं देने पर परिवादी ने दिनांक     02-12-2006 को राज्‍य  सूचना आयोग उ0प्र0 लखनऊ में अपील दायर की जिस पर दिनांक 01-06-2007 के पत्र के माध्‍यम से विपक्षी ने सूचनायें उपलब्‍ध करायी जिससे परिवादी को तथ्‍यों का ज्ञान हुआ।

 

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तत्‍पश्‍चात परिवादी को हुई आर्थिक क्षति की उत्‍तर दायित्‍वता के संबंध में फिर विपक्षी से दिनांक 07-06-2007 के सूचना अधिनियम के अन्‍तर्गत सूचना मांगी गयी जिसके उत्‍तर में दिनांक 12-06-2007 को विपक्षी ने सूचित किया कि परिवादी का आवंटित प्‍लाट 330.07 वर्ग मीटर के स्‍थान पर 200 वर्ग मीटर कर दिया गया है और यह भी स्‍वीकार किया कि 200 वर्ग मीटर की कीमत विपक्षी को जमा की जा चुकी है।

तब दिनांक 27-07-2007 को परिवादी द्वारा पुन:सूचना अधिनियम के अन्‍तर्गत सूचना मांगी गयी और विपक्षी से अतिरिक्‍त भूमि के आवंटन का नियम पूछा जिस पर दिनांक 18-08-2007 के पत्र के माध्‍यम से स्‍वीकारा गया कि आवंटित के प्‍लाट के पास की अतिरिक्‍त भूमि आवंटी को ही आवंटित की जायेंगी इस प्रकार विपक्षी द्वारा दिनांक 12-06-2007 के पत्र से परिवादी के प्‍लाट से कार्नर की अतिरिक्‍त भूमि को कम किया जाना कानून व नियम विरूद्ध था। विपक्षी के कार्नर के प्‍लाट से भूमि कम करने का अधिकारी नहीं था। परिवादी के आस पास जितने भी 200 मीटर के प्‍लाट थे सभी में भूमि बढ़ा कर आवंटित की गयी।

तत्‍पश्‍चात परिवादी द्वारा जिला उपभोक्‍ता प्रतितोष फोरम मुरादाबाद में परिवाद संख्‍या-205/2010 पुष्‍प कुमार राजपूत बनाम मुरादाबाद विकास प्राधिकरण दायर किया गया जिसमें विपक्षी ने सभी तथ्‍यों को स्‍वीकार किया और पूर्ण सुनवायी उपरान्‍त मंच मुरादाबाद द्वारा दिनांक 26-05-2015 को आदेश दिया कि अतिरिक्‍त भूमि 130.07 वर्ग मीटर में से 20 वर्गमीटर भूमि 1600 रूपये प्रति वर्ग मीटर तथा अतिरिक्‍त 110.07 वर्ग मीटर भूमि 1800 रू0 प्रति वर्गमीटर की दर से देने का आदेश पारित किया साथ ही परिवादी के सेवा में हुयी क्षति के बदले 2 लाख रूपया प्रति कर राशि देने का भी आदेश किया गया।

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उक्‍त आदेश के अनुपालन में विपक्षी को परिवादी द्वारा दिनांक         09-06-2015 को 1 लाख तथा दिनांक 25-06-2015 को 1,30,126 रूपया कुल 2,30,126 रूपया कीमत अतिरिक्‍त भूमि अदा कर दी जो विपक्षी के पास जमा है।

विद्वान जिला मंच मुरादाबाद के आदेश दिनांक 26-05-2015 के विरूद्ध विपक्षी ने राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ में अपील संख्‍या-1192/2015 दायर की जिसमें आयोग द्वारा दिनांक 25-05-2017 को निर्णय पारित करते हुए कहा गया कि जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, मुरादाबाद को इस वाद के सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं था और परिवादी को विधि अनुसार राज्‍य आयोग में परिवाद प्रस्‍तुत करने का अधिकार देते हुए परिवाद का निस्‍तारण किया गया।

परिवादी द्वारा आयोग के सम्‍मुख परिवाद मुरादाबाद से वापस लेकर प्रस्‍तुत किया जा रहा है जो पूर्णतया समय सीमा के अन्‍तर्गत आता है।

विपक्षी द्वारा आयोग के आदेश के पश्‍चात दिनांक 24-10-2017 के पत्र संख्‍या-598 द्वारा सूचित किया कि एच0आई0जी0 भूखण्‍ड संख्‍या-A-2/116 आपके द्वारा देय किश्‍तों का भुगतान नहीं किये जाने के कारण आपके नाम आवंटित भूखण्‍ड का आवंटन निरस्‍त कर दिया जाता है और जमा धनराशि 2,61,600 रूपया का चेक संख्‍या-701790 दिनांकित 18-09-2017 परिवादी को भेजा गया। उक्‍त आदेश पूर्णतया गैर कानूनी व मनमाना है। परिवादी द्वारा जो आवंटन कराया गया वह हरगिज भी किश्‍तों के आधार पर नहीं था। आवंटित प्‍लाट ए2/116 200 वर्ग मीटर की कीमत विपक्षी के दिनांक 18-02-1999 70,000/-रू0 दिनांक 03-7-99- 55000/-रू0 दिनांक 17-07-1999 1,95,000/-रू0 तथा दिनांक 01-10-1999 को 7,000/-रू0 कुल 3,27,000/-रू0 विपक्षी को अदा की जा चुकी है और 200 वर्ग मीटर भूमि के भुगतान हेतु कोई धनराशि शेष नहीं है इस प्रकार

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ए2/116 का आवंटन यह कहते हुए कि ‘’ आपके द्वारा देय किश्‍तों का भुगतान निर्धारित अवधि में न कराये जाने के कारण आपके नाम आवंटित उक्‍त भूखण्‍ड का आवंटन उपाध्‍यक्ष महोदय के आदेश दिनांक 24-01-2012 के अनुपालन में निरस्‍त कर दिया और जमा धनराशि 2,61,000/-रू0 वापस कर दी।

     उक्‍त आदेश पूर्णतया कानून विरूद्ध है, वास्‍तव में 200 वर्ग मीटर भूमि की कीमत विपक्षी को वर्ष 1999 में ही अदा की जा चुकी है और कोई भी किश्‍त शेष नहीं थी। विपक्षी को आवंटन निरस्‍त करने का अधिकार ही प्राप्‍त नहीं था। 200 वर्ग मीटर भूमि की कीमत केवल 3,20,000/-रू0 थी जो विपक्षी को अदा की जा चुकी थी।

इसी प्रकार अतिरिक्‍त भूमि की कीमत भी जिला मंच मुरादाबाद के आदेशानुसार जमा की जा चुकी है यदि उसमें कोई कमी थी तो विपक्षी को मांगनी चाहिए थी। विपक्षी ने अब तक कभी भी कोई कम कीमत धनराशि की मांग नहीं की। उक्‍त धनराशि 2,61,000/-रू0 भी प्राधिकरण को वापस कर दी गयी है।

आदेश दिनांक 24-10-2017 पूर्ण तथा शून्‍य व निष्‍प्रभावी है जिसके द्वारा परिवादी के अधिकारों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

वाद का कारण विपक्षी द्वारा बार-बार जानबूझकर गलत पते पर परिवादी को सूचनायें भेजने व विपक्षी द्वारा गैर कानूनी रूप से अतिरिक्‍त भूमि की कीमत 1600 रूपया वर्ग मीटर से 1800 रूपया वर्ग मीटर मांगने पर तथा दिनांक     24-10-2017 को परिवादी का आवंटन निरस्‍त करने पर मुरादाबाद उ0प्र0 में पैदा हुआ और आयोग को परिवाद सुनने का पूर्ण अधिकार प्राप्‍त है।

        विपक्षी ने अपना लिखित कथन प्रस्‍तुत किया है जिसमें कहा है कि परिवादी ने दिनांक 19-02-1999 को 70,000/-रू० की धनराशि की रसीद जारी की

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जो पंजीकृत धनराशि के रूप में जमा की गयी और इसके साथ स्‍कीम की नियम और शर्तें थी जिसको परिवादी ने पढ़ लिया था। इसी स्‍वीकृति के अनुसार अतिरिक्‍त धनराशि को अदा करना था। भूखण्‍ड कोने का है, यह भी स्‍वीकृति थी कि जब प्राधिकरण द्वारा या किसी राजकीय आदेश के अन्‍तर्गत या परिषद के निर्णय के अनुसार मूल्‍य में परिवर्तन होता है तो मूल्‍य संशोधित किया जाएगा। विपक्षी ने दिनांक 15-03-1999 को आवंटन पत्र निर्गत किया जिसके द्वारा भूखण्‍ड संख्‍या- ए-2-116 आशियाना ।। अनुमानित मूल्‍य 3,20,000/-रू० पर जारी किया गया और बताया गया कि क्षेत्र अभी निश्चित नहीं है। भूखण्‍ड में व्‍यवधान होने पर भूखण्‍ड का आवंटन निरस्‍त हो सकता है, यह तथ्‍य भी बता दिया गया था। परिवादी ने भूखण्‍ड अनुसूची के अनुसार भुगतान नहीं किया इस प्रकार वह डिफाल्‍टर हुआ तथा विपक्षी द्वारा मांग पत्र भेजने के बाद भी उसके द्वारा भुगतान निश्चित तिथि पर नहीं किया गया जिस पर दाण्डिक ब्‍याज लगाया गया। यह कहना गलत है कि 3,20,000/-रू० जमा करने के बाद 7000/-रू० भूखण्‍ड के मद में जमा किया गया था जिसका क्षेत्रफल 200 स्‍क्‍वायर मीटर है। भूखण्‍ड का क्षेत्रफल निश्चित नहीं किया गया था।

    कब्‍जा लेने वाले पत्र दिनांक 23-08-2001 के अनुसार विपक्षी ने परिवादी को आवंटित भूखण्‍ड का कब्‍जा लेने के लिए बुलाया और उससे 3,58,316/-रू० जमा करने के लिए कहा। भूखण्‍ड में बढ़े हुए क्षेत्र के सम्‍बन्‍ध में धनराशि की मांगी की गयी जो राजकीय आदेश के अन्‍तर्गत था। परिवादी को अतिरिक्‍त भूमि के सम्‍बन्‍ध में पत्र दिनांक 23-08-2001 द्वारा यह बताया कि उसे भूखण्‍ड का कब्‍जा देने के लिए आमंत्रित किया गया किन्‍तु वह उपस्थित नहीं हुआ और न ही उसने भूखण्‍ड का मूल्‍य जमा किया। तब दिनांक 22-11-2002 को विपक्षी ने एक पत्र भूखण्‍ड के निष्‍पादन के लिए लिखा जिस पर अनेक पत्र पत्र दिनांक- 03-02-2003, 03-05-

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2003, 22-08-2003 व दिनांक  01-05-2004 लिखे गये। परिवादी ने बार-बार अनुस्‍मारक भेजने के बावजूद उक्‍त धनराशि जमा नहीं की। परिवादी ने अपने पत्र दिनांक 07-06-2009 द्वारा सूचित किया कि विपक्षी द्वारा भेजे गये पत्र गलत पते पर भेजे गये, तब एक पत्र दिनांक 12-06-2007 परिवादी को सुनिश्चित क्षेत्रफल और मूल्‍य के बारे में भेजा गया और उससे 1,14,,310/-रू० जमा करने को कहा गया जो उसने जमा नहीं किया और सूचना के अधिकार के अन्‍तर्गत पत्र भेजा जिसका उत्‍तर परिवादी को विधि के अनुसार दिया गया।

      परिवादी को हमेशा से यह मालूम था कि अतिरिक्‍त भूमि के भूखण्‍ड का पत्र दिनांक 02-12-2004 और दिनांक 12-06-2007 मिलान करने पर स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी को इससे कोई हानि नहीं थी तब भी उसने जानबूझकर कब्‍जा लेने में विलम्‍ब किया। परिवादी ने मांगी गयी धनराशि को भी जमा नहीं किया। परिवादी ने परिवाद पत्र की धारा-6 में अतिरिक्‍त भूमि के सम्‍बन्‍ध में स्‍वीकार किया है। रामपुर से मुरादाबाद की दूरी मात्र 28 किलो मीटर है और परिवादी इस भूखण्‍ड का निरीक्षण स्‍वयं कर सकता था। परिवादी के कथनानुसार उसने 1,95,000/-रू० दिनांक 17-07-99 को जमा किया था। यह कथन किया गया कि अतिरिक्‍त क्षेत्र के बारे में सूचना दिनांक 02-12-2004 को दी गयी अर्थात्‍ आवंटन के साढ़े पांच वर्ष के बाद। यह विश्‍वसनीय नहीं है कि जिस व्‍यक्ति को भूखण्‍ड की आवश्‍यकता होगी और वह संबंधित स्‍थल से मात्र 28 किलो मीटर की दूरी पर हो, वह भूखण्‍ड लेने में इतना विलम्‍ब करे। परिवादी को बताया गया था कि इस भूखण्‍ड से संलग्‍न भी अतिरिक्‍त भूमि है जिसका मूल्‍य उसे जमा करना है। उसके बावजूद भी परिवादी ने धनराशि जमा नहीं की तब उसका आवंटत पत्र निरस्‍त कर दिया गया और जमा धनराशि को नियमानुसार वापस किया गया। इसलिए विपक्षी की सेवा में कमी का कोई प्रश्‍न ही नहीं है। विपक्षी ने अतिरिक्‍त भूमि हेतु

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अतिरिक्‍त्‍ धनराशि जमा करने के लिए कहा था जो उसने जमा नहीं किया। परिवादी को उसकी सूचना के अधिकार के अन्‍तर्गत प्रेषित पत्र का उत्‍तर पत्र दिया गया था। अत: उसे इस सम्‍बन्‍ध में पूरी जानकारी थी। परिवादी द्वारा धनराशि जमा न करने और भूखण्‍ड का अधिपत्‍य न लेने के कारण पत्र दिनांक          24-10-2017 के द्वारा भूखण्‍ड का आवंटन निरस्‍त कर दिया गया।

      परिवादी ने जो परिवाद प्रस्‍तुत किया है उसमें यह अनुतोष मांगा है कि उसे अतिरिक्‍त भूमि 1600/-रू० की दर से दी जाए और यह दर उस समय थी जब उसे यह भूखण्‍ड आवंटित हुआ था। यह परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी द्वारा अतिरिक्‍त भूमि हेतु अतिरिक्‍त धनराशि जमा न करने के कारण विपक्षी ने उसके आवंटन को निरस्‍त कर दिया। परिवादी ने यह परिवादी 40,16,224/-रू० की अवैध धनराशि को पाने के लिए प्रस्‍तुत किया है जिस पर विद्वान जिला आयोग ने कहा कि यह उनके क्षेत्राधिकार से परे है तत्‍पश्‍चात मामला राज्‍य आयोग में प्रस्‍तुत किया गया। चूंकि परिवादी का आवंटन दिनांक 24-10-2017 को निरस्‍त हो चुका है तब अतिरिक्‍त भूमि को 1600/-रू० की दर पर देने का कोई अनुतोष उसे नहीं दिया जा सकता है। परिवादी को वाद का कारण उत्‍पन्‍न नहीं हुआ है। उसके द्वारा धनराशि जमा करने में व्‍यवधान किया गया है और भूखण्‍ड का कब्‍जा बार-बार दिये जाने के बावजूद नहीं लिया गया। परिवादी का कथन पूर्णतया गलत है। इस न्‍यायालय को परिवाद सुनने का अधिकार नहीं है। अत: माननीय राज्‍य आयोग ने निवेदन है कि परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद को निरस्‍त किया जाए।

         सुनवाई के समय परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित हुए। विपक्षी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री अभिषेक मिश्रा उपस्थित हुए।

       

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      हमने उभय-पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना और पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त साक्ष्‍यों और अभिलेखों का ध्‍यानपूर्वक मनन किया।

    पत्रावली के अवलोकन से यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी ने दिनांक    28-09-2006 को सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्‍तर्गत विपक्षी से सूचना मांगी तथा विपक्षी ने दिनांक 30-11-2006 को यह स्‍वीकार किया कि लिपिकीय त्रुटि के कारण पत्र रामपुर के स्‍थान पर मुरादाबाद लिख कर जारी कर दिया गया था। परिवादी ने परिवाद पत्र में कहा है कि उसका पता रामपुर का है लेकिन विपक्षी ने जानबूझकर मुरादाबाद के पते से पत्र जारी किया है जो उसे प्राप्‍त नहीं हुआ है।

    इस मामले में महत्‍वपूर्ण तथ्‍य यह है कि पहले विपक्षी ने अपने पत्र दिनांक 15-03-99 द्वारा 200 वर्ग मीटर का प्‍लाट आवंटित करने का पत्र निर्गत किया जिसका मूल्‍य 3,20,000/-रू० तथा 7000/-रू० बताया गया जो परिवादी ने जमा कर दिया है, इस प्रकार परिवादी ने सम्‍पूर्ण धनराशि जमा कर दिया है। कुछ दिनों बाद परिवादी को विपक्षी द्वारा यह बताया गया कि इस प्‍लाट की नाप करने के उपरान्‍त यह तथ्‍य प्रकाश में आया कि 130.07 वर्ग मीटर भूमि अतिरिक्‍त है तथा इसको शामिल करते हुए आपके ऊपर 4,66,800/-रू० बकाया है। परिवादी को यह बताया गया कि उसे यह भूमि 2600/-रू० प्रति वर्ग मीटर की दर से दी जा रही है। परिवादी ने इस पर आपत्ति की और कहा कि उसको जिस मूल्‍य पर भूखण्‍ड आवंटित हुआ था वह 1600/-रू० प्रति वर्ग मीटर की दर से हुआ था इसलिए अतिरिक्‍त भूमि भी उसे 1600/-रू० प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से ही दी जाए। मुरादाबाद विकास प्राधिकरण ने पुन: एक खेल खेला। उसने अचानक दिनांक    02-12-2004 को परिवादी को सूचित किया कि उसके प्‍लाट में अब 130.07 वर्ग मीटर और अतिरिक्‍त भूमि कर दी गयी है और इसका कुल मूल्‍य 4,66,800/-रू०

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परिवादी द्वारा जमा किया जाए। प्राधिकरण का यह खेल निराला है। जब प्राधिकरण के पास नाप के समय अ‍तिरिक्‍त भूमि आयी तब नियमत: उसका मूल्‍य आवंटित भूखण्‍ड के मूल्‍य के हिसाब से होना चाहिए। जब भी किसी भूखण्‍ड का   ले-आउट पास होता है तब बकायदा उसका नक्‍शा बनता है और बाद में भूखण्‍ड को अलग-अलग किया जाता है। वर्तमान मामले को देखने से यह स्‍पष्‍ट होता है कि इसमें कोई ऐसी कार्यवाही नहीं की गयी है और अनुमानित आधार पर भूखण्‍ड का आवंटन किया गया है जो नितान्‍त गलत था। जब यह पाया गया कि परिवादी के पक्ष में अतिरिक्‍त भूमि 130.07 वर्ग मीटर आयी है तब उसे उसी दर से मूल्‍य निर्धारित करना चाहिए था जो 200 वर्ग मीटर प्‍लाट का मूल्‍य था। किन्‍तु विपक्षी ने किसी कारणवश और सम्‍भवत: किसी विशेष कारणवश अतिरिक्‍त भूखण्‍ड को परिवादी के भूखण्‍ड से अलग कर दिया। 130.07 वर्ग मीटर एक डूपलेक्‍स के लिए पर्याप्‍त होता है।

       इस प्रकार इस मामले में यह स्‍थापित हो जाता है कि जो अतिरिक्‍त भूमि 130.07 वर्ग मीटर की है परिवादी के कार्नर प्‍लाट में प्‍लस हुयी है उसे परिवादी ही पाने का अधिकारी है क्‍योंकि इस सम्‍बन्‍ध में परिवादी को सूचना भी जारी की गयी थी। इसका मूल्‍य 1600/-रू० प्रति वर्ग मीटर की दर से निश्चित होना चाहिए। विपक्षी प्राधिकरण के इस कृत्‍य से परिवादी को मानसिक क्‍लेश उत्‍पन्‍न हुआ है जिसके लिए उसने 18,00,000/-रू० की मांग की है। हमारे विचार से इस तरह की लापरवाही जहॉ पर पता ज्ञात होने के बावजूद पत्र किसी और जिले को भेजा जाए, घोर लापरवाही का परिचायक है। इसके लिए परिवादी विपक्षी प्राधिकरण से 10,00,000/-रू० पाने का अधिकारी है। इसके अतिरिक्‍त परिवादी वाद व्‍यय के रूप में 20,000/-रू० पाने का अधिकारी है। परिवाद तदनुसार निरस्‍तारित किये जाने योग्‍य है।

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आदेश

       परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत परिवाद विरूद्ध विपक्षी आज्ञप्‍त किया जाता है। विपक्षी प्राधिकरण को आदेशित किया जाता है कि वे भूखण्‍ड संख्‍या- A-2/116 परिवादी को आवंटित भूखण्‍ड क्षेत्रफल 200 वर्ग मीटर एवं 130.07 वर्ग मीटर भूमि का विक्रय पत्र 1600/-रू० प्रति वर्ग मीटर की दर से इस निर्णय की तिथि से 60 दिन के अन्‍दर निष्‍पादित करें और परिवादी द्वारा पूर्व में जमा की गयी धनराशि पर जमा की तिथि से 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज लगाते हुए उसका समायोजन इस मूल्‍य में करें। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को हुए मानसिक यंत्रणा एवं पीड़ा के मद में 10,00,000/-रू० 30 दिन की अवधि में अदा करें। निर्धारित समय के अन्‍दर भुगतान न करने पर उक्‍त धनराशि पर उसे 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज देना होगा।

     विपक्षी प्राधिकरण परिवादी को 20,000/-रू० वाद व्‍यय भी इस निर्णय की तिथि से 30 दिन के अन्‍दर अदा करें अन्‍यथा इस धनराशि पर भी उसे 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज देना होगा।

 

(विकास सक्‍सेना)                              (राजेन्‍द्र सिंह)

  सदस्‍य                                            सदस्‍य

 

    निर्णय आज दिनांक- 05-08-2022 को खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित/दिनां‍कित होकर उद्घोषित किया गया।

 

  (विकास सक्‍सेना)                                   (राजेन्‍द्र सिंह)            

     सदस्‍य                                              सदस्‍य

 

कृष्‍णा–आशु0 कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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